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जी-२० सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया। पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया आज भारत को संभावनाओं के गेटवे के तौर पर देखती है। ७ महीने बाद एक बार फिर मुझे जापान की धरती में आने का मौका मिला। ओसाका: जी-२० सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया। पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया आज भारत को संभावनाओं के गेटवे के तौर पर देखती है। ७ महीने बाद एक बार फिर मुझे जापान की धरती में आने का मौका मिला। पिछले बार जब मैं आया था तब मेरे मित्र सिंजो आबे पर भरोसा कर आपने उन्हें जिताया था। इस बार जब मैं आया हूं तब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने इस प्रधान सेवक पर पहले से ज्यादा प्यार और विश्वास जताया। अपनी सरकार के दोबारा चुने जाने को सच्चाई की जीत करार देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने इस प्रधान सेवक पर विश्वास जताया। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि १९७१ के बाद देश ने पहली बार एक सरकार को प्रो-इन्कम्बैंसी जनादेश दिया है। ६१ करोड़ लोगों ने भीषण गर्मी में वोट दिया। चीन को छोड़ दें तो दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा मतदाताओं की यह संख्या थी। पीएम मोदी के इस संबोधन के बाद जय श्री राम के नारे भी लगे। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों ने वंदे मातरम का भी नारा लगाया। पीएम मोदी ने जापान में बसे भारतीय समुदाय के लोगों से कहा कि आप यहां बैठकर भी हमारे काम का ज्यादा अच्छा आकलन करते हैं। उन्होंने कहा, कई बार स्टेडियम में बैठकर मैच देखते हैं तो पता चलता है कि गलती कहां हुई, आउट कैसे हुए। इसलिए जब आप दूर बैठकर मैच देखते हैं तो आपको ज्यादा पता होता है। पीएम मोदी ने अपनी जीत में प्रवासी भारतीयों के योगदान के लिए भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, कुछ लोगों ने अपने गांव के लोगों को चिट्ठियां भेजीं, ईमेल भेजे। आपने भी किसी न किसी तरह से देश को लोकतंत्र को प्राणवान बनाया। १३० करोड़ भारतीयों ने पहले से भी मजबूत बनाया। उन्होंने कहा कि मानवता के इतिहास में इससे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव नहीं हुआ है। भविष्य में भी इस रिकॉर्ड को कोई तोड़ेगा तो वह भारत ही है। भारतीय होने के नाते तो हम सभी को इस पर गर्व है ही। पूरे विश्व को भी यह प्रेरित करने वाला है।
नई दिल्ली। २५ दिसंबर २००० में केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में ५०० या इससे अधिक आबादी वाले सड़क संपर्क से वंचित गांवों को बारहमासी सड़क से जोड़ना था। इस योजना सबसे बड़ा फायदा गांव को होगा। जिस गांव में सड़के नहीं होती वहां आने जाने में काफी दिक्कतें आती है। इस योजना से छोटे किसान सीधे बाजार से जुड़ पाएंगे और अपनी फसल बाजार में बेच पाएंगे। इस योजना में सड़कों को सही रखना और खराब सड़को का ख्याल रखा जाएगा। इस योजना के तहत आप अपने गांव की नई सड़क और खराब सड़क सही करा सकते है। जिसके लिए केंद्र सरकार ने मेरी सड़क नाम की एक सरकारी आप्प लॉंच की है। अगर आपके गांव में अभी तक सड़क नहीं बनी है या सड़क किसी कारण खराब हो गई, तो आप इस आप्प की मदद से प्रधानमंत्री से शिकायत कर सकते हैं। लेकिन वो खराब सड़के सही होगी जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनी हो। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत केवल ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों को ही कवर की जाएगी। यह योजना पूरी से सेंट्रली स्पॉन्सर स्किम है। शहरी सड़के इस योजना में नहीं है। ग्राम की ऐसी सड़के जो गांव/बसावटों या बसावटों के समूहों को एक दूसरे उच्च स्तर की सीमावर्ती सड़क को जोड़ती है। पंगसी का मुख्य उद्देश्य गांव को शहरों की पक्की सड़को से जोड़ना है। जिससे वो हर मौसम में काम आ सकें। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में वो बस्तियां योग्य है जिस में १००० जनसंख्या हो, उस बस्ती को गांव या शहर से जोड़ दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का यह भी उद्देश्य है जो पुराने रास्ते है उसे भी नए सिस्टम से बनाया जाएगा। पुराने रास्तों को अपग्रेड किया जाएगा।
डब्लू डब्लू ई (व्वे) के चार सबसे बड़े पीपीवी में एक सर्वाइवर सीरीज इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। कंपनी ने इस शो को हिट कराने के लिए कई बड़ी चीज़ें की जिसमें वह सफल भी हुई। शो में रॉ, स्मैकडाउन के साथ न्क्स्ट ब्रांड भी शामिल था जिसने शो को जबरदस्त बनाया। पूरे शो में न्क्स्ट ब्रांड का दबदबा रहा। न्क्स्ट ब्रांड ने जहां ४ मुकाबलों में जीत हासिल की तो वहीं स्मैकडाउन ब्रांड को २ में जीत मिली। इसके अलावा रॉ के हिस्से में केवल एक जीत रही। इन सबके के अलावा फैंस को जिस मुकाबले का सबसे ज्यादा इंतजार था वह ब्रॉक लैसनर बनाम रे मिस्टीरियो का मुकाबला था। व्वे चैंपियनशिप के लिए हुए इस मुकाबले में ब्रॉक लैसनर ने रे मिस्टीरियो को हराकर एक बार फिर टाइटल रिटेन किया। इस मैच में रे मिस्टीरियो की मदद के लिए उनके बेटे का भी दखल देखने को मिला लेकिन बावजूद इसके लैसनर ने सफलतापूर्वक टाइटल रिटेन कर लिया। इसी कड़ी में आइए एक नज़र डालते हैं ब्रॉक लैसनर की रे मिस्टीरियो के खिलाफ जीत के ५ बड़े कारणों पर। लंबे समय से व्वे को फॉलो कर रहे फैंस इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि ब्रॉक लैसनर को हार के लिए न के बराबर बुक किया जाता है। कंपनी ने उन्हें पिछले कई सालों से इस तरह से दिखाने की कोशिश की है कि उन्हें कोई सुपरस्टार्स मात नहीं दे सकता है। कंपनी ने लैसनर की इमेज को एक ऐसे सुपरस्टार के रूप में बनाया है जो हर रेसलर पर भारी पड़ता है। व्वे रोस्टर पर नज़र डाले तो लैसनर ही अकेले ऐसे सुपरस्टार हैं जिन्हें हार के लिए शायद ही बुक किया जाता हो।
भागवत ने मीडिया के ७० लेखक-पत्रकारों के साथ बंद कमरे में किया मंथन, क्या र्स की छवि से परेशान हैं संघ प्रमुख! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इससे पहले भी संघ और उसकी विचारधारा के बारे में गलत धारणा पर एक तरह से सफाई देने के लिए पिछले सितंबर में विदेशी मीडिया से जुड़े करीब ८० पत्रकारों के साथ एक अहम बैठक की थी। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की विशाल बहुमत की सरकार आने के बाद भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को लेकर लोगों में प्रचलित धारणा में कोई बदलाव नहीं आने से संघ प्रमुख मोहन भागवत चिंतित हैं। बीजेपी की सरकार में भी आरएसएस की विवादास्पद छवि को लेकर कोई सकारात्मक बदलाव नहीं होने से भागवत की चिंता इन दिनों खासी बढ़ी हुई है। इसी को लेकर वह लोगों के बीच संघ की छवि को बदलने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को उन्होंने दिल्ली के छतरपुर इलाके में देश भर के ७० मीडिया स्तंभकारों से बंद कमरे में मुलाकात की। बताया जा रहा है कि इस बैठक का मकसद आरएसएस के बारे में लोगों के बीच फैली गलत धारणा को बदलने की रणनीति तैयार करना है। खबरों के मुताबिक छत्तरपुर इलाके में हुई इस बैठक में जिन ७० स्तंभकारों को बुलाया गया, वे सभी अलग-अलग भाषाओं में लिखते हैं। फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इन स्तंभकारों में कौन-कौन लोग थे और ये भी कि इस मुलाकात में क्या बातचीत हुई और क्या कुछ तय हुआ। दरअसल इस बैठक और इसमें हुई बातचीत को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है। इस बीच सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में संघ प्रमुख मोहन भागवत कोई महत्वपूर्ण भाषण दे सकते हैं, जिसे लेकर ही इस बैठक में सघन चर्चा हुई। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और इसकी विचारधारा को लेकर लोगों में कायम आम धारणा पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बीते साल सितंबर में विदेशी मीडिया के प्रतिनिधियों से इसी तरह की एक अहम बैठक की थी। यह मुलाकात दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित की गई थी। उस बैठक में ३० देशों के मीडिया संस्थानों से ८० पत्रकारों ने हिस्सा लिया था।
नई दिल्ली. स्विट्जरलैंड की पार्लियामेंट पैनल ने उस पैक्ट को मंजूरी दे दी है, जिसमें वहां के बैंक अकाउंट में जमा होने वाली ब्लैकमनी की जानकारी भारत सरकार को रियल टाइम बेसिस पर मिलेगी। इसे ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज पैक्ट कहा गया है। अब यह प्रपोजल मंजूरी के लिए विंटर सेशन में अपर हाउस से पार्लियामेंट को भेजा जाएगा, जो २७ नवंबर से शुरू हो रहा है। पैक्ट २०१८ में लागू होना है और २०१९ से भारत सरकार को डाटा मिलने लगेगा। गजट नोटिफिकेशन के बाद ही माना जा रहा था कि रियल टाइम डाटा मिलना अब तय है। गजट के फैक्टशीट के मुताबिक, स्विस सरकार भारत के इन्श्योरेंस और फाइनेंशियल सेक्टर में और ज्यादा रीच बढ़ाना चाहती है। इसके तहत भारत को स्विस बैंक खातों में होने ट्रांजेक्शन की रियल टाइम इन्फॉर्मेशन मिलती रहेगी। माना जा रहा है कि इस पैक्ट की मदद से ब्लैकमनी को रोकने में भी मदद मिलेगी। रविवार को कमिशन फॉर इकोनॉमिक अफेयर्स एंड टैक्सेज काउंसिल ऑफ स्टेट्स ने इस पैक्ट को मंजूरी दी है। यह पैनल स्विस पार्लियामेंट के अपर हाउस का खासय पैनल है। पैक्ट भारत के अलावा ४० दूसरे देशों से भी किया गया है। हालांकि मंजूरी देते समय पैनल ने यह भी कहा है कि ये देश इनडिविजुअल लीगल क्लेम्स के लिए अपने देश में प्रावणान मजबूत करें। इस पैक्ट के तहत अगर किसी भारतीय का स्विस बैंक में अकाउंट है तो इस संबंध में बैक वहां इसके लिए बनी अथॉरिटी को फाइनेंशियल अकाउंट डाटा की पूरी जानकारी देंगे। इसके बाद अथॉरिटी इस डाटा को भारत सरकार के पास ट्रांसफर कर देगी। जिसके बाद भारत में उस अकाउंट होल्डर की पर्सनल डिटेल के बारे में पता लगाया जाएगा। जिसमें उसकी इनकम, उसके द्वारा दिए जाने वाले टैक्स आदि शामिल होगी। पैक्ट को मंजूरी देते हुए अपर हाउस की इकोनॉमिक अफेयर्स कमिटी ने गवर्नमेंट से यह कहा है कि ऑटोमैटिक इनफॉर्मेशन एक्सचेंज फ्रेमवर्क की सेफ्टी के लिए इसके लिए कुछ एडिशन सेफगार्ड बनाए।
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पंजाब ए न्यूज : जिला प्रशासन ने निजातम नगर में कोरोना वायरस का केस पॉजिटिव आने के कारण शकी मरीजों की पहचान की मुहिम शुरू कर दी है। उप मंडल मैजिस्ट्रेट राहुल सिंधु और सहायक कमिश्नर पुलिस बरजिन्दर सिंह के नेतृत्व में टीमों की तरफ से घर -घर सर्वे करके शकी मरीजों की पहचान की जा रही है। सिंधु ने कहा कि पुलिस द्वारा पिछले दिनो के दौरान कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए लोगों की भी पहचान की जा रही है। उन्होने कहा कि रोगाणु मुक्त दवा का छिडकाव करने के लिए भी मुहिम चलाई जा रही है। उप मंडल ने बताया कि टीमों की तरफ से हर घर को अच्छी तरह रोगाणु मुक्त किया जा रहा है जिससे कोई इस वायरस की जकड में ना आ सके। सिंधु ने बताया कि इलाके को पूरी तरह सील कर दिया गया है और जरूरी चीजें जैसे दूध, सब्जियाँ और किराना का समान जिला प्रशासन की तरफ से अधिकारत किये व्यक्तियों द्वारा उपल४ध करवाया जायेगा। उन्होने कहा कि अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण पाये जाते हैं तो उसे एकांतवास में भेज दिया जायेगा। सिंधु ने बताया कि इलाके पर पूरी चौकसी से निगरानी रखने के लिए विशेष कार्यकारी मैजिस्ट्रेट तैनात किया गया है। उन्होने कहा कि जिले में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कोई कमी बाकी नहीं छोडी जायेगी।
मंगल ग्रह मेष राशि का स्वामी माना जाता है। मेष राशि का आराध्य देव भगवान श्री गणेश को माना जाता है। अर्निक नाम के लड़के सर्दी का मौसम खत्म होने के बाद जन्म लेते हैं। अर्निक नाम के लड़कों में सिरदर्द, बुखार, पायरिया, चोट लगने की संभावनाएं, गुस्सैल प्रवृत्ति आदि देखने को मिलती है। मेष राशि के अर्निक नाम के लड़कों में चेहरे की हड्डियों, मस्तिष्क, पीयूष ग्रंथि (पिट्युटरी ग्लैंड) और जबड़े से सम्बंधित बीमारियां होने का खतरा रहता है। इस राशि के अर्निक नाम के लड़कों का पाचन तंत्र भली प्रकार से काम नहीं कर पाता। अर्निक नाम के लड़कों में अग्नि तत्व का प्रभाव अधिक होने के कारण ये दिनभर ऊर्जावान रहते हैं और अधिक समय तक काम कर सकते हैं। अगर आप अपने बच्चे का नाम अर्निक रखने की सोच रहें हैं तो पहले उसका मतलब जान लेना जरूरी है। आपको बता दें कि अर्निक का मतलब अर्निक होता है। अपनी संतान को अर्निक नाम देकर आप उसके जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं। शास्त्रों में अर्निक नाम को काफी अच्छा माना गया है और इसका मतलब यानी अर्निक भी लोगों को बहुत पसंद आता है। अर्निक नाम का अर्थ जानने के बाद आप भी अपने बच्चे को अर्निक नाम आराम से दे सकते हैं। माना जाता है कि अर्निक नाम वाले व्यक्ति के स्वभाव में अर्निक होने की झलक देख सकते हैं। नीचे अर्निक नाम की राशि, लकी नंबर और स्वभाव एवं अर्निक के बारे में विस्तार से बताया गया है। अर्निक नाम के लोगों का लकी नंबर ९ होता है और ये मंगल ग्रह के अधीन होते हैं। अर्निक नाम के लोग मानसिक रूप से मजबूत होते हैं और मुश्किलों का हिम्मत से सामना करते हैं। इनको किसी काम की शुरूआत में मेहनत करनी पड़ती है, पर अंत में ये सफलता हासिल कर लेते हैं। अर्निक नाम वाले लोग निडर होते हैं और कभी-कभी ये इनके लिए मुसीबत का कारण भी बन जाता है। अर्निक नाम के व्यक्ति में लीडर बनने के गुण होते हैं। इन लोगों को दोस्ती ही नहीं, दुश्मनी भी अच्छी तरह निभानी आती है। जिनका नाम अर्निक है उनकी राशि मेष होती है, ये लोग साहसी होते हैं और इन्हें खुद पर भरोसा होता है। ये आत्मविश्वासी होते हैं और हमेशा कुछ जानने की इच्छा रखते हैं। अर्निक नाम के लोग किसी भी विपत्ति से डरते नहीं हैं। जिनका नाम अर्निक है, वे हर तरह के कार्यों को करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इन्हें चुनौतियों का सामना करना पसंद होता है। अर्निक नाम के व्यक्ति में कभी भी ऊर्जा की कमी नहीं होती है। अर्निक नाम के लोगों में काफी अहंकार व हठ होता है। करियर और पैसों के मामले में अर्निक नाम के व्यक्ति को किसी भी तरह का समझौता करना पसंद नहीं होता।
जयपुर, १६ अप्रैल। चित्तौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा में फुटबॉल अकादमी शुरू करने की घोषणा मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने की है. उन्होंने कहा किये ये क़दम राज्य में खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने और आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करने के लिए उठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अच्छे प्रशिक्षक नियुक्त कर यहां फुटबॉल खेल की प्रतिभाओं को निखारा जाएगा ताकि वे प्रदेश और देश का नाम दुनिया में रोशन कर सकें। श्रीमती राजे सोमवार को चित्तौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा स्थित जेके इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में निम्बाहेड़ा विधानसभा क्षेत्र के जनसंवाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थीं। इस दौरान स्थानीय खिलाड़ियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष फुटबॉल और अन्य खेलों के लिए और अधिक सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग रखी थी। श्रीमती राजे ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा के स्तर के साथ-साथ खेलों का स्तर बेहतर करने के भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ने सोमवार को निम्बाहेड़ा में जेके माइंस सड़क फलवा, शेखावत सर्कल से साकरिया चौराहा तक फोर लेन सड़क, निम्बाहेड़ा-केली-कनेरा सड़क, कनेरा में १३२ केवी ग्रिड सब स्टेशन तथा निम्बाहेड़ा ब्लॉक में स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। इसके साथ ही बजट घोषणा में स्वीकृत कनेरा उपतहसील का उद्घाटन भी किया। श्रीमती राजे ने शहरी जनसहभागिता योजना के अंतर्गत निम्बाहेड़ा में वंडर टाउनहॉल, जेके कन्सर्ट हॉल तथा १३२ केवी सब स्टेशन ढोरिया चौराहा का शिलान्यास भी किया। मुख्यमंत्री सोमवार को जब जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से रूबरू हो रही थीं तब मुख्यमंत्री के हाथों लैपटॉप लेने वाली मेधावी छात्रा उर्वशी लौहार ने कहा कि वह सरकार की योजनाओं के तहत तीन बार लैपटॉप ले चुकी है और अब वह स्कूटी लेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन मेधावी छात्र-छात्राओं ने अच्छे अंक प्राप्त किए हैं वे और अधिक मेहनत कर सीकर जिले की बालिका भानुप्रिया की तरह देश-विदेश के अच्छे संस्थानों में पढाई करने का अवसर हासिल करें। गौरतलब है कि अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में भानुप्रिया की बीटेक की पढ़ाई का खर्च सरकार उठा रही है। मुख्यमंत्री सोमवार को निम्बाहेड़ा में जनसंवाद कार्यक्रम से पूर्व जब दिव्यांग लाभार्थियों को ट्राईसाइकिल और अन्य उपकरण बांट रही थीं तो सरलाई से आयी बालिका शिवकन्या के आंसू छलक उठे। मुख्यमंत्री ने जब शिवकन्या को श्रवण यंत्र दिया तो वह अपने आंसू रोक नहीं पायी। मुख्यमंत्री ने जब कारण पूछा तो उसके परिजनों ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के हाथों से श्रवण यंत्र के रूप में यह सहारा पाकर भावुक हो गयी है। मुख्यमंत्री ने शिवकन्या का दुलार किया और उसे तथा उसके परिवार को शुभकामनाएं दीं। श्रीमती राजे ने विधानसभा क्षेत्र निम्बाहेड़ा की १० मेधावी छात्राओं को लैपटॉप वितरित किए। उन्होंने नौ विभिन्न दिव्यांगजनों को मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल, स्मार्टकेन, श्रवण यंत्र तथा एमएसआईटी किट भी वितरित किए। मुख्यमंत्री ने संनिर्माण श्रमिक कार्ड योजना के तहत लाभार्थियों को चैक सौंपे।
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की प्रक्रिया सोमवार को शुरू होगी। नामांकन की प्रक्रिया भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में होगी। माना जा रहा है कि जेपी नड्डा को पार्टी की कमान मिल सकती है। फिलहाल वह पार्टी कार्यकारी अध्यक्ष हैं। उनके नाम पर पहले ही पार्टी में आम सहमति बन गई है, लिहाजा जेपी नड्डा को निर्विरोध चुना जा सकता है। नामांकन प्रक्रिया के दौरान भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। सभी राज्य की इकाइयों के नेता भी नड्डा के समर्थन में नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए पहुंचेंगे। जेपी नड्डा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पहली पसंद के तौर पर देखा जाता है। बता दें कि पार्टी की ओर से कहा गया है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया २० जनवरी को होगी। इसके लिए बीजेपी ने अधिसूचना जारी कर दी है। वे इस पद के लिए नामांकन भरेंगे। उनके खिलाफ कोई दावेदार नहीं है। आम सहमति से इस पद के लिए उन्हें चुना जाएगा। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी समेत समस्त भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री, राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा के नाम का प्रस्ताव रखेंगे। नामांकन की समय सीमा खत्म होने के साथ ही २० जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। जगत प्रकाश नड्डा को जून २०19 में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था।नड्डा का पार्टी का ११वां अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। अभी गृहमंत्री अमित शाह के पास पार्टी अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी है। शाह के केंद्र में मंत्री बनने के बाद पार्टी की गतिविधियों को संभालने के लिए नड्डा को उनका सहयोगी बनाया गया था। भाजपा ने सभी प्रदेश अध्यक्षों, संगठन महामंत्रियों और राज्यों में कोर ग्रुप सदस्यों को २० जनवरी को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचने का निर्देश दिया है। नड्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। वहीं, पिछले कुछ दिनों में भाजपा के संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रियाओं से जुड़े कार्यों में तेजी आई है। चुनाव प्रभारी राधामोहन सिंह की टीम मतदाता सूची भी तैयार कर रही है। जेपी नड्डा छात्र राजनीति के समय एबीवीपी से जुड़े और संगठनों के विभिन्न पदों पर रहते हुए पहली बार १९९३ में हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गए थे। उसके बाद वे राज्य और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं।
मुंबई, विश्व कप के पहले सप्ताह में स्टार स्पोर्ट्स को रिकॉर्ड २६.९ करोड़ लोगों ने देखा। कम्पनी ने यह जानकारी दी।पिछले विश्व कप की तरह इस विश्व कप में भी दर्शकों के मामले में नए रिकॉर्ड बने। इंग्लैंड एंड वेल्स में जारी इस विश्व कप को आईसीसी टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे अधिक लोगों ने देखा है। टूर्नामेट को औसतन १०.७२ करोड़ लोगों ने देखा है जबकि कहा जा रहा है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पांच जून को हुए मुकाबले को करीब १८ करोड़ दर्शकों ने देखा। नेटवर्क ने कहा कि क्रिकेट का क्राउन और ले जाएंगे जैसे मार्केटिंग कैम्पेन ने भी टूर्नामेंट को अधिक दर्शकों तक पहुंचाया है।
न्यूज़ एनसीआर, हरियाणा | फरीदाबाद जिला के पृथला विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर ११३ में चुनाव आयोग द्वारा पुनर्मतदान (री-पोल) के आदेश दिए गए हैं। यह री-पोल बुधवार २३ अक्टूबर को प्रातः ७:०० से सायं ६:०० बजे तक होगा। इस बारे में जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त अतुल कुमार द्वारा दी गई है। उन्होंने बताया कि पृथला विधानसभा क्षेत्र में यह मतदान केंद्र नंबर ११३ गांव छांयसा में पड़ता है। निर्वाचन आयोग द्वारा आज हरियाणा प्रदेश में ५ मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान के आदेश दिए हैं। इनमें पृथला विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर ११३ के अलावा उचाना कला विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर ७१, बेरी विधानसभा क्षेत्र का बूथ नंबर १६१, नारनौल विधानसभा क्षेत्र का बूथ नंबर २८ तथा कोसली विधानसभा क्षेत्र का बूथ नंबर १८ शामिल है। इन पांचों बूथो पर बुधवार २३ अक्टूबर को पुनर्मतदान होगा और मतदान का समय सुबह ७:०० बजे से लेकर शाम ६:०० बजे तक रहेगा।
अक्षेय कुमार की अपकमिंग फिल्म केसरी का ट्रेलर रिलीज हो गया है। ३.०४ मिनट के इस ट्रेलर में एक योद्धा की तरह अक्षय कुमार दुश्मनों के छक्के छुड़ाते नजर आ रहे हैं। फिल्म में परिणीति चोपड़ा भी हैं जिनकी झलक ट्रेलर में कुछ सेकंड्स ही देखने को मिली है। फिल्म का ट्रेलर अक्षेय कुमार ने ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा-वीरता, बलिदान और बहादुरी की ऐसी कहानी जो अब तक सामने नहीं आई। इस फिल्म में अक्षेय कुमार ने बहुत ही अच्छा रोल किया है इसमें अक्षेय कुमार ने सैनिको के साथ लड़ाई की है अक्षय इस फिल्म में ईशर सिंह के रोल में दिखेंगे। १२ सिंतबर १८९७ को हवलदार ईशर सिंह की लीडरशिप में सिख रेजीमेंट ने कई घंटों तक अफगानी सेना के दस हजार सैनिकों से सारागढ़ी (नार्थ वेस्टर्न फ्रंटियर प्रोविंस) में लड़ाई लड़ी थी। रेजीमेंट यह बात जानती थी कि लड़ाई आसान नहीं थी क्योंकि सैनिकों की संख्या काफी ज्यादा थी लेकिन तब भी वह मैदान में डटे रहे और अंतिम समय तक हार नहीं मानी। फिल्म का पोस्टर अक्षेय कुमार ने पिछले साल १२ सितंबर, २०१८ को सारागढ़ी डे पर जारी किया था। अक्षेय ने अपने ट्विटर एकाउन्ट पर लिखा था-सारागढ़ी डे के मौके पर पेश है केसरी का फर्स्ट लुक, सारागढ़ी के शहीदों को हमारा नमन! आज मेरी पगड़ी भी केसरी, जो बहेगा मेरा वो लहू भी केसरी और मेरा जवाब भी केसरी।
नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग(आईपीएल) सीजन-१३ मार्च महीने २९ मार्च को शुरू होने जा रहा है। हर सीजन की तरह इस बार भी दर्शकों को मैदान पर चाैकों-छक्कों की बरसात देखने को मिली। अगर ये कहा जाए कि इस टूर्नामेंट में ज्यादातर बल्लेबाजों का ही बोलबाला रहता है तो कुछ गलत नहीं। हर टीम से २-३ बल्लेबाज धमाल तो मचाते ही हैं लेकिन गेंदबाजी में किस्मत किसी की ही अच्छी रहती है। फिलहाल हम आपको उन ५ गेंदबाजों के बारे में बताएंगे जिनकी बल्लेबाजो द्वारा खूब धुनाई हुई और वह रन खर्च करने के मामले में भी सबसे आगे रहे। आईपीएल में सबसे ज्यादा रन लुटाने का रिकाॅर्ड बासिल थंपी के नाम दर्ज है। थंपी ने १७ मई २०१८ को सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेलते हुए रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ १७.५० के इकॉनमी रेट से ४ ओवर में ७० रन लुटा दिए थे। उनके खराब प्रदर्शन के कारण आरसीबी ने २१८ रन बनाए, फिर जवाब में हैदराबाद की टीम 20४ रन ही बना सकी थी। इस मामले में दूसरे नंबर पर आते हैं बांग्लादेश के मुजीब उर रहमान। इस गेंदबाज ने २९ अप्रैल २०१९ को किंग्स इलेवन पंजाब की ओर से खेलते हुए सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ खूब रन लुटाए थे। उन्होंने ४ ओवर फेंकते हुए ६६ रन खर्च कर दिए थे। इस मैच में हैदराबाद ने २० ओवर में २१२ रन बनाए थे। जवाब में उतरी पंजाब की टीम महज १६७ रन ढेर हो गई थी। भारतीय तेज गेंदबाज इशांत शर्मा भी बल्लेबाजों का शिकार बने हैं। वह आईपीएल में सबसे ज्यादा रन लुटाने वाले तीसरे गेंदबाज हैं। उन्होंने ८ मई २०१३ को हैदराबाद की तरफ से खेलते हुए चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ ४ ओवर में ६६ रन खर्च कर दिए थे। उनके इस खराब प्रदर्शन के दम पर चेन्नई ने २० ओवर में २२३ रन बना डाले और जवाब में हैदराबाद ७७ रन से मुकाबला हार गई थी। इस मामले में चाैथे नंबर पर आते हैं उमेश यादव। उन्होंने १० मई २०१३ को दिल्ली कैपिटल्स की तरफ से खेलते हुए ४ ओवर के स्पेल में १६.२५ के इकॉनमी रेट से ६५ रन लुटवाए थे। इस मैच में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने २० ओवर में १८३ रन बनाए थे। जबकि दिल्ली कैपिटल्स यह मैच ४ रन से हार गई थी। २०१३ में अपने आईपीएल करियर की शुरुआत करने वाले संदीप शर्मा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अभी तक ७९ मैचों में ९५ विकेट हासिल किए हैं, हालांकि इस दौरान उनके नाम एक मैच में सबसे ज्यादा रन लुटाने का रिकॉर्ड भी दर्ज हुआ है। आईपीएल २०१४ में संदीप शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ अपने ४ ओवर में १६.२५ की औसत से ६५ रन लुटाए थे। हालांकि इस मैच में पंजाब की टीम ने लाजवाब प्रदर्शन किया और मैच ६ विकेट से जीत गई थी।
