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अतिसार रोग में मल के समय मल से रक्त आना शुरू हो जाता है। यदि किसी इंसान के शरीर के अंदर डायरिया काफी लंबे समय से चलती आ रही है। तो ऐसे में इंसान के दस्त करने के समय दस्त के साथ साथ रक्त का आना भी शुरू हो जाता है। ज्यादा मात्रा में मल त्याग करने से शरीर के अंदर कई तरह के पौष्टिक तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इस कारण से शरीर में हमेशा थकावट बना रहता है। और इंसान हमेशा थकावट महसूस करने के कारण हमेशा आराम करना चाहता है। डायरिया के लक्षणों में सिर का दर्द होना भी प्रमुख लक्षण माना जाता है। लंबे समय से मल त्याग करने के कारण हमेशा सर में दर्द बना रहता है। ज्यादा मात्रा और पतले मल त्याग करने से बुखार का आना और वजन की कमी होनी ही शुरू हो जाती है। कभी कभी देखा जाता है कि डायरिया के लक्षणों में जैसा हम भोजन करते हैं। बिना पचे हमारे भोजन हमारे मल के माध्यम से वैसे ही निकल जाते हैं। खाना खाने के तुरंत उपरांत जी मिचलाना उल्टी का आना भी अतिसार और डायरिया के लक्षण माने जाते हैं। मल त्याग करने के समय में ढीले मल का त्याग होना अर्थात ज्यादा मात्रा में पतले और पानी जैसे मल का त्याग करना अतिसार के प्रमुख लक्षणों में से एक माने जाते हैं। खजूर का नाम आप लोगों ने आवश्य सुना होगा। खजूर शरीर के अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में रोगी की मदद करता है। अतिसार और डायरिया के रोग में खजूर का एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। खजूर के पांच से छह की संख्या को लेकर इसके सेवन करने से शरीर के अंदर हो रहे डायरिया और अतिसार के रोग को खत्म किया जा सकता है। इसके उपयोग करने के लिए हमें ५ से ६ खजूर के फल को लेकर इसका सेवन करना है। और १ घंटे के बाद थोड़ा थोड़ा पानी पीते रहना है। लगातार थोड़े थोड़े पानी के सेवन करने से शरीर के अंदर अतिसार और पतले दस्त की समस्या को दूर किया जा सकता है। साथ ही साथ खजूर के सेवन करने से शरीर के अंदर रोग से लड़ने की क्षमता में भी काफी वृद्धि होती है। दालचीनी के सेवन करने से भी शरीर के अंदर उत्पन्न हो रहे अतिसार और दस्त की समस्या को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। दालचीनी के उपयोग करने के लिए हमें दालचीनी १० ग्राम लेकर इसे अच्छे से कूटकर चूर्ण बना लेना है। चूर्ण बनाने के उपरांत हमें १ लीटर ठंडे पानी में इसे मिलाना है। और इसे हल्की आंच पर गर्म करना है। जब यह पानी उबलने लगे तो हमें किसी छलनी के माध्यम से इस पानी को छान लेना है। और २४ घंटे तक हमें इस पानी की थोड़ी-थोड़ी मात्रा सेवन करने से शरीर के अंदर उत्पन्न हो रहे डायरिया अतिसार और पतले दस्त की समस्या को हमेशा के लिए दूर किया जा सकता है। यदि नवजात शिशु के अंदर डायरिया के लक्षण नजर आ रहे हैं तो ऐसे शिशु को जायफल को पीसकर और बार-बार चटाने से अतिसार में यह अत्यंत लाभप्रद साबित होता है। हालांकि नवजात शिशु को आप हमारे द्वारा बताए गए ऊपर के किसी और औषधि का सेवन ना करवाएं। क्योंकि नवजात शिशु में इम्यून सिस्टम व्यस्क पुरुष के मुकाबले कमजोर होता है। ऐसे में यदि किसी कम आयु के बच्चे में अतिसार अर्थात डायरिया के लक्षण नजर आ रहे हैं। तो उसे जायफल को पीसकर उसको चटाने से कम आयु के बच्चे में अतिसार की बीमारी को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। डायरिया अर्थात अतिसार के रोग को जड़ से खत्म करने के लिए नीम की पत्ती का उपयोग किया जा सकता है। नीम के पत्ती के अंदर बहुत सारे ऐसे गुण मौजूद है। जो शरीर के अंदर उत्पन्न हो रहे रोग को हमेशा के लिए खत्म कर सकता है। नीम के उपयोग करने के लिए हमें नीम के कोमल पत्तियां लेनी है। चार से पांच कोमल पति को लेकर अच्छे से साफ कर लेना है। इसे पीसकर इसका पेस्ट तैयार कर लेना है। पेस्ट तैयार होने के बाद इसमें शहद की मात्रा मिलाकर १ दिन में तीन से चार बार सेवन करने से डायरिया अर्थात पतले हो रहे दस्त में काफी सुधार प्राप्त किया जा सकता है। अतिसार की समस्या को खत्म करने के लिए बेल का पानी भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। गर्मी के समय में बेल का उपयोग करना अतिसार के साथ साथ कई अन्य रोगों को जड़ से खत्म करने के लिए किया जाता है। यदि किसी रोगी को अतिसार की समस्या बहुत विकृत होती जा रही है। तो ऐसे में पके हुए बेल के गुदा को पानी में अच्छी तरह से मिलाकर और थोड़ी सी शक्कर डालकर इसका शरबत बनाकर इसके सेवन करने से अतिसार के रूप में काफी फायदेमंद साबित होता है। अतिसार और डायरिया के रोग से छुटकारा पाने के लिए पीपल के पत्ते का भी सेवन करना अति आवश्यक है। पीपल के पत्ते में बहुत सारे ऐसे आयुर्वेदिक गुण मौजूद है। जो शरीर के अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता को प्रबल बनाता है। साथ ही साथ इसके सेवन करने से अतिसार और डायरिया के रोग को जड़ से खत्म करने में हमारी मदद करता है। पीपल के पत्ते के उपयोग करने के लिए हमें तीन से चार पीपल के पत्ते को अच्छी तरह से धोकर पानी में उबालना है। इसे तब तक उबलते रहना है। जब तक कि पीपल के पत्ते का रंग बदल ना जाए। पीपल के पत्ते के रंग बदल जाने के बाद हमें इस पानी को किसी छलनी या कपड़े की मदद से अच्छे से छान लेना है। इस पानी का सेवन करने से शरीर के अंदर उत्पन्न हो रहे डायरिया के रोग को हमेशा के लिए जड़ से खत्म किया जा सकता है। डायरीया और अतिसार की समस्या में लौकी का सेवन भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। लोकी हमारे पेट से जुड़ी सभी समस्याओं को समाप्त करने में हमारी मदद करता है। ऐसे में अतिसार की समस्या को भी जड़ से समाप्त करने में लौकी का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। प्रतिदिन लौकी के जूस के सेवन करने से शरीर के अंदर उत्पन्न हो रहे डायरिया अर्थात अतिसार की समस्या को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। हालांकि आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन करने से रोग को खत्म करने में कुछ समय लग जाता है लेकिन आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन करने से शरीर के अंदर उत्पन्न हो रहे रोगों को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है और सबसे अच्छी बात यह मानी जाती है कि आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन करने से शरीर के अंदर किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट होने की संभावना नहीं होती है।
संजीव शर्मा, मेरठ। तीन दिवसीय कुराश प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने जमकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता के दौरान एक से बढ़कर एक कड़े मुकाबले देखने को मिले। मंगलवार को प्रतियोगिता का समापन हो गया। प्रदेश स्तरीय इस प्रतियोगिता में गाजियाबाद की टीम ने ओवर आल चैंपियन का खिताब जीता। विजेता खिलाड़ियों को आयोजकों की ओर से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। तीन दिवसीय कुराश प्रतियोगिता का आयोजन मेरठ जिले के भराला गांव में स्थित राजपाल सिंह स्पोर्टस एकादमी में किया गया था। प्रदेश स्तरीय कुराश प्रतियोगिता के दौरान प्रदेश के सभी जिलों से करीब ३५० खिलाड़ियों ने भाग लिया। मंगलवार को प्रतियोगिता का समापन हुआ। समापन असवर पर विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। भाजयुमो के पूर्व जिला मंत्री मनिंदर विहान भराला ने बताया कि प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। जीत हासिल करने के लिए खिलाड़ी अपने दांव पेंच अजमाते नजर आए। उत्तर प्रदेश कुराश एसोसिएशन के सचिव विक्रांत कश्यप ने बताया कि इस प्रतियोगिता में विजेता बच्चे नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। २७ से २९ दिसंबर पुणे में सीनियर नेशनल प्रतियोगिता और २७ से २९ जनवरी के बीच उज्जैन में जूनियर नेशनल प्रतियोगिता का आयोजन होगा। प्रदेश स्तरीय इस प्रतियोगिता में गाजियाबाद ने पहला, सहारनपुर ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। राजपाल सिंह स्पोटर्स अकादमी के डायरेक्टर सतेन्द्र फौजी ने बताया कि इस प्रतियोगिता के आयोजन से ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ियों को आगे आने का मौका मिलेगा।
१. जो बालक किसी घर या निश्चित निवास स्थान और जीवन निर्वाह के बिना पाया जाता है। १(आ) जो भिक्षावृति करता पाया गया है या स्ट्रीट चिल्ड्रन हो या कार्यशील बालक (बाल श्रमिक) हो। (ई) किसी दूसरे बालक या बालकों को जान से मार डाला है या गाली दी है या उसका या उनकी उपेक्षा की है और उस व्यक्ति द्वारा प्रश्नगत बालक को जान से मार डाले जाने, गाली दिए जाने की युक्तियुक्त सम्भाव्यता है। ३. जिसको मानसिक और शारीरिक रूप से धमकी दी जाती है या बीमार सहायता करने या देख-रेख करने वाले किसी को भी न रखने वाले टर्मिनल रोग या असाध्य रोग से ग्रस्त होने वाला बालक। ४. जिसके एक माता-पिता या संरक्षक है और ऐसे माता-पिता या संरक्षक बालक पर नियन्त्रण रख पाने के लिए अनुपयुक्त है या असमर्थ बना दिया गया है। ५. जिसके माता-पिता नहीं है और कोई एक देख-रेख करना चाह रहा है या जिसके माता-पिता ने उसका त्याग कर दिया है या समर्पित कर दिया है या जो खो गया है या भाग गया है और जिसके माता-पिता को युक्तियुक्त जाँच के पश्चात् नहीं पाया जाता है। ६. जिसका लैंगिक दुरूपयोग या अवैधानिक कृत्यों प्रयोजनार्थ गम्भीर तौर पर दुरूपयोग किए जाने, सताए जाने या शोषण किये जाने की सम्भावना है या की जा रही है। ७. जिसको भेद्य (वुलनेरेबल) पाया जाता है और औषधि दुरूपयोग या दुर्व्यापार करने में उत्प्रेरित किए जाने की सम्भावना है। ८. जिसे अन्त:करण के विरूद्ध लाभ के लिए गाली दिया जा रहा है या गाली दिए जाने की सम्भावना है। ९. जो किसी सशस्त्र संघर्ष, सिविल उपद्रव या प्राकृतिक आपदा का शिकार है। २. विधि से संघर्षरत किशोर - वे बच्चे, जिन्होंने संविधान सम्मत तरीके से स्थापित विधि का जाने-अनजाने उल्लंघन किया हो। इनके प्रकरणों में सुनवाई व निपटान सम्बन्धित किशोर न्याय बोर्ड द्वारा किया जाता है। अधिनियम की धारा ८ के अन्तर्गत विधि के साथ संघर्षरत बालक - बालिकाओं हेतु सम्प्रेक्षण गृह का प्रावधान है। इन गृहों में विधि से संघर्षरत बालक - बालिकाओं को किशोर न्याय बोर्ड के आदेशों से उनकी जांच लम्बित रहने या जमानत होने या अंतिम निपटान तक रखा जाता है। इन गृहों में विधि से संघर्षरत बालक-बालिकाओं हेतु सभी सुविधाएं यथा भोजन, वस्त्र, चिकित्सा, शिक्षा आदि की नि:शुल्क व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जाती है। अधिनियम की धारा ३४ के अन्तर्गत राज्य में देखभाल व संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक - बालिकाओं हेतु बालगृह की स्थापना व पंजीयन का प्रावधान है। इन गृहों में देखभाल व संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक - बालिकाओं को बाल कल्याण समिति के आदेश से १८ वर्ष तक की आयु होने तक रखने का प्रावधान है। इन संस्थाओं में बालक - बालिकाओं के विकास एवं पुनर्वास की पूर्ण व्यवस्था के साथ-साथ भोजन, वस्त्र, शिक्षा, प्रशिक्षण की नि:शुल्क व्यवस्था की जाती है। ३. विशेष गृह - किशोर न्याय अधिनियम की धारा ९ में किशोर न्याय बोर्ड से सजा प्राप्त विधि के साथ संघर्षरत बच्चों को १८ वर्ष की आयु पूर्ण होने तक रखने के लिए विशेष गृहों का प्रावधान किया गया है। अधिनियम की धारा ४८ के अन्तर्गत विमन्दित बालक - बालिका के समुचित संरक्षण, देखभाल व उपचार हेतु राजकीय विमन्दित महिला व बाल गृह, सेठी कॉलोनी, जयपुर को मान्यता प्राप्त संस्थान प्रमाणित किया हुआ है। अधिनियम की धारा ४८ के अन्तर्गत एड्स/ एच.आई.वी. से ग्रसित बच्चों के लिए अजमेर जिले में ''स्नेह संसार संस्था'', ग्राम हाथीखेड़ा, अजमेर एवं जालौर जिले में ''वात्सल्य चाइल्ड केयर होम'', ग्राम लेटा, जिला जालौर को मान्यता प्राप्त संस्थान प्रमाणित किया हुआ है। > अनैतिक एवं सामाजिक रूप से उत्पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना एवं उनमें नए जीवन का संचार करना। राज्य सरकार द्वारा जयपुर, अजमेर, बीकानेर, कोटा, जोधपुर एवं उदयपुर में नारी निकेतनों के भवनों का निर्माण कराया गया है। > इस सदन में महिलाओं को प्रवेश देकर उन्हें निःशुल्क आवास, भोजन, वस्त्र, चिकित्सा एवं शिक्षण-प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। > पुनर्वास व्यवस्था के अन्तर्गत जिन आवासनियों के विरुद्ध विभिन्न न्यायालयों में प्रकरण दर्ज हैं, उनको सम्बन्धित राज्यों एवं जिलों के न्यायालयों में अपना पक्ष रखने हेतु भेजा जाता है तथा न्यायालय के निर्णय अनुसार आवासनियों को उनके अभिभावक व संरक्षकों को सौंप दिया जाता है। > महिला सदन में रहने वाली महिलाओं को विवाह द्वारा भी पुनर्वासित किया जाता है।
युवा कल्याण विभाग एवं प्रांतीय रक्षक दल (पी.आर.डी) के तत्वाधान में ब्लॉक स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन सरस्वती देवी परमानंद सिन्हा इंटर कॉलेज कौड़िहार के मैदान में आयोजित किया गया। संचालन खेल शिक्षक देवेन्द्र श्रीवास्तव ने किया। वॉलीबाल, कबड्डी, १०० मीटर, २०० मीटर, ४०० मीटर, ८०० मीटर, १५०० मीटर की दौड़, लंबीकूद, गोला फेंक, डिस्कस की प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता में क्षेत्र के कई विद्यालय और कॉलेज के छात्र और छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इसमें दीनदयाल उपाध्याय आश्रम पद्धति विद्यालय जगदीशपुर चांधन कौड़िहार प्रथम व आरडी कान्वेंट कॉलेज नवाबगंज द्वितीय स्थान पर रहा। प्रतियोगिता के बाद बालक और बालिका वर्ग की टीम का चयन किया गया। बालिका वर्ग में वंदना पटेल, करिश्मा मौर्या, ज्योति मौर्या, आकांक्षा यादव, आकांक्षा पाण्डेय, रानी, वंदिक सरोज, काजल पटेल और बालक वर्ग में अमृत कुमार सरोज, बालगोविंद, आजाद यादव, रंजीत कुमार, अमर बहादुर पटेल, अमित पांडेय का चयन किया गया। चयनित टीम आगामी ५ जनवरी को मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में जनपद स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेगी। मुख्य अतिथि एडीओ पंचायत श्रीकांत यादव ने विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया। विशिष्ट अतिथि सरस्वती देवी परमानंद सिंहा इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य गरिमा त्रिपाठी ने विजेताओं को बधाई दी।
लाइफस्टाइल डेस्क. लाइफस्टाइल डेस्क. ज्यादातर पेरेंट्स पालतू कुत्तों को बच्चों की पढ़ाई के वक्त दूर रखते हैं ताकि बच्चे पढ़ाई छोड़ने उनके साथ खेलने ना लगें। लेकिन हाल ही में कनाडा के यूबीसी ओकानागन स्कूल ऑफ एजुकेशन की रिसर्च में सामने आया है कि जब बच्चों के आस-पास पालतू कुत्ते होते हैं तो उनका मन देर तक पढ़ाई में लगा रहता है और वो जल्दी सीख और याद कर पाते हैं। बच्चे पढ़ाई में ज्यादा इंट्रेस्ट दिखाते हैं। अध्ययन १७ बच्चों पर किया गया। इसमें १ से ३ ग्रेड तक के बच्चे शामिल थे। इन बच्चों को पहले अकेले पढ़ाई को कहा गया और फिर बाद में पढ़ाई के दौरान साथ पालतू कुत्ते साथ रखे गए। शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया कि कुत्ते की मौजूदगी और गैरमौजूदगी में बच्चों ने पढ़ाई किस तरह से की। शोधकर्ता केमिली रूसो ने बताया, 'हमारे अध्ययन ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि क्या एक बच्चे को लंबे समय तक पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है और कुत्ते के साथ होने पर कुछ चुनौतियों को आसानी से पार किया जा सकता है।' शोध में के लिए बच्चों को पहले रीडिंग करने के लिए कहा गया। फिर कुछ ऐसा मेटेरियल दिया गया जो उनकी समझ से परे था। हर बच्चे से कहा गया कि वो किसी डॉग हैंडलर, पालतू जानवरों या किसी को जोर से किताब पढ़ कर सुनाएं। कुत्तों की मौजूगी में उन्होंने पढ़ाई जारी रखने को कहा। इसके अलावा, बच्चों ने अधिक रुचि दिखाई और अच्छा महसूस करने की सूचना दी। कई स्कूलों, पुस्तकालयों और सामुदायिक संगठनों में थेरेपी डॉग रीडिंग कार्यक्रमों की लोकप्रियता में बढ़ी है। रूसो का कहना है कि 'ऐसे अध्ययन किए गए हैं , जिनमें देखा गया है छात्रों की पढ़ने की क्षमताओं को बढ़ाने में कुत्ते सहायक रहे हैं। रूसो ने उम्मीद जताई है कि कई संस्थानों को ये समझ आएगा कि कुत्तों के साथ पढ़ाई करने से बच्चों को खुद को प्रेरित करने में मदद मिलती है।
- चक्का जाम से निपटने को नहीं पुख्ता प्रबंध, चंबा न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें। चंबा। एचआरटीसी के चालकों- परिचालकों के एक दिन के चक्का जाम के निर्णय का जिला में व्यापक असर देखने को मिल सकता है। जिला प्रशासन की ओर से इस समस्या से निपटने के लिए पुख्ता प्रबंध नहीं किया जा सके हैं। प्रदेश सरकार ने निजी बस आपरेटरों की मदद से प्रभावित होने वाले रूटों को बहाल करने के निर्देश दिए थे, मगर जिला में ऐसा कोई विशेष प्रबंध नहीं हुआ है। यहां तक कि निजी बस आपरेटरों की रूट मुहैया करवाने की पेशकश भी एक तरह से नजरअंदाज का दी गई है। इस बंद का असर खास कर लांग रूटों पर पड़ेगा। इस कारण पर्यटकों व बाहरी राज्यों में आने-जाने वाले जिलावासियों को निजी बसों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। उधर, इस चक्का जाम से जिला में एचआरटीसी के १०८ रूटों पर बसें नहीं चलेंगी। ऐसे में मंगलवार के दिन सवारियों को खुद ही अपने आने-जाने की व्यवस्था करनी होगी। आरटीओ ओेंकार सिंह ने कहा कि विभाग की ओर से निजी बस आपरेटरों को कोई विशेष रूट परमिट नहीं जारी किया गया है। लिहाजा यात्री अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए अपनी सुविधा अनुसार ही प्लान बनाएं। प्राइवेट बसें अपने रूटों पर ही चलेंगी। प्राइवेट बसें अपनी सेवाएं अपने-अपने रूटों तक सारा दिन देंगी। वहीं उपायुक्त डा. सुनील चौधरी ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से सिर्फ यही निर्देश दिए गए हैं कि जो निजी बसें अपने रूटों पर चलती हैं, वे ज्यादा सवारी होने पर अधिक फेरे लगा सकती हैं। विशेष रूटों की व्यवस्था नहीं की है। आरएम एचआरटीसी विजय कुमार सिपहिया ने बताया कि जिला में १०८ रूटों पर एचआरटीसी की बसें चलती हैं। निजी बस आपरेटर यूनियन चंबा के प्रधान रवि महाजन ने कहा कि जिला में अधिकतर रूटों पर निजी बसें ही सेवाएं देती हैं। जरूरत पड़ी तो बसों को आगे ले जाने की परमिशन ले ली जाएगी।
बॉलीवुड एक्टर आमिर खान की २००८ में रिलीज फिल्म 'गजनी' बॉक्स ऑफिस पर खूब चली थी। इस फिल्म ने ही बॉलीवुड में १०० करोड़ वाले क्लब का ट्रेंड शुरू किया था। अब मेकर्स ने इस हिट फिल्म के सीक्वल की हिंट दे दी है। रिलायंस एंटरटेनमेंट ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक ट्वीट किया है, जिसे देखने के बाद 'गजनी' के सीक्वल की चर्चा शुरू हो गई है। मेकर्स ने इस पोस्ट में आमिर को टैग करते हुए लिखा, ''ये पोस्ट वैसे तो 'गजनी' को लेकर था लेकिन अब भूल गए कि हम क्या बनाना चाहते हैं।'' माना जा रहा है कि साउथ की 'विक्रम वेधा' की रीमेक का नाम 'गजनी २' हो सकता है। फिल्म के मेकर्स ने हाल ही में इस टाइटल को रजिस्टर कराया है। रिपोर्ट के अनुसार, टाइटल को हिंदी और तेलुगू भाषा में रजिस्टर कराया गया है. इसके बाद अब यह बात पक्की हो गई है कि 'गजनी २' की प्लानिंग हो रही है. अभी मेकर्स ने इस फिल्म की आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की है। 'गजनी' को एआर मुरुगादोस ने डायरेक्ट किया था और इसके सीक्वल के लिए भी उन्हें ही एप्रोच किया जा सकता है। खबरों की मानें तो इस फिल्म के लिए आमिर अपनी बॉडी पर खासा ध्यान दे रहे हैं. आमिर अपनी डाइट पर कंट्रोल कर रहे हैं। वह अपने शरीर को एक खास शेप में लाने के लिए भी मेहनत कर रहे हैं। 'गजनी २' में भी आमिर का लुक 'गजनी' की तरह टफ नजर आ सकता है।
थारी लुगाई लगे तो म्हारे जैसी, पर मैं थारी लुगाई ना सू । तनु वेड्स मनु रिटर्न्स फ़िल्म देखी, तो गुज़रा वक़्त और उसकी खट्टी मीठी यादों का सिलसिला दिलोदिमाग पे छाने लगा । जब हम इंदौर पहुँचे तो पहले ही दिन क्लास में एक लड़के पे नज़र पड़ी और उसका साइड प्रोफाइल देखके हम चकरा गए । मन ही मन ख़ुशी की फुलझड़ियाँ फूटने लगी । आहा! यह तो थोड़ा-थोड़ा मेरे प्यारे दोस्त से मिलता जुलता है । अच्छा लगा कि उसके जैसा कोई यहाँ है तो यहाँ भी मन लग जायेगा । कुछ दिन बाद इत्तेफाक से वो मेरे बगल वाली सीट पे आ बैठा । मैंने उसकी तरफ़ मुस्कुराके देखा और बातचीत शुरू हो गयी । बस यहीं पे खुशनुमा एहसास का खात्मा हो गया । क्यूंकि उसने कहा हैमा (हेमा), तुम्हारे पास एक पैन (पेन) एक्स्ट्रा है क्या? उफ्फ !! तौबा !! यक्क !! यह क्या है ? उसके मुखारविन्द से ऐसे सरस जलेबी सरीखे बैन सुनके लखनवी लड़की मन ही मन रो दी । प्यारे दोस्त का रूतबा और भी ऊँचा हो गया और यह हमशकल गर्त में जा पहुँचा । ऐसा लगा जैसे मेरा नटखट दोस्त मुस्कुराके कह रहा हो वाह शर्मा जी ! रीबोक नहीं तो रीबूक ही सही उस दिन उस लड़के से सम्मोहन टूट गया और हम उसे नज़रंदाज़ करने लगे । क़िस्सा खत्म हुआ । फ़िर एक और रोचक क़िस्सा हुआ वो भी बेहद बोरिंग क्लास में । हमारे डाटा स्ट्रकचर की क्लास चल रही थी । हम सर झुकाए नोट्स कॉपी कर रहे थे कि अचानक एक आवाज़ ने चौंका दिया । हमने हडबडाके तुरंत सर उठाया तो देखकर यक़ीन ही नहीं हुआ कि हमारे लेक्चरर ने वो उम्हुम्म की आवाज़ की थी । बिल्कुल मेरे प्यारे दोस्त के अंदाज़ में । हम उन्हें कुछ देर एकटक देखते रहे । सचमुच ऐसा हुआ या हमने इतनी बोरियत भरी क्लास में छोटी सी झपकी ले ली और छोटा सा सपना देख लिया था ! लेकिन कुछ देर बाद फिर उन्होंने ऐसा ही किया हमारी ख़ुशी का आर-पार ना रहा । और उस दिन के बाद कभी हमने उनकी कोई क्लास गुल नहीं की और बस वो उम्हुम्म करे इसका इंतज़ार करते रहते थे । जैसे ही वो ऐसा करते हम सर झुका के एक हाथ अपने होंठो पे रखके चुपके से खुश हो लेते थे । वो सेमेस्टर बीता और उनका साथ छूट गया । उनको अलविदा कहके हम लौटे अपनी यादों से वापस । सामने दत्तो कह रही थी अच्छा तो इब जो तीसरी ढूँढोगे वो भी ऐसी सी सकल की ढूँढोगे ? और राजा अवस्थी ने वही कहा जो हमने तब सोचा था बस हो गया हमारा, सारे शौक पूरे हो गए हमारे । यादों के मेले में हम फिर जा पहुँचे । तुम जैसे दिखने वाले या तुम्हारे जैसे अंदाज़ वाले तो मिल जाते है लेकिन वो तुम नहीं होते । मुझे बस तुम तुम और तुम चाहिए । इस बीच एक मेल भी आई । मेल करने वाले का नाम और मेरे दोस्त का नाम एक ही था, हाँ लेकिन उसका पूरा नाम अलग था । उन दिनों ना व्हाट्सएप्प (व्हेत्सप्प) होता था, ना ऑरकुट ना फेसबुक । लेकिन उनदिनों मेल होती थी, याहू चैट होती थी और बहुतसारी वेबसाइट्स होती थी ग्रीटिंग कार्ड्स वाली । लड़को को अनजान लड़कियों से दोस्ती करने के यह साधन थे । तो कई मेल्स आती थी अजनान लोगों की । लेकिन हमने कभी किसी को रिप्लाई नहीं दिया । इस बार हम अपना यह व्रत तोड़ रहे थे । हमने उसे रिप्लाई किया हम तुम्हें रिप्लाई इसलिए कर रहे हैं क्यूँकि तुम्हारा नाम हमारे एक बहुत प्यारे दोस्त से मिलता जुलता है, इसके बाद हमे मेल मत करना क्यूँकि हमे तुम्हारी मेल नज़रंदाज़ करने में काफ़ी तकलीफ़ होगी । बताने की ज़रूरत नहीं कि उस लड़के ने दोबारा कभो मेल नहीं की । जो भी इसको पहन ले वो अपना सा लगता है । कहीं कहीं से हर चेहरा तुम जैसा लगता है । हमने घूमके पतिदेव की तरफ़ देखा वो फ़िल्म से बहुत ही खुश थे । उनके ख़ुशी और सन्तुष्टि भरे चेहरे को देखके उनपे बड़ा प्यार आया और मन गा उठा । छोटी छोटी गलतियाँ और ना-उम्मिंदी रिश्तों को उधाड़ने पे आमादा रहती हैं तो अच्छी यादें बखिया कर देती हैं । प्यार की चांदनी जो बिखरने सी लगती है हर रोज की व्यस्तताओं में, उसे करीने से बिछाने की अदाकारी होती है यादों में । सपनों के तारों पे हकीक़त की जो गर्द जम जाती है, उसे मांझकर फिर से टिमटिमाने की कला सिखा देती हैं अच्छी यादें । जो हमारे पास है उसे सराहने की इच्छा जाग उठती है । जीवन और दुनिया अच्छी लगने लगती है । तो आप बताइए कब ले चलेंगी मुझे अपने यादों के सफ़र पे?