यूनिक एडवर्टाइजिंग नेटवर्क का उद्देश्य ब्लॉकचैन आधारित स्टार्टअप्स की समस्या को हल करना है, जो अपनी वेबसाइट पर खोज यातायात प्राप्त करना चाहते हैं - एक मंच पर आवश्यक मुआवजे की कमी के कारण, कंपनियां विज्ञापन बजट को कई प्लेटफार्मों में विभाजित करती हैं और इस तरह से कई बार विज्ञापन कंपनी के सेटअप और प्रत्येक मंच पर अनुकूलन ब्लोकचेन के आधार पर एक सुरक्षित और किफायती मध्यस्थता पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से और आरंभिक सिक्का भेंट के साथ स्टार्टअप की वेबसाइटों के लिए क्रिप्टोकुरेंसी ट्रैफ़िक पर विशेष। गूगल ऐडवर्ड्स के कीवर्ड प्लानर का अनुमान & नब्स्प; मात्रा क्रिप्टोकुरेंसी नेश में खोज यातायात १०० से अधिक होनी चाहिए नवंबर २०१७ पर हर महीने लाखों खोजों। & नब्स्प; ब्लॉकचैन आधारित स्टार्टअप इस प्रकार का & नब्स्प; प्राप्त करना चाहते हैं; उनकी वेबसाइट, चरण में जब आरंभिक & नब्स्प; सिक्का भेंट होता है और जब स्टार्टअप उत्पाद लॉन्च किया जाता है। & नब्स्प; एकत्र किए गए एक्सचेंज एफआईटी के समतुल्य में क्रिप्टोक्यूरेंसी और नब्स्प; और बैंक को स्थानांतरित करने के लिए विज्ञापन प्लेटफॉर्म स्टार्टअप के ८% -१५% तक खर्च करता है विज्ञापन बजट। & नब्स्प; स्टार्टअप के लिए औसत विज्ञापन बजट क३ में आईसीओ के साथ & नब्स्प; २०१७ $ ५००००० है और यह औसतन १५-३0% प्रत्येक आईसीओ में एकत्रित धन के सभी & नब्स्प;। यूनिक एडवर्टाइजिंग नेटवर्क का उद्देश्य इस समस्या को & नब्स्प; द्वारा निस्तारण करना है सुरक्षित और किफायती मध्यस्थ पारिस्थितिकी तंत्र आधारित & नब्स्प; पर ब्लॉकचैन और क्रिप्टोकुरैंसीज ट्रैफ़िक पर विशेष आरंभिक सिक्का भेंट के साथ स्टार्टअप की वेबसाइट के लिए, & नब्स्प; मुआवज़े विधियों का उपयोग: प्रति क्लिक भुगतान, बिक्री के अनुसार वेतन और वेतन प्रति & नब्स्प; लीड। नियंत्रण, विश्लेषण और धोखाधड़ी के कार्य पहचान और नब्स्प; ऑनलाइन बिक्री की मात्रा में बढ़ोतरी की अनुमति देते हैं और & नब्स्प; इंटरनेट-विपणन की लाभप्रदता को अधिकतम करना बजट & नब्स्प; आईसीओ के दौरान अधिक, क्रिप्टोकार्जेन्सी भुगतान तरीकों & नब्स्प; मुद्रा और हस्तांतरण पर पैसे बचाने की अनुमति दें आपरेशनों।
यह खबर है भारत के बिहार राज्य की जहां इन दिनों लड़कियों के निर्वस्त्र होकर घर से निकलने की घटना ने सभी को हैरान कर दिया है। बिहार के ज्यादातर गांवों में कम बारिश की वजह से फसले बर्बाद हो गई हैं। ऐसे में नई फसल के लिए गांववाले भगवान से अच्छी बारिश की दुआ मांग रहें हैं। इसी के लिए गांव की हर घर की लड़कियों को कपड़े उतारकर खेत में जाने को कहा जाता है। आईनेक्स्ट की रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों को ऐसा करने के लिए उनके घरवाले ही मजबूर करते हैं। बिहार में कम बारिश के चलते अधिकांश लोग अपनी मान्यताओं और धारणाओं को लेकर काफी आग्रही होते हैं। पूर्वी भारत में बारिश नहीं होने से किसान खासे परेशान हैं। ऐसे में किसान अपनी अविवाहित बेटियों को नग्न होकर खेतों को जोतने के लिए कह रहे हैं। दरअसल इन इलाकों में मानसूनी बारिश की जबरदस्त जरूरत है ताकि खेतों में बुवाई की जा सके। दरअसल इस सब के पीछे लोगो का अजीब तर्क है उनका कहना है कि कुँवारी लड़कियों का खेतों में नग्न होकर घूमने से बारिश के देवता को शर्मिदंगी होगी। जिससे बारिश का देवता उनके खेतों में अच्छी बारिश करेगा। उनका ये भी कहना है कि इसके जरिए मानसूनी बारिश के लिए उन्हें मजबूर किया जा सकता है।
कोरोना महामारी को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन में विविध राज्यों में लाखों प्रवासी श्रमिक को अनेकों प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा के लाखों की संख्या में श्रमिकों को उनके वतन भेजा जा चुका है। लेकिन अहमदाबाद के पास जरोडा में कन्स्ट्रक्चर निर्माण में काम करने वाले उड़ीसा के ४२ श्रमिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से नहीं जा सके। अहमदाबाद आने के बाद उन्हें पता चला कि यहां से कोई ट्रेन नहीं है, सूरत से उड़ीसा के लिए ट्रेन है। इसके बाद सभी लोग ३० मई को पैदल ही सूरत के लिए निकल पड़े, जो पांच दिन की यात्राकर ३ जून को सूरत पहुंचे। परंतु यहां से भी कोई ट्रेन नहीं होने पर वे सभी पशोपेश में पड़ गये। इस बीच उधना के कुछ अग्रणी मिले और उन्हें उधना बस स्टेशन में विश्राम की जगह देकर खाने-पीने की व्यवस्था की। गुरुवार को उड़ीसा के गंजाम जिला के निवासी श्रमिक अनाथ पहान एवं शिल्लू पहान ने बताया कि यहां पर खाने-पीने की व्यवस्था किया गया। साथ ही प्रशासन, राजनीतिकि पार्टियों के अग्रणी एवं स्वयंसेवी संस्थाएं उनके वतन जाने व्यवस्था में जुटे हुए है। मौके पर मौजूद आम आदमी पार्टी के नेता रमाकांत कौशिक ने बताया कि इन सभी के खाने की व्यवस्था अन्नपूर्णा भोजनालय से किया जा रहा है। जबकि पास की कैंटीन से चाय-नास्ते की व्यवस्था हैं। जब तक इन लोगों के गांव जाने की व्यवस्था नहीं पाती तब तक यह लोग यहीं पर रहेंगे।
दसवीं शती में कश्मीर राज्य के अधिपति थे महाराज यशस्कर देव। ..वे अत्यंत पराक्रमी, न्याय प्रिय, धर्म में आस्था रखने वाले उदारशासक थे, उनके पराक्रम से भयभीत मध्य एशिया के किसी भी दस्यु जाति ने उनके शासनकाल में कश्मीर पर आक्रमण नहीं किया. अत्याचारी दस्युओं एवं आतंकवादियों को महाराजा क्षमा नहीं करते थे, यह सर्व विदित था। ...कश्मीर धन धान्य से पूर्ण था, पाटलिपुत्र से लेकर गांधार तक के व्यापारी आते, अपनी सामग्री बेचते और कश्मीर के वस्त्राभूषण क्रय करके ले जाते। सर्वत्र सुशान्ति थी, वस्तुतः जहाँ प्रशासन राज धर्म का निर्वहन करता है, वहीँ लक्ष्मी का निवास होता है। भगवती वितस्ता [झेलम] का जल अमृत के समान था, लोग वितस्ता की पूजा करते थे। उसे प्रदूषित करना दंडनीय अपराध था, वितस्ता भी कृषि कार्य से लेकर पेय जल तक की आवश्यकताएं पूरी करती थी। यदि वितस्ता की शपथ लेकर कोई अपनी बात कहता तो वह विश्वास योग्य माना जाता था। पुष्पों और फलों से उद्यान परिपूर्ण रहते थे, राज्य कर्मचारी कर्तव्यनिष्ठ और प्रजापालक थे। उन्हें राज्य की ओर से सभी सुविधाएँ प्राप्त थीं। पर निर्देश यह था कि किसी निरपराध नागरिक पर किसी प्रकार का अत्याचार न हो, इन सारे तथ्यों का सुंदर वर्णन ''राज तरंगिणी '' में कियागया है। एक दिन महाराज यशस्कर अपने दरबार में सिंहासन पर विराजमान थे, सभी सभासद अपने अपने स्थान पर बैठे थे। काशी से आये एक कवी भगवन शिव का गुणानुवाद कर रहे थे - सभासद साधुवाद दे रहे थे। .कुछ दरबारी कवि अपनी हीन भावना के कारण मन ही मन क्षुब्ध हो रहे थे - वस्तुतः इर्ष्य सार्वदेशिक सर्वकालिक व्याधि है। महाराज विचलित हो गए। कविता पाठ बंद हो गया। सभासदों को बैठे रहने का संदेश देकर महाराज शीघ्र द्वार पर पहुंचे, देखा -एक प्रौढ़ व्यक्ति खड़ा है। हांव भाव से विह्वल वह विक्षिप्त नहीं जान पड़ता। हाँ ... आवेश में जरुर प्रतीत होता है। महाराज ने कोमल स्वर में पूछा - बन्धु। आपको क्या कष्ट है ? क्या किसी राज कर्मचारी ने आप पर अत्याचार किया है ? क्या आप धनाभाव से पीड़ित हैं ? क्या किसी ने आपकी आस्था पर प्रहार किया है ? आप भगवती वितस्ता के भक्त हैं। कृपया संक्षेप में बताएं, आपको क्या कष्ट है ? मै यथा सम्भव दूर करने का प्रयत्न करूँगा''। उस व्यक्ति ने कहा -''महाराज की जय हो, प्रबल प्रतापी महाराज यशस्कर देव के राज्य में कर्मचारी अनुशासित और प्रजा पालक हैं, उनसे मुझे कोई कष्ट नहीं है। मै धनाभाव से भी पीड़ित नहीं हूँ। अभी मेरे पास एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ हैं। मै आत्मघात के बाद उसे राज कोष में प्रजा के लिए देना चाहता हूँ '' । महाराज विचलित हो उठे, बोले बन्धु! आत्मघात पातक है, आप अपनी व्यथा कहें। उस व्यक्ति ने निवेदन किया -'' महाराज मै मंगल नामक ब्राह्मण हूँ, पिता ने पढाया पर उनके देहावसान के बाद, मै कुसंगति में पड़ गया। मुझे सुरा, सुन्दरी का रोग लग गया, फलस्वरूप मेरे संचित द्रव्य, खेत, और उद्यान बिक गए, मैंने अपना निवास भी बेच दिया, अब मुझे प्रदेश जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं था, मेरे निवास के पास एक कूप था उस पर सोपान थे, मैंने वहां एक कुटिया बनाई, अपनी पत्नी को उसमे रखा - मैंने उसे समझाया -'' तुम कूप के सोपान पर बैठ कर पथिकों को जल पिलाओ, जो कुछ मिल जाये उससे अपना निर्वाह करो, मै परदेश धन अर्जन के लिए जा रहा हूँ। शीघ्र ही धन लेकर आऊंगा, अब मै व्यसन मुक्त हूँ, मेरी चिंता मत करना। महाराज चिंता निमग्न हो गये, उन्होंने देखा - सेठ लक्ष्मीदास एवं कुछ अन्य श्रेष्ठिन दरबार में उपस्थित हैं, सभी की उँगलियों में रत्न जटित मुद्रिकाएँ [अंगूठियाँ] हैं उन्होंने सबकी मुद्रिकाएँ ली और देखने लगे। पुनः बाहर गये और एक विश्वस्त अनुचर को लक्ष्मीदास की अंगूठी देकर बोले -''लक्ष्मी दास के घर जाओ, यह अंगूठी दिखाकर आवास -कूप का अभिलेख ले आओ। महाराज ने अभिलेख देखा, न्यायाधीश का कथन सही था, पर साथ ही उनकी दृष्टि व्यय पर पड़ी, राज लिपिक को एक सहस्र मुद्राएँ दी गईं, महाराज ने सोचा - इस छोटे से विवरण के लिए दस या पन्द्रह मुद्राएँ दी जाती हैं। इतनी बड़ी राशि क्यों दी गई ? कहीं यह उकोच [रिश्वत] तो नहीं ? राज लिपिक को बुलाया गया, तब तक यह चर्चा विस्तारित हो चुकी थी, लिपिक सहमा सहमा आया, उसने स्वीकार किया कि सेठ के कहने पर ही ''कूप सोपान रहित के स्थान पर ''सहित'' लिख दिया था, उसने एक सहस्र का उत्कोच भी स्वीकार किया।
विशेषझत : ऑबस्टेट्रीक्स ऐंड़ गॉयनेकॉलजी (प्रसूति एवं स्त्री रोग) अल्फा : ब के आधार पर खोज का परिणाम । ५७ पन्नों की १४०२ नामों की सूची में से, १ पन्ना प्रदर्शित हैं। डॉ. भालचंद्र न. रानडे, डॉ. भालचंद्र स. ठाकरे, डॉ. बंसल निशा, डॉ. बी.विजय लष्मी, डॉ. बी.विश्वनाथ रेड्डी, डॉ. बी. रजयलष्मी, डॉ. बी प्रिय, डॉ. बी संध्या रानी, डॉ. भरतहि र., डॉ. भुलक्ष्मी न., डॉ. भरतहि कुमारी सर, डॉ. बुेलह प.ग, डॉ. भरतहि. ज पग, डॉ. बी. इंदिरा, डॉ. भाग्य लक्ष्मी.ग, डॉ. भरतहि लक्ष्मी.स, डॉ. बिंदु प्रिय, डॉ. बाटुला उषा रानी, डॉ. बी. सावित्री, डॉ. बला. क,
दोस्तों जैसा की आप जानते है मै अपने ब्लॉग पर तीन टॉपिक मोतीवेशन, टेक्नोलॉजी और र्न मोने ऑनलाइन पर लिखता हू। बहुत से लोगो को लगता है की ऑनलाइन पैसे कमाना नामुनकिन है लेकिन ये उनकी ग़लतफ़हमी है। ऑनलाइन पैसे कमाने के बहुत से तरीके है जिनमे से कुछ रिस्की है लेकिन इनमे पैसे कमाना आसान है और कुछ तरीके ऐसे है जिसमे कोई रिस्क नही है लेकिन इसके लिए आपको स्किल्स की जरूरत है। जैसे ब्लॉगिंग , ब्लॉगिंग से पैसे कमाने में कोई रिस्क नही है लेकिन इसके लिए आपको एक्स्ट्रा स्किल्स की जरूरत है और हार्ड वर्क की भी, वैसे मै इससे पहले भी एक पोस्ट लिख चूका हु इंटरनेट से पैसे कैसे कमाए ५ तरीके जिसमे मैंने आपको कुछ आसान तरीको के बारे में बताया था आप उन्हें भी पढ़ सकते है। आज तो तरीका मै आपको बताने जा रहा हु उसमे आपको किसी एक्स्ट्रा स्किल्स की जरूरत नही है लेकिन हाँ ये ऐसा प्लान है जिसमे रिस्क (आपकी नजरों में) है क्योंकि आपको यहाँ पैसा इन्वेस्ट करना है वो नया प्रोग्राम है और एक और जरूरी बात बिना किसी इन्वेस्टमेंट या हार्ड वर्क के आप इंटरनेट से अच्छे पैसे नही कमा सकते। इस बुसिनेस को शुरू करने के लिए आपको १२००-१३०० रूपये (केवल एक बार) इन्वेस्ट करने होंगे और उसके बाद आपको लाखों कमाने का अवसर मिलेगा। १२००-१३०० रूपये कोई बड़ी रकम नही है और कभी-कभी इतनी रकम आप अपने छोटे-मोटे गैरजरूरी खर्चो में ही गुजार देते होगे। इसलिए अगर आप १२००-१३०० रूपये इन्वेस्ट करके अच्छे पैसे कमाने का अवसर जानना चाहते है तो आगे पढ़े अन्यथा आप इस पोस्ट को बंद कर दूसरी पोस्ट पढ़ सकते है। ज़र्फंड में मेंबर्स अपनी इच्छा से डोनेशन (१२००-१३००) देकर जोइन होते है और डोनेशन उसे देना है जो आपको ज़र्फंड में जोइन कराता है। हलाकि कोई भी मेंबर अपने डानलाइन में २ से ज्यादा मेंबर्स नही ला सकता अगर उसका कोई ३र्ड मेंबर आता है तो वो सिस्टम के अनुसार उसके उसके रफर्रल के डानलाइन में जाता है। सारे पाय्मेंट्स डाइरेक्ट मेंबर से मेंबर को ही होते है एडमिन की कोई फी नही है यानी आपके रफर्रल को जोइन होने के लिए १०० % आपको ही पाय करना होगा। पाय्मेंट रेसेइव और सेंड करने के लिए केवल बत्क टेक्नोलॉजी ही है। जो लोग ऑनलाइन बुसिनेस में पहले से है वो बत्क के बारे में पहले ही जानते होंगे लेकिन जो नही जानते उन्हें मै बता दू बत्क को आप एक करेंसी कह सकते है बत्क की वेल्यू लगातार बदलती रहती है आज की दते में १ बत्क की वेल्यू ६००+ उसड है। अब आप सोच रहे होंगे की आप जोइन होने के लिए बत्क कैसे लाएँगे, इसके बारे में मै किसी अन्य पोस्ट में देतेल से बताऊंगा या फिर आप मुझे फेसबुक में संपर्क करके भी जान सकते है। माना आपने १२०० रूपये देकर ज़र्फंड जोइन किया अब आप लेवल १ में २ रफर्रल लाकर १२००+१२०० पा सकते है और ऐसा ही २000 रूपये देकर (जो आपको आपके २ रफर्रल से ही मिल जाएँगे) लेवल २ में उपग्रेड कर ४ रफर्रल और लाकर २000*४= ८००० कमा सकते है और इसी तरह नेक्स्ट लेवल के लिए। यहाँ अच्छी बात ये है की अगर आप रफर्रल न भी ला सके तो आपके उपलाइनर इसमें आपकी मदद करेंगे और उनके २ रफर्रल होने के बाद सारे रफर्रल आपके ही डानलाइन में आएँगे। अगर आपको बत्क की कोई जानकारी नही है और बत्क लेना चाहते है तो मुझे फेसबुक में या कॉन्टक्ट फॉर्म से संपर्क करें।
उत्तराखंड सरकार ने मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह का कार्यभार बढ़ा दिया है। मुख्य सचिव को उनके वर्तमान कार्यभार के साथ मुख्य स्थानिक आयुक्त दिल्ली का भी पद सौंपा गया है। पहले यह पद प्रमुख सचिव ओमप्रकाश के पास रहा है। सरकार ने मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और प्रमुख सचिव ओम प्रकाश के बाकी विभाग यथावत रखे हैं। इस संबंध में जारी शासनादेश में कहा गया कि जनहित में यह निर्णय लिया गया है। सरकार ने इसी तरह अन्य अफसरों के विभागों में थोड़ा बदलाव किया है। संयुक्त सचिव कार्मिक अतर सिंह ने बताया कि अपर सचिव अतुल कुमार गुप्ता को समाज कल्याण विभाग तथा आयुक्त, नि:शक्तजन के पदभार से अवमुक्त किया गया है। ये विभाग अपर सचिव मनोज चंद्र को दिए गए हैं। चंद्रन को वन संरक्षक, भूमि सर्वेक्षण निदेशालय के पदभार से अवमुक्त कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी, पिथौरागढ़ हरिचन्द्र सेमवाल को एटीआई पश्चिम बंगाल में ११७वें इन्डक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम में १६ नवंबर से २४ दिसंबर तक के प्रशिक्षण में शिरकत करनी है। इस अवधि में अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ प्रशांत कुमार आर्य को सेमवाल का कार्य देखने के लिए लिंक अधिकारी नामित किया गया है।
- आधा दर्जन खाद की दुकानें सीज , उन्नाओ न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें। औरास (उन्नाव)। जिलाधिकारी के आदेश पर शनिवार को एसडीएम हसनगंज महमूद आलम अंसारी व जिला सहायक निबंधक राजेश कुमार की संयुक्त टीम ने छापेमारी की। इस दौरान कई दुकानाें से खाद के सैंपल लिए और आधा दर्जन दुकानाें को टीम ने सील करने की कार्रवाई की। औरास ब्लाक के ग्राम सीमऊ स्थित बालाजी खाद भंडार, अमृतलाल खाद भंडार, कस्बा के कमलाशंकर गुप्ता खाद भंडार, राजेंद्र यादव खाद भंडार व इनायतपुर बर्रा के किसान खाद भंडार पर छापेमारी की। इसके अलावा इसी दिन मियागंज ब्लाक के थोक खाद विक्रेता विमल कुमार गुप्ता व मिर्जापुर कला स्थित धर्मेंद्र खाद भंडार, संतराम पाल खाद भंडार, रामपाल खाद भंडार व राजू खाद भंडार पर छापा मारा। एसडीएम ने बताया कि मिर्जापुर कला के संतराम, रामपाल, राजू व इनायतपुर के किसान खाद भंडार, सीमऊ के बालाजी व अमृतलाल खाद भंडार आदि के दुकानदार टीम देख कर भाग खड़े हुए। इससे त्वरित कार्रवाई करते हुए उक्त छह दुकानों को सील कर दिया। बताया कि अमृतलाल सीमऊ की दुकान में खाद की जगह सीमेंट भरी मिली। जबकि कमलाशंकर गुप्ता की दुकान में अंदर से दरवाजा पाया गया। इससे यह दुकान सील नहीं हो सकी। वहीं राजेंद्र यादव औरास की दुकान पर किसानों ने टीम से अधिक मूल्य लेने की शिकायत की। इस पर टीम ने खड़े होकर वितरण कराया। टीम जाने के बाद दोबारा अधिक मूल्य पर बिक्री की शिकायत पर दोबारा टीम ने दुकान पहुंचकर हिदायत दी। बताया कि किसी भी दुकान पर न तो दुकान का नाम अंकित है और न रेट व स्टाक बोर्ड बना है। थोक विक्रेता विमल के यहां भी बिना अभिलेख देखे ही टीम को लौटना पड़ा। एसडीएम ने बताया कि यूरिया ३००.८० रुपए व निर्धारित मूल्य से अधिक की बिक्री पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। जबकि इसके विपरीत ३५० से लेकर ४०० रुपए तक यूरिया खाद खुलेआम बिकने की बात किसानों ने कही।छापेमारी कर भरा डीएपी का सैंपलपुरवा (उन्नाव)। उवर्रकों में मिलावट व कालाबाजारी की शिकायतों पर एसडीएम व कृषि विभाग की संयुक्त टीम ने नगर में छापेमारी की। तीन खाद दुकानों पर डीएपी खाद का सैंपल भरा गया जबकि अन्य दुकानें बंद पाई जाने पर दुकानदारों के खिलाफ नोटिस का फरमान जारी किया।निश्चित से ज्यादा मूल्य पर बिक्री, कालाबाजारी, घटतौली की शिकायतों को लेकर सक्रिय हुए अधिकारियों ने टीमें गठित करके दुकानदारों के यहां छापेमारी की। शनिवार को एसडीएम प्रवीना के निर्देशन में सहायक कृषि रक्षा अधिकारी ने नगर में चार दुकानों में डीएपी खाद का सैंपल भरा तथा स्टाक रजिस्टर का मिलान कर सत्यापन किया। वहीं मोतीलाल खाद भंडार में मौके से खाद नहीं मिली। छापेमारी की सूचना मिलते ही अन्य दुकानें बंद हो गई। अभियान से क्षेत्र के अन्य खाद विक्रेताओं में हड़कंप मच गया है। एसडीएम प्रवीना ने बताया कि कालाबाजारी, घटतौली की बावत छापेमारी की गई।
वर्ल्ड आयोडीन डेफिशियन्सी दए: क्या आप पर्याप्त मात्रा में आयोडीन लेते हैं? यदि आप नहीं लेते तो इससे क्या हो सकता है? इस लेख के माध्यम से आयोडीन की कमी के संकेतों का पता लगाएं। आयोडीन डेफिशियन्सी: यदि आप आयोडीन के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, तो आपको जानना चाहिए, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है। आयोडीन थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आवश्यक है, जो शारीरिक विकास और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। दरअसल, हमारा शरीर स्वत: आयोडीन का निर्माण नहीं करता है और यह खनिज पदार्थ हमारे शरीर के लिए जरूरी है। जीवन स्तर के आधार पर आयोडीन की जरूरत अलग-अलग होती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार वयस्कों को प्रति दिन १५० माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के दौरान, रोजाना २२० माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है, और जो महिला स्तनपान कराती है, उसे रोजाना २९० माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है। आयोडीन युक्त नमक से आयोडीन प्राप्त किया जाता है, मगर कई अन्य स्रोत भी मौजूद हैं, जिनके माध्यम से आयोडीन की कमी को दूर किया जा सकता है। आयोडीन युक्त मिट्टी में उगाई गई सब्जियां, अंडे, पनीर, दूर और मछली में भरपूर मात्रा में आयोडीन पाया जाता है। अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की लगभग ३० प्रतिशत आबादी इस जोखिम में है। आयोडीन की कमी के कुछ संकेत हैं, जिनके माध्यम आयोडीन की कमी का आप पता लगा सकते हैं। हाइपोथायरायडिज्म के अतिरिक्त संकेतों में शुष्क त्वचा, ठंड के प्रति संवेदनशीलता और मांसपेशियों में कमजोरी शामिल है। एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हाइपोथायरायडिज्म होने का आठ गुना अधिक खतरा होता है, जो इसे महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता का मुख्य कारण बनाता है। हालांकि महिलाओं में किसी भी उम्र में हाइपोथायरायडिज्म विकसित हो सकता है। वयस्कों में आयोडीन की कमी से मानसिक कार्य और कार्य उत्पादकता में कमी आ सकती है। ये हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण हैं। विशेषज्ञों की माने तो विकासशील देशों की समस्या के रूप में आयोडीन की कमी उभर रही है। विशेष रूप से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में आयोडीन नहीं मिल पाता है, क्योंकि वे आयोडीन से भरपूर खाद्य पदार्थ नहीं खाती हैं। गर्दन में घेंघा थायरॉइड के बढ़ने का और कम आयोडीन के सेवन का एक स्पष्ट संकेत है। यह गर्दन के सामने के आधार पर दिखाई देता है। घेंघा कम आयोडीन के सेवन का सबसे पहला संकेत है। घेंघा से आपको सांस लेने और निगलने में कठिनाई हो सकती है। जब आप लेट रहे हों, तो आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि जैसे आपका दम घुट रहा है। यदि आपको अपने आयोडीन के स्तरों का परीक्षण करवाना है, तो आपका डॉक्टर आपके के लिए मूत्र परीक्षण यानी यूरिन टेस्ट की सलाह दे सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आयोडीन मूत्र के माध्यम से शरीर निकलता है। परीक्षण के परिणाम इंगित करेंगे कि क्या आपके शरीर में आयोडीन की कमी है। गर्भावस्था के दौरान, शरीर को थायरॉयड हार्मोन की आवश्यकता होती है, जिसके लिए पर्याप्त आयोडीन का उत्पादन करने की आवश्यकता होती है। ये थायरॉइड हार्मोन मायलिन बनाते हैं- जो तंत्रिका कोशिकाओं को घेरता है और उनकी रक्षा करता है, जिससे उन्हें ठीक से संवाद करने में मदद मिलती है। जिन महिलाओं में आयोडीन की कमी होती है उनमें गर्भपात और स्टिलबर्थ का जोखिम बढ़ जाता है। आयोडीन की कमी से भ्रूण के विकास पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी भ्रूण के न्यूरोलॉजिकल विकास से वंचित रह जाता है। गर्भवती मां में आयोडीन की कमी से बच्चे के लिए मानसिक मंदता सहित अपरिवर्तनीय मस्तिष्क क्षति हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो गर्भावस्था के दौरान बच्चों में आयोडीन की कमी एडीएचडी विकार से जुड़ा है।
आईएसएसएफ जूनियर शूटिंग वर्ल्ड कप के पहले दिन २५ मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल के मेडल फाइनल हो गए। उदयवीर ने टीम इंडिया को पहला गोल्ड दिलाया। उन्होंने ६०० में से ५७५ पॉइंट्स के साथ टीम इंडिया के लिए गोल्ड का उदय कराया। तीनों ही राउंड में उनके निशाने सटीक रहे। उदय ने १९ एक्स लगाकर गोल्ड मेडल जीता। उदय के बाद दूसरे नंबर पर आदर्श सिंह रहे। उदय से आदर्श ७ पॉइंट्स पीछे रहे लेकिन उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया। आदर्श पहले राउंड में आगे रहे लेकिन सेकंड और थर्ड राउंड में वे लीड हासिल करने से चूक गए। उन्होंने ७ एक्स के बाद ५६८ पॉइंट्स के साथ सिल्वर मेडल हासिल किया। हरियाणा के अनीष बेनीवाल ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। अनीष ने अपने एक्सपीरियंस का पूरा फायदा उठाकर पहले राउंड में १९४ पॉइंट्स के साथ लीड हासिल की लेकिन इसके बाद वे पीछे रह गए। उन्होंने १० एक्स के बाद ५६६ पॉइंट्स के साथ ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। स्लोवेकिया के फिलिप लुकास ने चौथा जबकि फ्रांस के क्यूसिग लॉरेंट ने ५वां स्थान हासिल किया। विजयवीर सिंह सिद्धू ने ५64 पॉइंट्स हासिल किए और वे छठे स्थान पर रहे। राजकंवर सिंह संधू ५60 पॉइंट्स के साथ ९वें स्थान पर रहे। टीम चैंपियनशिप में सिटी शूटर्स ने भारत को दो मेडल दिलाए। टीम-१ में डीएवी कॉलेज की तिकड़ी ने गोल्ड मेडल जीता। टीम में विजयवीर सिंह सिद्धू, उदयवीर सिंह सिद्धू और आदर्श शामिल रहे। तीनों ने १707 पॉइंट्स हासिल करते हु़ए गोल्ड मेडल जीता। वहीं इंडिया की टीम-२ ने सिल्वर मेडल जीता। इस टीम में हरियाणा के अनीष के साथ साथ पंजाब के राजकंवर सिंह संधू और दिलशान शामिल रहे। उन्होंने १676 पॉइंट्स के साथ सिल्वर मेडल हासिल किया। चाइना की टीम तीसरे नंबर पर रही।
जेट एयरवेज ने बैंकों को किए जाने वाले लोन रिपेमेंट का डिफॉल्ट किया है। नई दिल्ली. कैश की तंगी से जूझ रही जेट एयरवेज (जेट एयरवेज) ने हाल में बैंकों को किए जाने वाले लोन रिपेमेंट का डिफॉल्ट किया है। कंपनी ने एक फाइलिंग के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंजेस को यह जानकारी दी है। फुल सर्विस करियर बीते कुछ दिनों से आर्थिक दिक्कतों से जूझ रही है और उसे अपने कर्मचारियों को समय से सैलरी चुकाना भी मुश्किल हो रहा है। इस खबर के बाद जेट एयरवेज के शेयर में ५ फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली। कंपनी ने एक रेग्युलेटरी फाइलिंग में कहा, अस्थायी तौर पर कैशफ्लो में अंतर के कारण कंपनी भारतीय बैंकों के कंसोर्टियम (स्टेट बैंक की अगुआई वाले) इंटरेस्ट और मूलधन की किस्त का भुगतान नहीं कर सकी है, जो ३१ दिसंबर, २०१८ को चुकानी थी। जेट एयरवेज ने कहा कि कंपनी इस संबंध में बैंकों के साथ बातचीत कर रही है। इस खबर के आते ही जेट एयरवेज का स्टॉक लगभग २ फीसदी टूट गया। बाद में गिरावट और गहरा गई। फिलहाल जेट एयरवेज का स्टॉक लगभग ५ फीसदी की कमजोरी के साथ २67 रुपए पर कारोबार कर रहा है।