बिल गेट्स का जन्म सिएटल (सीटल, वॉशिंगटन) के अपर मिडल क्लास फ़ैमिली में हुआ था। पिता विलियम हेनरी गेट्स सीनियर (विलियम हेनरी गेट्स सीनियर) एक वकील थे। माँ मैरी मैक्सवेल गेट्स पहली इंटरस्टेट बैंक सिस्टम के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स की सद्स्या थी। उनके परिवार में दो बहनें, कृस्टी (क्रिस्टेन) और लिब्बी हैं, जो एक उनसे बड़ी और दूसरी छोटी हैं। उनके नाना राष्ट्रीय बैंक के प्रेसिडेंट थे। उनके पैरेंट्स उन्हें बचपन से ही कॉम्पटिशन के लिए प्रेरित करते थे। १३ साल की उम्र में बिल गेट्स का प्रारंभिक शिक्षा लेक्साइड स्कूल में स्टार्ट हुआ। उनको बचपन से ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में काफी रुचि थी। इस रुचि के लिए वे मैथ की क्लास भी छोड़ देते थे। स्कूली शिक्षा के दौरान उन्होंने बेसिक कंप्यूटर लैंग्वेज में टिक टैक तोए प्रोग्राम को लिखा, जिसे यूजर गेम खेलने में यूज करते है। स्कूल में कंप्यूटर पर जरूरत से अधिक समय बिताने के कारण एक बार उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिनमें पॉल एलन, रिक वेलैंड, और केंट एवंस भी शामिल थे। उन दिनों अमेरिका में बच्चों का ज्यादा समय तक कंप्यूटर उपयोग करने पर बैन था। बैन खत्म होने के बाद इन चारों स्टूडेंट्स को क्क स सोफ्त्वरे से कमियाँ निकालने का काम दिया गया और बदले में उन्हें कंप्यूटर पर एक्सट्रा टाइम बिताने का ऑफर दिया गया। वे सीसीसी की ऑफिस गए और वहाँ उन्होंने विभिन्न प्रोग्राम्स में उपयोगी सोर्स कोड का अध्ययन किया। यह काम १९७० के अंत तक जब कंपनी बंद हो गई तब तक करते रहे। अब तक १५ वर्षीय गेट्स को अपनी हुनर का पहचान मिल चुका था। इसी वर्ष इंफोरमेशन साइंस, इनक ने सीसीसी में काम करने चारों स्टूडेंट्स को कोबोल भाषा में पैरोल प्रोग्राम लिखने के लिए हायर कर लिया। इस काम के एवज में उन्हें रॉयल्टी और कंप्यूटर पर मनचाहा समय बिताने की छूट दी गई। १९७२ में १७ साल की उम्र में बिल गेट्स ने अपने स्कूल फ्रेंड पोल एलन के साथ मिलकर ट्रफ-ओ-डाटा नाम से एक वैंचर बनाया। जिसमें वे इंटेल ८००८ प्रोसेसर पर आधारित ट्रफिक काउंटर्स बनाया करते थे। १९७३ के शुरू में उन्हें उ स हाउस ऑफ रिप्रसेंटटिव में अपनी सेवा देने का मौका मिला। १९७३ में बिल गेट्स ने लेक्साइड स्कूल से उम्दा अंकों से ग्रेजुएशन पूरा किया, जिसके कारण वे नेशनल मेरिट स्कोलर भी रहे। उन्होंने सत की परीक्षा में १६०० में १५९० अंक अर्जित किए। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए हावर्ड कॉलेज चले गए। जहां वे स्टीव बालमर से मिले, जो बाद में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बने। इसी समय उन्होंने एमआईटीएस इंटेल ८०८० क्पू पर आधारित अल्टायर ८८०० बनाया। यहीं से उन्होंने और इवान्स ने सोचा कि क्यों ना खुद की कंपनी बनाई जाए। वे उस समय ही कॉलेज छोड़ने का मन बना चुके थे। उन्हें अपनी नई कंपनी बनाने में पैरेंट्स की भी मदद मिली। रेड अलसो : कैसा बना वो फर्श पर सोकर गूगल का सीईओ ? १९७५ में अपनी कंपनी का नाम माइक्रो-सॉफ्ट रखा, जिसे नवंबर २६, १९७६ में (-) हायफ़न को हटाकर माइक्रोसॉफ्ट के नाम से रजिस्टर करा लिया। उस समय माइक्रोसॉफ़्ट का बेसिक प्रोग्राम पोपुलर हो चुका था। पर वे चाहते थे कि वे अन्य सॉफ्टवेर पर भी काम करें। सो वे बहुत से विभिन्न प्रकार के प्रोग्रामिंग लैड्ग्वेज पर सॉफ्टवेयर बनाने लगे। जनवरी १, १979 में उन्होंने अपनी कंपनी को अल्बूकर्क्यू से बेलेव, वॉशिंग्टन शिफ्ट कर लिया। जुलाई १९८० में आईबीएम अपनी आने वाली प्क की ओपरेटिंग सिस्टम की कमी को पूरा करने के लिए माइक्रोसॉफ़्ट से पार्टनर्शिप कर लिया। उन्होंने ८६-डोस ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया, जिसे क्डोस भी कहा जाता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम क्प/म के समान था। इस डील के लिए उनकी कंपनी को $५०.००० मिले। इस डील से खुश उन्होंने ऑपरेटिंग सिस्टम डेवलप करने पर ही पूरा फोकस करने का निर्णय लिया। इसी क्रम में म्सडोस को लांच किया, जो काफी पोपुलर हुआ। जिसे आप और हम अच्छी तरह से जानते हैं। २० नवंबर १९८५ को माइक्रोसॉफ्ट विंडो का पहला वर्जन आया। जो कंप्यूटर के दुनियाँ का ऑपरेटिंग किंग बना गया, जो आज तक बरकरार है। वे १९७५ से २००६ तक कंपनी की प्रॉडक्ट डेव्लपमेंट रणनीति को खुद सँभालते रहे। फिर इसके बाद वे माइक्रोसॉफ़्ट के चेयरमेन बन गए। उन्होंने अपनी वाइफ के साथ मिलकर २००२ में बिल & मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के नाम से चरिटेबल ऑर्गनीसशन बनाया, जिसके द्वारा वे दुनियाँ भर में सोशल वर्क और धन-दान करते है। २००८ में उन्होंने माइक्रोसॉफ़्ट को प्रोमोट करने के लिए जेरी सेनफील्ड के साथ ९० सेकंड का अध में भी भाग लिया। जिसमें वे एक अजनबी से बात कर रहे थे। आज माइक्रोसॉफ्ट का नेट इनकम १२.१९ बिलियन है और फोर्ब्स की धनवान कंपनी की सूची में दूसरे स्थान पर है। आज उनका नेटवर्थ ७५.५० बिलियन है। वर्तमान में वे माइक्रोसॉफ़्ट का चीफ अद्विसर के पद पर कार्यरत है और भारतीय सत्या नड़ेला माइक्रोसॉफ़्ट के सीईओ है। २। कभी मेहनत-मजदूरी करता था, आज कॉमेडी किंग है।
कम लोगों से शुरुआत करो, जिन्हें तुम जानते हो।सामाजिक व्यवहार जैसे आंखें मिलाना, आत्मविश्वास से भरा बॉडी इमेज, छोटी-छोटी बातचीत, प्रश्न पूछना और ऐसे लोगों को आमंत्रित करना जिनके साथ तुम सबसे ज्यादा सहज महसूस करते हो। साथ ही, मुस्कुराना भी सीखो। इस तरह से अपना आत्मविश्वास बढ़ाओ और अपने नये दोस्तों के साथ भी इसी तरह का व्यवहार करने का प्रयास करो। कोई बात कहने से पहले अभ्यास करना भी बेहतर है। जब तुम किसी बात कहने की कोशिश करने के लिए तैयार होगे तो हो सकता है, तुम उसे अपने शर्मीलेपन की वजह से छोड़ दो, जैसे कोई फोन कॉल या कोई बातचीत, तुम क्या कहना चाहते हो इसे पहले से ही लिख लो। तेज-तेज बोलकर अभ्यास भी कर सकते हो, चाहो तो शीशे के सामने खड़े होकर भी अभ्यास कर सकते हो। इस बात की फिक्र बिल्कुल मत करो कि वह वैसा नहीं हो पा रहा है जैसा कि तुम अभ्यास कर रहे हो या फिर ज्यादा अच्छा नहीं हो पा रहा है।सबसे खास बात यह है कि तुम आत्मविश्वास बनाए रखो। जब अगली बार तुम अभ्यास करोगे तो तुम खुद को पहले से ज्यादा बेहतर पाओगे। ऐसी एक्टिविटीज वाले समूह में शामिल हो, जिसमें तुम्हारी दिलचस्पी वाले लोग हों। इस जगह नये लोगों के बीच तुम खुद को मेलजोल बढ़ाने का एक मौका दो और उन लोगों को धीरे-धीरे जानने की कोशिश करो। जो लोग शर्मीले होते हैं अकसर असफलता या फिर लोग उन्हें जज करेंगे जिनकी तुम्हें फिक्र रहती है। इस तरह की फिक्र और अनुभव के बावजूद तुम्हें प्रयास करते रहना चाहिए। खुद को अपना बेस्ट फ्रेंड मानकर व्यवहार करो। असफलता सोचने की बजाय खुद को प्रोत्साहित करने का प्रयास करो। सबसे अहम बात यह कि खुद के बारे में सोचो। बातचीत की शुरुआत को पहले ही सोच लो। अकसर किसी नये व्यक्ति के साथ बातचीत शुरू करने से पहले यही सोचना पड़ता है कि शुरुआत वैसे की जाए। शुरू करने वाली बातें पहले सोच लो जैसे खुद का परिचय देना, तारीफ करना या फिर कोई प्रश्न पूछना। बातचीत शुरू करने के बाद किसी बात का जवाब देने के लिए खुद को तैयार रखो, ऐसा करने से किसी से बातचीत करना ज्यादा आसान हो जाएगा।
सुरसा (हरदोई)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में सुरक्षा थाना क्षेत्र के गांव मलिहाबाद में बीती रात बारात के दौरान जनातियों व बारातियों में कहासुनी हो गई। सूचना पर पहुंची यूपी १०० पुलिस ने विवाद शांत कराने का प्रयास किया तो बारातियों ने पुलिस पार्टी पर हमला बोल दिया। दरोगा व दो सिपाहियों को दौड़ा-दौड़ाकर थप्पड़ व लातघूसों से पीटा। महिलाबाद निवासी एक युवती की बुधवार को शादी थी। उन्नाव जिले के कस्बा बांगरमऊ से बारात आने के बाद धूमधाम से उसका स्वागत व अगवानी की गई। बारात में शामिल कुछ बाराती नशे में बेहद धुत थे। खुलेआम शराब पीने के बाद उन्होंने उत्पात मचाना शुरू कर दिया। कुछ जनातियों को नशेड़ियों ने पीटा तो उन्होंने यूपी १०० पुलिस को फोन कर घटना की सूचना दी। इस पर आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची। झगड़ रहे लोगों को शांत कराना शुरू किया। इस बीच कुछ नशेड़ी बारातियों ने पुलिस कर्मियों को घेर लिया और पीटना शुरू कर दी। पुलिस कर्मी जाने बचाने के लिए भागे तो उन्होंने पीछा कर उन्हें पीटा। बाद में सूचना पर भारी पुलिस फोर्स थाने से पहुंचा लेकिन तब तक नशेड़ी भाग चुके थे। बताया गया कि दरोगा व दो सिपाही पिटाई का शिकार हुए हैं। पीड़ित दरोगा सतेंद्र ने ओर से थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
नई दिल्ली, १० अक्तूबर - त्योहारी सीजन से पहले रेल कर्मियों को ७८ दिनों का वेतन बोनस के रूप में मिलेगा। केन्द्रीय कैबिनेट बुधवार काे इस बात की घोषणा कर दी है। पिछले वर्ष भी कर्मचारियों को इतना ही बोनस दिया गया था। रेल कर्मचारियों के संगठनों से बातचीत के बाद रेलवे बोर्ड ने २०१७-१८ के लिए अपने कर्मचारियों को उत्पादकता-लिंक बोनस के रूप में ७८ दिनों के वेतन के बराबर का बोनस का प्रस्ताव किया था। यह बोनस नॉन गजेटेड कर्मचारियों को ही मिलता है। इस बार बोनस की गणना के लिए वेतन सीमा ७,००० रुपए की गई है, जिससे रेलकर्मियों को करीब 1७,९५१ रुपए बोनस राशि के मिलेंगे।
शहर बरेली का सबसे बड़ा और सबसे भव्य थियेटर प्रभा टाकीज़ जो रामपुर गार्डन नामक पॉश कॉलोनी के नज़दीक स्थित है । आज इस टाकीज़ में पैर रखने तक को जगह नहीं है और हर तरफ़ सर ही सर नज़र आ रहे हैं । हर तरफ़ भीड़ ही भीड़ । बुकिंग विंडो,जहाँ टिकटें बांटी जाती है कब की बंद हो चुकी है लेकिन अब भी विंडो को घेरे कई लोग इस उम्मीद में खड़े हैं कि शायद विंडो दोबारा फिर खुलेगी । विंडो के नज़दीक एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ है जिसपर मोटे-मोटे अंग्रेज़ी के अक्षरों में लिखा है 'हॉउसफुल' जिसे देख कर टिकट खरीदने आने वाले दर्शक निराशा में सर हिलाते हुए वापस लौट रहे हैं । जिनको टिकट मिल चुके हैं वे चहरे पर प्रसन्नता और विजेता के से भाव लिए दूसरो को हिकारत भरी नज़रों से देखते हुए घूम रहे हैं और जिनको टिकट नहीं मिले हैं वे बेचैनी के आलम में टिकटों की जुगाड़ में हड़बड़ाये इधर-उधर घूम रहे हैं । एक कोने में एक ब्लैकिया टिकट बेच रहा है जिसे घेर कर भीड़ खड़ी है । ब्लैकिया बड़ी दक्षता से एक हाथ में टिकटों को दबाये और दुसरे हाथ में नोटों को उँगलियों के बीच दबाये 'पाँच का बीस,पाँच का बीस' कहता हुआ टिकट बेच रहा है । भीड़ उससे मोलभाव कर रही है लेकिन वह बड़े तजुर्बेकार और घिसे हुए अंदाज़ में अपनी मांग से टस से मस नहीं हो रहा है । ब्लैकिया और उसे घेरे खड़ी भीड़ से थोड़ी दूर टाकीज़ के एक गेट के नज़दीक एक छह-सात साल का बच्चा दीवार के सहारे खड़ी साईकल पर बैठा हुआ उत्सुकता और आशा भरी से नज़रों से बार-बार मुंह उठा कर भीड़ की तरफ देख रहा है । थोड़ी देर में भीड़ से निकल कर एक युवक साइकिल की तरफ़ आता है जिसे देख कर बच्चा उत्सुकता भरे अंदाज़ में कहता है,"क्या हुआ मुख़्तार भाई टिकट मिला क्या?" । युवक ना में सर हिलाता है । बच्चे का सर लटक जाता है । "चलो वापस चलते हैं",युवक कहता है । साइकिल पर बैठकर दोनों वापस लौट जाते हैं लेकिन उसी दिन के दुसरे शो के लिए करीब १ बजे दोनों फिर वापस लौटते हैं । युवक टिकट विंडो पर किसी राशन की दुकान पर लगी सर्प सरीखी लम्बी लाइन में लग जाता है और बच्चा साईकल की रखवाली करता हुआ उसपर बैठा हुआ इस बार टिकट मिल जाने की आशा मन में लिए हुए इंतज़ार करता है । युवक एक बार फ़िर टिकट विंडो से टिकट प्राप्त करने की जीतोड़ कोशिश करता है लेकिन इस बार भी उसके हाथ निराशा ही लगती है और दोनों को फिर मुंह लटकाए घर वापस लौटना पड़ता है । दोस्तों,उस प्रभा थियेटर में-जिसका नाम प्रभा टाकीज़ था-फ़िल्म 'शक्ति' लगी थी और वह बच्चा और कोई नहीं बल्कि खुद खाकसार था और आज की इस बज़्मे महफ़िल में हम तब्सिरा करेंगे फ़िल्म 'शक्ति' पर ।