मां ज्वालामुखी के दरबार को शक्ति की देवी दुर्गा के ५१ शक्तिपीठों में सर्वोपरि माना जाता है। शिवालिक की मनोरम पर्वतमालाओं के बीच विराजने वाली नौ देवियों में से प्रमुख मां ज्वाला देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है। यह प्रदेश का प्रमुख तीर्थ है। सालों भर यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही लगी रहती है। अनवरत जलती रहती है ज्वाला - पौराणिक आख्यानों के मुताबिक यहां सती की जिह्वा गिरी थी। इसलिए यह ५१ शक्तिपीठ में शुमार है। इस मंदिर में कोई देवी प्रतिमा नहीं है। बल्कि इस तीर्थ पर देवी का दर्शन ज्योति के रूप में होता है। पहाड़ों की नौ चट्टानों से आने वाली यह ज्योति बिना किसी ईंधन के अनवरत जलती रहती है। यह अपने आप में बहुत आश्चर्यजनक घटना है। इसलिए ये स्थान ज्वालामुखी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां कुल नौ ज्योत जलती हैं। मुख्य जोत का नाम महाकाली है जो मुक्ति और भक्ति प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। बाकी ज्योत को अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजना देवी के नाम से जाना जाता है। कुंड में दर्शन देने वाली अंबिका देवी के बारे में ऐसी मान्यता है कि वह संतान सुख देती हैं। इसलिए यहां आने वाले श्रद्धालु सभी नौ जोत के दर्शन करते हैं और अपने जीवन में शांति समृद्धि की की कामना करते हैं। एक ग्वाले ने देखी थी ज्वाला - एक दंत कथा के मुताबिक यह मंदिर सतयुग के काल का है। एक ग्वाले ने राजा भूमिचंद्र को सूचना दी कि उसने धौलाधार के पर्वत पर ज्वाला जलती देखी है। उसके बाद राजा भूमिचंद्र ने आकर ज्वाला रूपि देवी के दर्शन किए और यहां एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया। कहा जाता है कि महाभारत के पंच पांडवों ने भी ज्वालामुखी मंदिर की यात्रा की थी और यहां मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया था। माता ज्वालामुखी का जो वर्तमान मंदिर है उसे १८३५ में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद द्वारा बनवाया गया बताया जाता है। गुरु गोरखनाथ ने की थी तपस्या - ज्वालाजी के मंदिर का नाथ संप्रदाय में भी काफी महत्व है। यहां आने वाले भक्त गोरख डिब्बी का दर्शन जरूर करते हैं। यह एक छोटे से कुंड में निरंतर खौलता रहता है। यह स्थान ज्वालामुखी मंदिर की परिक्रमा में दस सीढ़ियां ऊपर दाईं तरफ है। कहा जाता है यहां नाथ संप्रदाय के गुरू गोरखनाथ ने तपस्या की थी। वे अपने शिष्य नागार्जुन के पास डिब्बी रखकर खिचड़ी मांगने गए थे। पर वे इसके बाद वापस नहीं लौटे। अकबर पहुंचे थे नंगे पांव - कहा जाता है कि ज्वालामुखी मां की महिमा ध्यानु भगत से सुनने के बाद मुगल बादशाह अकबर भी यहां नंगे पांव चलकर आए थे और माता के सम्मान में सोने का छत्र चढ़वाया था। हालांकि माता ने उनकी भेंट स्वीकार नहीं की। उनका छत्र खंडित रूप में आज भी माता के दरबार में है। जोता वाली माता तेरी सदा ही जय हो - उत्तर भारत में जगह जगह होने वाले भगवती जागरण में बार बार जोता वाली माता का जिक्र आता है। वह जोता वाली माता ज्वालामुखी देवी ही हैं। कई जगह भगवती जागरण में माता की जोत लेने के लिए श्रद्धालु ज्वालामुखी पहुंचते हैं। कई श्रद्धालु तो माता की जोत लेकर नंगे पांव अपने गांव तक पहुंचते हैं। नवरात्र के समय माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। कैसे पहुंचे - ज्वालामुखी देवी के मंदिर तक पहुंचने का आसान रास्ता पंजाब के होशियारपुर शहर से है। होशियारपुर शहर से अंब-चिंतपूर्णी- गोपीपुर होकर ज्वालामुखी मंदिर पहुंचा जा सकता है। होशियारपुर से ज्वालाजी की दूरी ५४ किलोमीटर है। कांगड़ा शहर से भी बस से ज्वालामुखी पहुंचा जा सकता है। कांगड़ा से ज्वालामुखी की दूरी ३० किलोमीटर है। यहां सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से पठानकोट जोगिंदर नगर लाइट रेलवे से ज्वालामुखी रोड नामक रेलवे स्टेशन से भी उतर कर पहुंचा जा सकता है। ज्वालामुखी रोड स्टेशन से ज्वाला देवी मंदिर २१ किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से मंदिर के लिए मिनी बसें मिलती रहती हैं। कहां ठहरें - माता ज्वालामुखी मंदिर के आसपास कई छोटे-छोटे होटल और धर्मशालाएं बनी हैं। अब यहां कुछ लग्जरी होटल भी बन गए हैं। यहां पर श्रद्धालु रात्रि विश्राम कर सकते हैं। खाने पीने के लिए ढाबे भी हैं। वैसे यहां मंदिर प्रशासन की ओर श्रद्धालुओं के लिए लंगर का संचालन किया जाता है। इसके लिए आप लंगर भवन में जा सकते हैं। आप होशियारपुर, चिंकपूर्णी या कांगड़ा में रात्रि में रुककर भी दिन में ज्वालामुखी पहुंच सकते हैं। आसपास में क्या देखें - ज्वालाजी के मंदिर से ४ किलोमीटर की दूरी पर नगिनी माता का मंदिर है। वहीं पांच किलोमीटर की दूरी पर श्री रघुनाथ जी मंदिर है। इस मंदिर को भी पांडवों द्वारा निर्मित बताया जाता है। आप पास में तारा देवी मंदिर, अष्टभुजा मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं।
देश में कोरोना वायरस का संकट रोजगार बाजार पर साफ़ दिख रहा है और जहा एक तरफ कुछ कम्पनी ने नई हाइरिंग टाल दी है वही कुछ सेक्टर ऐसे भी है जहाँ हाइरिंग बढ़ने और कारोबार में तेजी दिख रही है। एक सर्वे के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में पिछले महीने की तुलना में हाइरिंग में तेजी दर्ज की गई है। जिसके हिसाब से ईकॉमर्स, डाटा प्रोसेसिंग सप्लाई चेन, मैनेजमेंट, बैंकिंग, फ्मग, हेल्थ केयर, इंस्युरेन्स, डिजिटल एक्सपर्ट और फार्मा कम्पनी में एक बार फिर से हैरिंग सुरु हो गई है। इसके पहले लॉकडाउन में सारी कंपनियों ने हाइरिन को या तो फ्रिज कर दिया था या टाल दिया था। लेकिन अब हालत सुधरने लगे है और कम्पनी भी अपना कारोबार बढ़ाना चाह रही है जिसके कारन हायरिंग बढ़ने की उम्मीद है। वही आकड़ों में देखा जाये तो रिक्रूटमेंट में लगभग ८०% की गिराबट देखी गई है। हाला की अभी भी पर्याटन जैसे सेक्टर में कुछ खास रहत नहीं दिख रही है। लेकिन टेलिकॉम और मैनुफैक्चरिंग जैसे सेक्टर में कुछ रहत देखि जा सकती है। कोरोना संकट में पहले की हायरिंग और अब की हायरिंग में कुछ बदलाब जरूर देखने को मिल सकता है। जैसे कुछ सेक्टर में पहले के मुताबिक सैलरी और सैलरी इन्क्रीमेंट में कुछ बदलाब देखने को मिल सकता है। लेकिन ये बदलाब सिर्फ कुछ सेक्टर में ही दिखने की सम्भाबना है कोरोना वायरस संकट के पहले नौकरी छोड़ कर दूसरे कंपनी में जाने से २०-३० % तक की सैलरी की बढ़ोतरी होती थी। लेकिन रोजगार कम होने के कारन अब इसमें कुछ गिराबट होने की सम्भाबना है। कुछ रिपोर्ट्स में तो इस साल हायरिंग रुकने की भी बात मानी है लेकिन कुछ बुसिनेस ऐसे भी है जहा अब भी मांग है और आने वाले समय में मांग बढ़ भी सकती है। कोरोना ने कारोबार और प्राइवेट सेक्टर पर काफी असर डाला है ऐसे में कोरोना के साथ ही कारोबार की रिकवरी भी काफी जरुरी है और ऐसा सरकार के सही दिशा में प्रयासों से ही सम्भब है। छोटे बड़े कारोबार को सपोर्ट कर के ही धीरे धीरे ही अर्थवय्वस्था को सहारा दिया जा सकता है।
यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉनफेडरेशन में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के करीब ३ लाख २० हजार अफसर जुड़े हुए हैं, जो कुल बैंक अफसरों का ८५ प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले एक ट्वीट कर डॉक्टरों, वकीलों, इंजीनियरों, शिक्षकों, आईटी प्रोफेशनल और बैंकरों से मैं भी चौकीदार अभियान से जुड़ने का आग्रह किया था। उनके इस आग्रह के बाद सरकारी बैंकों के ३.२० लाख अफसरों ने जवाब दिया कि हमसे चौकीदार बनने की उम्मीद मत कीजिए। सार्वजनिक क्षेत्र बैंक ऑफिसर्स के सबसे बड़े यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉनफेडरेशन (ऐबोक) ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर कहा कि सरकार को तब तक बैंकिंग बिरादरी से मैंबिचौकीधर अभियान में शामिल होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, जब तक कि बैंकों के विलय, वेतन संशोधन और कर्मचारियों की भर्ती से संबंधित मुद्दों पर बात नहीं होती है। पत्र की एक कॉपी वित्तीय सेवा विभाग (दफ्स) और भारतीय बैंक संघ (इबा) को भेजी गई है। बैंकर विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय का कड़ा विरोध कर रहे हैं। एआईबीओसी ने इस विलय के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की है। बैंकरों का दूसरा मुद्दा वेतन को लेकर द्विदलीय समझौता है। आईबीए ने उच्च स्तर के कर्मचारियों (ग्रेड ६ और ७) के वेतन को बैंक के प्रदर्शन के साथ जोड़ने का प्रस्ताव दिया था, जिसका ऑफिसर्स विरोध कर रहे हैं। बता दें कि यह पहली बार है जब सार्वजनिक क्षेत्र का बैंकों के कुछ विशेष ग्रेड के अफसरों के वेतन को प्रदर्शन के साथ जोड़ने का प्रस्ताव आईबीए ने दिया है। इस रैंक में जीएम और डीजीएम होते हैं, जिनकी संख्या लगभग २५०० है। इन सब के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रहे हैं। वर्ष २०१८-१९ में १४ बैंकों ने प्रोबेशनरी ऑफिसर और मैनेजमेंट ट्रेनी कैटेगरी में एक भी वैकेंसी की घोषणा नहीं की। अधिकारियों की बैंक यूनियनों की लंबे समय से चली आ रही मांगों में से एक यह भी है कि केंद्र सरकार के अधिकारियों की तरह ही बैंक अधिकारियों के वेतन में समानता हो। साथ ही वे नेशनल पेंशन स्कीम की जगह पुराने पेंशन सिस्टम चाहते हैं। उनकी अन्य मांगों में सप्ताह में पांच दिनों की कार्यावधि तथा बैंकों द्वारा विलफुल डिफॉल्टरों की सूची का प्रकाशन शामिल है।
फाइनैंशल और कैलेंडर ईयर एक-दूसरे से अलग क्यों हैं? आज यानी १ अप्रैल से नया फाइनैंशल ईयर शुरू हो रहा है। जबकि देश में कैलेंडर ईयर की शुरुआत १ जनवरी से होती है। क्या आपको पता है कि फाइनैंशल ईयर (वित्तीय वर्ष) को कैलेंडर ईयर (जनवरी से दिसंबर) से अलग क्यों बनाया गया है। आज यानी १ अप्रैल से नया फाइनैंशल ईयर शुरू हो रहा है। अधिकतर वित्तीय कामों जैसे कॉर्पोरेट रिजल्ट्स और टैक्स प्लानिंग के लिए इस दिन की खास अहमियत होती है। लेकिन अब सवाल है कि आखिर कैलेंडर ईयर (जनवरी से दिसंबर) से अलग फाइनैंशल ईयर (वित्तीय वर्ष) को क्यों बनाया गया है। अप्रैल-मार्च फाइनैंशल ईयर को भारत में १८६७ में ब्रिटिश (ईस्ट इंडिया कंपनी) द्वारा लाया गया था। उन्होंने अकाउंटिंग के ग्रेगोरियन कैलेंडर सिस्टम को फॉलो किया। इससे पहले भारत में १ मई से ३० अप्रैल तक फाइनैंशल ईयर चलता था। स्वतंत्रता के बाद अप्रैल-मार्च फाइनैंशल ईयर सिस्टम को बरकरार रखा गया। भारत में कई बार फाइनैंशल ईयर में बदलाव करने के बारे में सोचा गया। १९८४ में इस मामले पर विचार-विमर्श के लिए एलके झा कमिटी का गठन हुआ और इसने जनवरी से वित्तीय वर्ष शुरू करने का सुझाव दिया। हालांकि, सरकार आगे नहीं बढ़ी और कोई बदलाव नहीं किया गया। सरकार ने सोचा कि फाइनैंशल ईयर बदलने से बड़ा फेरबदल होगा और ऐसा करने के लिए टैक्स कानून और सिस्टम में सुधार करने के साथ-साथ डेटा कलेक्शन में भी बदलाव करने होंगे। बदलाव का समय आ गया है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैलेंडर ईयर के साथ फाइनैंशल ईयर शुरू करने के पक्षधर हैं। २०१६ में सरकार ने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य की अध्यक्षता वाली उच्च-स्तरीय कमिटी गठित की। इस कमिटी को फाइनैंशल ईयर को १ जनवरी से शुरू करने में होने वाली संभावनाओं के अध्य्यन के लिए गठित किया गया था। कमिटी ने २०१६ में ही अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी और तब से अभी तक यह 'इस पर सोच-विचार' चल रहा है। बदलाव के लिए जिन कारणों को बताया गया, उनमें शामिल हैं: मौजूदा सिस्टम को बिना भारतीय संस्कृति और रिवाज या भारतीय अधिकारियों की सुविधाओं को तवज्जो दिए बिना चुना गया था। इसके अलावा यह इंटरनैशनल सिस्टम से अलग है। 20१7 में सरकार ने यूनियन बजट पेश करने की तारीख भी फरवरी के आखिरी दिन से बदलकर इसके पहले सप्ताह में कर दी थी।
कर्नाटक में हुए निकाय चुनावे के नतीजे आना शुरू हो गए हैं। फिलहाल सात निकाय के नतीजे घोषित हो गए हैं जिनमें कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करने के बाद कांग्रेस के लिए कर्नाटक से अच्छी खबर आई है। राज्य के निकाय चुनावों के नतीजे आने शुरू हो गए हैं और इनमें कांग्रेस को शानदार सफलता मिली है। अभी तक सात शहरी नगर निकायों की २१७ सीटों में से कांग्रेस को ९०, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को ५६ तथा सत्ताधारी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) को ३८ सीटें मिली हैं। वहीं बसपा को २ तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को २5 सीटें मिली हैं। लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने वाले जेडीएस और कांग्रेस ने निकाय चुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार उतारे थे। कहा जा रहा था कि यह गठबंधन के टूट की शुरूआत है। आपको बता दें कि राज्य में २९ मई को ६३ शहरी निकायों को लिए चुनाव कराए गए थे। लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली और के एच मुनियप्पा समेत गठबंधन के कई बड़े नेता हार गये थे। जिस तरह से निकाय चुनाव के नतीजे आ रहे हैं उनसे कांग्रेस को संजीवनी जरूर मिल सकती है।
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प्लास्टिक भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अनिवार्य अंग है। प्लास्टिक का प्रयोग पैकेजिंग, मूलभूत संरचना, प्रसंस्कृत खाद्य तथा उपभोक्ता टिकाउ वस्तुओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में होता है। भारतीय प्लास्टिक उद्योग में २५००० से भी अधिक इकाइयाँ शामिल हैं, जिनमें से १० से १५% को मध्यम स्तर की इकाइयों और शेष अन्य को लघु स्तर की इकाइयों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। वर्ष २००८-०९ के दौरान १६५०० करोड़ रुपये का प्लास्टिक निर्यात किया गया। प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योग से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से ३३ लाख लोगों को रोजगार मिलता है। वर्ष २०००-२००५ के दौरान प्लास्टिक प्रसंस्करण क्षेत्र की संस्थापित क्षमता ८% की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ी और यह ८270 किलो टन से बढ़कर १११६७ किलो टन हो गई । इससे सरकार को प्रतिवर्ष ६९०० करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। भारत में प्लास्टिक उद्योग ४ भागों में विभाजित है - जिनमें पोलिमर्स, संसाधित प्लास्टिक, उपकरण विनिर्माता और रिसाइक्लिंग इकाइयाँ शामिल हैं। संसाधित प्लास्टिक, उपकरण विनिर्माता और रिसाइक्लिंग इकाइयाँ मुख्यतः असंगठित स्वरूप की हैं, जबकि पोलिमर क्षेत्र रिलायंस, गेल, फिनोलेक्स तथा हल्दिया जैसी बड़ी कम्पनियों की उपस्थिति से अधिमान्यतः संगठित प्रकृति का है। वर्ष १९९१ के बाद प्लास्टिक उद्योग को नई ज़िन्दगी मिली, जब विकसित देशों के संयुक्त उद्यमों, विदेशी निवेशकों तथा प्रौद्योगिकी तक पहुंच ने इस उद्योग को प्रेरित किया। प्लास्टिक उद्योग का समर्थन करने वाले प्लास्टिक मशीनरी क्षेत्र के सथ-साथ पैट्रो रसायन क्षेत्र दोनों में हुई जबरदस्त वृद्धि से इस क्षेत्र को घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों को सेवा प्रदान करने के लिए अपनी क्षमताओं का निर्माण करने में मदद मिली है। विभाजित प्रकृति वाले प्लास्टिक उद्योग में उत्पादन कम मात्रा में होता है, जिसके कारण उत्पादन की लागत बढ़ जाती है। तथापि, पोलिमर क्षेत्र में भारत का आधार मजबूत है और इसे कम लागत में श्रमिक तथा अधिक मात्रा में रिसाइक्लि प्लास्टिक भी असानी से उपलब्ध हो जाता है। इस उद्योग को अपने उत्पादों का निर्यात करने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएँ विद्यमान हैं। भारत के साथ प्लास्टिक उत्पादनों का व्यापार करने वाले शीर्ष स्तर के १० साझेदार देशों में यूएसए, यूएई, इटली, यूके, बेल्जियम, जर्मनी, सिंगापुर, साउदी अरब, चीन तथा हांगकांग शामिल हैं। अगले दो दशकों में भारत में प्लास्टिक उद्योग में अभूतपूर्व अवसर मिलने की संभावनाएँ हैं। भारत में प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत विश्व की औसतन खपत का पाँचवा हिस्सा है अर्थात विश्व के औसत २५ किलोग्राम प्रति व्यक्ति की तुलना में यह ५ किलोग्राम प्रति व्यक्ति है। इससे पता चलता है कि भारत में अभी भी अपार संभावनाएँ तलाशी जा सकती हैं। वर्ष २००८ में विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा काफी कम अर्थात १.६% था। वर्ष २0१२ तक इसके दोगुना होकर ३.२% होने की संभावना है। इसके साथ-साथ प्लास्टिकल्चर ( जो भारत में आरंभिक चरण में है) और संसाधित प्लास्टिक निर्यात में भी अवसर विद्यमान हैं। फिलहाल इन क्षेत्रों में भारत की उपस्थिति नगण्य है।
भोपाल: विधानसभा की कार्यवाही अगले दिन यानी मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है। सत्र के शुरु में दिवंगत नेताओं, बड़ी हस्तियों और वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई, जिसके बाद कार्रवाई स्थगित की गई। जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू हुआ। सभी सदस्यों ने इस दौरान दिवंगत लोगों और शहीद जवानों को याद किया। उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके सम्मान में २ मिनट का मौन रखा। मध्य प्रदेश विधान सभा में नए नियम लागू होने वाले हैं। इसके अनुसार सदन में कार्रवाई के दौरान अब विधायक गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। उनके प्रवेश पर पाबंदी होगी। विधानसभा की नियम समिति ने यह प्रस्ताव तैयार किया है। इसे सदन के पटल पर कल रखा जा सकता है। हालांकि नियम समिति के प्रस्ताव पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने कहा गर्भ गृह में जाकर अपना विरोध जताना विधायक का अधिकार है। प्रस्ताव यदि पेश हुआ तो विपक्ष उसका विरोध करेगा। इससे पहले विधानसभा में प्रवेश और पार्किंग की नई व्यवस्था से नाराज मीडिया कर्मियों ने विधानसभा परिसर ज़बरदस्त हंगामा किया। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि वो इस पूरे मामले में स्पीकर से चर्चा करेंगे। बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने कहा वो सदन में ये मुद्दा उठाएंगे। विधानसभा में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई। विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने बैठक ली। इसमें सीएम कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित समिति के सदस्य मौजूद थे। बैठक में विधानसभा के संचालित कार्यक्रमों के संबंध में चर्चा की गई।
नई दिल्ली : देश ही नहीं दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार दिल्ली में बारिश के थमते ही सामान्य स्तर की हवा में सांस लेने का हक भी छिन गया है। बता दें कि दिल्ली की हवा एक बार फिर से खराब स्तर पर पहुंच गई है। जानकारी के मुताबिक, पिछले ४८ घंटों के दौरान दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ा है और शनिवार और रविवार को स्थिति और बिगड़ने की आशंका है। वहीं, इसके पीछे हैरान करने वाली बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में खतरनाक वायु प्रदूषण के पीछे मिडल ईस्ट (मध्य पूर्व) से आने वाली धूल भरी हवा है। इतना ही नहीं, यह धूल भरी हवा देश के दक्षिणी पश्चिम हिस्से की हवा भी प्रदूषित कर रही है। दिल्ली समेत देश के पूरे दक्षिण पश्चिमी हिस्से में एयर क्वॉलिटी गड़बड़ाने की आशंका है। ओमान और मिडल ईस्ट के दूसरे हिस्सों से उठने वाली धूल भरी आंधी का असर यहां भी पड़ रहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डपैक) ने हालात के मद्देनजर इससे संबंधित विभागों को प्रदूषण नियंत्रित करने का निर्देश जारी किया है। इसके अलावा खतरे के मद्देनजर उनसे एक्शन रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, २ अगस्त से दिल्ली की हवा में धूल की मात्रा में तेजी से इजाफा हुआ है। इसके पीछे अरब प्रायद्वीप की धूल है, जिसने दिल्ली की हवा में धूल की मात्रा में इजाफा किया है। इसी धूल का असर है कि एक दिन पहले शुक्रवार को दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स २13 रिकॉर्ड किया गया। शुक्रवार को औसतन पीएम १० का स्तर २59 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक रहा जो कि सुरक्षित स्टैंडर्ड से ढाई गुना ज्यादा था। यह स्तर बच्चों और बूढ़ों के स्वास्थ्य के मद्देनजर खतरनाक है। सफर इंडिया की एडवाइजरी के अनुसार दिल्ली में संवेदनशील लोगों को इस समय अधिक देर तक बाहर नहीं रहना चाहिए। दिल की बीमारी, अस्थमा के रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। जबकि स्वस्थ लोगों को भी इस तरह की हवा में परेशानी हो सकती है। आने वाले कुछ दिनों तक प्रदूषण लगातार बढ़ेगा। हालांकि अभी अगले तीन दिन इसके बेहद खराब स्थिति में आने के आसार नहीं हैं। शुक्रवार से पहले गुरुवार को ही दिल्ली का एयर इंडेक्स २३५ के स्तर पर पहुंच गया था, बुधवार को यह १५३ था। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) नेटवर्क के मुताबिक दिल्ली के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में द्वारका, मुंडका और मथुरा रोड शामिल रहा। द्वारका का एयर इंडेक्स ३४५, मुंडका का ३३६ और मथुरा रोड का ३११ रहा, यह बेहद खराब स्थिति है। इसके अलावा दिल्ली में कई जगहों पर एयर इंडेक्स २८० से अधिक रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार प्रदूषण की मुख्य वजह पीएम १० है। बारिश की वजह से जो धूल मिट्टी जम गई थी, वह अब तेज धूप की वजह से सूख गई है। वहीं बहती हुई मिट्टी सड़कों पर भी जम चुकी है। ऐसे में ट्रैफिक के चलने के साथ यह धूल हवा में घुलने लगी है और प्रदूषण को बढ़ा रही है। सफर के मुताबिक अगले तीन दिनों में प्रदूषण बढ़ेगा। इसमें करीब ३० से ४० फीसद की वृद्धि हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार मानसून अभी ब्रेक पर है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी मध्य प्रदेश में शुष्क हवा चल रही है। इसके चलते उत्तर-पश्चिमी भारत के साथ राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश तक अगले कुछ दिनों में बारिश नहीं होगी। लिहाजा, इन क्षेत्रों में धूल बढ़ेगी और यही प्रदूषण बढ़ने की बड़ी वजह है। दिल्ली ही नहीं, एनसीआर में भी प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। स्काईमेट के अनुसार, मानसून ट्रफ दिल्ली के उत्तर की तरफ स्थानांतरित हो गया है। इसकी वजह से हवा की दिशा में बदलाव आया है। दक्षिण-पूर्व की जगह पर पश्चिम की सूखी व गर्म हवा दिल्ली पहुंच रही है। लिहाजा, अगले पांच से छह दिन तक मौसम गर्म और सूखा ही रहेगा। इस बीच सात या आठ अगस्त तक ही दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर पश्चिम में मानसून दोबारा से सक्रिय होगा। इस दौरान मानसूनी ट्रफ दिल्ली के करीब आएगा जिससे यहां मध्यम बारिश होने की संभावना है। बारिश से तापमान में फिर से कमी आएगी लेकिन बंगाल की खाड़ी से नम हवा दिल्ली आएगी जिससे उमस बढ़ेगी।
लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने फतेह बहादुर को आज विधानसभा का कार्यवाहक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) नियुक्त किया। राजभवन के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर फतेह बहादुर को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया है तथा नई विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को सदन में शपथ दिलाने हेतु दुर्गा प्रसाद यादव, राम पाल वर्मा, फागू चौहान और रामवीर उपाध्याय को नामित किया है। प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल द्वारा उक्त सदस्यों को २७ मार्च को राजभवन में शपथ दिलाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि जब तक नई विधानसभा द्वारा नए अध्यक्ष का निर्वाचन न कर लिया जाए, विधान सभा के अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए संविधान के अनुच्छेद-१८० (१) के अनुसार राज्यपाल द्वारा कार्यवाहक अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद-१88 के प्रावधान के अनुसार नव निर्वाचित सदस्यों को सदन में स्थान ग्रहण करने से पूर्व राज्यपाल या उनके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेना आवश्यक होता है।
उत्तर-प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण की जिन १३ लोकसभा सीटों के लिए १९ मई को मतदान होना है उनमें बलिया और बांसगांव लोकसभा सीटों पर कांग्रेस गठबन्धन उम्मीदवार का समर्थन करेगी। अंतिम चरण में प्रदेश में पूर्वांचल की महराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर,बांसगांव (सुरक्षित), घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रार्बट्सगंज (सुरक्षित) सीटों पर चुनाव होना है। इन सीटों में बलिया और बांसगांव सुरक्षित सीट के कांग्रेस उम्मीदवारों का पर्चा निरस्त हो गया था। सूत्रों के अनुसार, पर्चा निरस्त होने के बाद इन लोकसभा क्षेत्रों के कांग्रेस समर्थकों के सामने यह दुविधा थी कि किस पार्टी के उम्मीदवार को वोट दें या फिर नोटा का प्रयोग करें। स्थानीय स्तर के नेताओं द्वारा पार्टी नेतृत्व के सामने यह बात रखे जाने के बाद सपा-बसपा-रालोद महागठबन्धन के उम्मीदवारों का समर्थन करने का फैसला लिया गया। पार्टी नेताओं के मुताबिक बलिया के बाद बांसगांव में भी स्थानीय स्तर पर पार्टी ने गठबन्धन उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने बताया कि कांग्रेस बांसगांव सुरक्षित सीट पर गठबन्धन उम्मीदवार सदल प्रसाद का समर्थन कर रही है। पार्टी नेता उनकी जीत सुनिश्चित करने के काम में लगे हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी जब इधर के दौरे पर आई थीं तो उनसे भी पार्टी नेताओं ने बात की थी और उन्होंने गठबन्धन उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए कहा था। राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पूर्वांचल में पार्टी के पक्ष में धुआंधार प्रचार किया है।
आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर वीडियोकॉन केस के सिलसिले में सोमवार को ईडी के सामने पूछताछ के लिए पेश नहीं हुईं। चंदा ने कहा कि उनका स्वास्थ्य सही नहीं है, जिसके चलते वो आने में असमर्थ हैं। ईडी के अधिकारियों ने कहा है कि चंदा कोचर को एक बार फिर से समन भेजा जाएगा और इसी हफ्ते के अंत तक उनको पेश होने के लिए कहा जाएगा। चंदा कोचर पिछले हफ्ते भी ईडी के सामने पेश नहीं हुईं थी। तब भी उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पूछताछ के लिए पेश होने से मना कर दिया था। ईडी अब बैंक के अन्य अधिकारियों से भी पूछताछ करेगा, ताकि उसको केस के सिलसिले में कुछ और सुराग मिल सकें। पिछले महीने ईडी ने चंदा और उनके पति दीपक कोचर से पूछताछ की थी, और उनका स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया था। जांच एजेंसी पीएमएलए कानून के तहत उनकी संपत्ति को भी जब्त कर सकती है। चंदा कोचर के देवर राजीव कोचर से भी एजेंसी ने कई बार पूछताछ की थी। फिलहाल कोर्ट ने राजीव के खिलाफ लुकआउट नोटिस को हटाने और सिंगापुर जाने की अनुमति दे दी है। बता दें कि ईडी ने १८७५ करोड़ रुपये के इस घोटाले में बैंक के सीईओ पद से हटाई जा चुकी चंदा और उनके पति दीपक कोचर से पिछले महीने भी सवाल किए थे और उनके बयान दर्ज किए थे। इसके लिए चंदा और दीपक को कई बार एजेंसी के कार्यालय में उपस्थित होना पड़ा था।
वनप्लस एक्सएनएनएक्स: पहली अफवाहें और नेट पर लीक रेंडर! होम समाचार वनप्लस एक्सएनएनएक्स: पहली अफवाहें और नेट पर लीक रेंडर! हम बात नहीं करते हैं वन प्लस चूंकि इसे अपना नवीनतम डिवाइस प्रस्तुत किया गया था, वनप्लस एक्स। आज, हालांकि, हम इसे फिर से करने के लिए वापस आते हैं और मैं केवल दो शब्द कहता हूं: वन प्लस ३! क्या ३ ओनेप्लस का विकास पूरा हो गया है? कल, सोशल नेटवर्क पर एक दिलचस्प विवेक लीक हो गया था वेइबो। पद के लेखक लीकर है उपलक जबकि नायक कम से कम कुछ भी नहीं है वन प्लस ३, युवा चीनी कंपनी का अगला फ्लैगशिप किलर। क्या आप जानना चाहते हैं कि यह क्या है? क्या कहा गया था के अनुसार उपलक अपनी पोस्ट में, ऐसा लगता है वन प्लस अपने फ्लैगशिप किलर की तीसरी पीढ़ी के विकास को पूरा कर चुका है। जैसा कि उम्मीद है, ऐसा लगता है कि वन प्लस ३ यह प्रोसेसर से लैस होगा म्स्म८९९६, यानी एसओसी हम २०१६ के शीर्ष श्रेणी उपकरणों में से अधिकांश पर पाएंगे क्वालकॉम स्नैपड्रैगन ८२०! हालांकि अफवाहें प्रदान की गईं उपलक वे वास्तव में छोटे हैं, यह उनके बयान के परिणामस्वरूप उत्सुक है, अगले के कुछ प्रस्तुतिकरण वन प्लस ३ वे नेट के चारों ओर घूमना शुरू कर दिया। प्रश्न में छवियां वे हैं जिन्हें आप नीचे देखते हैं; भले ही वे शुद्ध कल्पना के काम का परिणाम हैं, मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मुझे कोई बात नहीं होगी वन प्लस साथ ही! क्या आपको यह पसंद है? स्नैपड्रैगन ८२०: पहली बार उम्मीद की गई ... मी५ करीब और करीब!