श्री संजीव सोनी (५८) ने १० जुलाई, २०१९ को निदेशक (वित्त), सीआईएल का पदभार ग्रहण किया । इससे पहले वे १९.०६.१८ से ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के निदेशक (वित्त) के रूप में कार्यरत थे । उनका जन्म १८ जून, १९61 को हुआ और उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से कॉमर्स में स्नातक किया है । वे भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के सदस्य हैं । श्री सोनी के पास ३२ वर्षों से अधिक का वृहद अनुभव है और उन्होंने विभिन्न क्षमताओं में कोयला उद्योग की सेवा की है । श्री सोनी ने २७.०५.१९८६ को सीएमपीडीआई (कम्पड़ी) से अपने सेवा की शुरूआत की । ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के निदेशक (वित्त) के रूप में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व उन्होंने डब्ल्यूसीएल मुख्यालय, नागपुर में आईएडी के महाप्रबंधक (वित्त) के रूप में अपनी सेवा दिए है । अपने पेशेवर कैरियर के दौरान श्री सोनी ने सीएमपीडीआई में विभिन्न क्षमताओं में अपनी सेवा दी है । वह कम्पड़ी / ब्सल / गोई / अंडप द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित किए गए अंडप / गेफ / गोई- कोल बेड मीथेन रिकवरी एंड यूटिलाइज़ेशन परियोजना के वित्तीय कार्यों के प्रभारी थे । डब्ल्यूसीएल में आंतरिक लेखा परीक्षा विभाग के प्रमुख के तौर पर श्री सोनी ने मजबूत आंतरिक नियंत्रण के निर्माण की दिशा में विभिन्न पहल किए है । उन्होंने सीबीएम परियोजना कार्यान्वयन के लिए वर्ष २००४ में वियना, ऑस्ट्रिया और सीआईएल प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में पऐक २०१९ के लिए टोरंटो, कनाडा का दौरा किया है ।
सैम पित्रोदा की सलाह पर सरकार ने पेयजल, टीकाकरण, साक्षरता, तिलहन, दूर संचार एवं दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में मिशन स्थापित करके विकास कार्य प्रारंभ किया । राजीव गांधी - सैम पित्रोदा का मिशन मोड एप्रोच इतना अधिक लोकप्रिय हुआ है कि कांग्रेस और गांधी परिवार के कटु आलोचक वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक दर्जन से अधिक स्कीमों एवं संचालन अभिकरणों के साथ मिशन जुड़ा हुआ है। भारत में जापान के सहयोग से ईंधन बचत करने वाले वाहनों के उत्पादन की शुरूआत, जापान के समान ही बड़े उद्योगों से सहायक उद्योगों को जोड़ने की उत्पादन प्रक्रिया के अंर्तगत हजारों एंसलरी उद्योगों की स्थापना की पहल, सेवा प्रतिष्ठानों एवं सरकारी विभागों में कम्प्यूटरीकरण आदि अन्य योगदान हैं । राजीव गाांधी- सैम पित्रोदा की ये विकास पहले वर्तमान डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया की बुनियाद बन गई है। कांंग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अनुरोध पर भारतीय सूचना क्रांति के जनक माने जाने वाले सैम पित्रोदा ९ से १५ नवंबर तक एक सप्ताह के लिए गुजरात प्रवास पर थे। राहुल गांधी ने उनको गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणापत्र बनाने में मधुसूदन मिस्त्री और दीपक बाबरिया को सहयोग के लिए आमंत्रित किया था। सैम पित्रोदा ने चुनावी घोषणापत्र को जनोन्मुखी बनाने के लिए अहमदाबाद, बडोदरा, राजकोट, भावनगर तथा सूरत इन पांच प्रमुख नगरों में जाकर वहां के विभिन्न वर्गों के साथ बैठक करके उनकी समस्याओं एवं अपेक्षाओं के बारे में बातचीत की। गुजरात प्रवास के अंतिम दिन १५ नवंबर को उन्होंने पत्रकारों से चर्चा में बताया कि जनचर्चा में लोगों ने बताया कि निजीकरण के कारण निजी शिक्षण संस्थानों में भारी फीस, शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी रोजगार न मिल पाना, आम जनता के लिए आवास, स्वास्थ्य सुविधाओं तथा सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं में कमी आदि गुजरात की आम जनता की प्रमुख समस्याएं हैं। इसलिए कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र जनोन्मुखी होगा जो प्रमुख रूप से छात्रों, छोटे व्यवसायियों, किसानों तथा महिलाओं पर केन्द्रित होगा। गांधी परिवार से सैम पित्रोदा की नजदीकी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गंाधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद १९८४ से प्रारंभ हुई। भारत आकर अपनी सेवाएं देने के प्रधानमंत्री राजीव गंाधी के आमंत्रण को स्वीकार कर सैम पित्रोदा भारत आए। उन्होंने दूरसंचार के क्षेत्र में स्वायत्त रूप से अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट अर्थात सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स की स्थापना की। प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा सलाहकार नियुक्त किए जाने के बाद उनके भारत में सूचना क्रांति के क्षेत्र में उनके योगदान से सभी प्रबुद्धजन परिचित हैं किन्तु उनके अन्य योगदान अनदेखे रह गए इसलिए कि राजीव गांधी १९८९ तक ही प्रधानमंत्री रहे तथा उनके योगदान की बजाय बोफोर्स का पुछल्ला जोड़कर उनकी छवि धूमिल की गई। मेरी नजर में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान के समान ही आर्थिक विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन एवं प्रशासन में मिशन एप्रोच अपनाने की शुरूआत करना भी महत्वपूर्ण योगदान था। सैम पित्रोदा की सलाह पर सरकार ने पेयजल, टीकाकरण, साक्षरता, तिलहन, दूर संचार एवं दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में मिशन स्थापित करके विकास कार्य प्रारंभ किया। राजीव गांधी-सैम पित्रोदा का मिशन मोड एप्रोच इतना अधिक लोकप्रिय हुआ है कि कांग्रेस और गांधी परिवार के कटु आलोचक वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक दर्जन से अधिक स्कीमों एवं संचालन अभिकरणों के साथ मिशन जुड़ा हुआ है। भारत में जापान के सहयोग से ईंधन बचत करने वाले वाहनों के उत्पादन की शुरूआत, जापान के समान ही बड़े उद्योगों से सहायक उद्योगों को जोड़ने की उत्पादन प्रक्रिया के अंतर्गत हजारों एंसलरी उद्योगों की स्थापना की पहल, सेवा प्रतिष्ठानों एवं सरकारी विभागों में कम्प्यूटरीकरण आदि अन्य योगदान हैं। राजीव गांधी- सैम पित्रोदा की ये विकास पहलें वर्तमान डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया की बुनियाद बन गई है। गांधी परिवार से इसी नजदीकी के कारण ही सैम पित्रोदा कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें जून २०१७ में समुद्रपारीय कांग्रेस का अध्यक्ष मनोनीत किया। कांग्रेस पार्टी में अपने इस नए दायित्व का निर्वहन करते हुए सैम पित्रोदा ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सितंबर २०१७ माह में अमेरिका स्थित कुछ विश्वविद्यालयों एवं प्रवासी भारतीयों के साथ संबोधन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। अमेरिका में प्रवासी गुजरातियों के बीच सैम पित्रोदा की लोकप्रियता को देखकर राहुल गांधी ने उन्हें गुजरात विधान सभा चुनाव अभियान में जोड़ने हेतु नवंबर माह में एक सप्ताह के लिए आमंत्रित किया। सैम पित्रोदा ने उनको सौंपे गए दायित्वों का निर्वाह करते हुए पांच नगरों में प्रवास कर वहां के विभिन्न वर्गों से चर्चा करके चुनावी घोषणापत्र तैयार किया है। सैम पित्रोदा का कहना है कि कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र सही मायनों में गुजरात का जनघोषणापत्र होगा जिसमें प्रमुखत: शिक्षा, स्वास्थ्य, लघु एवं मध्यम उद्यम, रोजगार सृजन एवं पर्यावरण संरक्षण पर फोकस होगा। सैम पित्रोदा का कहना है कि प्रधानमंत्री का बहु प्रचारित गुजरात विकास मॉडल पश्चिमी विकास मॉडलों के समान ही ऊपर से नीचे मॉडल है जिसमें जीडीपी, संयंत्र, बन्दरगाह, सड़क आदि विकास पर केन्द्रित होता है उसका लाभ उच्च आमदनी वाले वर्ग के कुछ लोगों को ही मिल पाता है। उनके द्वारा बनाए गए कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र नीचे से ऊपर विकास पर केन्द्रित है जो आम जनता खासकर ग्रामीण जनता के शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, रोजगार सृजन की जरूरतों को पूरी करेगा। यह विकास मॉडल, महात्मा गांधी की विकास की अवधारणा पर आधारित होगा। सैम पित्रोदा का कहना है कि गुजरात में कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने पर सबके आर्थिक विकास के लिए महात्मा गांधी के समग्र ग्रामीण विकास पर केन्द्रित विकास मॉडल में सूचना प्रौद्योगिकी को हर स्तर पर जोड़कर नवप्रवर्तित गांधी विकास मॉडल को अपनाएगी। इसका पहला प्रयोग गुजरात में सफल होने के बाद केन्द्र में सत्ता में आने पर गुजरात का प्रयोग पूरे भारत में अपनाएगी। सैम पित्रोदा के इस विकास मॉडल को महात्मा गंाधी से जोड़ने की बजाय राहुल गांधी-सैम पित्रोदा विकास मॉडल कहना अधिक उपयुक्त होगा इसको इसी नाम से नरेन्द्र मोदी के तथाकथित गुजरात मॉडल के मुकाबले प्रचारित करना अधिक उपयुक्त होगा। सैम पित्रोदा के गुजरात दौरे के बाद उनकी कांग्रेसी नेताओं से बातचीत के बाद एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अपना नाम न छापने का अनुरोध करते हुए एक लोकप्रिय पत्रिका को बताया कि गुजरात के अनेक कांग्रेसी नेताओं की राय में २०१९ के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के मुकाबले सैम पित्रोदा कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के लिए एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं। यदि गुजरात विधानसभा चुनाव में आम मतदाताओं के बीच जो अंडर करेट चल रहा है कि गुजराती प्रधानमंत्री को २०१९ के लोकसभा चुनाव में जिताने के लिए विधानसभा चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार कोई भी हो भाजपा के कमल को ही मतदान करके जिताना है। ऐसी स्थिति में पाटीदार और दलित वर्ग के कांग्रेस के समर्थन के बावजूद भाजपा के लिए १८० सीटों में से १०० सीटें जीतना कठिन काम नहीं होगा। मेरी समझ में कांग्रेस को सचमुच ही जीतने के लिए विधानसभा चुनाव लड़ना है तो कांग्रेस आला कमान को अतिशीघ्र सैम पित्रोदा को प्रधानमंत्री पद घोषित करते हुए राहुल गांधी के नेतृत्व में गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लेना होगा। इसके साथ ही नरेन्द्र मोदी के गुजरात मॉडल के मुकाबले सैम पित्रोदा द्वारा विकसित आर्थिक विकास मॉडल को राहुल गांधी-सैम पित्रोदा विकास मॉडल प्रचारित करना भी जीत की संभावनाओं को बढ़ाने में मददगार होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात सैम पित्रोदा ने गुजरात दौरे के समय अपनी जाति विश्वकर्मा बताई है तथा अपने आप को गंगाराम बढ़ई का बेटा बताया है। चायवाले प्रधानमंत्री के मुकाबले पिछड़ा वर्ग से संबंधित गुजराती बढ़ई का दूरसंचार कारीगर बेटे के रूप सैम पित्रोदा का प्रचार चुनाव अभियान चलाने पर कांग्रेस के गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने की संभावना बनती है। यही प्रचार २०१९ के लोकसभा चुनाव जीतने में भी मददगार हो सकता है।