गुजरात में सरकार बनाने के बाद नाराज चल रहे डिप्टी सीएम नितिन पटेल रविवार को कार्यभार संभालने मंत्रालय पहुंच गए। यह संभव हुआ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के फोन के बाद। उनसे बात करने के बाद पटेल ने नए मंत्रालयों का पदभार संभाल लिया है। इससे पहले कहा जा रहा था कि मनचाहे मंत्रालय न मिलने से नितिन पटेल नाराज हैं। नितिन पटेल ने भी कहा कि गुजरात में सरकार बनने के बाद मुझे डिप्टी सीएम का पद दिया गया है। दूसरे स्थान के नेता को जो मंत्रालय दिए गए, वे सही नहीं थे। उन्होंने कहा कि मुझसे वित्त और शहरी विकास मंत्रालय ले लिया गया जो ठीक नहीं है। इस बाबत नितिन ने राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और संगठन मंत्री को भी अपनी राय बता दी थी। डिप्टी सीएम ने कहा कि रविवार सुबह साढ़े सात बजे अमित भाई ने मुझे फोन कर कहा कि आप पदभार संभाल लीजिए। उनकी ओर से मुझे आश्वासन दिया गया है कि मुझे जो उच्च स्तरीय मंत्रालय चाहिए थे उनको देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे पहले नाराज नितिन पटेल के समर्थकों ने मेहसाणा में एक जनवरी को बंद का भी ऐलान कर दिया था। साथ ही सरदार पटेल समूह के संयोजक लालजी पटेल ने शनिवार को नितिन पटेल को राज्य का सीएम बनाने की मांग की थी।
रिलिजन डेस्क. प्रयागराज महाकुंभ (कुंभ मेला २०१९) १५ जनवरी से शुरू हो रहा है। साधुओं का जमावड़ा हो गया है, उनके पीछे भक्तों के काफिले भी तीर्थराज प्रयाग में आ चुके हैं। पूरे कुंभ मेला क्षेत्र में धुनि के धुआं उठ रहा है। साधुओं के कैंपों में जल रही ये धुनियां बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेती हैं। लोगों के मन में धुनि को लेकर कई जिज्ञासाएं हैं। आखिर साधु धुनि क्यों जलाते हैं। हमेशा जलती रहने वाली धुनि कोई सामान्य अग्नि कुंड नहीं होती बल्कि इस धुनि में नागा और साधुओं का पूरा तप बल समाया होता है। ये धुनि साधुओं की जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं। इससे जुड़े कई तथ्य हैं जो आम लोग नहीं जानते। इन धुनियों के बारे में वो बातें जानते हैं जो शायद आज तक आपने नहीं सुनी, पढ़ी होंगी। १ . किसी भी साधु द्वारा जलाई गई धुनि कोई साधारण आग नहीं होती। इसे सिद्ध मंत्रों से शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है। २ . कोई भी साधु इसे अकेले नहीं जला सकता। इसके लिए उसके गुरु का होना जरूरी होता है। गुरु की ही अनुमति से धुनि जलाई जाती है। ३ . धुनि हमेशा जलती रहे यह जिम्मेदारी उसी साधु की होती है। इस कारण उसे हमेशा धुनि के आसपास ही रहना पड़ता है। ४ . अगर किसी कारण से साधु कहीं जाता है तो उस समय धुनि के पास उसका कोई सेवक या शिष्य रहता है। ५ . साधुओं के पास जो चिमटा होता है, वह वास्तव में धुनि की सेवा के लिए होता है। उस चिमटे का कोई और उपयोग नहीं किया जाता। इसी चिमटे से धुनि की आग को व्यवस्थित किया जाता है। ६ . नागाओं में ऐसी मान्यता है कि अगर कोई साधु धुनि के पास बैठकर कोई बात कहता है, कोई आशीर्वाद देता है तो वह जरूर पूरा होता है। नागा साधु का लगभग पूरा जीवन अपनी इसी धुनि के आसपास गुजरता है। ७ . जब वे यात्रा में होते हैं तभी धुनि उनके साथ नहीं होती, लेकिन जैसे ही कहीं डेरा जमाते हैं, वहां सबसे पहले धुनि जलाई जाती है।
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में आज प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने का आदेश मिला है। कार्ति ईडी के सामने २ लाख डॉलर से संबंधित कागजात पेश करेंगे। मामले की जांच कर रही ईडी ने कार्ति को भुगतान से संबंधित कागजात पेश करने का आदेश दिया है। सूत्रों ने बताया कि मामले के जांच अधिकारी और उप निदेशक राजेश्वर सिंह ने सम्मन जारी किया है। बता दें इनक्म टैक्स डिपार्टमेंट और ईडी अडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड से कार्ति के संबंधों की जांच कर रही है। कार्ति पर एयरसेल कंपनी के ५ फीसदी शेयर हासिल करने के लिए मार्च २००६ में २६ लाख रुपये के लेनदेने का आरोप है। गौरतलब है कि एयरसेल-मैक्सिस डील की जांच में ईडी ने बीते साल अडवांटेज स्ट्रैटेजिक और वासन हेल्थकेयर के डायरेक्टरों के घरों और दफ्तरों की तलाशी ली थी। यहां से मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी ने चेस ग्लोबल एडवाइजरी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की भी तलाशी ली थी। कार्ति चिदंबरम इसी कंपनी के डायरेक्टर थे। उनके खिलाफ यह जांच कठोर धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के कथित उल्लंघन को लेकर चल रही है। एजेंसी ने आयकर विभाग के साथ चेन्नई में चेस ग्लोबल फर्म के व्यापारिक परिसरों में पिछले साल दिसंबर में कार्ती की मौजूदगी में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था। जहां कार्ती ने किसी भी गड़बड़ी से इंकार किया है और जांच एजेंसियों के साथ सहयोग की बात दोहराई है, वहीं उनके पिता पी. चिदंबरम ने सरकार पर अपने परिवार के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण हमला करने का आरोप लगाया था।
अगर आप अच्छी सेहत चाहते हैं तो जागिंग कीजिए। जागिंग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और आपको कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। जागिंग करने से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि आपकी उम्र भी बढती है। जागिंग करके आप अपनी औसत आयु से ५ से ६ साल तक की उम्र बढ़ा भी सकते हैं। हर हफ्ते एक से ढाई घंटे की जागिंग सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। जांगिग करने से शरीर सुडौल बनता है और कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा भी मिलता है। इसलिए जागिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए। जागिंग करने से शरीर का रक्त संचार अच्छा होता है जिससे दिल मजबूत होता है। हर रोज जागिंग करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है जिससे दिनभर आप तरोताजा रहते हैं। जागिंग करने से शरीर का पूरा व्यायाम हो जाता है और अच्छी नींद आती है, जो कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। जागिंग करने से शरीर की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। नियमित जागिंग करने से शरीर से कैलोरी बर्न होती है और शरीर में अतिरिक्त चर्बी नहीं जमा होती है, जिससे मोटापा नहीं होता । जागिंग पावरफुल व्यायाम है, इसे हर आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। जागिंग करते वक्त कुछ सावधानी बरतनी चाहिए, नहीं तो यह आपके लिए खतरनाक हो सकती है। जागिंग की शुरूआत कर रहे हैं तो आराम से और धीरे-धीरे जागिंग कीजिए, जिससे आपके दिल पर ज़ोर न पडे़। जागिंग के दौरान हल्के और ढीले कपडे़ पहनिए, जिससे आपको राहत मिलती रहे। जागिंग करते वक्त कोई दोस्ती या घर के लोग साथ हों तो ज्यादा अच्छा होता है। शुरूआत में जागिंग करने का समय कम ही रहने दीजिए। जैसे-जैसे अभ्यास बढता जाएगा समय बढा़ते रहिए। जागिंग के वक्त साधारण पानी की जगह ग्लूकोज पानी की बॉटल को अपने साथ रखिए। जहां झाडि़यां हो वहां पर जागिंग करने से बचिए। अगर आपको कोई बीमारी है तो जागिंग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लीजिए। जागिंग किसी भी वक्त किया जा सकता है, लेकिन सुबह का वक्त ज्यादा अच्छा होता है। जागिंग करने का मजा तभी है जब यह मनोरंजन के साथ करें। इससे आपको ऊब नहीं लगेगी। जागिंग के वक्त तेज ध्वनि वाला संगीत सुनिए, इससे जागिंग के दौरान आपको ऊर्जा मिलेगी और आप तेजी से जागिंग कर पाएंगे। ऐसी जगह पर जागिंग करने से बचिए जहां पर ट्रैफिक हो, इससे जागिंग के दौरान आपको परेशानी होगी और प्रदूषण से आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचेगा । जागिंग एक ही रास्ते पर मत कीजिए, बल्कि हर रोज अपना रास्ता बदलते रहिए, नए रास्ते पर जागिंग करने से आपको अच्छा महसूस होगा। नियमित रूप से जागिंग के बहुत फायदे हैं। जागिंग करने से आप बीमारियों से दूर रहते हैं और आपका शरीर सुडौल और स्वस्थ रहता है। बेहतर और अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर रोज जागिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए।
हर कोई इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन पैसा कमाना चाहता है, इसलिए हम आपको ऑनलाइन पैसा कमाने के नए तरीकों के बारे में बताते रहते हैं। आज हम आपको एक ऐसे तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे क्पा मार्केटिंग कहा जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह क्पा मार्केटिंग मार्केटिंग क्या है? और इससे पैसे कैसे कमाए? तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। आफीलीते मार्केटिंग आजकल इंटरनेट और ऑनलाइन मार्केटिंग की दुनिया में एक लोकप्रिय शब्द है। सहबद्ध विपणन में, हम किसी कंपनी के उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देते हैं और बनाई गई बिक्री से कमीशन कमाते हैं। लेकिन क्पा मार्केटिंग एक नया प्रकार का आफीलीते मार्केटिंग है, जिसमें आप बिना कुछ खरीदे कमीशन बेच सकते हैं। कंपनी प्रत्येक लीड के बदले में कुछ पैसा देती है। सहबद्ध विपणन से अंतर यह है कि सीपीए में खरीदने या बेचने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्पा को लागत पर अधिग्रहण के रूप में भी जाना जाता है। मुख्य फोकस जनरेटिंग लीड्स पर है। क्पा मार्केटिंग के एक उदाहरण के रूप में, आपको इनमें से कुछ भी करना पड़ सकता है। क्पा मार्केटिंग का पूरा नाम कोस्ट पर एक्शन एक मार्केटिंग है। यह आफीलीते मार्केटिंग की तरह काम करता है। इसमें आपको एक निश्चित कार्य पूरा करने पर कमीशन के रूप में एक निश्चित पैसा दिया जाता है। जैसे किसी को खरीदना या बेचना, किसी योजना में दूसरों को शामिल करना, एक फॉर्म भरना, एक परीक्षण के रूप में साइन अप करना, एक सॉफ्टवेयर या गेम या टूलबार डाउनलोड करना, एक डेटिंग साइट पर साइन अप करना, एक न्यूज़लेटर पर हस्ताक्षर करना, उठना, वीडियो देखना आदि। क्या आप जानते हैं कि गूगल एडसेंस और आफीलीते मार्केटिंग से क्पा मार्केटिंग बहुत अच्छी है। क्योंकि इसमें विज्ञापनदाता को केवल उपयोगकर्ता की कार्रवाई पर भुगतान करना होगा। यही कारण है कि विज्ञापनदाता उपयोगकर्ता को अधिक पैसा देते हैं। यानी, यह कम पर काम करता है जबकि एडसेंस कप्क पर पे पर क्लिक के तहत बहुत कम भुगतान के साथ काम करता है। आपके दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि सीपीए मार्केटर्स बिना किसी चीज को बेचे पैसा कैसे कमाते हैं? यदि ग्राहक कुछ भी नहीं खरीदेगा, तो विज्ञापनदाता क्पा मार्केटर को पैसे क्यों देगा? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि क्पा मार्किटर्स लीड उत्पन्न कर रहे हैं और नए ग्राहकों को विज्ञापनदाता की वेबसाइट पर भेज रहे हैं और नए ग्राहक विज्ञापनदाता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उसे उम्मीद है कि आज नहीं तो कल ये नए ग्राहक कुछ खरीद लेंगे। क्पा मार्किटर्स ग्राहकों को व्यवसाय से जोड़ते हैं। जी हाँ दोस्तों, आपको आज की पोस्ट कैसी लगी, आज हमने आपको बताया क्पा मार्केटिंग से पैसे कैसे कमाए और क्पा मार्केटिंग क्या हैं बहुत आसान शब्दों में, हमने आज की पोस्ट में भी सीखा। आज मैंने इस पोस्ट में व्हेट इस क्पा मार्केटिंग इन हिन्दी सीखा। आपको इस पोस्ट की जानकारी अपने दोस्तों को भी देनी चाहिए। वे और सोशल मीडिया पर भी यह पोस्ट ज़रूर साझा करें। इसके अलावा, कई लोग इस जानकारी तक पहुंच सकते हैं।
राहुल को कांग्रेस बदहाल पंसद हैइन स्पेशल रिपोर्ट, हिंदी, हिसाम सिद्दीक़ीफेब्रुवारी ५, २०१७३४ वियूज० कम्मंटलखनऊ! अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और कांगे्रस का उत्तर प्रदेश मंे असम्बली एलक्शन से पहले गठजोड़ कर लिया २९ जनवरी को अखिलेश और राहुल गांद्दी ने मुश्तरका प्रेस कांफ्रेंस करके इस नए गठजोड़ का एलान किया। नारा दिया गया यूपी को यह साथ पसंद है। जमीनी हकीकत से बेखबर हवा मंे उड़ने वाले कांगे्रसियों और अखिलेेश के समाजवादियों ने बगलें बजाना शुरू कर दिया कि बस अब तो यह दोनों मिलकर उत्तर प्रदेश फतेह कर लेगें और अखिलेश दुबारा प्रदेश के चीफ मिनिस्टर बनेंगे। जिस दिन लखनऊ में राहुल गांद्दी एक होटल में बैठकर अखिलेश यादव के साथ अपनी पार्टी के गठजोड़ को गंगा-जमुना का संगम बता रहे थे ठीक उसी वक्त लखनऊ से हजारों किलोमीटर के फासले पर बंगलौर में ८४ साल के सीनियर कांगे्रस लीडर एस एम कृष्णा यह कह कर पार्टी छोड़ने का एलान कर रहे थे कि अब कांग्रेस को अवाम पर असर रखने वाले लीडरों की नहीं मैनेजरों की जरूरत है। एसएम कृष्णा कर्नाटक कांग्रेस के रियासती सदर १९९९ से २००४ तक वजीर-ए-आला और उसके बाद मरकज में वजीर रह चुके हैं। कर्नाटक के बोकालिंगा तबकांे में एसएम कृष्णा का गहरा असर है। अगले साल कर्नाटक असम्बली का एलक्शन होना है कृष्णा का पार्टी छोड़ना पार्टी को मंहगा पड़ सकता है। भले ही राहुल गांद्दी और अखिलेश यादव की तस्वीरों के साथ यूपी को यह साथ पसंद है जैसा नारा लिखकर दोनों एक दूसरे के साथ गले मिले हों अगर इस गठजोड़ और उससे पहले के सियासी हालात पर एक नजर डाली जाए तो ऐसा महसूस होता है कि इस वक्त राहुल को कांगे्रस बर्बाद पसंद है का नारा ही मुनासिब तरीन नारा है। गुजिश्ता तकरीबन एक साल से राहुल गांद्दी की पहल पर ही प्रदेश भर के कांग्रेसी वर्कर्स जिस अंदाज में जोश व खरोश के साथ सड़कों पर निकल कर पार्टी को जिंदा करने का काम किया था अगर कांगे्रस अकेले एलक्शन मैदान में उतरती तो शायद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के बराबर है ६० से ८० तक सीटें जीत सकती थी। गठजोड़ में अखिलेश ने जो १०५ सीटें कांग्रेस कोे दी उनमें सेे भी २६ पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। यह गठजोड़ करते वक्त कांगे्रस लीडरान ने २००९ के लोक सभा एलक्शन पर भी गौर नहीं किया। उस वक्त मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी के साथ कांगे्रस के गठजोड़ की कोशिश हुई थी मुलायम किसी भी हालत में कांगे्रस को १८.२० से ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। कांगे्रस २५.३० सीटों तक मानने के लिए तैयार थी लेकिन मुलायम सिंह यादव २५ सीटें देने के लिए भी तैयार नहीं हुए। दोनो अलग-अलग एलक्शन मैदान में उतरे तो समाजवदी पार्टी ने २३ और कंाग्रेस २१ सीटें जीत लीं। फीरोजाबाद लोक सभा हलके के बाई एलक्शन में राज बब्बर ने जीतकर कांगे्रस की सीटंे समाजवादी के बराबर २२ पर पहुचा दी थीं। मौजूदा गठजोड़ की जो भी बातचीत कांगे्रस और समाजवादी पार्टी के दरम्यान हुई उसके लिए बताया गया कि राहुल गांद्दी के साथ प्लाण्ट किए गए नरेन्द्र मोदी के पुराने वफादार प्रशांत किशोर जैसे मैनेजर और प्रियंका गांद्दी के नुमाइदे बताए जाने वाले द्दीरज श्रीवास्तव ने ही अखिलेश और उनकी टीम के साथ सारी बातचीत की। यह दोनोें सियासी लोग नहीं हैं। इसीलिए आद्दी-अद्दूरी बातचीत की बुनियाद पर ही समझौते का महल खड़ा करा दिया जो एक ही झटके में गिर कर तबाह हो सकता है। एसएम कृष्णा के मुताबिक पार्टी ने पुराने सियासतदानांे के बजाए मैनेजरों पर ज्यादा भरोसा किया। मैनेजरों ने यह तो तय कर लिया कि अखिलेश की समाजवादी पार्टी २२४ सीटों पर और कंाग्रेस १०५ सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगी लेकिन यह सीटें कौन-कौन सी होंगी यह तय नहीं किया । शायद बातचीत करने वाले मैनेजरों को पता भी नहीं था कि सीटों की शिनाख्त पहले ही करके बातचीत को आगे बढ़ाया जाना चाहिए था। नतीजा यह हुआ कि सोनिया गांद्दी की रायबरेली और राहुल की अमेठी लोक सभा सीटों की दस असम्बली सीटों का फैसला आखिरी वक्त तक नहीं हो सका। समाजवादी पार्टी ने २२४ उम्मीदवार खड़े कर दिए यानी अपने हिस्से से २७ ज्यादा, उन्हें भी आखिरी वक्त तक हटाया नहीं गया। जिन अहम सीटों पर समाजवादी पार्टी ने आखिरी वक्त में पर्चा नामजदगी दाखिल कराया उनमें बरेली शहर, बिजनौर जिले की चांदपुर, लखीमपुर जिले की पलिया, मुजफ्फरनगर की पुरकाजी, अलीगढ की कोल, मथुरा की बल्देव के अलावा अमेठी, रायबरेली की ऊंचाहार और गौरीगंज सीटें शामिल हैं। पुरकाजी से कांग्रेस के दीपक कुमार उम्मीदवार हैं वहां समाजवादी पार्टी की उमा किरण आ गईं, कोल अलीगढ से कांगे्रस के विवेक बंसल के सामने समाजवादी पार्टी के अज्जू इसहाक, मथुरा की बल्देव सीट से कांगे्रस के विनेश सोनवाल के सामने समाजवादी पार्टी के रणवीर सिंह द्दनगर तो पलिया से कंाग्रेस के सैफ अली नकवी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के अनीता यादव मैदान में थीं। अमेठी से समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रजापति, ऊंचाहार से मनोज कुमार पाण्डेय और गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह उम्मीदवार के तौर पर आखिरी वक्त तक बने रहे। कांग्रेस की तरफ से किसी सियासी समझबूझ वाले लीडर के बजाए मैनेजरों ने अखिलेश से सीटों की बातचीत की तो अखिलेश के पीछे बैठे शातिर दिमाग रामगोपाल वगैरह ने कांग्रेस मैनेजरों को एक चैथाई रिजर्व सीटों समेत वही तमाम सीटें थमा दीं जहां समाजवादी और कांगेे्रस दोनों का जीत पाना बहुत मुश्किल काम है। लखनऊ की कैण्ट, रामपुर की स्वारटांडा, सहारनपुर की देवबंद सीटें पिछली बार कांग्रेस के पास थीं इस बार बातचीत के दौरान ही तीनों पर समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। तीनों पर उम्मीदवार ऐसे जिनके हटने का कोई सवाल नहीं। रामपुर की स्वारटांडा से आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह को कैण्ट लखनऊ से मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णना यादव और देवबंद से कांग्रेस के ही जीते हुए मुआविया अली को तोड़कर समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बना दिया। अगर मैनेजरों के हाथ में यह काम न होकर किसी सियासतदां के हाथों में होता तो समझोते की बातचीत में सबसे पहले कांग्रेस पिछले एलक्शन में जीती हुई अपनी सीटों के साथ वह सीटें भी ले लेती जहां पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर थे। इन दोनांे तरह की सीटों के बाद यह देखा जाता कि किस सीट पर किस पार्टी का ज्यादा फायदा इस वक्त हो सकता है। मैनेजरों ने १०५ की गिनती पर ही समझौता कर लिया। यह दीगर बात है कि आम लोगों खुसूसन मुसलमानों में कांग्रेस का रूझान ज्यादा होने की वजह से कांगे्रस के अब भी ३० से चालीस तक सीटें जीतने की पूरी उम्मीद है। अखिलेश यादव भी ७० से ८० तक सीटंे ही जीत पाएंगे। अगर कांगे्रस अलग अकेले लड़ती तो ८० से ९० तक सीटें खुद ही जीत सकती थी। वजह यह है कि इस बार उत्तर प्रदेश में किसी भी पार्टी की कोई लहर नहीं है। राहुल गांद्दी की खाट सभाओं बलिया से दिल्ली तक यात्रा २७ साल यूपी बेहाल नारे के तहत जिले जिले में पार्टी के प्रोग्रामों आखिर में राहुल संदेश यात्राएं और जिला सतह की मीटिंगों में कांग्रेेस वर्कर्स, लीडरों और असम्बली एलक्शन लड़ने के ख्वाहिशमंद लीडरान ने दस हजार से दस लाख रूपए तक पार्टी पर खर्च कर दिए बरेली के एक शख्स ने तो शुरू से आखिर तक तकरीबन तीस लाख रूपए पार्टी के प्रोग्रामों पर खर्च कर दिए। आखिर मंे राहुल गांद्दी ने अखिलेश के साथ महज १०५ सीटे लेकर गठजोड़ कर लिया। मतलब यह कि एक ही झटके मंे तीन चैथाई सीटों के वर्कर्स और लीडरान को घर बिठा दिया गया। २०१९ के लोक सभा एलक्शन के लिए पार्टी को डेढ साल बाद से ही मैदान में उतरना पड़ेगा जिन तीन चैथाई वर्कर्स और लीडरान को इस वक्त मायूस करके घर बिठा दिया गया है डेढ साल बाद ही वह दुबारा पार्टी के लिए क्यों कैसे और किस उम्मीद से मैदान में उतरेेंगे? अखिलेश यादव २०१९ तक कांगे्रस और राहुल गंाद्दी के साथ ही रहेंगे इसकी भी कोई गारण्टी नहीं है। इसकी दो वजहें हैं एक यह कि जो न हुआ अपने बाप का वह क्या होगा आपका दूसरे आरएसएस हामी मीडिया ने अखिलेश के इतनी हवा भर दी है कि २०१९ में वह खुद ही वजीर-ए-आजम बनने का ख्वाब देखने लगे हैं। उन्हें यह कहकर चढाया गया है कि २०१९ में इलाकाई पार्टियों की मिली जुली सरकार बनेगी उसमें उन्हीं का चेहरा सबसे आगे रहेगा और वह मुल्क के वजीर-ए-आजम बन जाएंगे।
होम > लाइफस्टाइल > हेल्थ > कॉफी पीने का सही समय जानते हैं आप? कॉफी पीने का सही समय जानते हैं आप? अगर आपकी आदत है हर सुबह कॉफी पीने की तो आज से इसे अवॉइड करना शुरू कर दें। नई दिल्ली. ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जिनकी मॉर्निंग गुड तभी होती है जब सुबह सुबह उनके हाथ में कॉफी या चाय की कप हो। अधिकांश लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अगर कॉफी या चाय न मिले तो सिर में दर्द होने लगता है। अक्सर लोग जल्दबाजी में कॉफी पीकर ऑफिस, कॉलेज निकल जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी जल्दबाजी में पी गई कॉफी या सुबह उठकर पी गई कॉफी से आपको कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। सुबह खाली पेट पी गई कॉफी आपके सेहत के लिए कितना हानिकारक होता है इस बात से सभी अनभिज्ञ होते हैं। हम में से अधिकांश लोगों को कॉफी पीने का सही समय तक पता नहीं होता है और हम किसी भी समय कॉफी पीने लग जाते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कॉफी पीने का सही समय जिससे आपकी सेहत पर कोई प्रभाव न पड़े। - अगर आपकी आदत है हर रोज खाली पेट कॉफी पीने की तो आज से इसे अवॉइड करना शुरू कर दें। बता दें कि खाली पेट कॉफी पीने से पेट में एसिड की मात्रा बढ़ती है और सीने में जलन की समस्या पैदा होने लगती है। इसके अलावा आपको कब्ज, अल्सर जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। इसके बेहतर होगा कि अपनी इन बुरी आदतों को जल्द से जल्द बॉय बॉय कह दें। - हम में से अधिकांश लोग ऐसे होते हैं जिन्हे खाने को कुछ न मिले लेकिन कॉफी पीना जरूरी होता है। अक्सर लोगों को खाना खाने का वक्त नहीं मिलता है तो कॉफी पीकर ही सारा दिन गुजार लेते हैं। लेकिन ऐसा करना आपके लिए खतरा बन सकता है। आपके बेहतर होगा कि आप खाना खाने के वक्त कॉफी न पीएं हो सके तो खाना खाने से पहले कॉफी को अवॉइड करें। ऐसा करने से आपको गंभीर बीमारियां हो सकती है। - आपको बता दें कि अगर खाली पेट कॉफी पीने से नुकसान होता है तो वहीं खाली पेट कॉफी पीने से कई फायदे भी होते हैं। बशर्ते आप जो कॉफी पी रहे हैं उसकी क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। इसलिए अगर आपको कॉफी पीने की आदत है तो सबसे पहले अच्छी क्वालिटी की कॉफी लेकर आएं। अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए आपके लिए यह जरूरी है कि आप कॉफी पीने का एक वक्त निर्धारित कर लें और सही समय के हिसाब से ही कॉफी पीएं जिससे आपको कोई भी हेल्थ प्रॉब्लम न आए।
झाँसी २६ सितम्बर। लम्बे समय से चली आ रही पृथक बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग को लेकर बुंदेलखंड के लोगों का जन समर्थन लगातार जोर पकड़ रहा है। बुन्देल खण्ड राज्य। सत्या ग्रह व धरने को सम्बोधित करते हुए संस्था के संस्थापक मो० कलाम कुरैशी ने कहा हमारे बुंदेलखंड का हीरा पन्ना कोयला ग्रेनाइट पत्थर बिजली पानी सब हमसे ले लिया जाता है पर केंद्र व प्रदेश सरकार हम बुन्देखण्ड वासियों से सौतेला व्यवहार कर रही है जहां एक तरफ सरकार सबका साथ सबका विकास की बात कर रही है। फिर क्यों बुन्देखण्ड राज्य बनाने में देरी कर रही है हमको हमारा बुन्देखण्ड राज्य दो तभी हमारा विकास सम्भव है। समर्थन के दौरान भारी संख्या में महिलाओं ने कचहरी चौराहा स्थित गाँधी स्मारक पर धरना दिया इस दौरान अध्यक्ष शरीफ खान, उपाध्यक्ष संजय जैन, महासचिव बब्लू आज़ाद, सलमा बेगम कुरैशी, सुनीता,फरीदा मरियम, जमीला, मुन्नी,निजाम कुरैशी, जाबेद अंसारी, नूरी,महमूद भिस्ती, पंकज,रसीद अंसारी, मनोज,अली अहमद, विक्रम सिंह, अजहर, समीर, इकबाल खान, मुजस्सर सहित सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोगों ने बुंदेलखंड राज्य बनाने के लिए समर्थन दिया।
कोलकाता, १९ जुलाई (भाषा) भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व फिजियोथेरेपिस्ट एंड्रयू लीपस ने इंडियन प्रीमियर लीग की फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ १२ साल तक जुड़े रहने के बाद अलग हो गये है। ऑस्ट्रेलिया के ४९ साल के लीपस इस टी२० लीग के शुरूआत से ही टीम से जुड़े हुए है। उन्होंने ट्वीट किया, बारह सत्र के बाद मैं केकेआर से अलग हो रहा हूं। टीम के साथ इन वर्षों में सफर शानदार रहा और सुखद यादों के लिये सभी कोच, खिलाड़ी, सहायकों और प्रबंधन का आभार। बालीवुड अभिनेता शाहरुख खान की स्वामित्व वाली इस फ्रेंचाइजी ने इससे पहले टीम के मुख्य कोच जॉक कैलिस और उनके सहयोगी साइमन कैटिच से नाता तोड़ने की घोषणा की थी। टीम आगामी सत्र के लिए नये कोचिंग सदस्यों के साथ उतरेगी। लीपस १९99 से २०04 तक भारतीय टीम के फिजियोथेरेपिस्ट रहे थे।
क्विंगदाओ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को चीन के शहर क्विंगदाओ पहुंच गए जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। भारत एससीओ की बैठक में पहली बार पूर्ण सदस्य के तौर पर हिस्सा ले रहा है। भारत को उम्मीद है कि इस बैठक का परिणाम सभी सदस्य देशों के लिए सकारात्मक रहेगा। मोदी बैठक से इतर कई सदस्य देशों के प्रमुखों से भी मिलेंगे और विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री ने रवाना होने से पहले एक बयान में कहा कि वह परिषद के पूर्ण सदस्य के तौर पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि संगठन के पास आतंकवाद से लडऩे, अलगाववाद और अतिवाद जैसी समस्याओं से निपटने, क्षेत्रों को आपस में जोडऩे, वाणिज्य, सीमा शुल्क, न्याय, स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ, आपदा जोखिम कम करने तथा लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने का एक विशाल एजेंडा है।
नई दिल्ली : सरकार ने देश की दो बडी बिजनेस कंपनियों के खिलाफ बडा कदम उठाया है। केजी बेसिन प्राकृतिक गैस मामले में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके भागीदारों से १.५५ अरब डॉलर (१0 हजार करोड रुपए) का जुर्माना लगाया है वहीं गौतम अडाणी की अगुवाई वाले अडाणी गु्रप्स की और से स्थापित एनजीओ अडाणी फाउंडेशन का लाइसेंस रद्द कर दिया है। माना जा रहा है कि सरकार की यह कार्रवाही विपक्ष की बोलती बंद हो जाएगी। विपक्ष हमेशा सरकार को अमीरों के पक्ष वाली सरकार है। केंद्रीय तेल मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश स्थित कृष्णा-गोदावरी बेसिन (केजी बेसिन) अपतटीय क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी के तेल ब्लॉक से प्राकृतिक गैस निकालने पर रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके भागीदारों ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) और कनाडाई कंपनी निको से १.५५ अरब डॉलर का मुआवजा मांगा है। यह मुआवजा ओएनजीसी के तेल क्षेत्र से मार्च 20१6 तक सात साल की अवधि में ३३.८३ करोड़ ब्रिटिश थर्मल यूनिट गैस का उत्पादन करने के लिये मांगा गया है। बता दें कि जस्टिस एपी शाह समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आरआईएल आंध्र प्रदेश तट के समीप बंगाल की खाड़ी में केजी बेसिन के अपने ब्लॉक से सटे ओएनजीसी ब्लॉक से प्राकृतिक गैस निकालती रही है और इसके लिए उसे सरकार को भुगतान करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट (एफसीआरए) के तहत २५ एनजीओ का रजिस्ट्रेशन रिन्यू करने से इनकार कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि ये एनजीओ कथित तौर पर उन गतिविधियों में शामिल हैं जो राष्ट्रहित के अनुकूल नहीं हैं। यह कार्रवाई तब सामने आई है जब इससे पहले ११,३१९ एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस कैंसल कर दिया गया था। यह कार्रवाई इसलिए कि गई थी क्योंकि इन्होंने तय वक्त के भीतर लाइसेंस रिन्यू के लिए अप्लाई नहीं किया था। जिन ११,३१९ एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द मान लिया गया है उनमें कई बड़े नाम शामिल हैं। मसलन, अडाणी फाउंडेशन, इंदिरा गांधी नैशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (आईजीएनसीए), ऑक्सफैम इंडिया ट्रस्ट, संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट आदि प्रमुख हैं। सरकार ने २ नवंबर को जारी एक आदेश में कहा था कि इन सभी एनजीओ का रजिस्ट्रेशन १ नवंबर से रद्द मान लिया जाएगा। हालांकि, अभी जिन २5 एनजीओ का रजिस्ट्रेशन रिन्यू करने से इनकार किया गया है, उनकी पहचान को लेकर गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।
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किराना सामान लेकर जाता युवक। भागलपुर.लॉकडाउन में लोगों को जरूरी सामान तय कीमतों पर उपलब्ध करवाने का दावा फेल होता नजर आ रहा है। प्रशासन ने दरें तय की। चेंबर ऑफ कॉमर्स व व्यापारियों के साथ बैठकें भी कीं, लेकिन जो दरें तय की। कालाबाजारी न करने की व्यापारियों से अपील की, वह सब जमीन से नदारद है। बाजार में जमकर कालाबाजारी हो रही है। लॉकडाउन का असर तो अब शहर में दिखने लगा है, लेकिन जरूरी का अधिकांश सामान धीरे-धीरे दुकानों से गायब हो रहा है। आलम यह है कि शहर की कई दुकानों से आटा गायब है। ब्रेड किसी दुकानों पर नहीं है। तेल, दाल और चीनी की कीमतें आसमान छू रही हैं। सब्जियां लोगों की पहुंच से दूर होने लगी है। दैनिक भास्कर ने प्रशासनिक दावों के बीच गुरुवार को शहर के अलग-अलग हिस्से में पड़ताल की। राशन व सब्जियों की खुदरा और थोक मंडियों तक रिपोर्टर्स पहुंचे तो साफ हो गया कि कालाबाजारी चरम पर है। इतना ही नहीं, प्रशासन के आदेश के बाद भी किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकानों पर सामान की सूची और उसकी दरें चस्पां नहीं की है। इतना ही नहीं, अधिकांश दुकानांे पर कर्मचारियों के चेहरे से मास्क तक गायब हैं। दुकानदार ही नहीं, लोग भी सामान की खरीदारी के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं फॉलो कर रहे।
एक सीजेरियन सेक्शन एक ऑपरेशन है जो प्रसव में महिला की स्थिति के लिए काफी मुश्किल है। सभी डॉक्टर इस तथ्य के कारण उसे धारण करने की सलाह नहीं देते हैं कि एक महिला प्राकृतिक प्रसव की तुलना में १२ गुना अधिक जोखिम में है। ऑपरेशन के बाद, कई विशिष्ट नियमों का पालन करना आवश्यक है, विशेष रूप से, नव-निर्मित मां के पोषण को सख्ती से नियंत्रित किया जाना चाहिए। विचार करें कि आप कौन से खाद्य पदार्थ खा सकते हैं, और क्या - नहीं, एक अनुकरणीय आहार माँ और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी। गर्भाशय की विकृतियाँ। कुछ मामलों में, एक योग्य चिकित्सक के साथ आप एक योजनाबद्ध सिजेरियन सेक्शन पर सहमत हो सकते हैं - लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि इस मामले में, वसूली की अवधि अधिक समय लेगी और प्रवाह कठिन होगा। महिलाओं के पोषण पर बहुत ध्यान दिया जाना चाहिए। यह उस महिला के आहार से काफी भिन्न होगा जिसने स्वतंत्र रूप से जन्म दिया था। यह कारक सीधे इस तथ्य से संबंधित है कि सीएस में ऑपरेटिव हस्तक्षेप किया जाता है, जिसमें अंग एक अलग क्रम में कार्य करना शुरू करते हैं। आंतों के काम को समायोजित करना महत्वपूर्ण है - और यह न केवल एक अच्छी तरह से समायोजित आहार के लिए धन्यवाद प्राप्त किया जा सकता है, बल्कि गतिविधि भी। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों के बाद प्रसव में महिला को बिस्तर में बदलाव शुरू करने की आवश्यकता होती है, और ऑपरेशन के ५-६ घंटे बाद आपको चलना शुरू करना होता है। बच्चे के बारे में मत भूलो - उसे भोजन भी चाहिए, इसलिए एक महिला को एक स्तनपान प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिए। ऐसा करने के लिए, आपको बड़ी मात्रा में पानी पीने की ज़रूरत है, उन खाद्य पदार्थों का उपयोग करें जिनमें बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है। यह महत्वपूर्ण है कि उत्पाद उच्च-कैलोरी हो, लेकिन एक ही समय में उपयोगी - केफिर, मांस उत्पादों और कॉटेज पनीर दूध उत्पादन को बढ़ाएगा। यदि महिलाएं जो प्राकृतिक तरीके से जन्म देती हैं, तो प्रसव के लगभग तुरंत बाद स्तनपान की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, फिर आपातकालीन आधार पर सिजेरियन सेक्शन करने के बाद, ऑपरेशन के २-४ दिनों बाद दूध छोड़ा जाएगा। नियोजित सर्जरी के लिए, इस मामले में दूध ५-१० दिन पर दिखाई देता है। एक नियम के रूप में, डॉक्टर एक आहार निर्धारित करता है - और सीएस के बाद पहले दिनों में, यह जितना संभव हो उतना कोमल होना चाहिए, अर्थात्, आहार धीरे-धीरे फैलता है। आप तला हुआ नहीं खा सकते हैं, पहली बार सबसे अच्छा विकल्प - उबले हुए खाद्य पदार्थ या भोजन, उबले हुए (यह भोजन ब्लेंडर को तलना या काटना सबसे अच्छा है)। मजबूत, समृद्ध शोरबा, साथ ही साथ एक स्पष्ट स्वाद (लहसुन, मसालेदार सब्जियां, साग) वाले उत्पाद, मजबूत अड़चन हैं, इसलिए उन्हें पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए - इसके अलावा, वे दूध के स्वाद को प्रभावित करते हैं। सर्जरी (पहले दिन) के तुरंत बाद, आप केवल पानी (नींबू या सेब के रस से पतला) पी सकते हैं। इसके अलावा, तरल की मात्रा प्रति दिन १.५ लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगले दिन, आप आहार में एक कमजोर, दुबला माध्यमिक शोरबा (चिकन या गोमांस), आलू-आधारित प्यूरी में प्रवेश कर सकते हैं - तेल नहीं जोड़ा जा सकता है। विशेषज्ञ, सुविधा के लिए, नव-निर्मित माताओं को बच्चे का खाना खाने की सलाह देते हैं - इसमें हानिकारक पदार्थ नहीं होते हैं और आसानी से पचने योग्य होते हैं। प्रसव के तुरंत बाद, पहले २४ घंटों के लिए केवल गैर-कार्बोनेटेड पानी आहार में मौजूद होता है। ३ वें दिन, आहार पहले से ही काफी विस्तार कर रहा है - आप तेल और चीनी के बिना, पानी में उबले हुए विभिन्न पोर्रिज खा सकते हैं - दलिया, जौ, एक प्रकार का अनाज (चावल नहीं कर सकते, क्योंकि यह मजबूत है, और यह एक महिला की स्थिति को बढ़ा सकता है)। बेक्ड सेब मिठाई के रूप में उपयुक्त हैं, और भोजन को संतुलित बनाने के लिए, उबले हुए सब्जियों (फाइबर स्रोत) को जोड़ा जाता है, साथ ही दुबले मांस से बने हल्के भाप मीटबॉल - इनमें प्रोटीन होता है, जो सामान्य स्तनपान के लिए आवश्यक है। पहले से ही ४ वें दिन एक महिला के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं होगा जिसने स्वाभाविक रूप से जन्म दिया और सिजेरियन सेक्शन से गुजरना पड़ा। हर माँ को पता होना चाहिए कि ३ महीने तक बच्चे की आंतों में माइक्रोफ़्लोरा नहीं है, उसे पेट का दर्द, कब्ज होने का खतरा हो सकता है - इसलिए आहार का पालन करना होगा। भोजन दिन में ५ बार होना चाहिए, आपको हर ३ घंटे खाने की जरूरत है। स्तनपान कराने से ३० मिनट पहले, दूध का सेवन ज़रूर करें। वसायुक्त, तले हुए, स्मोक्ड, मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। खाना पकाने का सबसे अच्छा तरीका स्टीमिंग, या उबलते खाद्य पदार्थ हैं। आहार में डेयरी उत्पाद मौजूद होना चाहिए - इस तथ्य के कारण कि उनमें कैल्शियम होता है, यह माँ के शरीर और बच्चे के लिए दोनों आवश्यक है। डिब्बाबंद भोजन और सुविधा युक्त खाद्य पदार्थ नहीं खाए जा सकते। उपयोग से तुरंत पहले भोजन पकाने की सलाह दी जाती है। तरल आवश्यक रूप से पीते हैं - प्रति दिन लगभग १.५ लीटर, और यह गैर-कार्बोनेटेड पेय होना चाहिए। कोई उत्पाद जो आंतों में किण्वन को बढ़ाते हैं - बेकिंग, चीनी के साथ अनाज, केले, फलियां, आदि। कच्ची सब्जियों को सीमित करना बेहतर है, आदर्श रूप से उन्हें बाहर करना, क्योंकि वे आंतों में किण्वन को बढ़ाते हैं। जिन उत्पादों में मोटे फाइबर (मूली, शलजम) होते हैं - वे पाचन तंत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं और सूजन का कारण बनते हैं। माँ को अपने आहार पर ध्यान देना चाहिए। पानी पर दलिया और एक प्रकार का अनाज, उबला हुआ या बेक्ड सब्जियां, त्वचा के बिना चिकन पट्टिका, कम वसा वाले कॉटेज पनीर की अनुमति है। खट्टा दूध मौजूद होना चाहिए, लेकिन आप केवल १% केफिर पी सकते हैं। आप माध्यमिक शोरबा में हल्का सूप पका सकते हैं, ज़ाहिर है, ज़ज़राकु नहीं कर सकता। आप पहले से ही अधिक पर्याप्त और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाना शुरू कर सकते हैं, लेकिन यह बाल रोग विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाना चाहिए - ताकि बच्चे की स्थिति न बिगड़े। ४ दिनों के भीतर, एक नया उत्पाद थोड़ा-थोड़ा करके पेश किया जाता है, और यह बहुत छोटे हिस्से से किया जाना चाहिए, धीरे-धीरे उन्हें बढ़ाता है - अगर बच्चा सामान्य रूप से भोजन करता है। इस घटना में कि एक नकारात्मक प्रतिक्रिया अनुपस्थित है, भोजन को आपके दैनिक आहार में सुरक्षित रूप से छोड़ा जा सकता है। इस अवधि के दौरान, आप मोती जौ, गेहूं दलिया, २०% तक वसा सामग्री के साथ खट्टा क्रीम की कोशिश कर सकते हैं। सावधानी के साथ आप मछली की कोशिश कर सकते हैं - हेक, कॉड। आप नरम पनीर, रयाझेंकु कर सकते हैं। कच्ची सब्जियों से अभी भी हार मानने की जरूरत है। सॉसेज और प्रसंस्कृत पनीर। यदि माँ कब्ज से पीड़ित है, तो वह मफिन, चावल, मजबूत काली चाय, सूजी नहीं खा सकती है। मैं क्या खाद्य पदार्थ खा सकता हूं? ग्रोट्स, प्शेंका, चावल दलिया के अपवाद के साथ। आपको केवल चीनी के बिना, पानी पर पकाने की ज़रूरत है। तैयार उत्पाद में, आप थोड़ा मक्खन या वनस्पति तेल जोड़ सकते हैं। सामान्य तौर पर, विशेषज्ञों का कहना है कि एक माँ को प्रति दिन १५ ग्राम वनस्पति तेल और २५ ग्राम मक्खन का उपभोग करने की अनुमति है। यदि वांछित है, तो आप दूध में प्रवेश करने की कोशिश कर सकते हैं - लेकिन गैर-चिकना और पतला। इस पर दलिया पकाया जाता है, या पुलाव को पीस से तैयार किया जाता है। चोकर की रोटी, सूखी गैलेट कुकीज़, दूसरी श्रेणी की ग्रे ब्रेड से पटाखे। मांस और मछली - लेकिन केवल कम वसा वाले। यह खरगोश, बीफ के दुबले हिस्से, त्वचा रहित चिकन हो सकता है। मछली के रूप में - आप हेक, कॉड के एक जोड़े के लिए उबाल या पकाना कर सकते हैं। सफेद मांस खाने के लिए सबसे अच्छा है - इसमें वसा सामग्री का सबसे छोटा प्रतिशत है, वे एलर्जी नहीं हैं। मांस को जोड़ने के बिना सब्जी सूप। आप उन्हें तोरी, गाजर, फूलगोभी, आलू के आधार पर पका सकते हैं। यदि वांछित है, तो आप सूप, मसला हुआ आलू बना सकते हैं - लेकिन यह सब भुना हुआ सब्जियों के बिना। द्वितीयक मांस कम वसा वाले शोरबा पर सूप। मांस के टुकड़ों के अलावा, उनमें वही सब्जियां शामिल हो सकती हैं जो शाकाहारी वनस्पति आधारित सूप में पाई जाती हैं। गाजर, कद्दू, तोरी - सभी संसाधित रूप में। ये खाद्य पदार्थ फाइबर के स्रोत हैं, लेकिन आपको उन्हें सावधानी से खाने की जरूरत है। फल से - सेब, सबसे पहले उन्हें पके हुए होने की आवश्यकता है। अन्य फलों को बाद में जोड़ा जा सकता है, लेकिन उन्हें अम्लीय नहीं होना चाहिए। यदि मां ध्यान देती है कि उसके बच्चे को एलर्जी की उपस्थिति का खतरा है, तो इस मामले में, फल को सफेद या हरे रंग में चुना जाना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए, माँ को रोजाना लगभग ३०० ग्राम जामुन या फल खाने की ज़रूरत होती है, साथ ही एक गिलास ताजे निचोड़े हुए रस में पल्प मिलाकर पीना चाहिए। यदि बच्चा कब्ज से पीड़ित है - पृन, सूखे खुबानी करेगा, लेकिन पशु वसा को वनस्पति तेलों (जैतून, सूरजमुखी) से बदल दिया जाना चाहिए। किण्वित दूध पेय में भाग लेना सुनिश्चित करें। वे लाभकारी विटामिन और खनिजों में समृद्ध हैं। प्रारंभ में, मां को विशेष रूप से केफिर की अनुमति दी जाती है, थोड़ी देर बाद, आप घर का बना दही, खट्टा दूध, एसिडोफिलस कनेक्ट कर सकते हैं। खट्टा क्रीम और दूध का उपयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए, लेकिन कम वसा वाले पनीर, साथ ही इससे बने व्यंजन, एक अच्छा समाधान होगा - इनमें कैल्शियम की एक बड़ी मात्रा होती है। क्या महत्वपूर्ण है तथ्य यह है कि पूरी तरह से वसा मुक्त उत्पादों को खाना असंभव है - यह कोई लाभ नहीं लाएगा। कॉटेज पनीर को ५ से ९ प्रतिशत, दूध - २.५%, केफिर - १% से चुना जाना चाहिए। यदि एक महिला स्तनपान कर रही है तो किन खाद्य पदार्थों को सीमित करने की आवश्यकता है? अंडे, समुद्री भोजन, लाल रंग के फल और सब्जियां अत्यधिक एलर्जीनिक हैं, इसलिए उन्हें पूरी तरह से बाहर रखा जाना चाहिए। आंतों में किण्वन का कारण बनने वाले भोजन को खाना भी मना है - खमीर, गोभी, सब्जियों पर आटा, जिसमें मोटे फाइबर शामिल हैं। कॉफी को पेय से प्रतिबंधित करें, कार्बोनेटेड पेय, क्वास, शराब को बाहर करें। मिठाई - केवल उपयोगी। खमीर, चॉकलेट, क्रीम केक के साथ केक, पेस्ट्री की अनुमति नहीं है। चीनी और नमक माँ को भी सीमित करना पड़ता है। बच्चे के जीवन के पहले वर्ष में, उसकी स्थिति की निगरानी करना, बाल रोग विशेषज्ञ का दौरा करना, उसके आहार के बारे में बात करना अनिवार्य है - बच्चे को न केवल असुविधा का अनुभव करना चाहिए, बल्कि सामान्य विकास के लिए सभी आवश्यक तत्व प्राप्त करना चाहिए।
ग्रोस आइलेट। भारतीय टीम का सामना आईसीसी महिला टी२० विश्वकप के दूसरे सेमीफाइनल में २०09 की चैम्पियन इंग्लैंड से होगा जिसे वेस्टइंडीज ने आखिरी ग्रुप मैच में चार विकेट से हराया। भारत ने ग्रुप चरण में तीनों मैच जीते हैं और अब वह इंग्लैंड से पिछले साल ५० ओवरों के विश्व कप फाइनल में मिली हार का बदला चुकता करना चाहेगी। हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली टीम ने आखिरी पूल मैच में तीन बार की चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को हराया। गत चैम्पियन वेस्टइंडीज ग्रुप ए में आठ अंक लेकर शीर्ष पर रही। उसने आखिरी लीग मैच में इंग्लैंड को आखिरी ओवर में हराया। अब २२ नवंबर को पहले सेमीफाइनल में उसका सामना ऑस्ट्रेलिया से होगा। आखिरी ग्रुप मैच में वेस्टइंडीज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इंग्लैंड को आठ विकेट पर ११५ रन पर रोक दिया। इसके बाद तीन गेंद बाकी रहते लक्ष्य हासिल कर लिया। देवेंद्र डोटिन ने ५२ गेंद में ४८ रन की पारी खेली। टॉस जीतने के बाद वेस्टइंडीज को गेंदबाज शाकेरा सलमान ने दो विकेट लेकर अच्छी शुरूआत दी। इंग्लैंड के छह विकेट ५० रन पर गिर गए थे लेकिन सोफिया डंकले (३५) और आन्या श्रबसोले (२९) ने ५८ रन की साझेदारी करके टीम को सौ रन के पार पहुंचाया। इसके बाद श्रबसोले ने अपने पहले ओवर में हेली मैथ्यूज और स्टेफनी टेलर को पवेलियन भेजा। डोटिन और शेमेइन कैंपबेल ने हालांकि ६८ रन की साझेदारी करके टीम को संकट से निकाला। वेस्टइंडीज केा आखिरी तीन ओवर में २६ रन चाहिए थे। कैंपबेल को १९वें ओवर में दो जीवनदान मिले लेकिन उसने टीम को लक्ष्य के करीब पहुंचाया।
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५ साल बाद अलका लांबा की कांग्रेस में घर वापसी! नई दिल्ली। चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने सोनिया गांधी की मौजूदगी में शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली। उन्होंने ट्विटर पर आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया से मुलाकात के बाद आप छोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने इससे पहले शाम में एक ट्वीट कर जानकारी दी थी कि वह १० जनपथ पहुंचकर सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करेंगी।
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नवजात शिशु को किस प्रकार दूध पिलाया जाना चाहिए, इस बारे में कई बार नई मांओं को जानकारी नहीं होती। सही स्तनपान के लिए क्या किया जाना चाहिए, मां के लिए ये जानना बहुत जरूरी है। स्तनपान की शुरुआत ठीक प्रकार से करने के लिए डिलीवरी के बाद जितनी जल्दी हो सके नवजात को स्तनपान कराया जाना चाहिए। साथ ही, स्तनपान की क्रिया को जल्दी-जल्दी दोहराया जाना चाहिए, इसके बहुत फायदे होते हैं। जब मां अपने शिशु को स्तनपान कराती है तो उसे कई और बातों का ध्यान रखना चाहिए। मसलन, एक बार में एक स्तन से स्तनपान कराया जाए या दोनों से। इसके अलावा, ये बातें जानना भी बहुत जरूरी होता है कि बच्चा ठीक प्रकार से मां के स्तन का निप्पल मुंह में पकड़ पा रहा है या नहीं, स्तनपान के दौरान बच्चे और मां के शरीर की स्थिति कैसी है और बच्चा इस दौरान ठीक प्रकार से सांस ले इसके लिए क्या करना चाहिए। इन सब बातों को जानकर ही नवजात के इकलौते आहार, मां के दूध को उसके पेट तक ठीक प्रकार से पहुंचाया जा सकता है।
स्वप्नलोक: क्या राजनेता देश को आगे ले जाने के मूड में हैं ? वैश्वीकरण के इस युग में संचार-क्रान्ति ने सारे विश्व को ही एक गाँव बनाकर रख दिया है । अब वसुधैव-कुटुम्बकम की भारतीय अवधारणा जहाँ सच होती नज़र आ रही है, वहीं दूसरी ओर इसे बिडम्बना ही कहा जाएगा कि भारतीय समाज खुद बिखराव की ओर अग्रसर दिख रहा है । बेवजह के क्षेत्रीय और साम्प्रदायिक विवादों ने आम आदमी का जीना दूभर किया हुआ है । वास्तव में आज के जमाने में धर्म और राज्य के आधार पर देश को बाँटने की कोई आवश्यकता नहीं रह गयी है । देश को सूबों में बाँटकर राजकाज को आसान बनाने की आवश्यकता मध्ययुग में थी । आज जब पल भर में सूचना विश्व के कोने कोने में पहुँच रही है तब राज्य किसलिए ? क्या जनपदों अथवा मण्डलों में विभाजन ही पर्याप्त नहीं ? इसी तरह यदि हमारा देश वास्तव में धर्म निरपेक्ष है तो देश का हर नागरिक धर्म और जाति से ऊपर उठकर देखा जाना चाहिए । हिन्दू कानून अलग, मुसलमान कानून अलग ऐसा क्यों ? अब जब हर नागरिक को अलग पहचान नम्बर देने की बात की जा रही है और सबकी आर्थिक स्थिति का रिकॉर्ड रख पाना भी कोई मुश्किल कार्य नहीं रहा । ऐसे में जाति को आधार बनाकर सब लोगों को गाय-भैंस की तरह हाँकने से क्या फायदा ? क्या हमारे राजनेता देश को वाकई आगे ले जाना चाहते हैं ? हिन्दू कानून अलग, मुसलमान कानून अलग ऐसा क्यों ?" आपका यह प्रश्न सिद्ध करता है कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है ही नहीं। धर्मनिरपेक्ष शब्द तो एक धोखा है जिसे नेताओं ने अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिये गढ़ा है। आपसे किसने कहा कि नेता देश को आगे ले जाना चाहते हैं ??? असली नेता वही है जो देश के सहारे खुद आगे जाए ! देश जहाँ है वहीँ ठीक ! "क्या हमारे राजनेता देश को वाकई आगे ले जाना चाहते हैं ?" वे सिर्फ खुद को आगे ले जाना चाहते हैं! आपको ऐसे परेशानकुन प्रश्न पूछने की आदत है जिसका उत्तर आप भली भाँति जानते हैं। बहरहाल, प्रश्न करते रहना भी जरूरी है। शुक्रिया।
आज हम आपको बताते है दिल्ली की सबसे पुरानी मार्केट चांदनी चौक.. और यहां की परांठेवाली गली सदियों पुरानी है। जब मैंने नयी सड़क से कट लेकर पराठे वाली गली के अंदर गई तो बस गर्म तेल की गंध और भुने मसालों की खुशबू मुझे अपनी ओर खींचने लगी.. दुकानदारों का तेज आवाज़ में चिखना और बिजी गलियों में मची उथल-पुथल। यह नज़ारा था पुरानी दिल्ली के परांठे वाली गली का। सन १८७२ में पंडित गया प्रसाद परांठावाला से चांदनी चौक में परांठे वाली गली की शुरूआत हुई थी। पिछली ६ पीढियों से यहां पंराठेवाली दुकान को उनकी फैमिली चला रही है। वैसे आपको ये भी बता दें की इस गली का नाम सन १९११ में बदलकर छोटा दरीबा हो चुका है लेकिन आज भी ये गली परांठा वाली गली के नाम से जानी जाती है। यहां आज भी उसी पुरानी तरह से शुद्ध शाकाहारी पंराठे बनाए जाते हैं जिसमें प्याज और लहसुन तक नहीं डाला जाता.. वजह है कि इन दुकानों को पंडित बिरादरी के लोगों ने खोला था और तब से उन्ही के खानदान इस परंपरा को उन्ही की तरह आगे बढ़ा रहे हैं. यहां पर ब्राह्मीण तौर-तरीकों से खाना बनाया जाता है। परांठों को और एक्सोटिक बनाने के लिए उसमें काजू, बादाम जैसे सूखे मेवे भी डाले जाते हैं। यहां पर आपको परांठो की तरह-तरह की कई वैराइटी मिलेंगी। मिक्स वेज परांठे, रबड़ी, खोया परांठा, गोभी परांठा, परत परांठा जैसे कई तरह के परांठे यहां पर आपको खाने के लिए मिलते हैं। यहां परांठे को रायते और सिर्फ अचार के साथ ही सर्व नहीं किया जाता बल्कि यहां पर आपको इनके साथ इमली की चटनी, धनिया-पुदीने की चटनी, सब्जियों का मिक्स अचार, आलू-पनीर की सब्जी, आलू मेथी की सब्जी, और सीताफल की सब्जी भी परोसा जाता है। यहां पर जो परांठे बनाए जाते हैं उन्हे खाने से पहले आप कम तेल घी की उम्मीद बिल्कुल भी ना रखें। क्योंकि यहां पर घी में परांठो को दीप फ्री किया जाता है। यकीन मानिए इतना तला भुना खाने के बाद भी आपका मन और खाने का करता है। पेट भले ही भर जाए लेकिन इन परांठों के स्वाद की भूख खत्म नहीं होती। अगर आप कभी चांदनी चौक घूमने जा रहे है या आप दिल्ली में हैं और आपका कुछ अच्छा खाने का मन कर रहा है तो आपको एक बार तो यहां आकर इस गली में परांठे जरूर खाने चाहिए। ऐसा स्वाद आपको किसी बड़े महंगे रेस्टोरेंट और होटल में भी नहीं मिलेगा। आपको आज भी यहां पर पुराने भारत की झलक ही दिखेगी। खाने के जायके से लेकर यहां के लोगों के व्यवहार तक आपको सब अपनी तरफ खींचेंगें। अज़ादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और विजया लक्ष्मी पंडित के साथ यहां एक बार परांठे खाने के लिए आए थे। उनकी ये तस्वीर आज भी इस परांठे वाली गली में दुकान में लगी हुई है। देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर बॉलीवुड के सुपरस्टार रनबीर कपूर तक सब यहां पर ये परांठे खा चुके हैं। इनके स्वाद की चर्चा इतनी दूर-दूर तक है कि लोग यहां एक बार परांठे खाने के बाद जिससे भी मिलते हैं उससे इनकी तारीफ जरूर करते हैं। ऐसे ही ये दुकाने यहां पर सदियों से मशहूर नही है। इनके स्वाद में तब से लेकर अब तक कोई अंतर भी नहीं आया है।
५ मिनट में आउट ऑफ़ स्टॉक हुआ ये फोन, जानें कब है अगली सेल! वनप्लस के फ्लैगशिप स्मार्टफोन ओनेप्लस ५त को कंपनी ने २४ नवंबर को स्पेशल प्रीव्यू सेल के दौरान अमेज़न पर पेश किया था। इस दौरान यह फोन केवल एक घंटे के लिए ही बिक्री के लिए उपलब्ध था। कई लोग जो फोन खरीदना चाहते थे, उन्हें निराश होना पड़ा, क्योंकि केवल ५ मिनट के अंदर ही यह फोन आउट ऑफ़ स्टॉक हो चुका था। वनप्लस ५टी अपने शानदार और दमदार स्पेसिफिकेशन के लिए पसंद भी किया जा रहा है और फोन को बेहतर रिस्पांस भी ग्राहकों से मिल रहा है। कंपनी की मानें तो अर्ली एक्सेस सेल के दौरान केवल इंडिया ही नहीं बल्कि ग्लोबली वनप्लस ५टी के प्रति काफी शानदार रिस्पांस मिल रहा है। मजेदार बात यह भी है की वनप्लस ५टी ने लॉन्च के दिन के भी सेल रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अब यह कंपनी का ६ घंटों में सबसे तेजी से बिकने वाला स्मार्टफोन बन गया है। अगर आप उन ग्राहकों में से हैं जो वनप्लस ५टी को लेने में चूक गए हैं, तो बता दें कि फोन की अगली सेल २८ नवंबर को होनी है। इस दौरान फोन अमेज़न इंडिया पर एक्सक्लूसिवली बिक्री के उपलब्ध होगा। फोन को अमेज़न इंडिया के अलावा वनप्लस के ऑनलाइन स्टोर से भी खरीदा जा सकेगा। वनप्लस ने अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन ओनेप्लस ५त को दो अलग रैम और स्टोरेज वेरिएंट्स में पेश किया गया है। ओनेप्लस ५त के ६गब रैम और ६4गब स्टोरेज वेरिएंट की कीमत ३२,९९९ रुपए और ८गब रैम के साथ 12८गब स्टोरेज वेरिएंट की कीमत ३७,९९९ रुपए है। इसके अलावा इस फोन की खासियत इसमें दिया गया फुल व्यू डिसप्ले है। ओनेप्लस ५त स्मार्टफोन में एक ६-इंच की फद+ स्क्रीन दी है। इसका रिजॉल्यूशन 108021६0 पिक्सल है। इसका आस्पेक्ट रेश्यो १८:९ है। इसके अलावा यह एक बड़ी डिसप्ले है, जो स्क्रीन-टू-बॉडी रेश्यो के आई है। इसके अलावा स्मार्टफोन में एक ऑप्टिक अमोलेड डिसप्ले दी गई है। ओनेप्लस ५त में स्नैपड्रेगन ८3५ चिपसेट प्रोसेसर दिया गया है। ओनेप्लस ५त स्मार्टफोन दो वेरिएंट में लॉन्च किया गया है, जिसमें ६गब रैम के साथ ६4गब स्टोरेज और ८गब रैम के साथ 12८गब स्टोरेज दिया गया है।
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का १५ फरवरी को सेवराई में आकर पूर्व पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह के पिता स्व. गया सिंह को श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रम की चर्चा राजनैतिक गलियारों में जोरों पर है। राजैनतिक पंडितों के अनुसार अखिलेश यादव ने इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में आने की स्वीकृति देकर एक तीर से कई राजनीतिक लक्ष्य पर निशाना लगाया है। एक तरफ पूर्व पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह से पिछले वर्षो से रिश्तों में आयी खटास पर मरहम लगाने और दूसरी तरफ जिले में चल रही गुटबाजी को समाप्त कर समाजवादी संगठन को मजबूत कर २०१९ के लोकसभा चुनाव का लक्ष्य भेदना है। ज्ञातव्य है कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी दंगल में पूर्व पयर्टन मंत्री ओमप्रकाश सिंह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नाराज हो गये थे और उन्होने चाचा शिवपाल के समर्थक होने का चार्ज लगाते हुए ओमप्रकाश सिंह, शादाब फातिमा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया व विजय मिश्रा का सदर विधानसभा से टिकट काट दिया। विधानसभा चुनाव में पूर्व पयर्टन मंत्री ओमप्रकाश सिंह का पार्टी के प्रति वफादारी का लंबा इतिहास देखते हुए उन्हे सपा से टिकट मिल गया लेकिन वह चुनाव हार गये। चुनाव हारने के बाद ओमप्रकाश सिंह अपनी खोई हुई विरासत को पाने के लिए दिन-रात एक कर पुराने रिश्तों से गिले-शिकवे भूलकर एक बार फिर समाजवादी परचम लहराने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगाकर कार्य कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में आने के बाद सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव को भी ओमप्रकाश सिंह के पार्टी के प्रति निष्ठा का प्रमाण मिला और धीरे-धीरे दोनों में रिश्ते सुधरने लगे। स्वयं अखिलेश यादव ने कई बार बड़े कार्यक्रमों में पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह को संबोधन के लिए कहा। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी यह जानते हैं कि लोकसभा २०१९ का लक्ष्य बहुत कठीन है, उनके दोनों राजनीतिक प्रतिद्वंदी भाजपा और बसपा की शक्ति दिन पर दिन बढ़ रही है। उनसे चुनाव में मुकाबला करना बहुत कठिन कार्य है। पार्टी में गुटबाजी रहते हुए अपने प्रतिद्वंदियों को पराजित करा असंभव है। अखिलश यादव ने कार्यक्रम में आने की स्वीकृति देकर यह संदेश दिया है कि सपा में कोई गुटबाजी नही है, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह सपा के सच्चे सिपाही हैं। मुलायम सिंह की तरह हम भी ओमप्रकाश सिंह के हर सुख-दुख में खड़े हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ११ बजे लखनऊ से हवाई जहाज से चलेंगे। १२:१० पर अंधऊ हवाई अड्डा पर पहुंचेंगे। चर्चित ताड़ीघाट-बारा मार्ग से सेवराई पहुंचेंगे। यह वही मार्ग है जिसको अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्री काल में इस राजमार्ग की स्वीकृति दी थी। लेकिन उनके नाराजगी के कारण आज राजमार्ग आधा-अधूरा पड़ा है।
आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से शशिकला को फिर झटका लगा. दरअसल, शशिकला ने सरेंडर करने के लिए समय मांगा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. कोर्ट का कहना है कि उन्हें आज ही सरेंडर करना होगा. इसके बाद शशिकला बेंगलुरु के लिए निकलीं. रास्ते में वह जयललिता की समाधि पर पहुंचीं और माथा टेका. इसके बाद शशिकला एमजीआर के मेमोरियल पर पहुंचीं. इससे पूर्व देर रात शशिकला गोल्डन रिसॉर्ट से अपने घर पोएस गार्डन लौट आईं. फैसला आने के बाद देर रात वह पहली बार जनता के सामने आईं. शशिकला ने भावुक संबोधन में कहा कि अगर वह जेल भी चली जाएं तो भी उनके विचार पार्टी के साथ ही रहेंगे।
लखनऊ। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा सफाई मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई। एनजीटी ने कहा कि प्रदेश सरकार राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करना बंद करे और गंगा की सफाई के लिए ठोस कदम उठाए। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने इस मामले पर गुरुवार तक के लिए सुनवाई टाल दी है। गौरतलब है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत बेहतर समन्वय और निरीक्षण से विभिन्न परियोजनाओं के जल्दी ही पूरा होने की उम्मीद जगी थी। केंद्र सरकार ने गंगा की सफाई और इसकी सुरक्षा के प्रयासों की शुरूआत के मकसद से मई २०१५ में नमामि गंगे कार्यक्रम को मंजूरी दी थी। २०१५ से २०२० तक के पांच वर्षों के लिए इसका बजट २० हजार करोड़ रुपये का था।
मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे उन्मुक्त, छुटपुट, और लेख लिखता हूं। उन्मुक्त, ब्लौगर डौट कौम पर है। छुटपुट और लेख वर्ड-प्रेस पर हैं। छुटपुट मे इस दुनिया मे और लोग क्या कह रहें हैं मेरी टिप्पणी के साथ रहता है। उन्मुक्त में मेरे विचार हैं पर यह अक्सर कड़ियों मे रहते हैं। किसी भी विचार पर लिखने के पहले मैं रूप रेखा तो बना लेता हूं पर लिखता कड़ियों में ही हूं। एक साथ लिखना मुशकिल रहता है; कड़ियों मे लिखने मे आसानी होती है पर पढ़ने मे यदि विचार एक साथ एक जगह हों तो अच्छे लगते हैं। यह काम मैं अपने तीसरे चिट्ठे लेख पर करता हूं। मैने ऐसा सोचा था कि यदि उस विषय पर कुछ नया आये तो उंमुक्त में कड़ियों पर जोड़ने की बजाय उसे लेख की चिट्ठी पर ही जोड़ा जाय ताकि उस विषय पर एक जगह पूरी जानकारी भी रहे। लेख चिट्ठे पर इनकी पी.डी.एफ. फाईल भी है, उसे आप चाहें तो डाउनलोड कर सकते हैं। मेरे लेख चिट्ठे पर एक दिन मितुल पटेल जी ने टिप्पणी करके पूछा, कि क्या वह मेरे लेखों को हिन्दी वीकिपीडिया में डाल सकते हैं। सच तो यह है कि उन्हे इस तरह की कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि मेरे तीनो चिट्ठों की चिट्ठियां या बकबक पर पॉडकास्ट कॉपी-लेफ्टेड हैं। किसी को भी इनका किसी प्रकार से प्रयोग करना, या संशोधन करना, या संशोधन करके प्रयोग करने की स्वतंत्रता है। यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे देते हैं या उस चिट्ठी से लिंक देते हैं तो मुझे प्रसन्नता होगी, यदि नहीं देते हैं तो भी कोई बात नहीं। मेरा मक्सद, अपनी बात सामने लाने का है, चाहे इसका माध्यम मैं बनू या कोई और; चाहे इसका श्रेय मुझे मिले या किसी और को। यह बात अलग है कि किसी ने मेरे लेख को अपना लेख नहीं कहा मितुल जी ने यह सब होते हुए भी मुझसे पूछा तो अच्छा लगा। कम से कम किसी को तो मेरे विचार, मेरे लेख पसन्द आये वरना मेरी चिट्ठियों पर यह बात इनसे ज्यादा मुझ पर लागू होती है। मितुल जी ने मेरी लेख पर लिखी लिनक्स की कहानी वाली चिट्ठी हिन्दी वीकिपीडिया पर डाली। इस बीच उनके और मेरे बीच ईमेल का आदान-प्रदान भी हुआ। वे हिन्दी वीकिपीडिया के प्रबन्ध से नहीं जुड़े हैं पर उसमें लेख लिखते हैं। उन्होने मुझे प्रेरित किया कि मैं हिन्दी वीकिपीडिया में लिखूं। मितुल जी ने एक लेख हिन्दी वीकिपीडिया के बारे में यहां लिखा है जिसमें उन्होने हम सबसे हिन्दी वीकिपीडिया पर लिखने के लिये प्रार्थना की है। मैने हिन्दी वीकिपीडिया पर अपने लेख डाले हैं और यह कर के मुझे अच्छा लगा। आप भी करें आपको भी अच्छा लगेगा। मैने लेख चिट्ठे की ओपेन सोर्स सॉफ्टवेर वाली चिट्ठी हिन्दी वीकिपीडिया पर डाली। इसमें एक चित्र भी है। उसे भी अपलोड करके रखा पर वह बहुत बड़ा था, देखने में भद्दा लग रहा था। मैं चाह कर भी उसे छोटा नहीं कर पाया वह शायद इसलिये कि मासाब की पाठशाला ठीक से नहीं जाता हूं पर अब जाऊंगा। कुछ दिनो बाद जब उस लेख पर पुनः गया तो देखा कि किसी ने उसे एकदम ठीक कर दिया है और वह बहुत सुन्दर लग रहा है। मेरे विद्यार्थी जीवन मैं नया दौर पिक्चर आयी थी उसका यह गाना याद आया, साथी हांथ बढ़ाना, साथी रे, मिल कर बोझ उठाना। सच यदि हम सब चिट्ठेकार बन्धु, तो बन सकती है हिन्दी वीकिपीडिया सुंदर। नया दौर पिक्चर के गाने को यदि आप सुनना चाहें तो आप इसे यहां सुन सकते हैं।
आज शुक्रवार है, यानी एक बार फिर शाओमी के तीनों बजट स्मार्टफोन प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध होंगे। शाओमी रेडमी ४ए, रेडमी ४ और रेडमी नोट ४ की प्री-बुकिंग मीडॉटकॉम के जरिए १२ बजे की जा सकेगी। चीनी स्मार्टफोन निर्माता हर सप्ताह इन तीनों फोन को प्री-बुकिंग के लिए उपलब्ध कराती है। बता दें कि कंपनी ने प्री-ऑर्डर व्यवस्था की शुरुआत कुछ महीने पहले ही की थी। दरअसल, इस प्रक्रिया के जरिए ग्राहकों को हर सप्ताह होने वाली फ्लैश सेल में कतार में लगे बिना ही स्मार्टफोन खरीदने की गारंटी दी जाती है। इसके अलावा रेडमी नोट ४ भी आज दोपहर १२ बजे फ्लिपकार्ट पर मिलेगा।
विडियो: बड़ा सा हॉल, कुछ लड़कियां, और शुरू हुआ उत्तेजक डांस, देख कर पसीना आ जाएगा ! नई दिल्ली(रिपोर्ट अड्डा): सोशल मीडिया के खजानेसे आज हम आपके लिए लाए हैं एक शानदार वीडियो। इसे देख कर आपके पसीने निकल जाएंगे। जी हां अगर यकीन न हो तो आप वीडियो देख लें। पहले आपको बताते हैं कि ये वीडियो कहां का है और इस में ऐसा क्या है। ये वीडियो लड़कियों की पावर का सबूत है। जो लोग कहते हैं कि लड़कियां लड़कों से किसी मायने में कम हैं, उनको ये वीडियो देखना चाहिए। खास तौर पर डांस के मामले में तो लड़कियों का कोई मुकाबला ही नहीं है। इस वीडियो में दिल्ली की कुछ लड़कियां अपने डांस मूव्स से लोगों को चौंका रही हैं. बिंदास और मस्त हो कर डांस कर रही हैं। उनके डांस को देख कर आप भी नाचने प मजबूर हो जाएंगे। ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रखा है। इसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है। हमारा कहना है कि आप ने इस से पहले दिल्ली की लड़कियों का इतना बोल्ड और बिंदास डांस नहीं देखा होगा। इस वीडियो में सबकी निगाहें खास तौर पर एक लड़की पर टिक जाती हैं. वो लड़की शॉर्ट्स पहन कर डांस कर रही है। बेहद ही बिंदास तरीके से वो नाच रही है। उसके मुकाबले दूसरी लड़कियां फीकी दिखाई दे रही हैं।
बात उस समय की है, जब लाल बहादुर शास्त्री मुगलसराय के स्कूल में पढ़ते थे। तब उनका नाम लाल बहादुर वर्मा लिखा जाता था। उन्हें नाम के साथ सरनेम लगाना पसंद नहीं था। उन्होंने स्कूल जाने की उम्र में ही निश्चय कर लिया कि अपने नाम के आगे से वर्मा हटवाएंगे। यह बात उन्होंने घर में अपने माता-पिता व अन्य सदस्यों को बताई। घर के सदस्यों ने लाल बहादुर की इच्छा पर कोई आपत्ति नहीं जताई। अगले दिन लाल बहादुर अपने साथ परिवार के एक सदस्य को लेकर स्कूल पहुंचे और उनके जरिए हैड मास्टर के पास अपना निवेदन पहुंचाया कि उन्हें लाल बहादुर वर्मा न कह कर सिर्फ लाल बहादुर बुलाया जाए। निवेदन सुनकर हैड मास्टर साहब ने लाल बहादुर से ही पूछा, ''बेटे तुम ऐसा क्यों चाहते हो?" उनके पास जवाब तैयार था। तुरंत बोले, ''सर मेरा मानना है कि हर इंसान की पहचान उसके काम और नाम से होनी चाहिए, सरनेम से नहीं। सरनेम व्यक्ति की जाति और धर्म का बोध कराता है और मुझे यह बात अच्छी नहीं लगती।" छोटे से बालक की यह बात सुनकर हैड मास्टर काफी प्रभावित हुए। हैड मास्टर का खुद का नाम वसंत लाल वर्मा था मगर लाल बहादुर के विचारों का सम्मान करते हुए उन्होंने उनके नाम के आगे से वर्मा सरनेम हटा दिया। इसके बाद उन्हें लाल बहादुर कह कर पुकारा जाने लगा। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद जब १९२५ में लाल बहादुर ने काशी विद्यापीठ वाराणसी से 'शास्त्री' की डिग्री प्राप्त की, तो उसके बाद उन्होंने अपना पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री बताना और लिखना प्रारंभ किया। शास्त्री की यह पहचान उनके सरनेम से नहीं बल्कि उनकी अर्जित की गई शिक्षा से बनी थी।
- अब अस्पतालों से दवाओं के बिना नहीं लौटेंगे मरीज, म्हू न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें। मऊ। दवाओं के अभाव से झेल रहे मरीजों को अब राहत मिलने वाली है। शासन के आदेश के बाद जिला स्तर से दवाओें की खरीदारी के लिए कंपनियोें को प्रस्ताव भेज दिया गया है। बजट भी स्वीकृत हो गया है। लेकिन अभी तक दवाओं के नहीं होने का दंश मरीजों को झेलना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में अभी तक जीवन रक्षक दवाएं और दर्द निवारक दवाओं का टोटा बना हुआ है। शीघ्र ही दवाओं की उपलब्धता की उम्मीद जताई गई है। जिले में सरकारी अस्पतालोें में गरीब मरीजों के साथ-साथ सभी को दवाआें केे लिए मेडिकल स्टोर पर नहीं जाना पड़ेगा। शासन के निर्देश के तहत जिले स्तर से दवाओं की खरीदारी की जाने लगी है। तीन माह का बजट मिलने के साथ ही दवाओं की खरीदारी के लिए कंपनियों को प्रस्ताव भेज दिया गया है। २५ लाख की दवाओं की खरीद के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी के यहां से भेजा गया है। जिला अस्पताल से ही लगभग इतना ही बजट की दवा खरीद की जाने वाली है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. प्रभाकर पांडेय का कहना है कि शीघ्र ही दवाएं उपलब्ध हो जाएंगी।
पहले इस फिल्म का ट्रेलर पंजाबी भाषा में डब किया गया, जिसे अच्छा रेस्पांस मिला। पंजाबी वर्शन को दलजीत दोशांज ने लांच किया, तो फिल्म में अहम भूमिका निभा रहे रितेश देशमुख ने इसके मराठी वर्शन को लांच किया। अब फिल्म के ट्रेलर का मराठी वर्शन रिलीज किया गया है। टीम के मुताबिक, आने वाले वक्त में अंग्रेजी, हरियाणवी, गुजराती और बंगाली वर्शन में भी टोटल धमाल के ट्रेलर लांच किए जा सकते हैं। धमाल सीरिज की इस तीसरी फिल्म में अजय देवगन, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित के अलावा पुरानी धमाल टीम से जावेद जाफरी, रितेश देशमुख और अरशद वारसी के साथ साथ संजय मिश्रा, जानी लीवर और महेश मांजरेकर भी इस फिल्म का हिस्सा हैं। अजय देवगन हीरो होने के नाते इस फिल्म के निर्माण साझेदार भी हैं।
इन ३ राशि वाले लोगों को भूलकर भी नहीं पहननी चाहिए सोने की अंगूठी, आती है गरीबी व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख का समय चलता रहता है। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो हमेशा सुखी रहे। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बुरा वक्त जरूर आता है। जिसे टालने के लिए लोग अनेक टोने- टोटके और उपाय भी करते है। ज्योतिषशास्त्र का सहारा लेते है। ज्योतिष शास्त्र हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन में सफलता पाने के लिए बहुत से लोग ज्योतिष शास्त्र के नियमों के अनुसार सोने की अंगूठी पहनते हैं। जबकि कुछ लोग केवल शौक के लिए ही सोने की अंगूठी पहनते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बहुत से लोगों के लिए सोने की अंगूठी पहनना शुभ भी होता है। और सोने की अंगूठी पहनने से जीवन में उन्नति होती है। और बड़ी-बड़ी सफलताएं मिलती हैं। लेकिन ३ राशि के लोगों के लिए सोने की अंगूठी पहनना अशुभ माना जाता है। और सोने की अंगूठी पहनना इनके दुर्भाग्य का कारण भी बन सकता है। ऐसी तीन राशियां कौनसी है ? आइए जानते है। मेष राशि के लोगों के लिए सोने की अंगूठी पहनना अशुभ माना जाता है। सोने की अंगूठी पहनने से इनका प्रत्येक काम असफल होगा। और हर काम में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। जिससे इनके जीवन में आर्थिक तंगी भी आ सकती है। और परिवार की सुख-समृद्धि और शांति भी कम हो सकती है। कन्या राशि के लोगों को भी सोने की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए। सोने की अंगूठी पहनने से इनकी तरक्की रुक जाएगी। इनका कोई भी काम सफल नहीं होगा। जिससे इनकी धन-दौलत पर असर पड़ेगा। इसके अलावा सोने की अंगूठी पहनने से परिवार के लोगों के साथ और जीवनसाथी के साथ संबंधों पर भी असर पड़ेगा। धनु राशि के लोगों को भी सोने की अंगूठी कभी नहीं पहननी चाहिए। सोने की अंगूठी पहनने से इनके बने हुए काम बिगड़ जाएंगे। जीवनसाथी के साथ रिश्ते में कड़वाहट आएगी। और दूरियां बढ़ेगी। स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ेगा। और आर्थिक नुकसान भी होगा। प्रेवियस आर्टियलये चार राशि की लड़कियां अच्छी पत्नी साबित नहीं होती हैं।कारन जानकार आप चौक जाओगे।
इमरान खान लम्बे समय के बाद फिल्म 'कटती बट्टी' से बड़े परदे पर वापसी कर रहे हैं। पर अब उनका नाम एक नयी कॉन्ट्रोवर्सी में घिर गया है। उन्होंने रणबीर कपूर और उनके बीच ख़राब हुए रिश्तों के लिए राहुल रवैल को ज़िम्मेदार ठहराया है। वहीं रवैल ने उन्हें 'मेंटली चैलेंज' कहा है। मुंबई मिरर को दिए एक इंटरव्यू में जब इमरान से पूछा गया कि क्या उनके और रणबीर के बीच अनबन का कारन राहुल रवैल है? तो इमरान ने कहा, "क्या राहुल रवैल अभी भी है?" राहुल ने इस पर ट्विटर पर लिखा, " इमरान खान इन मुंबई मिरर। इस राहुल रवैल स्टिल अराउंड? इस 'मेंटली चैलेंज' पर्सन के साथ मेरी सिम्पथी है।" उनके भतीजे ने फेसबुक पर लिखा, "इमरान खान को आज अपनी पोजीशन पता होना चाहिए। आज उसने ज़्यादा मुझे लीड में ली हुई फिल्म चलेंगी। अब वो कंगना पर निर्भर। इमरान खान आज किसी के लिए फ्री में महँगा है।" ये फ़िल्में सबूत हैं कि अजय देवगन दिवाली क्लैश के बादशाह हैं! अपनी फ़िल्म के क्लैश से पहले एक दूसरे से मिले अजय देवगन और आमिर खान!