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मशहूर सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दिलजीत दोसांझ इन दिनों टेलीविजन के लोकप्रिय लाइव सिंगिग रिएलिटी शो राइजिंग स्टार में बतौर जज नजर आ रहे हैं। सिंगर और अभिनेता दिलजीत दोसांझ इन टेलीविजन के लोकप्रिय सिंगिग रिएलिटी शो राइजिंग स्टार' में जज के रूप में नजर आ रहे हैं। राइजिंग स्टार अपने आप में एक अनूठा सिंगिग शो है जिसमें कंटेस्टेंट की किस्मत का फैसला जज नहीं बल्कि जनता करती है। यह एक लाइव सिंगिंग रिएलिटी शो है। मशहूर सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ भले ही सिंगिग रिएलिटी शो में जज के रूप में नजर आ रहे हों लेकिन उनकी ख्वाहिश है कि वह एक दिन कुकिंग रिएलिटी शो में नजर आएं क्योंकि उन्हें खाना बनाना पसंद है। आपको बता दें कि दिलजीत दोसांझ, शंकर महादेवन और मोनाली ठाकुर के साथ लाइव सिंगिंग रिएलिटी शो राइजिंग स्टार में बतौर जज नजर आ रहे हैं। दिलजीत दोसांझ पंजाबी संगीत का जाना पहचाना नाम है। सिगंर-एक्टर दिलजीत दोसांझ हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह के जीवन पर आने वाली फिल्म सूरमा' में अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा के साथ एक्टिंग करते हुए दिखाई देंगे। इसके साथ ही दिलजीत दोसांझ बूम बूम इन न्यूयार्क' और निर्माता रमेश तौरानी की एक फिल्म में भी नजर आएंगे।
चेहरे पर किसी प्रकार के दाग धब्बे कोई नहीं चाहता है। पर कुदरत किसी के चाहने से नहीं चलती। मानव जीवन आज के युग में काफी व्यस्त जीवन हो गया है। आज के दौर की इस दौड़ धूप में व्यक्ति अपने स्वास्थ्य व शरीर के लिए सोच नहीं पाता है और व्यस्तता के चलते वह सही संतुलित व पोषण युक्त आहार नहीं ले पाता है। जिसके कारण उपयुक्त या पर्याप्त पोषण शरीर को नहीं मिल पाता वह दौड़ धूप के कारण व्यक्ति को कुछ प्राकृतिक परिवर्तन का सामना करना पड़ता है। जिसमें व्यक्ति की त्वचा पर झुर्रियां व झाइयां जैसी समस्या देखने को मिलती है। यह समस्या समय से पहले ही देखने को मिल जाती हैं। झुर्रियां जैसी समस्या पर हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं। आज यहां हम बात कर रहे हैं चेहरे पर दाग धब्बे व झाइयों के घरेलू उपचार जिसके कारण व्यक्ति को काफी सारी समस्या का सामना करना पड़ता है। जैसे जिस व्यक्ति के चेहरे पर झाइयां होती हैं या किसी प्रकार के धब्बे होते हैं ऐसे व्यक्तियों में कहीं ना कहीं आत्मविश्वास की कमी देखी जाती है व चेहरे पर किसी प्रकार के दाग धब्बे होने से व्यक्ति की सुंदरता में कमी आ जाती है। और ऐसा होना काफी समस्या की बात होती है क्योंकि सुंदरता में किसी प्रकार की कमी होना व्यक्ति को अपने आप में काफी पिछड़ा महसूस कराने लगता है। ऐसे व्यक्तियों के लिए आज हम यहां कुछ घरेलू उपचार बताने वाले हैं जिससे व्यक्ति अपने चेहरे के कई प्रकार के दागों से मुक्ति पा सकते हैं और अपने चेहरे को दाग रहित रख सकते हैं। खुश्क त्वचा की दशा में चंदन की लकड़ी दूध में घिस कर और तैलीय त्वचा की दशा में चंदन को गुलाब जल में घिसकर लगाएं घंटे भर बाद स्नान कर लें या चेहरा ठंडे पानी से धो लें। यह प्रयोग गर्मियों में करें। चेहरा दाग रहित हो जाता है। चोट के निशान अथवा जल जाने के बाद चेहरे पर पड़ गए काले दागों को मिटाने के लिए चंदन पानी में घिसकर रोज दागों के ऊपर लगाने से आशातीत लाभ मिलता है। विकल्प १. प्रतिदिन एक पके टमाटर के गूदे में नींबू के रस की कुछ बूँदें डालकर प्रातः एवं सायं चेहरे पर धीरे-धीरे मलें कुछ देर बाद पानी से धो डालें ऐसा करते रहने से कुछ ही दिनों में त्वचा दाग रहित व चमकीली हो जाती है। विकल्प २. चेहरे के धब्बे और झुर्रियों पर रात को नींबू का रस लगाएं या नींबू लेकर मलें सारी रात लगा रहने दें और प्रातः धो डालें निरंतर १ से २ सप्ताह तक इस प्रयोग को करने से चेहरे के दाग, धब्बे, कील व झुर्रियां दूर हो जाती हैं और सख्त, मोटी, त्वचा मुलायम होती है। यदि जिगर विकार के कारण चेहरे पर धब्बे हो गए हों तो इस प्रयोग के साथ एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर दिन में दो से तीन बार आवश्यकता अनुसार १0 से १5 दिन तक सेवन करें। विकल्प ३. नींबू का रस और तुलसी की पत्तियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी साफ व स्वच्छ कांच की शीशी में रख लें इस मिश्रण को दिन में दो बार रूई से मुख पर मलें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से मुंह की झाइयां नष्ट हो जाएंगीं । विकल्प ४. पर काले दाग झाइयां हो तो सुखी हल्दी की गांठ को नींबू के रस में जिस पर दांव पर लगाते रहने से वह धीरे धीरे मिट जाते हैं।
नरम वैश्विक संकेतों को नजरअंदाज करते हुए स्थानीय आभूषण निर्माताओं की ताजा खरीदारी के कारण दिल्ली सर्राफा बाजार में आज सोना २१० रुपए की तेजी के साथ ३१,३९० रुपए प्रति १० ग्राम हो गया। नई दिल्ली। नरम वैश्विक संकेतों को नजरअंदाज करते हुए स्थानीय आभूषण निर्माताओं की ताजा खरीदारी के कारण दिल्ली सर्राफा बाजार में आज सोना २१० रुपए की तेजी के साथ ३१,३९० रुपए प्रति १० ग्राम हो गया। वहीं, औद्योगिक इकाइयों तथा सिक्का निर्माताओं का उठाव बढ़ने के कारण चांदी भी २०० रुपए की तेजी के साथ ३९ हजार रुपए के स्तर को लांघकर ३९,१५० रुपए प्रति किलोग्राम हो गई। कारोबारियों ने सोने की कीमतों में तेजी आने का श्रेय पवित्र नवरात्र के त्योहार की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय आभूषण निर्माताओं की ताजा खरीदारी को दिया लेकिन विदेशों में कमजोरी के रुख से लाभ कुछ सीमित हो गया। वैश्विक स्तर पर डॉलर के मजबूत होने से सिंगापुर में सोना ०.२२ प्रतिशत गिरकर १,3१3.7० डॉलर प्रति औंस रह गया। चांदी भी ०.१5 प्रतिशत कमजोर होकर १6.२७ डॉलर प्रति औंस रह गई। राष्ट्रीय राजधानी में ९९.९ प्रतिशत तथा ९९.५ प्रतिशत शुद्धता वाला सोना २१०-२१० रुपए मजबूत होकर क्रमश: ३१,3९0 रुपए और ३१,२४० रुपए प्रति १० ग्राम हो गया। कल इसमें 1१० रुपए की गिरावट आई थी। हालांकि आठ ग्राम वाली गिन्नी २४,८०० रुपए प्रति इकाई पर स्थिर बनी रही। चांदी तैयार की कीमत भी २०० रुपए की तेजी के साथ ३९,१५० रुपए प्रति किलो हो गई। जबकि चांदी साप्ताहिक डिलीवरी वाली चांदी की कीमत २२५ रुपए की गिरावट के साथ ३८,४५० रुपए प्रति किलो रह गई। हालांकि चांदी सिक्कों की कीमत लिवाल ७३ हजार रुपए तथा बिकवाल ७४ हजार रुपए प्रति सैकड़ा पर पूर्ववत बने रहे।
बिलासपुर के त्रिवेणी सामुदायिक भवन में छत्तीसगढ़ वैष्णव महासभा का २१ मई रविवार सुबह १० बजे से युवक युवती सम्मेलन होगा है। सम्मेलन में वैष्णव समाज के लोग कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम में जिले के वैष्णव समाज के पदाधिकारी और विकासखंड स्तर के पदाधिकारी भी शामिल होंगे। सम्मेलन में महासभा कार्यकारिणी के महामंडलेश्वर भरत दास वैष्णव, अध्यक्ष शिव कुमार, महासचिव लखन दास वैष्णव, अशोक दास, नोहर दास उपस्थित रहेंगे। इसी सभा में प्रांतीय कार्यकारिणी की भी बैठक होगी। कार्यक्रम में वैष्णव समाज के हर वर्ग को कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की गई है। वहीं युवक युवती सम्मेलन को सफल बनाने युवक युवतियों को कार्यक्रम में सम्मिलित होने को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम की जानकारी प्रांतीय उपाध्यक्ष लखन दास वैष्णव द्वारा दिया गया।
वैज्ञानिकों ने नई तरह की गाजर बनाई है, जिसमें आम गाजर के मुकाबले कैल्शियम ४१ फीसदी ज्यादा होगा। यह मुमकिन हुआ है गाजर के जीन में बदलाव करने से। अमेरिका के टेक्सस, ह्यूस्टन में बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद इसका दावा किया है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर सामान्य खानपान में इस गाजर को भी लिया जाए, तो इससे हड्डियों को भुरभुरा होने और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। ज्यादा शाकाहारी खाने में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा नहीं होती, जबकि मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी है। दूध से बनी चीजों में मिनरल यानी खनिज की मात्रा अच्छी खासी होती है, लेकिन यह हर किसी को सूट नहीं करतीं। दूध से बनी चीजें बहुत ज्यादा खाने से मोटापा बढ़ने के खतरे के अलावा दिल को खतरा होने की संभावना भी बढ़ जाती है। कॉलेज की रिसर्च टीम के प्रमुख डॉक्टर जे. मॉरिस ने बताया कि इस स्टडी का लक्ष्य था कि फलों और सब्जियों में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाई जाए ताकि सेहत पर इसका अच्छा प्रभाव पड़े। उन्होंने बताया कि फल और सब्जियों में कई गुण होते हैं, लेकिन इनमें कैल्शियम की मात्रा उतनी नहीं होती। रिसर्च के दौरान ३० पुरुष और महिलाओं को दो अलग दलों में बांटकर एक दल को सामान्य गाजर जबकि दूसरे को नई वाली गाजर खाने को दी गई। दूसरे सप्ताह में दोनों दलों की गाजरों को एक-दूसरे की गाजर दी गईं, जिससे हर दल को नई गाजर खाने का मौका मिले। शरीर में कैल्शियम के स्तर को जांचने के लिए पेशाब का नमूना लिया गया। रिसर्च में नतीजों में पाया गया कि दोनों दलों के शरीर में नई गाजर खाने के बाद कैल्शियम का स्तर बढ़ा था। हालांकि यह भी कहा गया कि नई गाजर को विशेष रूप से तैयार किए गए माहौल में उगाया गया है। आम लोगों तक पहुंचाने के लिए अभी इस पर काफी रिसर्च होनी बाकी है। मैंने डॉ। साबो डिबा से वादा किया कि मैं इंटरनेट पर इस गवाही को साझा करेगा। एचआईवी / एड्स, कैंसर, हेर्पस, डायबिटीज जैसे किसी भी गंभीर और घातक बीमारी, मुंह का दर्द, वैक्सीन रोग / आईटीसीएच, क्रोनिक हिपेटिटिस, ग्रीनलेट वार्ट्स, एचएसवी -१ या एचएसवी -२, एचआईवी, एचपीवी, हेपेटाइटिस बी, मधुमेह, कैंसर, क्लैमाइडिया, अस्थमा,