यह बात सभी को पता है कि फिल्म फिल्लौरी में अनुष्का शर्मा एक प्यारी और दोस्ताना भूतनी शशि का किरादर निभा रही हैं। खैर जबसे ट्रेलर लॉन्च हुआ है तभी से अनुष्का अपने किरदार को लेकर सोशल मीडिया पर क्यूट से जोक्स पोस्ट कर रही हैं। इसके अलावा जिस क्यूट भूतनी का इंतजार सभी को है वो आजकल हर जगह नजर आ रही है। अपने फिल्लौरी के प्रमोशन से ब्रेक लेकर अनुष्का हाल ही में भोपाल गईं। जहां उन्हें संजय दत्त की बायोपिक के लिए शूटिंग करनी थी। संजय दत्त का किरदार निभा रहे रणबीर कपूर अपनी पुरानी दोस्त को देखकर काफी खुश हुए। दोनों ने करण जौहर की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल में साथ काम किया था। वहीं दत्त पर बन रही बोयोपिक को राजकुामर हीरानी डायरेक्ट कर रहे हैं। रणबीर ने अपनी दोस्त अनुष्का पर एक प्रैंक करने का निर्णय लिया। रणबीर और उनकी टीम भोपाल के जेहान नुमा पैलेस में ठहरी हुई है। वहां पहुंचने वाली अनुष्का आखिरी शख्स थीं। इसी वजह से रणबीर और उनकी टीम ने अनुष्का को डराने के लिए काफी कहानियां गढ़ी। एक सूत्र ने एंटरटेनमेंट पोर्टल को बताया- जब अनुष्का पहुंची, रणबीर और उनकी टीम अपनी भूतहा कहानियों के साथ तैयार थे। उन्होंने अनुष्का को बताया कि यह होटल भुतहा है और हमें जितनी जल्दी हो सके इसे छोड़ देना चाहिए। हालांकि अनुष्का तो अनुष्का हैं उन्हें प्लान का पता चल गया और उनकी पोल खुल गई। एक्ट्रेस को अहसास हुआ कि सभी उनके किरदार का मजाक बना रहे थे। वहीं रणबीर कपूर पूरी तरह से संजय दत्त के किरदार में फिट होने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बाल और १३ किलो वजन बढ़ा लिया है। कुछ दिनों पहले ही शूटिंग से उनका लुक लीक हुआ था। उनकी बॉडी लैंग्वेज से लेकर पर्सनैलिटी बिल्कुल संजय दत्त के शुरुआती दिनों की तरह लग रही है। सोशल मीडिया पर फैल रही ये फोटो इस बात का सबूत है। इन फोटोज में वो सीन दिखाया गया है जब १९९३ में संजय जेल में एंट्री कर रहे हैं। यह वही समय था जब उनकी फिल्म खलनायक बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल हुई थी।
- विद्युत कटौती से बेहाल हैं न्यौतनी के बाशिंदे, उन्नाओ न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें। न्यौतनी (उन्नाव)। नगर में हो रही बिजली की अंधाधुंध कटौती से उमस भरी गर्मी में नगर वासियों को भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। नगरवासियों को दो दिन से बिजली के दर्शन नहीं हुए हैं। इससे नगर में गर्मी में पानी की किल्लत उत्पन्न हो गई है। भीषण गर्मी में बिजली के साथ पानी न आने से लोग तिलमिला उठे हैं। परंतु बिजली विभाग व नगर पंचायत विभाग सोया नजर आ रहा है। नगर पंचायत न्यौतनी में पानी की सप्लाई करने के लिए जनरेटर की व्यवस्था है। लेकिन कई-कई दिन तक बिजली न आने पर भी जनरेटर चलाकर पानी की सप्लाई नहीं की जाती है। मंगलवार से बिजली की सप्लाई नहीं की गई। इससे नगर में पानी की आपूर्ति दो दिन से ठप है। नगर में बिजली व पानी की आपूर्ति न किए जाने से नगर वासियों में आक्रोश व्याप्त है। नगर को सप्ताह भर दिन व सप्ताह भर रात में बिजली की आपूर्ति किए जाने का रोस्टर चलाया जा रहा है। भीषण उमस भरी गर्मी में बिजली व पानी की सप्लाई न किया जाना आग में घी का काम कर रहा है। नगर के हरिहर चौरसिया, प्रदीप, कमलेश, अलम, जावेद, ताहिर, सुरेंद्र, मिश्रीलाल आदि लोगों ने पानी व बिजली आपूर्ति किए जाने की मांग उठाई है।
नई दिल्ली, विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने सोमवार को औपचारिक रूप से संसद भवन में भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस दौरान भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद थे। फिलहाल वह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। संभावना जताई जा रही है कि भाजपा उन्हें दक्षिण भारत के किसी राज्य से राज्यसभा में भेजेंगे। सुब्रमण्यम जयशंकर को यह महत्वपूर्ण दायित्व उस समय दिया गया है जब करीब १६ महीने पहले ही वे विदेश सेवा से सेवानिवृत हुए हैं। ६४ वर्षीय जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं। देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे। इस समझौते के लिए २००५ में शुरूआत हुयी थी और २००७ में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। जनवरी २०१५ में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी। जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं। १९७७ बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं। ६४ वर्षीय जयशंकर जनवरी २०१५ से जनवरी २०१८ तक विदेश सचिव रहे हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई देश के प्रसिद्ध जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से की।
विटामिन डी हमारे लिए बहुत ही जरूरी विटामिन है। यह विटामिन हमारे पूरे शरीर को मजबूती प्रदान करता है , यह एक फैट सॉल्युबल विटामिन है यह मसल्स को मजबूत बनाकर रखता है जिसके वजह से शारीरिक अंग सुचारु रूप से सही से कार्य करता है इसकी कमी के वजह से चलने फिरने में दिक्क्त महसूस होने लगती है। जब कोई कार्य करने पर थकान और एनर्जी में कमी जैसा प्रतीत हो तो हमें डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। आज कल की आराम दायक दिनचर्या और पर्याप्त धुप का न लेना भी इसका मुख्य कारण है। पहले तो ये समस्या ज्यादा तर अधिक उम्र के लोगो में पायी जाती थी लेकिन आज कल यह समस्या युवाओं में भी ज्यादा तर पायी जाने लगी है। खासकर उन युवाओं में ज्यादा जो धुप में कम निकलते है। इसके आलावा कभी-कभी यह समस्या अन्य दूसरे कारणो से भी होती है। विटामिन डी का कार्य हमारे शरीर में मौजूद कैल्शियम,मैग्नीशियम को सुचारु रूप से कार्य करने में मदत करता है। यह हमारे इम्युनिटी पॉवर को भी बढ़ाता है औरमानव प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है जिसके वजह से रोगो से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।इसके साथ यह नर्व को सुचारु रूप से सही रखने में मदत करती है। विटामिन डी की कमी से आपको ये समस्याएं पैदा हो सकती है या ये समस्याएं नजर आये तो आप डॉक्टर की सलाह ले सकते है। विटामिन डी का स्तर ज्यादा दिन तक कम बना रहे तो आपकी हड्डियाँ कमजोर हो सकती है,और इसके साथ हड्डियों में दर्द बना रह सकता है और ज्यादा वजन सामान उठाने में समस्या पैदा हो सकती है। हड्डियों की छमता में कमी आ जाती है और चोट लगने पर फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। घुटनों और जोड़ो में दर्द होने लगता है। इसकी कमी की वजह से थकान की समस्या होना स्वाभाविक है विटामिन डी की कमी का मुख्य प्रभाव मसल्स पर पड़ता है जिसके वजह से शरीर बिल्कुल कमजोर पड़ जाता है जब हम कोई कार्य करते है तो एनर्जी लेवल न के बराबर होता है। विटामिन डी की कमी के वजह से डिप्रेसन की समस्या बढ़ जाती है।शरीर में हमेसा आलस्य बना रहता है इसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है जिसके वजह से हमारे माइंड में हार्मोनल बदलाव होते है।जिसके वजह से डिप्रेस रहना मुख्य कारण है। अगर विटामिन डी का स्तर बहुत ही ज्यादा कम हो तो सरियस प्रॉबब्लेम हो सकती है। आपको चलने फिरने के साथ साथ जब आप देखते है तो आपके आँखों से हल्का धुआँ या कुहरा जैसा दिखाई देता है और मूड अपसेट रहता है लेकिन यह तभी होता है जब आपका विटामिन डी का स्तर बहुत ही कम हो। विटामिन डी की कमी के वजह से ब्लड प्रेसर पर असर पड़ सकता है। इसका मुख्य कारण मसल्स का कमजोर होना है जिसके वजह से नर्व प्रॉपर और सुचारु रूप से कार्य नहीं कर पाता जिसका सीधा असर ब्लड प्रेसर पर पड़ता है क्योकि ब्लड को सुचारु रूप सेसंचालित करने वाली धमनिया कमजोर हो जाती है। विटामिन डी की कमी से साँस लेने भी दिक्कत महसूस होती है। कभी-कभी घुटन जैसा भी महसूस होता है अगर हम सही समय पर डाक्टर की मदत से विटामिन डी का खुराक ले तो इन सभी समस्याओं से निजात मिल सकती है। विटामिन डी कमी से कैंसर की भी समस्या पैदा हो सकती है क्योकि नई कोशिकाओं का निर्माण सही से नहीं हो पाता जिसके वजह से इसकी संभावना ज्यादा हो जाती है। विटामिन डी का स्तर कम होने के बहुत सारे कारण है जिसमे से कुछ निम्न कारण इस प्रकार है। ज्यादा समय तक घरो मेंअंदर रहना बाहर न निकलना, जिसके वजह से पर्याप्त धुप नहीं मिल पाती और धीरे धीरे विटामिन डी का लेवल कम होने लगता है। यह विटामिन एग योल्क ,मीट में पाया जाता है। कुछ कास में हमारी किडनी विटामिन डी को प्रोड्यूस नहीं कर पाती है जिसके वजह से विटामिन डी की समस्या हो सकती है। इसका मुख्य कारण मोटापा का होना है लेकिन ज्यादा तर यह तभी होता है जब आपका वजन एकाएक बड़े तो विटामिन डी की कमी हो सकती है। किडनी में पथरी बनने के वजह से आप के विटामिन डी स्तर में कमी आ सकती है लेकिन यह तभी होता है ,जब पथरी काफी लम्बे समय तक बना रहे। इसका मुख्य कारण कैल्शियम ऑक्सलेट का होना है जिसके वजह से किडनी स्टोन की समस्या होती है। विटामिन डी की कमी से सर्वाइकल की भी समस्या हो सकती है। विटामिन डी का सबसे प्रमुख स्रोत धुप है इसे सन साइन विटामिन भी कहा जाता है इसमें भरपुर मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है। सुबह की ताज़ी धुप लेने से विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है। दुध और इससे बने डेयरी प्रोडक्ट जैसे मख्खन ,पनीर में विटामिन डी पाया जाता है कुछ हद तक विटामिन डी की समस्या पूरी की जा सकती है। अंडे में विटामिन डी पाया जाता है जो हमारे हेल्थ की दृष्टि से लाभ दायक है इसको अपने आहार में शामिल करके विटामिन डी की कमी को पूरा कर सकते है। विटामिन डी की कमी को पिल्स के माधयम से डाक्टर के सलाह अनुसार ले सकते है। १००० /ईऊ और २५००० /ईऊ के दोसेज भी आते है। विटामिन ड ग्रेन्युअल्स में भी आता है जो बाजार में आसानी से मिल जाता है।
यह खंड वर्णन करता है कि बैश अपनी स्टार्टअप फ़ाइलों को कैसे निष्पादित करता है। अगर कोई भी फाइल मौजूद है लेकिन पढ़ा नहीं जा सकता है, तो बैश एक त्रुटि रिपोर्ट करता है। टिल्डे विस्तार के तहत ऊपर वर्णित अनुसार फ़ाइल नामों में टिल्ड्स का विस्तार किया जाता है (टिल्डे विस्तार देखें)। इंटरेक्टिव शैल इंटरेक्टिव शैल में वर्णित हैं। जब बैश को इंटरेक्टिव लॉगिन शेल के रूप में बुलाया जाता है, या --लोगीन विकल्प के साथ एक गैर-इंटरैक्टिव खोल के रूप में, यह फ़ाइल मौजूद है, तो यह फ़ाइल / एट / प्रोफाइले से कमांड को पढ़ता है और निष्पादित करता है। उस फ़ाइल को पढ़ने के बाद, यह उस क्रम में ~ / .बाश_प्रोफाइले , ~ / .बाश_लोगीन , और ~ /प्रोफाइले की तलाश करता है , और मौजूद पहले से कमांड को पढ़ता है और निष्पादित करता है और पठनीय है। जब इस व्यवहार को रोकने के लिए खोल शुरू हो जाती है तो --नोप्रोफाइले विकल्प का उपयोग किया जा सकता है। जब एक इंटरैक्टिव लॉगिन खोल निकलता है, या एक गैर-इंटरैक्टिव लॉगिन खोल एक्सित निर्मित कमांड निष्पादित करता है, तो बैश फ़ाइल / / .बाश_लोगोंट से कमांड को पढ़ता है और निष्पादित करता है, यदि यह मौजूद है। जब एक इंटरैक्टिव खोल जो लॉगिन शेल नहीं है, तो बैश ~ / .बशर्क से कमांड को पढ़ता है और निष्पादित करता है, अगर वह फ़ाइल मौजूद है। यह --नोर्क विकल्प का उपयोग करके अवरुद्ध हो सकता है। --रैफाइले फ़ाइल विकल्प बैश को ~ / .बशर्क की बजाय फ़ाइल से कमांड को पढ़ने और निष्पादित करने के लिए मजबूर करेगा। लेकिन पथ चर का मान फ़ाइल नाम की खोज के लिए उपयोग नहीं किया जाता है। जैसा ऊपर बताया गया है, यदि --लोगीन विकल्प के साथ एक गैर-इंटरैक्टिव खोल लागू किया जाता है, तो बैश लॉगिन खोल स्टार्टअप फ़ाइलों से कमांड को पढ़ने और निष्पादित करने का प्रयास करता है। यदि बैश को नाम श साथ बुलाया जाता है, तो यह संभवतः जितना संभव हो सके श के ऐतिहासिक संस्करणों के स्टार्टअप व्यवहार की नकल करने की कोशिश करता है, जबकि पॉसिक्स मानक के अनुरूप भी। जब एक इंटरैक्टिव लॉगिन खोल के रूप में या --लोगीन विकल्प के साथ एक गैर-इंटरैक्टिव खोल के रूप में बुलाया जाता है, तो यह पहले उस क्रम में / एट / प्रोफाइले और ~ / प्रोफाइले से आदेशों को पढ़ने और निष्पादित करने का प्रयास करता है। इस व्यवहार को रोकने के लिए --नोप्रोफाइले विकल्प का उपयोग किया जा सकता है। नाम श साथ एक इंटरैक्टिव खोल के रूप में श , बैश वैरिएबल एंव , अगर इसे परिभाषित किया जाता है तो इसका मूल्य बढ़ाता है, और विस्तारित मान को फ़ाइल के नाम के रूप में पढ़ने और निष्पादित करने के लिए उपयोग करता है। चूंकि श रूप में बुलाया गया खोल किसी भी अन्य स्टार्टअप फ़ाइलों से कमांड को पढ़ने और निष्पादित करने का प्रयास नहीं करता है, तो --रैफाइले विकल्प का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। नाम श साथ बुलाया गया एक गैर-इंटरैक्टिव खोल किसी अन्य स्टार्टअप फ़ाइलों को पढ़ने का प्रयास नहीं करता है। श के रूप में श , स्टार्टअप फ़ाइलों को पढ़ने के बाद बैश पॉसिक्स मोड में प्रवेश करता है। जब पॉसिक्स मोड में बैश प्रारंभ होता है, जैसा कि --पॉसिक्स कमांड लाइन विकल्प के साथ, यह स्टार्टअप फ़ाइलों के लिए पॉसिक्स मानक का पालन करता है। इस मोड में, इंटरैक्टिव शैल एंव चर का विस्तार करते हैं और कमांड को उस फ़ाइल से पढ़ और निष्पादित किया जाता है जिसका नाम विस्तारित मान है। कोई अन्य स्टार्टअप फाइलें पढ़ी नहीं जाती हैं। बैश यह निर्धारित करने का प्रयास करता है कि यह नेटवर्क कनेक्शन से जुड़े अपने मानक इनपुट के साथ कब चल रहा है, जब रिमोट शैल र्श्ड द्वारा निष्पादित किया जाता है, आमतौर पर र्श्ड , या सुरक्षित खोल र्श्ड स्श्ड । यदि बैश निर्धारित करता है कि यह इस फैशन में चल रहा है, तो यह ~ / .बशर्क से कमांड को पढ़ता है और निष्पादित करता है, अगर वह फ़ाइल मौजूद है और पठनीय है। यदि यह श रूप में बुलाया जाता है तो यह ऐसा नहीं करेगा। --नोर्क विकल्प का उपयोग इस व्यवहार को बाधित करने के लिए किया जा सकता है, और --रैफाइले विकल्प का उपयोग किसी अन्य फ़ाइल को पढ़ने के लिए मजबूर करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन न तो र्श्ड और न ही स्श्ड आम तौर पर उन विकल्पों के साथ खोल का आह्वान करता है या उन्हें निर्दिष्ट करने की अनुमति देता है। यदि प्रभावी उपयोगकर्ता (समूह) आईडी के साथ बैश प्रारंभ किया गया है तो वास्तविक उपयोगकर्ता (समूह) आईडी के बराबर नहीं है, और -प विकल्प प्रदान नहीं किया जाता है, कोई स्टार्टअप फ़ाइलें नहीं पढ़ी जाती हैं, शैल फ़ंक्शन पर्यावरण से शेल्लप्ट्स , शेल्लप्ट्स , बशॉप्ट्स , चपथ , और ग्लोबिग्नोर चर, यदि वे पर्यावरण में दिखाई देते हैं, तो उन्हें अनदेखा कर दिया जाता है, और प्रभावी उपयोगकर्ता आईडी वास्तविक उपयोगकर्ता आईडी पर सेट होती है। यदि -प विकल्प को आमंत्रण पर आपूर्ति की जाती है, तो स्टार्टअप व्यवहार समान होता है, लेकिन प्रभावी उपयोगकर्ता आईडी रीसेट नहीं होती है।
रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। जिसके रमदान भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय में रमज़ान के महीने को बहुत पवित्र माना जाता है। और सभी मुस्लिम इस दौरान उपवास रखते हैं जिन्हे रोज़ा कहते हैं। रमज़ान के महीने में रोज़ा रखना बहुत पाक माना जाता है। मुस्लिम के विश्वास के अनुसार, रमज़ान महीने की २७ वीं रात्रि शब-ए-क़द्र को कुरान का अवतरण हुआ था। इसलिए इस महीने में क़ुरान पढ़ना सबसे शुभ होता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर क़ुरान का पाठ किया जाता है। जिन्हे क़ुरान पढ़ना नहीं आता उन्हें क़ुरान सुनने का अवकाश मिल जाता है। रमज़ान का महीना २९ या ३० दिन का होता है। इस पुरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग उपवास रखते हैं। अरबी में उपवास को सौम कहा जाता है। इस माह को माह-ए-सियाम भी कहते हैं। फ़ारसी में इसे रोज़ा कहा जाता है। रोज़ा रखने वाले, सूर्योदय से पहले कुछ खाते हैं जिसे सहरी कहते हैं और उसके बाद पुरे दिन भर कुछ भी खाया पिया नहीं जाता। शाम को सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोला जाता है जिसे इफ्तारी कहते हैं। इस पुरे माह अधिकतर मुस्लिम रोज़े (उपवास) रखते है। रमज़ान के दौरान रात में तरावीह की नमाज़ पढ़ीं जाती है। क़ुरान तिलावत (पारायण) करना। एतेकाफ़ बैठना, यानी गांवों और लोगों के भले और कल्याण के लिए अल्लाह से दुआ करते हुए मौन व्रत रखना। दान धर्म करना। अल्लाह का शुक्र अदा करना। अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इस महीने के खत्म होने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फ़ित्र मनाई जाती है। रमज़ान के पुरे महीने में पुण्य कार्य करने को कहा जाता है। इसीलिए इस महीने को नेकियों और इबादतों का मास माना जाता है। रमजान को नेकियों और पुण्यकर्मों का मौसम-ए-बहार कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करते है। अपने अल्लाह को प्रसन्न करने के लिए इस दौरान उपासना के साथ-साथ , क़ुरान परायण और दान धर्म भी किया जाता है। यह महिना गरीबों और जरुरतमंदों के साथ हमदर्दी का है। इस महीने में रोजादार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ़ हो जाते है। यदि गुंजाईश न हो तो एक खजूर या पानी से ही इफ्तार कराया जा सकता है। रमज़ान का महिना मुस्तहिक लोगों की मदद करने के लिए जाना जाता है। रमज़ान के ताल्लुक से बेशुमार हदीसें मिलती है। पढ़ा और सुना भी जाता है और लोग इस पर अमल भी करते है। अल्लाह की राह में कंजूसी नहीं बरतनी चाहिए। अल्लाह के लिए खर्च करना अफज़ल है। गरीब चाहे अन्य धर्म के ही क्यों न हो, उनकी मदद करने की शिक्षा क़ुरान में दी गयी है। दूसरों के काम आना भी इबादत ही समझी जाती है। ज़कात, सदक़ा, फित्रा, खैर-खैरात, गरीबों की मदद, दोस्त अहबाब में जो जरूरतमंद है उनकी मदद करना जरुरी समझा और माना जाता है। दूसरों की जरूरतों को पूरा करना अपने गुनाहों को कम और नेकियों को ज्यादा कर देता है। जो शख्स रोज़े ईमान और एहतेसाब रखे उसके पिछले सभी गुनाह माफ़ कर दिए जाते है। रोज़ा व्यक्ति को जब्ते नब्ज की तरबियत देता है। व्यक्ति में परहेजगारी पैदा करता है।
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बहराइच । जनपद में संचालित हो रही २०वीं पशुगणना को सुव्यवस्थित ढंग से सम्पन्न कराये जाने के उद्देश्य से विगत दिवस विकास भवन सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य विकास अधिकारी राहुल पाण्डेय ने उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, पशुचिकित्साधिकारी, पशुधन प्रसार अधिकारी, वेटनरी फार्मासिस्ट एवं पैरावेट (गणनाकार) को निर्देश दिया कि कार्य को पूरी सूक्ष्मता के साथ करें ताकि विभाग द्वारा बेहतर से बेहतर कार्य योजना तैयार की जा सके। श्री पाण्डेय ने कहा कि त्रुटिरहित आधारभूत आंकड़ों के आधार पर विभाग द्वारा अच्छी योजना तैयार की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस बार की गणना में नस्लवार पशुओं की गणना की जानी है इसलिए आवश्यक है कि गणना कार्य से जुड़े सभी पूरी सावधानी के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करें। बैठक के दौरान मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बलवन्त सिंह ने जानकारी दी कि विभाग द्वारा प्रत्येक ०५ वर्ष पर पशुगणना का कार्य कराया जाता है, जो कि पूर्व मे राजस्व विभाग के माध्यम से कराया जाता था। गणना में पशुओं की नस्लों के चिन्हॉकन में आने वाली कठिनाईओ को देखते हुए प्रथम बार भारत सरकार द्वारा पशु गणना का कार्य पशुपालन विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है। डा. सिंह ने बताया कि जनपद में ०१ दिसम्बर २०18 से पशुगणना का कार्य प्रारम्भ है जो २८ फरवरी २०19 तक संचालित रहेगा। सीवीओ डा. सिंह ने बताया कि जनपद में पशु गणना के कार्य में १४० पैरावेट (गणनाकार्य) ५० सुपरवाईजर तथा ०१ स्कूटनी आफीसर को नामित किया गया है, जिसमें उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, पशुचिकित्साधिकारी, पशुधन प्रसार अधिकारी, वेटनरी फार्मासिस्ट सम्मिलित हैं। उन्होंने बताया कि पशुगणना इस बार टैबलेट के द्वारा गांव मे जाकर की जायेगी और उसी स्थान से डाटा को आनलाइन सबमिट किया जायेगा। डा. सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में ०४ तहसीलों महसी, कैसरगंज, बहराइच एवं नानपारा मे पशुगणना का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। अब तक ५२ पैरावेटों द्वारा ३७०० परिवारों की गणना का कार्य कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि ०२ नई तहसीलों पयागपुर एवं मोतीपुर में अभी कार्य प्रारम्भ नही हुआ है, जिसका भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त होते ही गणना का कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा।
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वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है न्स काटने के लिए शुरू होता है एनएचएस की देखभाल की मांग बढ़ रही है लेकिन प्रति व्यक्ति धन गिर रहा है। इसका मतलब है कि क्लिनिकल कमीशन समूह (कैग्स) - जो अपने स्थानीय क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य सेवा की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार हैं - अपने स्थानीय आबादी की ओर से एनएचएस की देखभाल के लिए भुगतान करने के लिए कम धन प्राप्त कर रहे हैं पुस्तकों को संतुलित करने के लिए, सीसीजी अपने उपचार के बारे में अपने नियमों को कस कर रहे हैं कि कौन उपचार कर सकता है। ये अभी तक आने वाले कई ऐसे निर्णयों में से सबसे पहले हैं निधि की कमी, सीसीजी के पास राशन एनएचएस की देखभाल के लिए कोई विकल्प नहीं है लेकिन क्या यह एकमात्र विकल्प है? ज्यादातर लोगों को शल्य चिकित्सा शीघ्र ही ठीक हो जाती है और बाद में बहुत बेहतर लगती है। लेकिन हर कोई नहीं कुछ रोगियों खेद शल्यक्रिया हो रही है या उनकी उम्मीद की तुलना में ठीक होने में अधिक समय लगता है। यदि वे पहले से जानते थे, तो शायद वे पहले स्थान पर सर्जरी नहीं करते थे। लेकिन वे यह जानकारी कैसे प्राप्त कर सकते हैं? परंपरागत रूप से, रोगियों ने अपने डॉक्टरों पर भरोसा किया है कि वे सर्जरी के बाद कितना बेहतर महसूस करेंगे। लेकिन डॉक्टर वास्तव में नहीं जानते हैं यह इसलिए है, क्योंकि हाल ही में, एनएचएस ने मरीज के बारे में कभी नहीं पूछा है कि उनके ऑपरेशन के बाद वे बेहतर महसूस करते हैं या नहीं। यह २००९ में बदलना शुरू हुआ, जब इंग्लैंड ने राष्ट्रीय रोगी-रिपोर्ट किए गए परिणाम उपायों की शुरुआत की, या प्रोम कार्यक्रम। तब से सभी रोगी हिप प्रतिस्थापन वाले, घुटने के प्रतिस्थापन या जीर्ण हर्निया की मरम्मत के लिए कहा गया है कि उन्हें सर्जरी होने से पहले एक स्वास्थ्य प्रश्नावली भरने के लिए और कुछ महीनों बाद में फिर से कहा गया है। मार्च २०१५ तक, लगभग ८००,००० रोगियों ने उत्तर दिया प्रत्येक रोगी के उत्तर की तुलना करके, हम यह पता कर सकते हैं कि सर्जरी के बाद उन्हें कितना अच्छा लगा। सर्जरी के बाद मुझे कैसा महसूस होगा? न्यूयॉर्क के स्वास्थ्य अर्थशास्त्र केंद्र के विश्वविद्यालय में, हमने एक विकसित किया है वेतूल रोगियों द्वारा स्वास्थ्य संबंधी प्रश्नावली के उत्तर के आधार पर। वेबटोल में संक्षेप में बताया गया है कि शल्य चिकित्सा के बाद विभिन्न रोगियों को कैसे महसूस किया गया था, इस बात पर ध्यान देते हुए कि वे सर्जरी से पहले कैसे महसूस करते थे, कितनी देर तक उनकी स्वास्थ्य समस्या थी, और उनकी उम्र और लिंग। शल्य चिकित्सा के बारे में कोई भी सोचने वाले एक ही सरल स्वास्थ्य प्रश्नावली में भर सकता है तब वेबोटोल उन उत्तरों के साथ मिलते हैं जो ऐसे रोगियों से पहले सर्जरी कर चुके हैं और अपने अनुभवों का सार प्रस्तुत करते हैं, दिखाते हैं कि सर्जरी के बाद कितने बेहतर, खराब या कोई अलग नहीं। वेबटोल यह भी दिखाता है कि इन रोगियों में से कितने लोगों के बारे में चलने के मामले में बेहतर महसूस किया गया; दर्द; चिंता और अवसाद; धोने और कपड़े पहनने की क्षमता; और अपनी सामान्य गतिविधियों को पूरा करने की क्षमता। यह उपयोगकर्ता के अनुकूल और आसानी से समझने योग्य है। यह केवल भरने के लिए कुछ समय लगता है और डॉक्टर के दौरे के दौरान या मरीजों और उनके परिवारों के घर पर उपयोग किया जा सकता है। यह कहीं से भी पहुंचा जा सकता है, इसलिए यदि आप (या आपके किसी मित्र या परिवार के सदस्य) कूल्हे, घुटने या हर्निया सर्जरी के बारे में सोच रहे हैं, तो आप यह जान सकते हैं कि आपके बाद के लोगों के बारे में आपको कैसा महसूस होगा कह चुका। हमारा वेबटोल यह सुनिश्चित करता है कि यह जानकारी प्रत्येक व्यक्ति की विशेष विशेषताओं के अनुरूप बनाई जा सके। अब तक, सर्जरी होने के बारे में सोचने वाले लोगों के लिए ऐसी विशिष्ट जानकारी कभी उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर शल्य चिकित्सा के बाद आम तौर पर कैसा महसूस करते हैं, इस बारे में मरीजों को केवल अस्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करने में सक्षम हैं। इसी तरह, एनएचएस विकल्प वेबसाइट कहते हैं कि "अधिकांश लोगों को दर्द में एक महत्वपूर्ण कमी और उनके आंदोलन में कुछ सुधार का अनुभव" निम्नलिखित हिप प्रतिस्थापन लेकिन लोग जानना चाहते हैं कि उनके साथ क्या होगा, न कि "अधिकांश लोग" अब यह जानकारी प्रदान करना संभव है क्योंकि पिछले कई मरीजों ने शल्य चिकित्सा के अपने अनुभव साझा किए हैं। इसका मतलब यह है कि इंग्लैंड में लोग अब एक ऑपरेशन के लिए या नहीं, इसके बारे में अधिक सूचित निर्णय कर सकते हैं। ज्यादातर लोग ऑपरेशन के साथ आगे बढ़ने की संभावना रखते हैं, ऐसे ही रोगियों के पिछले अनुभव से आश्वासन देते हैं कि वे बाद में बेहतर महसूस करेंगे। लेकिन कुछ लोग तय कर सकते हैं कि उनकी वसूली की संभावना जोखिम के लायक नहीं है, और शल्य चिकित्सा के खिलाफ निर्णय लेना है। लोगों को इस फैसले को खुद बनाने की इजाजत देना कुछ लोगों की देखभाल को नकार देने से बेहतर है क्योंकि क्लिनिकल कमीशन ग्रुप ने अपने स्थानीय आबादी पर राशन नियमों का एक सेट लगाया है।
देह के ऐसे सबंध हैं, जिनसे मुक्त होना है। और देह के ऐसे सबंध हैं, जिनमें और गहरे जाना है। प्रेम ऐसा ही सबंध है। प्रेम में गहराई बढ़ना चाहिए। घृणा में गहराई घटनी चाहिए। घृणा से तुम मुक्त हो सको, तो सैभाग्य लेकिन अगर प्रेम से मुक्त हो गए तो दुर्भाग्य और मजा यह है कि अगर तुम्हें घृणा से मुक्त होना हो तो सरल रास्ता यह है कि प्रेम से भी मुक्त हो जाओ और तुम्हारे अब तक के साधु-संन्यासियों ने सरल रास्ता पकड़ लिया न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी लेकिन बांस और बांसुरी में बड़ा फर्क है। बांसुरी बजनी चाहिए। बांस से बांसुरी बनती है, लेकिन बांसुरी बड़ा रूपांतरण है।
हरियाणा के गोरखपुर तथा महाराष्ट्र के जैतापुर में प्रस्तावित परमाणु संयंत्र के विरोध की चिंगारी को जापान की त्रासदी ने हवा दी है और अब इसकी लपटें महाराष्ट्र (जैतापुर) के पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश तक पहुंच गई हैं। सिरीकाकुलम जिले के रणस्थलम मंडल की ३० ग्राम पंचायतों ने मोर्चा बनाकर कोव्वाडा गांव में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। पड़ोसी राज्य के जैतापुर परमाणु संयंत्र के विरोध को मिल रहे समर्थन से उत्साहित रणस्थलम मंडल की ३० ग्राम पंचायतों के लगभग १५० गांवों के किसानों ने १८ मार्च २०११ को रणस्थलम में रैली निकालकर केन्द्र व राज्य सरकार से परियेाजना को रद्द करने को कहा है। प्रस्तावित परमाणु संयंत्र के लिए २,००० एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। हालांकि अभी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया की शुरूआत नहीं हुई है। किसान किसी भी कीमत पर अपनी भूमि इस तरह की विनाशकारी परियोजना के लिए देने को तैयार नहीं हैं।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से संयुक्त सचिव एवं सैंट्रल नोडल प्रभारी चंद्राकर भारती ने कहा कि सभी विभाग जल शक्ति अभियान के अंतर्गत निर्धारित एक्शन प्लान में तेजी लाएं। साथ ही पूर्ण किए जा चुके कार्यों की डिटेल जल शक्ति अभियान एप पर अपलोड करें ताकि जिला की रैंकिंग में सुधार लाया जा सके। वे आज स्थानीय लोक निर्माण विश्राम गृह में जल शक्ति अभियान के तहत आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में नोडल प्रभारी चंद्राकर भारती ने विभागों द्वारा किए गए कार्यों की खंडवार समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस बैठक में सिंचाई विभाग, वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, विकास एवं पंचायत विभाग, मार्केट कमेटी, कृषि विभाग, जनस्वास्थ्य विभाग सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे। श्री भारती ने कहा कि जल शक्ति अभियान १ जुलाई से शुरु हुआ था और यह अभियान १5 सितम्बर को सम्पन्न हो रहा है। इस अभियान के तहत देश के २५० से भी अधिक जिले चिह्नित किए गए थे जहां का भूजल स्तर बहुत ही कम है। इनमें सिरसा जिला भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इस समय सिरसा जिला की रैंकिंग ९२ है तथा जिला की स्कोर 2१.7१ है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे प्राप्त किए गए लक्ष्यों की रिपोर्ट दो दिनों के अंदर-अंदर जल शक्ति अभियान एप पर अपलोड करवाएं ताकि जिला की रैंकिंग व स्कोर में सुधार करवाया जा सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे पूर्ण कार्यों की जियोटैगिंग यथाशीघ्र करें ताकि ऑनलाईन कार्यों की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सके। उन्होंने बताया कि अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु मुख्य बिन्दु निर्धारित किए गए है। इनमें जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन, परम्परागत एवं अन्य जलाशयों का जीर्णोद्धार, बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर्स का रियूज, जलग्रहण क्षेत्र विकास व सघन वृक्षारोपण किया जाना शामिल है। जिला में जल शक्ति अभियान की प्रगति की समीक्षा के लिए केन्द्र सरकार की पांच सदस्यीय टीम आई हुई है जो आगामी दो दिनों तक जिला में चिह्नित स्थानों पर अभियान के तहत कार्यों की समीक्षा करेगी। उल्लेखनीय है कि जिला में जल संरक्षण अभियान के तहत पौधारोपण का लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है, विभाग द्वारा अबतक ४ लाख २० हजार पौधे रोपित किए जा चुके हैं। वन विभाग द्वारा मुख्य मार्गों के दौनों ओर, नहरों, स्कूलों, सरकारी व सार्वजनिक भवनों के प्रांगण में पौधारोपण किया जा चुका है। इसके अलावा जल स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में २५०० टूंटियां लगाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ था, विभाग द्वारा लक्ष्य से उपर उठ कर २७०० टूंटियां लगवाई जा चुकी है। इसके अलावा तालाबों के किनारों की सफाई करवाई जा चुकी है, साथ ही वहां पर पौधारोपण का कार्य भी करवाया गया है। इसके अलावा तालाबों के विस्तार का कार्य जारी है ताकि तालाबों की जल संग्रहण की क्षमता बढ सके।
आजम खान की इस हिमाकत को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष में समझने की जरुरत हैं। सवाल यह नहीं है कि यूपी के पूर्व मंत्री और लोकसभा चुनाव में रामपुर से सपा-बसपा के गठबंधन के उम्मीदवार आजम खान ने अपनी प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा के अंग वस्त्रों को लेकर नीचतापूर्ण टिप्पणी की है। अहम सवाल आजम खान की हिम्मत का है। आजम की इस हिम्मत को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष में समझने की जरुरत है। आज देश के हालात ऐसे हो गए है कि आजम खान जैसे राजनेता एक हिन्दू महिला के लिए इस तरह के बयान सार्वजनिक तौर पर देते हैं। जयाप्रदा जानी मानी फिल्म स्टार हैं और दो बार रामपुर की सांसद रह चुकी हैं। जयाप्रदा तो आजम खान को अपना भाई मानती रही, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि आजम खान जयाप्रदा के अंडरवियर की बातें कर रहे हैं। आजम खान को भी पता है कि ऐसी गंदी बातें करने के बाद भी उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा, क्योंकि भारत में धर्मनिरपेक्षता वाला लोकतंत्र हैं। आजम खान भले ही एक महिला के अंडरवियर की बातें करें, लेकिन रामपुर के लाखों लोग उन्हें ही वोट देंगे। यानि ऐसे लोगों को तो आजम खान की ऐसी बातें अच्छी लगती हैं। यह हमारा धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र ही है, जिसमें नीचतापूर्ण बयान देने के बाद भी आजम खान चोरी और सीना जोरी वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। असल में बयान के बाद रामपुर के डीएम और जिला निर्वाचन अधिकारी ने आजम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। लेकिन आजम ने बिना कोई घबराहट दिखाए कह दिया कि मैं ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों से डरता नहीं हंू। यूपी में सपा-बसपा का राज आने पर इसी डीएम से मायावती के जूते साफ करवाउंगा। अंदाजा लगाया जा सकता है कि आजम के हौंसले कितने बुलंद हैं। यदि आजम को इस बात का अहसास होता कि एक महिला की बेईज्जती करने की सजा मिल सकती है तो वे कभी भी गंदी बातें नहीं करते। गंभीर बात तो यह है कि जिस चुनावी सभा में आजम ने जया प्रदा के लिए अश्लील बातें कहीं उस सभा में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद थे। अखिलेश ने अभी तक भी आजम के बयान की निंदा नहीं की है। महिला होने के नाते मायावती भी जया प्रदा की समर्थन में नहीं आई हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि सपा के भीष्म पितामह माने जाने वाले मुलायम सिंह भी चुप हैं। हालांकि जयाप्रदा ने अब आजम खान का नामांकन रद्द करने की मांग की है। जलियांवाला बाग में मारे गए लोग शहीद क्यों नहीं?
भारत में सदियों से गुरु परंपरा समाज और देश का मार्गदर्शन करती रही है। अनेक ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्हें संवारने और उनके जीवन को नई दिशा देने में उनके गुरुओं की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही। बदलते समय में गुरु परंपरा और शिक्षक-शिक्षण का स्वरूप भले ही बदल गया है लेकिन सभ्य समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक की भूमिका आज भी उतनी ही मूल्यवान है। आज के दौर में शिक्षण को एक व्यवसाय मान लिया गया है लेकिन गहरे अर्थों में देखें तो यह केवल व्यवसाय नहीं है। एक शिक्षक अपने शिक्षण द्वारा पूरे समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। हमारे भीतर सामाजिक एवं नैतिक मूल्य रोपता है और इस तरह सुसंस्कृत समाज और सशक्त राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यही कारण है कि शिक्षकों को राष्ट्रनिर्माता भी कहा जाता है। शिक्षकों के इसी योगदान को याद करने के लिए हम हर वर्ष ५ सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं। यह दिन हमारे देश के महान शिक्षाविद और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है। उन्हीं की इच्छानुसार उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। गुरु की महिमा का बखान लगभग हर धर्म के ग्रंथों और शास्त्रों में किया गया है। ईश्वर को लेकर भले ही हमारी मान्यताओं में विभिन्नता हो लेकिन गुरु के प्रति सम्मान एक जैसा है, हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला या अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने वाला। प्राचीन गुरुकुल परंपराओं में गुरुओं ने न सिर्फ मौलिक ज्ञान प्रसारित किया बल्कि अपने शिष्यों और समाज के लिए नैतिकता की मिसाल भी बने। उन्होंने अपने शिष्यों को ज्ञानवान होने के साथ ही चरित्रवान इंसान बनने को भी प्रेरित किया। प्राचीन ग्रंथों में देखें तो पता चलता है कि विद्यार्थियों को गुरुकुल में जाकर या गुरु के आश्रम में रहकर विद्या अध्ययन करना पड़ता था। राजा और प्रजा सभी की संतानें एक स्थान पर एक ही परिवेश में विद्या अर्जन करती थीं। इस तरह की शिक्षा व्यवस्था का उद्देश्य यही था कि सभी बालकों को बिना भेदभाव भविष्य में हर परिस्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम बनाया जा सके। हमारे देश में प्राचीन काल में शिक्षक, गुरु ही कहे जाते थे, जो अपने गुरुकुल में शिक्षा प्रदान करते थे। वह समय चक्रवर्ती राजाओं और एक से बढ़कर एक महान दार्शनिकों और योगियों का था। इतिहास गवाह है कि अधिकतर राजाओं के शासन की दिशा और दशा को तय करने में किसी न किसी महान गुरु का मार्गदर्शन रहता था। संत और योगियों, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और इसके अक्षुण्ण मूल्यों को पूरे विश्व में फैलाकर भारत को आध्यात्मिक गुरु होने का दर्जा दिलाया, उन्हें महान बनाने के पीछे भी किसी न किसी गुरु की भूमिका रही है। जिनको गुरु से ज्ञान प्राप्त करने का सौभाग्य नहीं प्राप्त हुआ, उन्होंने भी किसी को प्रतीकात्मक रूप में गुरु मानकर ज्ञान अर्जित किया, ऐसे भी कई उदाहरण मौजूद हैं। माना जाता है कि अगर आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त को विवेकपूर्ण बुद्धि, शासन कौशल और राजनीति की शिक्षा नहीं दी होती तो भारत का इतिहास एक चक्रवर्ती राजा से वंचित रह जाता। एक भारत की सर्वप्रथम आधारशिला रखने का श्रेय चंद्रगुप्त मौर्य को ही जाता है लेकिन इसकी भूमिका तैयार करने में उनके गुरु चाणक्य का सबसे अहम योगदान रहा। चाणक्य ने अगर चंद्रगुप्त को अपना शिष्य बनाकर समस्त विद्याओं में दक्ष नहीं किया होता तो आज भारत का इतिहास कुछ और ही होता। महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को एक श्रेष्ठ धनुर्धारी बनाया। उन्हीं गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा ग्रहण न कर पाने पर एकलव्य ने द्रोणाचार्य की प्रतिमा को ही साक्षात गुरु मानकर अर्जुन से भी अधिक दक्षता हासिल कर ली। रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद के रूप में दुनिया को एक महान मानवतावादी योगी दिया। स्वामी विवेकानंद स्वयं महान योगी और ज्ञानी थे फिर भी यह कहने में उन्हें जरा भी संकोच नहीं था कि मैं जो भी करता हूं, कहता हूं, वह सब मेरे गुरु का दिया हुआ है। इसी तरह ब्रिटिश गणितज्ञ जी. एच. हार्डी ने अपने बहुमूल्य कार्यों के बावजूद भारतीय गणितज्ञ रामानुजन को अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया, उन्हें गुरुतुल्य माना। विश्व इतिहास में देखें तो सुकरात, प्लेटो और अरस्तु के रूप में दुनिया को तीन महान गुरु मिले। प्लेटो, सुकरात के शिष्य थे। सुकरात ने अपने दर्शन को कहीं लिखा नहीं था लेकिन उनके शिष्य प्लेटो ने उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाया। इसी तरह प्लेटो के शिष्य अरस्तु ने अपने गुरु के ज्ञान और संदेश को आगे बढ़ाया। अरस्तु ने भौतिकी, अध्यात्म, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, जीव विज्ञान सहित कई विषयों पर महत्वपूर्ण रचनाएं कीं। गुरु जीवन को नई दिशा प्रदान करता है। माता-पिता भले ही हमारे पहले शिक्षक हों लेकिन जीवन की वास्तविक और कठिन परीक्षा के लिए हमारे गुरु ही हमें तैयार करते हैं। जीवन जीने के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं होता। हमारे भीतर साहस, हौसला, धैर्य, नैतिकता, करुणा जैसे मानवीय गुण भी होने आवश्यक हैं और ये सारे गुण एक सच्चा गुरु ही हमारे भीतर भर सकता है। दरअसल, इन गुणों के साथ होने पर ही विद्यालय में अर्जित किताबी ज्ञान का उपयोग किया जा सकता है। कई बार विद्यार्थी अपनी असफलता से निराश हो जाते हैं और गहरे अवसाद में डूब जाते हैं। ऐसी असफलताओं से निराश न होने का सबक हमें गुरु ही सिखाता है। इस तरह गुरु हमारे जीवन में सच्चे मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा में गुरु को ईश्वरतुल्य माना गया है, इसीलिए उनके द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान को सबसे मूल्यवान माना जाता है। यहां तक कि गुरु को ईश्वर तक पहुंचने का साधन माना गया है। इसीलिए उन्हें त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश के समान प्रतिष्ठा प्राप्त है। गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ ज्ञानाश्रयी शाखा के महान कवि कबीर ने भी गुरु को सर्वोपरि माना इसीलिए गुरु और गोविंद दोनों के एक साथ उपस्थित होने पर पहले गुरु के चरण स्पर्श को वरीयता दी। गुरु की परंपरागत अवधारणा से अलग भी शिक्षक के कई रूप होते हैं। हम अपने जीवन में इनके विभिन्न रूपों से मिलते हैं। भले ही ये रूप गुरु की परिभाषा के दायरे में नहीं आते लेकिन जीवन की कोई शिक्षा या ज्ञान अगर किसी से सीखने को मिलता है तो वह भी शिक्षक की श्रेणी में ही आ जाता है। हमारे माता-पिता, भाई, बंधु, रिश्तेदार जिनसे मिलकर या बिना मिले हमने कुछ सीखा, प्राप्त किया है तो वे भी शिक्षक कहे जाने के हकदार हैं। हमारे सच्चे मित्र कई बार जीवन के कठिन फैसले लेने में हमारी मदद करते हैं, राह दिखाते हैं या सुझाव देते हैं तो वे भी शिक्षक के ही एक रूप हुए। किसी के द्वारा कही गई या लिखी गई प्रेरक बात को पढ़कर यदि हम जीवन में आगे बढ़ने की ऊर्जा से भर जाते हैं तो वे भी हमारे लिए अप्रत्यक्ष शिक्षक ही हुए। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हर इंसान को आगे बढ़ने और महान बनने के लिए किसी न किसी रूप में गुरु की आवश्यकता होती है और आज के समय में इनकी महत्ता और भी बढ़ गई है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग स्थल औली में ३१ साल बाद नवंबर में हिमपात हुआ है। बर्फबारी से पर्यटकों के चेहरे तो खिले ही, व्यवसायियों में भी उत्साह है। गुरुवार को प्रदेश में मौसम ने करवट बदली और बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में भी बर्फ की हल्की फुहारें पड़ीं। इसके अलावा पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के साथ ही ऊंची पहाडिय़ों पर बर्फबारी के समाचार हैं। निचले स्थानों पर बारिश से ठंड बढ़ गई है। देहरादून स्थित राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक अगले २४ घंटों में भी मौसम के मिजाज में कोई बदलाव नहीं होगा। साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक बर्फबारी की संभावना है। गुरुवार को सुबह से ही प्रदेश के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में बूंदाबांदी का दौर जारी है। दूसरी ओर ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई है। समुद्रतल से १०५०० फीट की ऊंचाई पर स्थित औली में बर्फ की चादर बिछने पर पर्यटकों ने जमकर लुत्फ उठाया। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार औली में ३१ साल पहले २८ नवंबर १९८८ को बर्फबारी रिकार्ड की गई थी। आमतौर पर वहां दिसंबर में हिमपात होता है। एडवेंचर एसोसिएशन के अध्यक्ष और स्कीयर्स विवेक पंवार ने बताया कि लंबे समय पर नवंबर में बर्फबारी उत्साहित करने वाली है। यदि मौसम मेहरबान रहा तो औली में शीतकालीन खेलों की उम्मीद परवान चढ़ेगी। इसके अलावा केदारनाथ में सुबह दस बजे से दोपहर तक बर्फ की फुहारें पड़ती रहीं। इससे पुनर्निर्माण कार्य भी ठप रहे। चार धामों के अलावा हेमकुंड साहिब, उत्तरकाशी जिले के दयारा बुग्याल, डोडीताल और हरकीदून में अच्छी बर्फ गिरी है। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के साथ ही अल्मोड़ा और नैनीताल में बारिश से सर्दी में इजाफा हो गया है। गौरतलब है कि शीतकाल के लिए केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद हो चुके हैं, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट १७ नवंबर को बंद किए जाने हैं। दूसरी ओर कुमाऊं में भी मौसम का मिजाज गढ़वाल मंडल की भांति ही रहा। सायं तक उच्च हिमालय क्षेत्र में चोटियों पर लगातार हिमपात हो रहा है। मुनस्यारी के शीर्ष में स्थित खलिया टॉप तक हिमपात हो चुका है। वहीं बागेश्वर जिले के कपकोट में हल्की बूंदाबांदी और ङ्क्षपडर घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी होने लगी है। हरिद्वार, दून सहित मैदानी इलाकों में कई स्थानों पर हल्की बूंदाबांदी भी हुई। मौसम विभाग के मुताबिक पहाड़ों से लेकर मैदान तक हल्की बारिश की संभावना है। वहीं, ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात का दौर जारी रहेगा। ३५०० मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी होने की संभावना है। राज्य में बीते २९ सितंबर से राज्य में बारिश नहीं हुई है। इस बीच केवल नैनीताल व चमोली जिले में एक से दो मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। करीब ३९ दिनों से बारिश न होने से खेतों में नमी कम होती जा रही है और हवा में धूल के कण अधिक ऊंचाई तक पहुंच रहे हैं। मौसम विज्ञान केंद्र का कहना है कि बारिश नहीं होने से दिन और रात के तापमान में अपेक्षाकृत अधिक अंतर देखा जा रहा है, जो फसलों की बढ़वार के लिए लाभकारी नहीं माना जाता है। बुधवार को दून का अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक २९.२ डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक १३.६ डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि राज्य के अधिकतर इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होगी। दून के कुछ क्षेत्र में बादलों की गर्जन के साथ बारिश हो सकती है। पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना है।
पर अक्तूबर २३, २०१७ नगर निकाय, पार्षद, प्रत्याशी, ब्जप, पॉलिटिकल, लंबे समय से पार्षद की तैयारी कर रहे कई दिग्गज दावेदारों ने टिकट पक्की करवाने के लिए "बाजरा" खोल दिया है। उनके "बाजरा" खोलते ही अन्य दावेदारों में खलबली मच गई है। सभी दावेदार अब अपने-अपने आकाओं की चौखट पर सुबह से लेकर शाम तक डेरा जमाए हैं। इन दावेदारों के डेरा जमाने की वजह से ब्जप के कई बड़े नेताओं के लिए परेशानी की वजह बन चुकी है। कई नेता अब दावेदारों के फोन तक नहीं उठा रहे हैं। कानपुर। नगर निकाय चुनाव के तिथियों का शंखनाद होने में महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं। जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है तो प्रत्याशी अपनी टिकट पक्की करने में जुटे हैं। सबसे अधिक मारामारी सत्ताधारी ब्जप में मची है। पार्षद की टिकट पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे तमाम दावेदारों की सुबह और शाम आकाओं की चौखट पर बीत रही है, और आका हैं कि उनके पास मिलने का वक्त ही नहीं। कई प्रत्याशी हर कीमत पर टिकट चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने बाकायदा बाजरा भी खोल दिया है। भाव खुला है सीधे १० लाख पर। ये हम नहीं कह रहे बल्कि कई दावेदार खुल्लम-खुल्ला महफिलों और चौराहों पर चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं। गुजैनी और दबौली से तो दो दावेदारों ने अपना टिकट पक्का करने के लिए १० लाख रुपए की बोली लगा दी है। इन प्रत्याशियों का कहना है कि बाजरा का भाव बढ़ा तो वह और भी दे सकते हैं लेकिन हर कीमत पर टिकट चाहिए। यूपी सरकार में एक चर्चित मंत्री अपने करीबी का टिकट पक्का करने के लिए दूसरे दावेदारों को प्रत्याशिता से हटाने के लिए तरह-तरह के हथकंडों को अपना रहे हैं। वह अब तक तीन दावेदारों भगा चुके हैं। नाम न खोलने की शर्त पर एक प्रत्याशी ने बताया कि दबंग पांडेय जी मंत्री के करीबी हैं। मंत्री जी हर कीमत पर उनकी टिकट फाइनल कराने में जुटे हुए हैं। क्षेत्र के तीन पुराने कार्यकर्ता जब आवेदन करने पहुंचे तो मंत्री ने फटकार लगा दी। चर्चा है कि हर दावेदार के लिए मंत्री जी यह कह रहे हैं कि इसने यूपी विधान सभा इलेक्शन में बसपा प्रत्याशी को चुनाव लड़वाया था। शहर के दो माननीय जिसमें एक मंत्री भी हैं, दोनों हर कीमत पर अधिक से अधिक अपने करीबी लोगों को टिकट देने के लिए लंबे समय से कवायद छेड़े थे। दोनों काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं। दबी जुबान से ही सही लेकिन कार्यकर्ताओं ने बताया कि बाजरा खुलने के बाद दोनों के परिवारीजन ही टिकट फाइनल करने में व्यस्त हैं। कोई भी हो, पैसा देकर टिकट ले सकता है। दोनों ही माननीयों की चौखट पर टिकट के लिए कार्यकर्ताओं से अधिक भीड़ बाहरी लोगों की इस समय मौजूद रहती है। पार्षद के टिकट पाने के लिए बाजरा खुल जाने से सबसे अधिक निराशा और हताशा का भाव उन दावेदारों के चेहरों पर है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इन दावेदारों का कहना है कि लंबा समय बीत गया। पार्टी के लिए दरी और चादरें तक बिछाई हैं। अब जब समय आया है तो पार्टी में ऊंचे पदों पर बैठे आका पूंजीपतियों को टिकट देने की तैयारी कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है। आर्थिक रूप से बेहद कमजोर प्रत्याशी पार्षदी का चुनाव जीतने के लिए अपने करीबी नेताओं को फार्मूला और मंत्री भी बता रहे हैं कि वह इस तरह से चुनाव हर कीमत पर जीत लेंगे। साथ ही वह नेताओं को यह बताना भी नहीं भूल रहे हैं कि विधान सभा के चुनाव में उन्होंने प्रत्याशी के लिए बूथ पर क्या-क्या नहीं किया ? दावेदारों की सबसे अधिक मारामारी साउथ सिटी के करीब दर्जन भर वार्डों में अधिक है। कांग्रेस, सपा और बसपा में पार्षद का टिकट मांगने वाले प्रत्याशियों की संख्या तो है लेकिन भीड़ और मारामारी बिल्कुल भी नहीं है। मुस्लिम एरिया के तीन-चार वार्ड ही ऐसे हैं जहां सपा और कांग्रेस में होड़ मची है। बाकी जगहों पर सामान्य से हालात हैं। बसपा में भी दावेदारों की संख्या शून्य जैसी ही है। यहां पार्टी के कार्यकर्ताओं में प्रत्याशिता को लेकर उत्साह भी नहीं है। एक पदाधिकारी की मानें तो कुछ वार्डों में तो दावेदार ही नहीं हैं। इन सबके पीछे तर्क चुनाव का मंहगा होना भी है। टिकट के लिए दावेदारों की मचमच के बीच कई दावेदार ऐसे भी हैं जो बिल्कुल स्लीपिंग सेल की तरह सक्रिय हैं। ये वो दावेदार हैं जो हर तरह से संपन्न और सक्षम भी हैं। सूत्रों की मानें तो ये टिकट नहीं मांग रहे हैं लेकिन ऐन वक्त पर ये रायता फैला सकते हैं। विवादित सीटों पर स्लीपिंग माड्यूल्स की तरह सक्रिय कई अघोषित दावेदारों को टिकट भी मिल सकती है।
अजय देवगन और रणबीर कपूर डायरेक्टर लव रंजन की आने वाली फिल्म में एक साथ काम करेंगे। फिल्म टोटल धमाल के प्रमोशन के दौरान अजय देवगन ने इसकी पुष्टी की है। इससे पहले दोनों एक्टर के फिल्म में एक साथ काम करने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। फिल्म टोटल धमाल के प्रमोशन के दौरान अजय देवगन ने रणबीर सिंह के साथ फिल्म करने की अफवाह पर विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा, हमने जैसा प्लान किया है, रणबीर कपूर और मैं अगले साल से फिल्म की शूटिंग करेंगे। इससे कंफर्म हो गया है कि फिल्म में रणबीर कपूर और अजय देवगन एक साथ काम करेंगे। इससे पहले लव रंजन ने कहा था कि वह अजय देवगन और रणबीर कपूर को लेकर एक फिल्म डायरेक्टर करेंगे। इसके बाद रणबीर सिंह ने भी फिल्म संजू के प्रमोशन के दौरान लव रंजन के साथ काम करने की बात करते हुए उनके साथ काम करने की इच्छा भी जताई थी। लव रंजन ने प्यार का पंचनामा और सोनू की टीटू की स्वीटी जैसी बेहतरीन फिल्में बनाई हैं। इस प्रोजेक्ट को लेकर अफवाह थी कि स्क्रिप्ट की वजह से फिल्म नहीं बनेगी। हालांकि अजय देवगन के कमेंट से इस बात की पुष्टि हो गई है कि फिल्म पर काम शुरू होने वाला है। स्क्रिप्ट का कोई इशु नहीं है। फिल्म ऑडियंस और फैंस के लिए तैयार हो रही है। विशेष रूप से उन लोगों के जो इन दोनों स्टार को एक साथ बड़े पर्दे पर एक साथ देखना चाहते हैं। इससे पहले अजय देवगन और रणबीर कपूर डायरेक्टर प्रकाश झा की मल्टी स्टारर फिल्म राजनीति (२०१०) में दिखाई दिए। इसमें इन दोनों स्टार के अलावा अर्जुन रामपाल, कैटरीना कैफ, नाना पाटेकर और मनोज बाजपेयी और कई कलाकार थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया था। खैर! देखना अब यह है कि लव रंजन इस फिल्म पर कबसे काम शुरू करते हैं और लोग दोनों स्टार को एक साथ कब देख सकेंगे। आपको बता दें कि अजय देवगन फिल्म टोटल धमाल में धमाल मचाते दिखाई देंगे। इस फिल्म में उनके साथ अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, अरशद वारसी, रितेश देशमुख, संजय मिश्रा और जावेद जाफरी जैसे कलाकार शामिल हैं। फिल्म २२ फरवरी को रिलीज होगी।