ये तो शायद आपको भी नहीं पता कि आपने खुद से कितनी बार ये वादा किया कि कल से' आप स्मोकिेंग छोड़ देंगे। पर वो कल जाने कब आएगा। शायद कभी-कभी आ भी जाता होगा, लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही कल की बात' हो जाता होगा। हर बार जब आप बुखार, दस्त या किसी और बीमारी के बाद ठीक होते हैं, तो यकीनन डॉक्टर की बातों से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि खुद से ऐसा वादा कर देते हैं, जो आप निभा ही नहीं सकते। जानते हुए कि आप इस वादे को पूरा नहीं कर सकते, फिर भी आप एक बार और हिम्मत कर लेते हैं- एक और वादा करने और तोड़ने की। अगर आप एक अर्ली राइजर नहीं हैं और सुबह उठने के लिए आप कम से कम ५ स्नूज तो लगा ही लेते हैं, तो इस बात में कोई संदेह नहीं कि आप खुद से जाने कितनी ही बार ये वादा कर चुके होंगे कि आप कल सुबह ६ बजे उठेंगे और वॉक पर, जिम जाना या योगा करना शुरू करेंगे'। पर इस बात का भी हमें यकीन है कि ५ या छह दिन से ज्यादा ये वादा भी टिक नहीं पाता होगा। ये वह वादा है, जो आप खुद से हर महीने के लास्ट वीक में करते हैं। पूरे महीने खुद को जाने कितने ही बहाने देकर आप जमकर खर्च कर लेते हैं या फिर चाहे-अनचाहे हर महीने आपसे वेतन का वह हिस्सा खर्च हो ही जाता हो, जो आपने बचत के नाम से अलग किया था।
रायपुर, ३१ मार्च २०१७। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ले आज इहां मंत्रालय म उत्तर प्रदेश के खाद्य मंत्री श्री अतुल गर्ग अउ कृषि मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण हर सौजन्य मुलाकात करिन। ए अवसर म छत्तीसगढ़ सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति अउ उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले अउ मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड घलोक उपस्थित रहिन। छत्तीसगढ़ सरकार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली ल देश के एक आदर्श प्रणाली मानके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ हर उहां के खाद्य अउ कृषि मंत्री ल अध्ययन दौरा बर इहां भेजे हावय। डॉ. रमन सिंह ले आज गोठ-बात करत मंत्री सर्वश्री अतुल गर्ग अउ चौधरी लक्ष्मीनारायण हर कहिन कि आप मन के राज्य के सार्वजनिक वितरण व्यवस्था ल पाछू कई बछर ले देश म लगातार सराहना मिलत हावय। छत्तीसगढ़ ह गरीब मन बर देश म सबले पहिली अपन खाद्य अउ पोषण सुरक्षा कानून बनाए हावय। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ घलोक चाहत हे कि आप मन के इहां के ए पीडीएस मॉडल ल उत्तर प्रदेश म घलोक अपनाए जाय। डॉ. रमन सिंह हर एखर खातिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अउ दुनों मत्री मन के प्रति आभार प्रकट करिन। डॉ. सिंह हर कहिन कि उत्तर प्रदेश के अधिकारी मन ल पीडीएस के छत्तीसगढ़ मॉडल के व्यावहारिक प्रशिक्षण दे बर राज्य सरकार इहां ले अपन अधिकारी मन के टीम ल उहां भेजही। हमार खाद्य मंत्री श्री मोहले अधिकारी मन के दल ल लेके उहां जाहीं। डॉ. सिंह हर कहिन कि गरीब मन ल मात्र एक रूपिया किलो म चाउंर, निःशुल्क आयोडिन नमक अउ आदिवासी क्षेत्र मन म सिरिफ पांच रूपिया किलो म दू किलो चना वितरण ले राज्य के कुपोषण मुक्ति म घलोक मदद मिलत हावय। पारदर्शिता के दृष्टि ले पूरा पीडीएस के कम्प्यूटरीकरण करे गीए हावय।
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर में स्वामी विवेकानन्द जयन्ती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्य नाथ ने कहा कि युवाओं के सामने कई चुनौतियां है सच्चा युवक वही है जो पलायन करने के बजाए चुनौतियों को स्वीकार करे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में डिग्री बांटने का केंद्र न बने बल्कि वह नौजवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए विकास में योगदान दे। उन्होंने कहा कि सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का मकसद क्षेत्रीय उत्पादों को बढ़ावा देना है हमें क्षेत्र विशेष के परम्परागत उत्पादों को मंच देना होगा तब जाकर क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजनाओं का लाभ प्रदेश के चार लाख लोग पा चुके हैं। विश्वविद्यालय इसमें अपना योगदान सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए और विश्वविद्यालय नकल विहीन परीक्षा के लिए अपने को तैयार रखें ।यही स्वामी विवेकानंद के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय रज्जू भैया अशोक सिंघल और महंत अवैद्यनाथ नाथ के नाम पर बने संस्थान को सरकार हर मदद करने देने के लिए तैयार है उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव को जो कार्य योजना का प्रारूप सौंपा है वह उसे प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में प्रेषित करें।सरकार उसे अगले सत्र से शुरू करने में मदद करेगी। स्वागत भाषण में कुलपति प्रो० डाॅ० राजाराम यादव ने कहा कि मैं बहुत ही सौभाग्यशाली हॅंू कि मुझे गृह जनपद में स्वामी मंशानाथ जी ने आशीर्वाद दिया था आज उनके विश्वविद्यालय में महंत योगी आदित्यनाथ जी आए हैं। मैं विश्वविद्यालय परिवार के ओर से उनका वंदन और अभिनंदन करता हॅंू। उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि देश में पोस्ट डाक्ट्रेट फेलोशिप देने वाला यह पहला विश्वविद्यालय है। साथ ही समय से परीक्षा कराने और उसके परिणाम घोषित करने वाले अग्रणी विश्वविद्यालय में यह एक है। साथ ही यह बताया कि शोध प्रबंध गंगा के पोर्टल पर डालने वाला यह देश के तीसरे नंबर का विश्वविद्यालय बन गया है। प्लेसमेंट सेल ने 3० विद्यार्थियों का कैम्पस सेलेक्शन कराया और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से आई०ए०एस० और पी०सी०एस० की कोचिंग भी शुरू करने जा रहा है। उन्होंने मा० मुख्यमंत्री से विश्वविद्यालय परिसर में प्रारम्भ हो रहे नवीन पाठ्यक्रमों एवं संस्थानों के लिए वार्षिक वेतन के रूप में ११ करोड़ एंव भवन निर्माण के मद में १८ करोड़ रूपये की मांग की। उन्होंने अपने सम्बोधन में विश्वविद्यालय के विविध पक्षों की उत्तरोत्तर प्रगति की आख्या प्रस्तुत की। इसके पूर्व राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डाॅ० राकेश यादव, ने राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। धन्यवाद ज्ञापन प्रो० बी० बी० तिवारी एवं संचालन मीडिया प्रभारी डाॅ० मनोज मिश्र ने किया। इस अवसर पर सांसद के०पी० सिंह, राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव, , काशी क्षेत्र के भाजपा के संगठन मंत्री रत्नाकर जी, विधायकगण रमेश मिश्र, दिनेश चैधरी, श्रीमती लीना तिवारी यूथ इन एक्शन के राष्ट्रीय संयोजक शतरूद्र प्रताप सिंह, पूर्व विधायक श्रीमती सीमा द्विवेदी, प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी, जनसंत योगी देवनाथ, जिला अध्यक्ष सुशील कुमार उपाध्याय, अवध प्रांत के उपाध्यक्ष अमर सिंह, मंचासीन रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर कार्यपरिषद सदस्य प्रो० विलास ए० तभाने, प्रो० मानस पाण्डेय, प्रो. अजय द्विवेदी, अशोक सिंह, रजनीश सिंह आदि उपस्थित थे। जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के संगोष्ठी भवन परिसर में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के साथ कुलपति प्रो. राजाराम यादव ने प्रो० राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान भवन एवं अशोक सिंहल भारतीय परंपरागत विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान भवन का शिलान्यास किया। इसके साथ ही संगोष्ठी भवन का नामकरण पूज्य महंत अवैद्यनाथ के नाम पर हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजीव कुमार सिंह एवं वित्त अधिकारी एम०के० सिंह बुके देकर स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो० ए०के० श्रीवास्तव, प्रो० अविनाश पाथर्डिकर, डाॅ. अवध विहारी सिंह डाॅ. दिग्विजय सिंह राठौर, डाॅ० के०एस० तोमर उपस्थित रहे। जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के प्रो. बी.बी. तिवारी, समन्वयक टेकिप एवं प्लेसमेण्ट सेल की निदेशक प्रो. डाॅ. रंजना प्रकाश को विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को प्लेसमेण्ट प्रदान करने में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है। इसके साथ हीं प्रख्यात युवा शास्त्रीय गायक सत्य प्रकाश मिश्र को शास्त्रीय गायन में एवं प्रख्यात युवा कथक नर्तक रवि सिंह को कथक नर्तन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र दिया गया। विश्वविद्यालय के बी०टेक० विद्यार्थी रहे शीलनिधि सिंह एवं विश्वविद्यालय की एम०ए० बी०एड० की छात्रा कु० पूजा मिश्र को समाज सेवा के लिए पूर्णकालिक समय देने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रमाण-पत्र प्रदान कर आशीर्वाद दिया। जौनपुर। मुख्यमंत्री जी के मंच पर आगमन के पूर्व एन.एस.एस. के आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर एवं जौनपुर के विभिन्न महाविद्यालयों से आये हुए स्वयं सेवक सेविकाओं ने प्रस्तुत किया सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसके साथ ही आकर्षक रंगोली भी मैदान में बनाया गया। विगत माह लुटेरों की गोली से शहीद हुए मादरडीह मुंगराबादशाहपुर निवासी स्व० विनय त्रिपाठी जी की धर्मपत्नी श्रीमती पूनम त्रिपाठी को उ०प्र० सरकार की तरफ से रू० ५ लाख का चेक मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया। पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी ने बताया कि इसके द्वारा उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन किया था। उन्होंने पीड़ित परिवार एवं जनपदवासियों की भावना का सम्मान एवं शहीद की शहादत को नमन करते हुए यह अनुग्रह राशि दी है।