नवादा : लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशासन शत प्रतिशत मतदान को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। सभी सरकारी विभागों द्वारा अपने-अपने कर्मचारियों को मतदाताओं को मतदान के लिए जागरुक करने का निर्देश दिया जा रहा है। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग द्वारा जिले के भी जीविका कार्यकर्ताओं को प्रखंड एवं पंचायत स्तर तक मतदाताओं को मतदान के लिए जागरुक करने को कहा गया है। मतदाताओं को जागरुक करने के लिए आज शुक्रवार को जीविका कार्यकर्ताओं द्वारा जागरुकता रैली निकाली गई। इस दौरान जीविका कार्यकर्ताओं ने कई प्रखंडो और पंचायतों का भ्रमण किया और लोगों को अपने मत का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान जीविका मित्रों ने आमलोगों से कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। वोट करना सभी नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। आप अपने मत के प्रयोग से अपने पसंद की सरकार बनाने में सहयोग अपनी भूमिका अदा करें।
चैपल ने लिखा, "५००वां विकेट लेना ब्रॉड के लिए अपने आप को साबित करने के लिहाज से काफी संतोषजनक रहा होगा।" मैनचेस्टर। इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने साउथैम्पटन में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए पहले टेस्ट मैच में से बाहर किए जाने के बाद जिस तरह से अपने आप को संभाला उससे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल काफी प्रभावित हैं। इंग्लैंड पहले टेस्ट मैच में हार गई थी लेकिन इसके बाद उसने सीरीज के बाकी दोनों मैच जीत सीरीज अपने नाम की। इन दोनों मैचों में जीत में अहम रोल निभाने वाले ब्रॉड को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था। चैपल ने ईएसपीएनक्रिकइंफो में अपने कॉलम में लिखा है, "मीडिया ट्रेनिंग के इस युग में ब्रॉड ने इंटरव्यू में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए पहले टेस्ट मैच से बाहर किए जाने पर ईमानदारी से अपनी बात रखी। वह चयनकर्ताओं पर नहीं बरसे उन्होंने सिर्फ अपनी निराशा जाहिर की और फिर अगले दो मैचों में बताया कि वो लोग गलत क्यों थे।" उन्होंने लिखा, "बाहर जाने के बाद इस तरह की सकारात्मक प्रतिक्रिया से कोई भी चयनकर्ता खुश होगा।" मैनचेस्टर में खेले गए तीसरे मैच में ब्रॉड ने खेल के सबसे लंबे प्रारूप में ५०० विकेट पूरे किए और वह ऐसा करने वाले इंग्लैंड के दूसरे और दुनिया के सातवें गेंदबाज हैं। चैपल ने लिखा, "५००वां विकेट लेना ब्रॉड के लिए अपने आप को साबित करने के लिहाज से काफी संतोषजनक रहा होगा। हैरानी वाली बात यह है कि उनका ५००वां शिकार क्रैग ब्रैथवेट बने थे जो उनके जोड़ीदार जेम्स एंडरसन के भी ५००वें शिकार थे।" उन्होंने लिखा, "टेस्ट में ५०० विकेट क्लब के सात सदस्य शानदार हैं। इसमें दो लेग स्पिनर, एक ऑफ स्पिनर, एक स्विंग गेंदबाज और तीन सीमर हैं। एक शख्स की कमी है और वो है एक तूफानी गेंदबाज। उसका न होना बताता है कि ऐसा होना शरीर के लिए कितना मुश्किल है।"
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा मैं व्यक्तिगत तौर पर सावरकर की विचारधारा से सहमत नहीं हूं लेकिन इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि वह निपुण व्यक्ति थे। महाराष्ट्र में बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग को लेकर देश की राजनीति में एक बार फिर सावरकर पर बहस छिड़ गयी है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर सावरकर की तारीफ की है। सिंघवी ने कहा है कि सावरकर ने आजादी के लड़ाई एक अहम भूमिका निभाई और देश के लिए जेल जाना स्वीकार किया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह नीजी तौर पर उनकी विचारधारा से सहमत नहीं है। प्म मोदी की तारिफ कर चुके सिघंवी: बता दें कि अभिषेक मनु सिंघवी इससे पहले कांग्रेस पार्टी के खिलाफ जाकर पीएम मोदी की तारीफ कर चुके है। सिंघवी ने कहा था कि जहां कोई तारिफ के काबिल हो उसे वहां तारिफ करनी चाहिए । पीएम मोदी स्वच्छता के संदेश के लिए देश के बॉलीवुड की सॉफ्ट पावर का उपयोग कर रहे है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक गांधी जी का यह संदेश पहुंच सके। इंदिरा गांधी ने जारी किया था डाक टिकट: गौरतलब है कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुंबई में कहा था कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने सावरकर कि याद में डाक टिकट जारी किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि हम सावरकर के खिलाफ नहीं उनके विचारधारा के खिलाफ है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस देश में यदि सावरकर को भारत रत्न देने की बात होती है तो अब भगवान ही बचाए।
फैबल रूसी साहित्य में एक विशेष जगह रखती है। एक संक्षिप्त, हास्यास्पद, लेकिन साथ ही निर्देशक कहानी प्यार में गिर गई और लोगों के आदी हो गई। तथ्यों के मान्यता प्राप्त लेखक इवान एंड्रीविच क्रिलोव थे। लेकिन कुछ जानते हैं कि उत्कृष्ट रूसी वैज्ञानिकों में से एक ने भी इस शैली में काम किया है। एम वी लोमोनोसोव की कहानियां उनके साहित्यिक कार्यों में एक विशेष स्थान पर हैं। एक कहानी क्या है? फेल मुख्य रूप से एक साहित्यिक हैकाम यह संक्षिप्तता, क्षमता और अभिव्यक्तिपूर्ण रूप से विशेषता है। एक नियम के रूप में, वर्णन रूपक रूप से, रूपक रूप से आयोजित किया जाता है। जैसे ही कलाकार जानवरों को कार्य कर सकते हैं। प्रत्येक फब्बल के पास अपनी नैतिकता होती है, जो एक नियम के रूप में काम के अंत में लाया जाता है। यह शैली सबसे पुरानी है। तथ्यों जैसा दिखने वाले पहले काम प्राचीन मिस्र में लिखे गए थे। आधिकारिक तौर पर, इसकी घटना ग्रीस के साथ बंधी हुई है और, एक नियम के रूप में, वे एसोप को भी याद करते हैं। रोमन साम्राज्य में, सबसे प्रसिद्ध फाबुलिस्ट कवि फेडरर था, कई मामलों में अपने ग्रीक पूर्ववर्ती अनुकरण। नए समय में, १७ वीं शताब्दी में, फ्रांसीसी जीन लफोंटेन, जिन्होंने इस साहित्यिक शैली की महिमा की थी, ने तथ्यों पर काम किया था। लोकप्रिय तथ्यों के अनुवाद और रीटेलिंग परला फॉन्टेन ने कई रूसी कवियों का काम किया। लेकिन पूरी तरह से, रूसी मिट्टी पर एक मूल शैली उभरी है, जो सामान्य राष्ट्रीय विसेस के प्रतिबिंबित और मजाक कर रही है। फेजेबल रूस में एक्सवी शताब्दी में दिखाई दिया, बीजान्टियम से पेनेट्रतिंग। आप ख्वी शताब्दी में अपने दिन के बारे में बात कर सकते हैं। वी। ट्रीडियाकोवस्की, ए पी। तथ्यों पर काम किया। सुमारोकोव, एई इज़मेलोव, एडी कैंटिमिर। और, ज़ाहिर है, सबसे अच्छे नमूने ई. ए क्रिलोव की कलम से संबंधित हैं। अपनी रचनात्मक विरासत में विदेशी तथ्यों के अनुवाद एक महत्वहीन स्थान पर हैं, लेकिन उनके अपने कार्यों का लगभग सभी यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। मिखाइल वासिलीविच लोमोनोसोव भी इस शैली में खुद की कोशिश की। एक उत्कृष्ट रूसी वैज्ञानिक के तथ्य उनकी साहित्यिक विरासत में एक विशेष स्थान पर हैं। मिखाइल वासिलीविच लोमोनोसोव की तुलना की जा सकती हैपुनर्जागरण के प्रतिभाशाली। यह वह मामला है जब प्रतिभा एक क्षेत्र में बारीकी से है। और वह सबकुछ में प्रकट होने की कोशिश करता है। सबसे पहले, लोमोनोसोव को प्रकृतिवादी, रसायनज्ञ और भौतिक विज्ञानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने रूसी विज्ञान में वास्तव में अमूल्य योगदान दिया। लेकिन प्राकृतिक विज्ञान के अलावा, वैज्ञानिक चित्रकला और साहित्य में लगे थे। और इस क्षेत्र में जबरदस्त सफलता हासिल की है। यह कोई संयोग नहीं है कि बेलिनस्की ने उन्हें रूसी साहित्य का जनक कहा। "रूसी कविता के नियमों पर पत्र" मेंलोमोनोसोव ने एक असली क्रांति की, रूसी कविता में विभिन्न काव्य आयामों का उपयोग करने की संभावना को इंगित करते हुए, न केवल आम तौर पर स्वीकार्य इम्बा और कोरिया। इस प्रकार, साहित्य की संभावनाओं का विस्तार हुआ है। लोमोनोसोव रूसी ओदे के पूर्वजों थे (और, मुख्य रूप से, उन्होंने उन्हें एक कवि के रूप में गौरव दिया)। अगर उनकी कई कविताओं को आसानी से याद किया जा सकता है, तो एम वी लोमोनोसोव के तथ्यों को पूरी तरह से भुला दिया गया था। अर्थात्, वे अपने सभी साहित्यिक और मानववादी सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करते हैं। समकालीन लोगों ने याद किया कि लोमोनोसोव थाएक अद्भुत व्यक्ति - ईमानदार, संचार में सुखद, सभ्य, मदद करने के लिए तैयार। उन्हें कम मानवीय विसेस - डरावनी, पाखंड, पाखंड, अज्ञानता, और झूठ से दंडित किया गया था। यह वह पाठक के साथ साझा करना चाहता था और उसे विचार के लिए खाना देना चाहता था। लोमोनोसोव के तथ्यों ने नैतिक शिक्षक की भूमिका निभाई। ऐसी शैली धारणा के लिए सबसे सरल थी और बड़ी संख्या में दिल तक पहुंच गई थी। वे पाठक को समझने के लिए समझदार और आसान हैं, लेकिन साथ ही वे आश्चर्यजनक रूप से यथार्थवादी हैं। साहित्य को तीन "शांत", फेल माइकल में विभाजित करनावासिलीविच "कम" से संबंधित है। इस स्टाइलिस्ट समूह को उच्च आधिकारिकता से मुक्त किया गया है। इसलिए, लोमोनोसोव के तथ्यों में बोलचाल, रोज़ाना भाषण, आम लोक अभिव्यक्तियों के घटक होते हैं। लेखक की कलम से इस शैली में निम्नलिखित कार्य हुए: "माउस", "अच्छी तरह से शादी करें, हां बहुत और परेशान", "सुनो, मैं पूछता हूं कि पुराने व्यक्ति के साथ क्या हुआ", "रात अंधेरे आसमान को ढक गया" और कई अन्य। सबसे मशहूर में से एक - "केवल दिन का शोर चुप था।" उसके बारे में और आगे बात करो। "केवल दिन का शोर चुप था" लोमोनोसोव के कुछ तथ्यों को लिखा गया थाउद्देश्य लाफोंटेन काम करता है। उनमें से एक - "भेड़िया, जो एक चरवाहा बन गया।" लोमोनोसोव के काम को एक शाब्दिक अनुवाद को कॉल करना असंभव है, क्योंकि यह एक विशेष लेखक के दृष्टिकोण "रूसी शैली" से जुड़ा हुआ है। कुछ लोग तर्क भी देते हैं: क्या मूल लफॉन्टेनियन नैतिकता अनुवाद फैबल में बदल गई है? सामग्री के लिए, यह निम्नलिखित है। भेड़िये से बाहर निकलने के लिए दुर्भाग्यपूर्ण भेड़िया की कल्पना की गईभेड़िया, एक चरवाहे के रूप में पहना और कर्मचारियों के साथ सींग लिया। उसे सोने की भेड़, एक चरवाहा और एक निगरानी मिली। लेकिन अपनी चालाकी से फुसफुसाए, उसने एक आवाज देने का फैसला किया और सुनिश्चित किया कि उसने सभी का नेतृत्व किया। हालांकि, केवल खोले भेड़िये के मुंह से बच निकला, जिसकी अपेक्षा की जानी थी। हर किसी को बदलकर, छद्म चोर ने कपड़ों और त्वचा दोनों को अलविदा कहा। ला फॉन्टेन के काम का मुख्य विचार - पाखंड हमेशा खुद को दूर कर देगा। लोमोनोसोव के फैले का नैतिक यह है कि "भेड़िया एक लोमड़ी नहीं होगा"। और किसी और की त्वचा में निचोड़ने की कोशिश मत करो। मिखाइल वासिलीविच के काम हमेशा छोटे से विस्तार के लिए सोचा गया है। उनमें कुछ भी आकस्मिक नहीं है। हमेशा के लिए वे रूसी साहित्य के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक रहेगा।
जैक्सन एक सीमित सरकार में विश्वास करते थे, लेकिन राष्ट्रपति के रूप में अपने समय के दौरान, उन्होंने विस्तारकारी शक्तियों का उपयोग किया था। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे बैंक के खिलाफ उनकी लड़ाई में विशेष रूप से स्पष्ट है। एक ग्रिड स्टोरीबोर्ड का उपयोग करते हुए, छात्र बैंक के उद्देश्य और कार्य का वर्णन करेंगे। छात्र बैंक के खिलाफ जैक्सन की प्रतिक्रिया कार्यों के लिए भी ऐसा ही करेंगे, साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों की भी जांच करेंगे । उन्हें अपनी परीक्षा में जैक्सन की वीटो शक्ति को भी छूना चाहिए। एक ग्रिड का उपयोग करके, छात्र आसानी से प्रत्येक कार्रवाई के कारण और प्रभाव की कल्पना कर सकेंगे। छात्र अपने पूर्ण प्रोजेक्ट का उपयोग बड़े पेपर के लिए आधार के रूप में भी कर सकते हैं। छात्रों ने फेडरल रिजर्व, हमारे राष्ट्रीय "बैंक" और फंड्स के धर्मनिरपेक्ष के वर्तमान स्टैंडिंग और फ़ंक्शन पर शोध किया है। क्या छात्रों ने इसके कार्यों को समझाया और समझा है, आज अमेरिकी अर्थव्यवस्था में यह भूमिका निभाता है और यह आज अमेरिका के आम लोगों को कैसे प्रभावित करता है। एक स्टोरीबोर्ड बनाएं जिसमें जैक्सन की अमेरिका के दूसरे बैंक के खिलाफ लड़ाई का वर्णन है। शीर्षक बक्से में, तीन घटनाओं या कार्यों की पहचान करें जो जैक्सन ने दूसरे बैंक के खिलाफ की थीं। पहली पंक्ति में, बैंक और जैक्सन के कार्यों की शक्ति का वर्णन करें। दूसरी पंक्ति में, क्रियाओं के परिणाम का वर्णन करें। प्रत्येक विवरण की कल्पना करने के लिए उपयुक्त दृश्यों, पात्रों और वस्तुओं का उपयोग करके एक चित्रण बनाएं।
शैली - यह वही है जो एक व्यक्ति को निर्धारित करता है यायुग, किसी भी समय या इलाके की विशिष्ट विशेषताएं। शैली एक व्यक्ति या सामान्य हो सकती है, वह कला और साहित्य, घर के अंदरूनी विशेषताएँ कर सकती है। शैली प्रोवेंस उसी नाम से जुड़ा हुआ हैफ़्रांस, आल्प्स, रोन नदी के पूर्व में सीमित - पश्चिम, और भूमध्य सागर के तट में - दक्षिण में। क्षेत्र की इस शैली में परिभाषित प्रकृति की विशेषताएं, दुनिया विन्सेन्ट वान गाग, पाब्लो पिकासो, अगस्टे रेनोइर पॉल सिज़ेन, एफ स्कॉट फिजराल्ड़, जीन कोक्टीऊ, हेनरी मैटिस के रूप में इस तरह के महान कलाकारों दे दी है। शैली की मुख्य विशेषताएं (चाहे चित्रकला याआंतरिक सजावट) - प्राकृतिक रंग और सामग्री, मौलिकता और लपट, प्रकृति की सद्भाव के शांत आकर्षण और किसी भी प्रेटेन्टियसनेस का पूरा अपवर्जन, पुरातनता का एक आसान छाप। सचमुच आत्मा को आराम से एक सिद्ध शैली बनाता है यह वास्तव में ऐसा मामला है जब आप शांत और आंतरिक शांति की अभूतपूर्व भावना को पूरी तरह से आराम और आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। रोमन वास्तुकला, इसके विपरीत, की विशेषता हैआनुपातिकता, स्पष्टता, रेखाओं की शुद्धता और तत्वों की एकता। रोमनस्क शैली एक शैली है जो प्राचीन काल की पुरातनता में जाने के बाद हुई थी; रोमन साम्राज्य के पतन के बाद इसकी मुख्य विशेषता गहरा धर्मशास्त्र है, साथ ही साथ सामान्यता - इस शैली को सभी यूरोपीय माना जाता है, इसमें किसी खास संस्कृति की व्यक्तिगत विशेषताओं अनुपस्थित हैं। सभी प्रकार के अतिरेक और अनुग्रह में अंतर्निहितभारहीन प्रोवेंस - यह रोमनस्क्यू शैली के बारे में नहीं है। यहां मुख्य बात फॉर्म है, और व्यावहारिकता भी है। रोमांस शैली - यह विशाल दीवारों और संकीर्ण खिड़कियां (वर्ग, गोल, एक शमौन के रूप में), कैनवास से बने शटर, एकाग्रता है। दीवारों की सजावट अक्सर बेस-रिलीफ होती है।कालीन आंतरिक सजावट का एक आम तत्व है, प्रकाश विशेष ध्यान दिया जाता है। महत्वपूर्ण, लेकिन स्वतंत्र मूल्य नहीं है, एक मूर्तिकला था - इमारत की एक तरह की सजावट। यह शैली भावनाओं की त्रासदी, छवियों का भ्रम और महान उत्साह, पवित्रता और संयम है। कंपनी की शैली क्या है या इसके लिए छवियां क्या हैं?
इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार, दीवारो-दर को गौर से पहचान लीजिए... उमराव जान फिल्म के एक गीत की यह पंक्ति आज काफी मौजूं है। घर, दफ्तर और बाहर, अगर दीवारों-दर ही बदल चुके हों, तो? और अगर आप भी बदल गए हों, तो? बदलाव तय है। मशहूर चिंतक, लेखक थॉमस फ्रीडमैन ने कहा है कि हम इतिहास की एक नई विभाजन रेखा पर खड़े हैं। दुनिया का इतिहास अब ईसा से पहले और ईसा के बाद के पैमाने पर नहीं, बल्कि कोरोना से पहले और कोरोना से बाद के कालखंडों में विभाजित होगा। उत्तर कोरोना काल में जो चीजें सबसे ज्यादा बदली हुई होंगी, उनमें से एक है- हमारा सामाजिक व्यवहार और दूसरा है- काम करने का हमारा तरीका। पहले भी लोग घर से या दफ्तर के बाहर से काम करते थे, लेकिन वे अपवाद थे। अब कोरोना के समय दफ्तर जाने वाले अपवाद हैं। इसीलिए सबके मन में सवाल है कि ऐसे ही क्यों नहीं चल सकता? दफ्तर की क्या जरूरत है? कई छोटे दफ्तर चलाने वाले तो फैसला कर चुके हैं कि अब दफ्तर बंद करके किराया बचाया जाए। दुनिया की चर्चित आर्थिक पत्रिका इकोनॉमिस्ट ने एक लेख में ऑफिस का मर्सिया लिख दिया है। डेथ ऑफ द ऑफिस शीर्षक वाले लेख में बताया गया है कि इस बीमारी के आने से पहले ही दफ्तर खतरे में थे, अब यह खतरा और भी बढ़ गया है। हालांकि लेखक रियायत देते हैं कि फिलहाल ऑफिस की जान नहीं जाने वाली। इधर रियल एस्टेट कंसल्टेंसी नाइट फ्रैंक ने भारत में कमर्शियल रियल एस्टेट के जिम्मेदार लोगों के बीच एक सर्वे किया है। इसके मुताबिक, ७२ प्रतिशत लोग सोच रहे हैं कि छह महीने बाद भी दफ्तर के आधे लोगों से घर से ही काम लेना जारी रखा जाए। जल्दी ही उन दफ्तरों के बारे में फैसला होना है, जहां लॉकडाउन लगने के बावजूद लोगों ने घर से काम करके कामकाज पर असर नहीं आने दिया है। ऐसी कंपनियों का सोचना है कि क्या सबको काम पर वापस बुलाना है या कम लोगों को दफ्तर बुलाकर बाकी के घर को ही दफ्तर मान लिया जाए? मैकिंजी के सर्वेक्षण में शामिल एक कंपनी के सीईओ ने इस पर बहुत दिलचस्प टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि इसे वर्क फ्रॉम होम कहने की बजाय स्लीपिंग इन ऑफिस कहना बेहतर होगा। घर से काम कर रहे लोगों और उनके घरवालों से बात कीजिए, तो यह बात सटीक लगेगी। ज्यादातर का कहना है कि अब वे पहले से ज्यादा व्यस्त हैं। ज्यादा समय काम कर रहे हैं और इस चक्कर में घर का संतुलन भी बिगड़ रहा है, क्योंकि सब अपने-अपने कंप्यूटर या मोबाइल के जरिए किसी न किसी मीटिंग या क्लास में व्यस्त रहते हैं। वैसे ऑफिस कम रेजिडेंस यानी घर और दफ्तर एक साथ की अवधारणा नई नहीं है। आम तौर पर इसका अर्थ एक बड़ा बंगलेनुमा घर होता है, जिसमें रहने का हिस्सा अलग और दफ्तर का हिस्सा अलग होता है। बडे़ अधिकारियों की जिंदगी आज भी ऐसे घरों में गुजरती है। दफ्तर बंद होने के बाद उसके कमरे बंद और घर की जिंदगी शुरू। मगर कोरोना आने के साथ असंख्य लोगों के घर उनके दफ्तर बन गए। दिक्कत यह है कि सारे घर ऐसे नहीं हैं, जिनमें अलग से दफ्तर बन जाएं, तो अपने बेडरूम, ड्रॉइंग रूम या डाइनिंग टेबल को ही दफ्तर बनाना पड़ता है। बीच में कूकर की सीटी भी बजेगी और दरवाजे की घंटी भी। एक से ज्यादा लोग काम कर रहे हों, तो जगह की तंगी भी है। एक दिग्गज का कहना है कि भारत के ज्यादातर घर वर्क फ्रॉम होम के हिसाब से तैयार नहीं हैं। यानी इस रास्ते पर आगे बढ़ना है, तो घरों में बदलाव करने होंगे। इस बदलाव का खर्च भी क्या कंपनियां उठाएंगी? जाहिर है, सारी बड़ी कंपनियां यह हिसाब जोड़ रही हैं कि जो कर्मचारी घर पर रहकर दफ्तर चलाएंगे, उन्हें इसके लिए कितना खर्च करना पडे़गा और कंपनी को कितना देना पड़ेगा। घर में काम से कंपनी को बचत हो रही है या नुकसान? अभी फिजिकल डिस्टेंसिंग भी देखनी है यानी एक कर्मचारी को बैठाने के लिए चार की जगह चाहिए। एक जगह ज्यादा कर्मचारियों को बैठाने से हमेशा खतरा बना रहेगा। दक्षिण कोरिया के एक कॉल सेंटर में एक ही हॉल में काम करने वाले ४३ प्रतिशत लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। अब ओपन ऑफिस और कंपनी के सारे कामकाज एक जगह लाकर बड़ा सेंट्रल कॉम्प्लेक्स बनाने की दिशा में काम खतरनाक है। अगर कोई बीमारी फैल गई, तो पूरा काम ठप हो जाएगा। इसीलिए काम को एक से ज्यादा जगह बांटकर रखना समझदारी मानी जाएगी। शिकागो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च से पता चलता है कि अमेरिका में ३७ प्रतिशत काम ऐसे हैं, जो हमेशा के लिए घर से किए जा सकते हैं। एक दूसरी बड़ी बहस यह भी छिड़ी हुई है कि क्या दफ्तर सिर्फ काम के लिए होते हैं? टीम भावना, कंपनी से जुड़ाव और नौकरी न बदलने की इच्छा, इन सबके पीछे दफ्तर की भी भूमिका होती है। काम के बीच चाय-कॉफी पर चर्चा, विमर्श, दोस्तियां, रोमांस इत्यादि से भी इंसान अपने दफ्तर से जुड़ता है। फेसबुक और ट्विटर, दोनों ने कहा है कि वे अपने बहुत से कर्मचारियों को हमेशा के लिए घर से काम करने की छूट दे रहे हैं। उधर, एक रियल एस्टेट कंपनी ने एक नए ऑफिस का डिजाइन बना दिया है, जिसमें काम करने वालों के बीच छह फुट की दूरी का इंतजाम होगा। यह तय है कि हर आदमी घर से काम नहीं कर सकता और काम के जितने भी तरीके निकाले जाएंगे, उन पर सवाल उठेंगे। बहरहाल, दुनिया किसी भी शक्ल में खुले, हमें आगे तो बढ़ना ही होगा।
मेष चन्द्रमा के प्रभाव से माता से सम्बन्धित सुख में कमी आयेगी तथा भूमि एवं अचल सम्पत्ति को भी हानि पहुँचती है, स्वास्थ्य से सम्बन्धित परेशानि होगी, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से धन सम्बन्धित योग निरन्तर प्राप्त होंगे तथा धन उपार्जित करने के लिए विशेष मनोयोग के साथ निरन्तर प्रयत्नशील बनेंगे। वृष चन्द्रमा के प्रभाव से जीवनसाथी तथा व्यवसाय के क्षेत्र में चिन्ता, हानि तथा कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा, साथ ही भाई-बहनों के सम्बन्धों में भी त्रुटि बनेगी, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से शारीरिक सौन्दर्यता बढ़ेगी तथा हृदय के भीतर शक्ति एवं बाहर यश तथा मान प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। मिथुन चन्द्रमा के प्रभाव से धन प्राप्ति के लिये कठिन परिश्रम करना पड़ेगा तथा शत्रु पक्ष द्वारा हानि पहुँचने की सम्भावना है, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से व्यय अधिक रहेगा जिसके कारण धन संचय नहीं हो पायेगा परन्तु बाहरी स्थानों से लाभ होगा, धन प्राप्ति के सम्बन्ध में अपयश के भागी भी बनेंगे। कर्क चन्द्रमा के प्रभाव से विद्या, बुद्धि में कमी तथा संतान पक्ष से कष्ट प्राप्त होगा साथ ही शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता भी आयेगी, चन्द्रमा की सातवीं उच्च दृष्टि से आर्थिक लाभ के लिये अपनी मानसिक तथा शारीरिक शक्तियों एवं गुप्त युक्तियों का प्रयोग करेंगे और उसमें सफलता प्राप्त करेंगे परन्तु थोड़ी-बहुत मानसिक अशान्ति भी बनेगी। सिंह चन्द्रमा के प्रभाव से माता एवं भूमि-मकान आदि के सुख में कमी तथा कष्ट की प्राप्ति होगी तथा घरेलू खर्चो के कारण मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा, चन्द्रमा की सातवीं उच्च दृष्टि से पिता से सुख मिलेगा तथा राज्य एवं व्यवसाय के द्वारा सुख, सम्मान एवं सफलता की प्राप्ति होगी। कन्या चन्द्रमा के प्रभाव से भाई-बहन के पक्ष से परेशानी होगी तथा परक्रम में भी कुछ कमी बनेगी, मानसिक चिन्ताओं से ग्रस्त रहेंगे तथा धनोपार्जन के क्षेत्र में कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से कठिन परिश्रम द्वारा भाग्य क्षेत्र में वृद्धि होगी तथा धार्मिक कार्याें में विशेष रूचि बनेगी। तुला चन्द्रमा के प्रभाव से धन संचय शक्ति में कमी आयेगी तथा कुटुम्ब का सुख भी प्राप्त नहीं होगा, व्यवसाय एवं सुख के मार्ग में बाधाएँ पड़ेगी तथा धन वृ(ि के लिए गुप्त युक्तियों का आश्रय लेंगे, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से स्वास्थ्य से सम्बन्धित परेशानियों में लाभ होगा, जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें। वृश्चिक चन्द्रमा के प्रभाव से शारिरिक दुर्बलता रहेगी, यशप्राप्ति के मार्ग में कठिनाईयाँ आयेंगी जिसके कारण मन चिन्तित सा बनेगा, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से सुन्दर एवं मनोनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होगी साथ ही व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। धनु अष्ठमेश चन्द्रमा के प्रभाव से व्यय के मामलों में बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा तथा बाहरी स्थानों के सम्बन्ध से भी कष्ट मिलेगा, स्वास्थ्य से सम्बन्धित परेशानी आयेगी, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से शत्रुओं पर प्रभाव बनायेंगे, न्यायिक क्षेत्र में मामलों पर विजय एवं सफलता प्राप्त करेंगे। मकर चन्द्रमा के प्रभाव से आय के क्षेत्र में कुछ कमी बनेगी, जीवनसाथी एवं व्यवसाय के पक्ष में भी अल्पसुख प्राप्त होगा, गृहस्थी के कारण मानसिक चिन्ताओं के कारण भी बनेंगे, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से विद्या, बुद्धि तथा संतान का सुख यथेष्ट मात्रा में प्राप्त होगा, जीवन उल्लासपूर्ण होगा। कुम्भ षष्ठेश चन्द्रमा के प्रभाव से पिता पक्ष से सुख में कमी होगी, राजकीय क्षेत्र से सम्मान में कुछ हानि प्राप्त होगी, व्यवसायिक उन्नति में रूकावटें आयेंगी, शत्रुपक्ष से परेशानी होगी, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से माता, भूमि-मकान आदि का सुख प्राप्त होगा। मीन चन्द्रमा के प्रभाव से भाग्योन्नति में कुछ रूकावटें आयेेेंगी तथा धार्मिक कार्यों का पालन भी यथाविधि नहीं होगा, संतान सुख में कमी तथा विद्या के क्षेत्र में कमी होगी, मन तथा मस्तिष्क में परेशानी बनेगी, चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि से भाई-बहनों का सहयोग मिलेगा तथा पराक्रम की वृद्धि होगी।
क्षेत्रीय सांसद डॉ. केपी यादव एवं कोलारस विधायक वीरेंद्र सिंह रघुवंशी ने ओलावृष्टि से प्राकृतिक आपदा पर कोलारस विधानसभा के ग्राम खैराई, मोहराई, भड़ौता में हुए नुकसान का मुआयना किया। भाजपा सांसद डॉ. केपी यादव ने किसानों के प्रति सहानुभूति का परिचय देते हुए सोमवार को शाम एवं रात्रि में हुई बरसात एवं ओलावृष्टि से संसदीय क्षेत्र के अशोकनगर कोलारस में हुई बरसात एवं ओलावृष्टि के कारण किसानों के खेतों में खड़ी हुई गेहूं एवं चने की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा जिस पर संवेदनशीलता दिखाते हुए सांसद डॉ के पी यादव एवं कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने आज कोलारस विधानसभा के कई ग्रामों में पहुंचकर किसानों के खेत पर पहुंचे और उन्होंने फसलों का मुआयना किया एवं किसानों को सहानुभूति देते हुए संबंधित अधिकारियों को तत्काल फसलों को हुए नुकसान के सर्वे का निर्देश दिया और उनको तुरंत शासन द्वारा जो सहायता प्रदान की जा सकती है उसके लिए निर्देश दिए ।