विधानसभा अध्यक्ष के लिये कांग्रेस की ओर से नाना पटोले को उम्मीदवार बनाया गया है, जबकि बीजेपी ने किशन शंकर कथोरे को प्रत्याशी बनाया है। नव दिल्ली, डेक ०१ : महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद अब उद्धव ठाकरे सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है, सदन में अब विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है, महा विकास अघाड़ी गठबंधन के समझौते के तहत विधानसभा स्पीकर की कुर्सी कांग्रेस को देने पर सहमति बनी लहै, ऐसे में जरुरी है कि शिनसेना, कांग्रेस और एनसीपी के विधायक उन्हें वोट करें, नियमों के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान से होता है, लेकिन सरकार इसके लिये ओपन वोटिंग की मांग कर रही है, सरकार चाहती है कि विश्वास मत की तरह ही अध्यक्ष चुनाव भी ओपन वोटिंग से हो, ताकि विधायकों के ना टूटने का डर बना रहे, अध्यक्ष चुनाव को लेकर पूर्व सीएम पृथ्वी राज चव्हाण ने पहले ही कहा है कि चुनाव खुले मतदान से ही होगा। विधानसभा अध्यक्ष के लिये कांग्रेस की ओर से नाना पटोले को उम्मीदवार बनाया गया है, जबकि बीजेपी ने किशन शंकर कथोरे को प्रत्याशी बनाया है, कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे ने कहा कि नाना पटोले स्पीकर के चुनाव में हमारे उम्मीदवार हैं, पटोले विदर्भ के सकोली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। हाल के दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में जिस तरह के उलटफेर हुए हैं, उसे देखने के बाद ये तय है कि रविवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हंगामेदार होने वाला है, मतदान के लिये उद्धव सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दे सकती है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में विधायकों के खरीद-फरोख्त ना होने देने के लिये खुले मतदान को मंजूरी दी थी, इस के साथ ही पूरी प्रक्रिया का लाइव प्रसारण करने को कहा था, जिससे सदन में पारदर्शिता बनी रहे, इस के साथ ही सत्ता पक्ष के विधायक और मत से खुले मतदान की वकालत करेंगे, जिससे बहुमत के आधार पर खुला मतदान हो सकता है। सत्ता पक्ष के लिये अध्यक्ष का चुनाव खुले मतदान से कराना मुश्किल नहीं होगा, इसका एक बड़ा कारण ये है कि उनके पास १६९ विधायकों का समर्थन है, प्रोटेम स्पीकर की कुर्सी अभी एनसीपी के दिलीप वलसे पाटिल के पास है, ऐसे में जब सत्ता पक्ष खुली वोटिंग का प्रस्ताव करता है, तो प्रोटेम स्पीकर इसके लिये ध्वनि मत का सहारा ले सकते हैं, ऐसे में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। कांग्रेस उम्मीदवार ने मीडिया ने कहा कि बीजेपी के पास लोकतंत्र में उम्मीदवार उतारने का अधिकार है, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा में ये परंपरा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होता है, हमें उम्मीद है कि ये परंपरा जारी रहेगी, पटोले और कथोरे दोनों ही चौथी बार विधायक बने हैं।
पटना। कोरोना वायरस के बीच देश को फिर से पहले की तरह खोलने की तैयारियां चल रही है। वहीं बिहार के पटना में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण दोबारा लाॅकडाउन लगा दिया गया। हालांकि इस बार ये लाॅकडाउन ७ दिनों के लिए लागू किया गया है। दरअसल आज बुधवार को पटना में एक साथ २३५ लोग कोरोना पाॅजिटिव मिले जिसके बाद जिलाअधिकारी ने यह फैसला लिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार १० से १६ जुलाई तक पटना में लाॅकडाउन रहेगा। पटना में लाॅकडाउन का आदेश डीएम कुमार रवि ने जारी किया। इस लाॅकडाउन के दौरान यहां सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। आदेश में बताया गया है कि आर्म्ड पुलिस फोर्स, ट्रेजरी, पब्लिक यूटिलिटीज की चीजें, जैसे- पैट्रोलियम, सीएनजी, एलपीजी पीएनजी इत्यादि जैसी सेवाएं जारी रहेंगी। इसी तरह आपदा प्रबंधन व ऊर्जा से संबंधित सेवाएं चालू रहेंगी। इसके साथ ही पोस्ट ऑफिस एवं नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर भी खुले रहेंगे। इसके अलावा व्यवसायिक एवं निजी इस्टेब्लिसमेंट बंद रहेंगे। लाॅकडाउन के दौरान सभी धार्मिक स्थल एवं सार्वजनिक स्थान बंद रहेंगे। वहीं राशन दुकान, सब्जी, डेयरी एंड मिल्क, मीट एंड फिश शॉप, एनिमल फ्रूट एंड वेजिटेबल की दुकानें सुबह ६ः०० बजे से १०ः०० बजे तक और शाम ४ः०० बजे से ७ः०० बजे तक ही खुली रहेंगी।
फरियादी की थाने में पिटाई से एसपी खफा सीओ को सौंपी जांच।। रेबरेली न्यूज ।। रायबरेली: पिछले कई दिनों से थाने में फरियादी की जूतों से पिटाई के मामले में चर्चा में रहे कोतवाल महराजगंज के खिलाफ पुलिस अधीक्षक ने क्षेत्राधिकारी महराजगंज को मामले की जांच सौंपी है। व्यापार संगठन के प्रतिनिधि मंडल से मिलकर पुलिस अधीक्षक ने नाबालिग फरियादी को पीटने के मामले को गंभीरता से लिया। आपको बता दें कि, महराजगंज व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने भाजपा जिला अध्यक्ष रामदेव पाल की अगुवाई में आज पुलिस अधीक्षक से मिलकर कोतवाल महराजगंज की अंग्रेजों की जमाने के पुलिसिंग की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस अधीक्षक स्वप्निल मंगाई ने कोतवाल महराजगंज के कारनामों की लिस्ट क्षेत्राधिकारी महराजगंज विनीत सिंह को सौंपी है और तत्काल रिपोर्ट मांगी है। उल्लेखनीय है कि, गत बृहस्पतिवार की रात लगभग १२:०० बजे थाने में फरियाद लेकर पहुंचा नाबालिक फरियादी एश पुत्र शिवप्रसाद निवासी वार्ड नंबर ८ प्रकाश नगर महराजगंज को पिटाई कर थाने में बैठा लिया था। उस नाबालिक का कसूर बस इतना था कि, पीड़ित की जमीन पर दीपू साहू आदि ने पुलिस की मिलीभगत से रात में स्लेप डलवा दी थी। क्योंकि विपक्षी को कोतवाल का वर्धहस्त प्राप्त है। इसलिए न्याय के साथ अन्याय होता रहा और पुलिस देखती रही। विपक्षी असरदार और पैसे वाले हैं इसलिए अब स्लेप डालने के बाद दरवाजा बंद करने पर अड़े हुए हैं। पुलिस उनका सहयोग कर रही है। व्यापार मंडल के प्रतिनिधि मंडल ने यह भी बताया कि, कोतवाल ने मुझ प्रार्थी गणों को बीती रात कोतवाली बुलाया और जबरन मोबाइल फोन से वीडियो बनाकर दबाव में लेकर बयान लिया। जिसमें कोतवाल द्वारा कहा गया कि, फरियादी को मारा नहीं डांटा गया है। मामला पूरी तरह से क्षेत्राधिकारी विनीत सिंह जांच के दायरे में आ गया है। अब देखना है कि, क्षेत्राधिकारी की जांच में न्याय का पलड़ा भारी होता है या अन्याय का। यह तो आने वाला समय ही बताएगा। कारे ऑफ मीडिया: फरियादी की थाने में पिटाई से एसपी खफा सीओ को सौंपी जांच।। रेबरेली न्यूज ।।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भाजपा विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए रविवार सुबह नयी दिल्ली से यहां पहुंचे। विधायक दल का नेता चुनने के लिए जल्द ही बैठक शुरू होगी। हेलीकॉप्टर से यहां पहुंचने के बाद वह सीधे अपने आधिकारिक आवास पर पहुंचे, जो बैठक स्थल के करीब है। हालांकि यह बैठक महज एक औपचारिकता है क्योंकि पार्टी पहले से ही तय कर चुकी है कि खट्टर ही अगली सरकार की अगुवाई करेंगे। बैठक के बाद, खट्टर हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मुलाकात करेंगे और राज्य में अगली सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता दुष्यंत चौटाला के भी दोपहर में चंडीगढ़ पहुंचने की संभावना है और वह अपनी पार्टी का समर्थन भाजपा को देने संबंधी पत्र सौंपने के लिए राज्यपाल से मिलेंगे। जजपा के साथ गठबंधन होने के बाद भाजपा हरियाणा में नयी सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। जजपा ने ९० सदस्यीय विधानसभा में १० सीट हासिल की है।
मस्तिष्क के शुरुआती अनुभव से, विशेष रूप से, माताओं (उत्तरदायी देखभाल को पोषण) हम माताओं और पिता से प्राप्त होते हैं। पिता और माताओं और अन्य वयस्क पूरे जीवन में बच्चों के लिए सामाजिक अनुभव प्रदान करते हैं। प्रारंभिक जीवन में टी हेस के अनुभवों को स्थापित करना है कि मस्तिष्क को न केवल स्वास्थ्य और खुफिया बल्कि सामाजिकता के लिए विकसित किया जा सकता है। * ऑटिस्टिक बच्चे (आत्मकेंद्रित सामाजिक अस्वस्थता को दर्शाता है, जो कि कई कारण हैं) दूसरों में जीवन शक्ति गतिशीलता की नकल करने में कठिनाई होती है ( पारस्परिक संकेतन के "कैसे"), हालांकि वे सही तरीके से अर्थ और लक्ष्य की नकल कर सकते हैं ("क्या")। प्रारंभिक जीवन में मस्तिष्क को आकार देने वाली गतिशील प्रक्रियाएं क्या हैं? कॉलविन ट्रेवर्थन (१ ९९९) ने गतिशील प्रवाह को साझा करके दूसरे व्यक्ति के साथ "होने" के युगल के युग्म बनाने के उद्देश्य, एक दूसरे के साथ जानबूझकर राज्यों और व्यवहारों को सिंक्रनाइज़ करने की पारस्परिक गतिशीलता का वर्णन करने के लिए शब्द, संगीतात्मक संगीत का उच्चारण किया। शिशु के प्रारंभिक सामाजिक जीवन में जीवन शक्ति गतिशील गति के लिए क्षमताएं होती हैं। इसके बाद, चूंकि बच्चे आंदोलनों को नियंत्रित करने में सक्षम हैं, वे अपने सामाजिक साथी को अधिक आसानी से दर्पण करते हैं। डैड्स अपने बच्चों के साथ खेलने में विशेष रूप से अच्छे हैं और इस तरह के खेल के माध्यम से बच्चे सामाजिक संबंधों के लिए लिपियों को सीख रहे हैं। दाड्स बच्चे को त्वचा से त्वचा के साथ शांत (एक उल्लेखनीय शांत उपकरण), कमाल और पैटींग, और अन्य स्पर्श-प्लस-आंदोलन व्यवहार शांत रहने में मदद कर सकते हैं। पहले १८ महीनों में सामाजिक रूप से सीखने के लिए तैयार बच्चा क्या है? क्या होता है जब बच्चों को अच्छा मातृत्व नहीं मिलता? दो चीजें होती हैं: शिशुओं को उस संकट से जहरीले तनाव का अनुभव होता है, जो तब उठता है जब वे उन्हें जरूरत नहीं देते। उदाहरण के लिए, आरामदायक सहकारी देखभाल की कमी: वे अकेले रह गए हैं या रोने के लिए छोड़ दिए गए हैं ( "रोइंग ऑफ़ आउट" के खतरे और शिशुओं के लिए पांच चीज़ें नहीं )। दूसरा, बच्चों को उस समय बढ़ने के लिए उचित उत्तेजना प्राप्त नहीं होती है। हां, मानव दिमाग प्लास्टिक होते हैं, लेकिन प्लास्टिक नहीं होते हैं: बच्चों को खुफिया, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक और नैतिक क्षमताओं के साथ कई प्रणालियों में अंतराल के साथ छोड़ा जा सकता है, जो तुरंत प्रदर्शित नहीं हो सकता है, लेकिन आगे परिपक्वता के बाद उन पर निर्भर होता है पहले की नींव जो गायब हैं इन अंतराल को बाद में सुधार करना असंभव नहीं है। प्रारंभिक जीवन के अनुभवों के प्रकार के एक उदाहरण का विकास होता है, जब मस्तिष्क का दाहिना गोलार्द्ध अधिक तेज़ी से विकसित होता है, ** जिल बोल्के टेलर, तंत्रिका विज्ञानी द्वारा प्रदान किया जाता है। उसने अपने बाएं सेरेब्रल गोलार्ध में एक स्ट्रोक होने के बाद अचानक और अप्रत्याशित अधिकार-गोलार्ध प्रभुत्व का अनुभव किया: "हमारा सही गोलार्ध चीजों को याद रखने के लिए बनाया गया है क्योंकि वे एक दूसरे से संबंधित हैं। विशिष्ट संस्थाओं के बीच की सीमाएं नरम होती हैं, और जटिल मानसिक कोलाज उनकी संपूर्णता में चित्र, संयोजन, और शरीर विज्ञान के संयोजन के रूप में याद किए जा सकते हैं। सही मन में, वर्तमान समय के अलावा कोई भी समय मौजूद नहीं है, और प्रत्येक क्षण सनसनी के साथ जीवंत है। अब का क्षण कालातीत और प्रचुर मात्रा में है वर्तमान क्षण एक समय था जब सब कुछ और सब एक साथ एक के रूप में जुड़े हुए हैं। नतीजतन, हमारा सही मन मानव परिवार के समान सदस्य के रूप में हम सभी को मानता है यह हमारी समानताओं को पहचानता है और इस अद्भुत ग्रह के साथ हमारे संबंध को पहचानता है, जो हमारे जीवन को कायम करता है। यह बड़ी तस्वीर को देखती है, सब कुछ कैसे संबंधित है, और हम सब कैसे पूरे बनाने के लिए एक साथ जुड़ जाते हैं। एहैथैथिक होने की हमारी क्षमता, दूसरे के जूते में चलना और उनकी भावनाओं को महसूस करना, हमारे सही ललाट प्रांतस्था का एक उत्पाद है। "(२००८, पीपी। ३०-३१)। * ध्यान दें कि गर्भ का अनुभव भी मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है और हम अपने दादा-दादी के अनुभवों के कारण कुछ लक्षणों का आदान-प्रदान कर सकते हैं, जैसे चिंता। ** सही गोलार्द्ध को दुनिया पर बिना किसी आधार पर प्रक्रिया, फिल्टर और कार्य करने की आदत होती है, जबकि बाएं गोलार्द्ध मौखिक प्रसंस्करण और अभिव्यक्ति से संबंधित मस्तिष्क के क्षेत्रों को पेश करता है। आत्म नियंत्रण: (ए) इंटर्न, या (बी) माँ और पिताजी पर निर्भर?
राज्य समीक्षा मनोरंजन विडियो: नए गढ़वाली गीत के साथ शाश्वत पंडित का कमबैक, इस बार कुछ खास है ! विडियो: नए गढ़वाली गीत के साथ शाश्वत पंडित का कमबैक, इस बार कुछ खास है ! कुछ नया करने का जुनून इस पहाड़ी लड़के को इस मुकांम पर ले आया है, जहां हर नया सिंगर पहुंचना चाहता है। लीजिए...उत्तराखंड के देवप्रयाग का लड़का एक बार फिर से नए गीत के साथ आप सभी के बीच आ गया है। शाश्वत पंडित के इस गीत का शायद आपको भी इंतजार रहा होगा। कुछ दिन पहले ही इस गीत का प्रोमो रिलीज किया गया था। अब इस पूरे वीडियो को रिलीज कर दिया गया है। उम्मीदों पर ये गीत एकदम खरा उतरा है। नए संगीत और नए शब्दों का जादू इस गीत में बरकरार रखा गया है। गीत को शाश्वत पंडित ने लिखा और इसके बोल बेहद प्यारे हैं। जा ना..इस गीत को शाश्वत ने लव सोंग की तर्ज पर पेश किया गया है। लोकेशन बेहद प्यारे हैं और साथ शाश्वत पंडित की आवाज इस गीत में जादू घोलने का काम रही है। अगर आप कुछ अलग सुनना चाहते हैं और डीजे वाले म्यूजिक से जरा खुद को राहत देना चाहते हैं, तो ये गीत आपके लिए है। यकीन मानिए ये गीत आपके दिल का सुकून देगा। आपको खुशी होगी कि अब उत्तराखंड में कुछ ऐसे गीत तैयार हो रहे हैं, जो लीक से हटकर हैं और बेहतर हैं। शाश्वत पंडित के साथ साथ इस गीत में संगीत देने का काम अर्पित शिखर ने किया है। अर्पित शिखर ने इस गीत की मिक्सिंग और मास्टरिंग का काम किया है। राहुल बौरियां ने इस गीत का वीडियो तैयार किया है। कुल मिलाकर कहें तो अगर आपके पास अपनी बिज़ी जिंदगी से बाहर निकलकर चंद मिनट हैं, तो इस गीत को जरूर सुनिए। अगर कोई उत्तराखंड की बोली भाषा को संगीत के नए स्तर पर ले जाना चाहता है, तो उसका हौसला बढ़ाना भी जरूरी है। इसलिए आप भी ये गीत सुनें और शाश्वत का हौसला बढ़ाएं।
- रानीकोड़रन में उल्टी- दस्त का प्रकोप, ललितपुर न्यूज इन हिन्दी -अमर उजाला बेहतर अनुभव के लिए अपनी सेटिंग्स में जाकर हाई मोड चुनें। ललितपुर। विकासखंड जखौरा के ग्राम गोराकलां में फैले संक्रामक रोगों के बाद अब ग्राम पंचायत हर्षपुर के मजरा रानीकोड़रन के निवासी उल्टी- दस्त की चपेट में आ गए हैं। सूचना पाकर गांव में पहुंची संक्रामक रोग नियंत्रण टीम ने मरीजों का उपचार किया। जनपद के ग्रामीण इलाकों में संक्रामक रोग थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक गांव में चिकित्सा अधिकारी रोगियों का उपचार कर नहीं पाते कि दूसरे गांव में उल्टी- दस्त का प्रकोप शुरू हो जाता है। मंगलवार को ग्राम पंचायत हर्षपुर के मजरा रानीकोड़रन में तमाम ग्रामीण बीमारी की चपेट में आ गए। जानकारी पाकर पहुंचे बांसी स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों ने डा. ए के गुप्ता के नेतृत्व में बीस रोगियों का उपचार किया और अन्य प्रभावित लोगों को दवाइयां बांटी। पानी को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन की गोलियां भी वितरित की गईं। चिकित्सकों के दल ने रानीकोड़रन निवासी फूलकुंवर पत्नी पूरन, रामअवतार पुत्र करन सिंह, मोहन सिंह पुत्र किशोरी, निधि पुत्री फूलसिंह, रवि पुत्र लाल सिंह, जलेबी पत्नी लाल सिंह, लालसिंह पुत्र हरनाम सिंह, सत्यम पुत्र ऊदल सिंह, लक्ष्मी पुत्री लाल सिंह, अनेक सिंह पुत्र समरथ सिंह, पूरन सिंह पुत्र समरथ सिंह, बृजेश पुत्र भगवान सिंह एवं रहीस पुत्र वीरन सिंह का उपचार किया। हैंडपंप के आसपास की गंदगी बनी वजहललितपुर। गांवों में हैंडपंप के आसपास मौजूद गंदगी संक्रामक रोगों के पैर पसारने की प्रमुख वजह बताई जा रही है। चिकित्सकों का मानना है कि बारिश के पानी के साथ गंदगी भी भूगर्भ जल में पहुंच रही है। इस पानी का सेवन करने से ग्रामीण बीमार हो रहे हैं। जिला चिकित्सालय में उमड़ी भीड़ ललितपुर। संक्रामक रोगों के फैलने का असर अस्पतालों पर दिखाई देने लगा है। जिला संयुक्त चिकित्सालय हो या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हर जगह मरीजों की कतार देखी जा रही है। जिला चिकित्सालय में मंगलवार को मरीजों व तीमारदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह पर्चा काउंटर खुलते ही लोगों की कतार लग गई। दिन में दो बजे तक मरीज पर्चा बनवाने के लिए आते रहे। वहीं, ओपीडी में मरीजों की भरमार रही।
व्वे के पीपीवी समरस्लैम को शुरू होने में अब बस कुछ हफ्तों का समय बाकी रह गया है। व्वे ने इस पीपीवी को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। इस पीपीवी पर हमें एक बार फिर यूनिवर्सल चैंपियनशिप के लिए ब्रॉक लैसनर बनाम रोमन रेंस का मुकाबला देखने को मिलेगा। इससे पहले भी हमें कई पीपीवी के मेन इवेंट पर यूनिवर्सल चैंपियनशिप के लिए ब्रॉक लैसनर बनाम रोमन रेंस का मुकाबला देखने को मिल चुका है। रोमन रेंस हाल ही में बॉबी लैश्ले को हराकर यूनिवर्सल चैंपियन के लिए नंबर वन कंटेंडर बने हैं लेकिन ज्यादा फैंस इस मुकाबले में लैश्ले की जीत चाहते थे क्योंकि वह समरस्लैम पर ब्रॉक लैसनर बनाम बॉबी लैश्ले के मुकाबले को देखना चाहते थे। हालांकि अब तो व्वे ने समरस्लैम के लिए लैसनर और रोमन रेंस को बुक कर दिया है। लेकिन हमारे पास ३ ऐसे कारण हैं जो यह बताते हैं कि समरस्लैम के मेन इवेंट में ब्रॉक लैसनर बनाम रोमन रेंस का मुकाबला नहीं होना चाहिए। बेशक हम इस पीपीवी पर सैथ रॉलिंस को यूनिवर्सल चैंपियन बनते नहीं देख सकते हैं लेकिन कम से कम हम ब्रॉन स्ट्रोमैन को शो के आखिरी में यूनिवर्सल चैंपियन बनते तो देख ही सकते हैं। रोमन रेंस और ब्रॉक लैसनर के बीच हम पहले भी पीपीवी पर मुकाबला देख चुके हैं। ऐसे में फैंस के यह मुकाबला नया नहीं है। हमारे ख्याल से व्वे को समरस्लैम के मेन इवेंट पर इस मुकाबले को बिल्कुल बुक नहीं करना चाहिए क्योंकि किसी भी यह उम्मीद नहीं है कि लैसनर बनाम रोमन के बीच होने वाला यह मुकाबला बहुत शानदार होगा हालांकि इस मुकाबले में सरप्राइज एंट्री कराकर मुकाबले को थोड़ा दिलचस्प बनाया जा सकता है।
अमेरिका में एक भारतीय मूल के व्यक्ति को मेल फ्रॉड और गबन के मामले में दोषी पाए जाने पर ३३ महीने की सजा सुनाई गई है। इसके साथ उसे १७ करोड़ रुपये भुगतान करने का आदेश दिया गया है। न्यूयॉर्क (पीटीआई)। अमेरिका में एक भारतीय मूल के व्यक्ति को मेल फ्रॉड और गबन के मामले में दोषी पाए जाने पर ३३ महीने की सजा सुनाई गई है। इसके साथ उसे १७ करोड़ रुपये भुगतान करने का आदेश दिया गया है। यूएस अटॉर्नी डेविड एंडरसन ने बताया कि सैन जोस के ४१ वर्षीय दिनेश शंकर को एक मेडिकल डिवाइस कंपनी से गबन के लिए मेल फ्रॉड के मामले में दोषी पाया गया, इस जुर्म के लिए उसे ३३ महीने जेल की सजा सुनाई गई है। शंकर की सजा इसी साल से शुरू होगी। मार्च २०१३ से जनवरी २०१८ तक याचिका में दी जानकरी के अनुसार, शंकर एक मेडिकल डिवाइस कंपनी में कर्मचारी था। जुलाई २०१३ से दिसंबर २०१७ तक, उसने कंपनी के फाइनेंसियल विभाग को गलत एक्सपेंस रिपोर्ट और झूठे चालान पेश किए, जिसके चलते कंपनी को उसे जरुरत से ज्यादा खर्च देना पड़ता था और इससे कंपनी का काफी नुकसान भी हुआ। बाद में कंपनी को उसके धोखाधड़ी के बारे में पता चला और शंकर ने स्वीकार भी किया कि उसने छह अलग-अलग फर्जी कंपनियों के नाम पर गलत चालान बनाए। जांच पड़ताल के बाद पता चला कि जिन छह कंपनियों के नाम पर चलान बनाये जा रहे थे, वास्तव में ऐसी कोई संस्था थी ही नहीं, शंकर उन्हें अपने हिसाब से कंट्रोल करता था। शंकर ने माना कि उसने कंपनी को अपनी धोखधड़ी से लगभग २.५ मिलियन अमेरिकी डालर (करीब १७ करोड़) का नुकसान पहुंचाया।
जसपुर। नादेही चीनी मिल के पेराई सत्र का शुभारंभ मिल के प्रधान प्रबंधक एवं क्षेत्रीय विधायक ने किसानों के साथ पूजा-अर्चना कर किया। बृहस्पतिवार को नादेही चीनी मिल के प्रांगण में प्रधान प्रबंधक वीएल फिरमाल, क्षेत्रीय विधायक एवं उत्तराखंड मंडी परिषद् के अध्यक्ष डा. शैलेंद्र मोहन सिंघल ने क्षेत्र के सैकड़ों किसानों और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में हवन, पूजा-अर्चना कर किया। विधायक डा. सिंघल ने मिल चेन में गन्ना डालकर मिल को चालू कराया। विगत वर्षों की तरह इस बार भी पहली गन्ने की बैलगाड़ी ग्राम पुरनपुर निवासी मौखी सिंह पुत्र मिश्री सिंह एवं पहली ट्रैक्टर-ट्राली ग्राम राजपुर निवासी राम चंदर पुत्र इंदर सिंह की तौल कर मिल चेन में गन्ना डाला गया। दोनों पहली गाड़ी वालों को विधायक डा. सिंघल ने १५१ रुपया नकद देकर सम्मानित किया। विधायक ने पेराई सत्र के शुभारंभ पर प्रधान प्रबंधक एवं किसानों को बधाई दी। इस दौरान उत्तराखंड राइस मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष निकेश अग्रवाल, हीरा सिंह, सिद्धार्थ सिंघल, चौधरी खिलेंद्र सिंह, सरजीत सिंह, कमला चौहान, प्रेम सहोता, सुभाष चंद्र, अतीकुर्रहमान, संजय कांबोज, मदन लाल, सुधीर विश्नोई, राजीव कुमार, सुरेंद्र सिंह समेत मिल अधिकारी आरके सेठी, पीसी तिवारी, सुधीर अग्रवाल आदि थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। आइपीएल के ४७वें मैच में किंग्स उलेवन पंजाब के खिलाड़ी संदीप शर्मा को अंपायर से मैदान पर भिड़ना भारी पड़ गया। संदीप को उनकी मैच फीस का ५०% हिस्सा अब जुर्माने के रुप में देना होगा। संदीप शर्मा कल रात मोहाली में खेले गए मुकाबले में अंपायर के नो बॉल देने के फैसले पर उनसे बहस करने लग गए थे। जिसके चलते अब उनपर फाइन लगा है। पंजाब के तेज़ गेंदबाज़ संदीप शर्मा को आइपीएल की आचार संहिता के नियम-२.१.५ के अनुसार मैच फीस का ५0 प्रतिशत जुर्माना लगा है। इस सजा को संदीप ने स्वीकार कर लिया है और इसीलिए, इस मामले में आधिकारिक सुनवाई नहीं की जाएगी। गुजरात के साथ खेले जा रहे इस मुकाबले में पंजाब की गेंदबाज़ी के पांचवें ओवर में गेंद संदीप शर्मा के हाथों में थी। इस ओवर की पांचवीं गेंद करने के बाद जब संदीप पीछे मुड़े तो उन्होंने देखा कि अंपायर ने नो बॉल का इशारा किया था। न तो ये गेंद एक घातक बाउंसर थी, न तो ये सीधे बल्लेबाज की कमर से ऊपर फेंकी गई थी और न ही गेंद फेंकते समय संदीप शर्मा का पैर क्रीज से बाहर गया था। फिर आखिर हुआ क्या था? क्यों अंपायर ने इस गेंद को नो-बॉल करार दिया। अंपायर ने निर्णय के बाद संदीप शर्मा ने पूछा कि इस गेंद को नो-बॉल क्यों दिया गया है। जबाव में अंपायर ने संदीप को बताया कि उन्होंने उस तरफ से गेंदबाज़़ी की (अराउंड द विकेट) जहां पर नॉन स्ट्राइकर बल्लेबाज़ खड़ा हुआ था। जबकि इससे पहले तक संदीप विकेट की दूसरी तरफ यानि कि (ओवर द विकेट) गेंदबाजी कर रहे थे। क्रिकेट के नियमों के मुताबिक गेंदबाज को अपनी साइड चेंज करने से पहले इसकी जानकारी अंपायर को देनी होती है। लेकिन अंपायर के मुताबिक संदीप शर्मा ने इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी थी, वहीं संदीप शर्मा इस बात पर अड़े थे कि उन्होंने अंपायर को इसकी जानकारी दी है। इस बात को लेकर अंपायर और संदीप के बीच बहस शुरु हो गई। संदीप के साथ-साथ पंजाब के कप्तान गलेन मैक्सवेल भी अंपायर से बहस करने पहुंच गए। हालांकि तब तक नो-बॉल का फैसला दिया जा चुका था और साथ ही फ्री-हिट भी दी जा चुकी थी।