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ज्यार्जिया अंड्रियनी हॉट पिक: इस समय सोशल मीडिया पर अरबाज खान की गर्लफ्रेंड यानी कि जॉर्जिया एंड्रियानी बी टाउन की सबसे ज्यादा हॉट एंड सेक्सी अभिनेत्रियों में शामिल हो चुकी है। इसी के साथ साथ में है इन दिनों काफी ज्यादा लाइमलाइट भी बटोर ती हुई नजर आती है। बता दें कि कभी तो एक्ट्रेस जिम लुक में नजर आ जाती है तो कभी वह अपनी वेकेशन की तस्वीरें शेयर करके चर्चा में बनी रहती है। लेकिन अभी के वक्त में जोड़ दिया काफी ज्यादा खबरों में आ चुकी है। लेकिन उनका निबंध इतना ज्यादा खूबसूरत रहता है कि हर कोई उनसे नजरें हटा ही नहीं पाता है। इसी के साथ-साथ उनका हार्ट एंड ग्लैमरस अंदाज लोगों को उनका दीवाना बना देता है। बता दें कि इसी बीच जॉर्जिया एंड्रियानी (ज्यार्जिया अंड्रियनी) का एक काफी ज्यादा बोल्ड और स्टाइलिश लुक सामने आ चुका है। सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें वायरल हो रही है जिन्हें देखकर हर कोई उनकी तारीफ करते थे कि नहीं रहा है। इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि जॉर्जिया (ज्यार्जिया अंड्रियनी) को मुंबई के बांद्रा में देखा गया है। इन तस्वीरों में नजर आ रहा है कि उन्होंने ब्लैक कलर की काफी हॉट सी टॉप पहन रखी है साथ ही साथ उन्होंने अपने बालों को खुला रखा हुआ है। इस वीडियो के अंदर भी साफ देखा जा सकता है कि उनकी टॉप बड़ी ही ज्यादा हॉट है। साथ ही उन्होंने छोटा सा शॉर्ट्स भी पहना हुआ है। साथ ही उन्होंने ब्लैक कलर के जूते पहने हुए हैं जिसमें वह काफी ज्यादा जबर्दस्त अंदाज में देखी जा सकती हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि जॉर्जिया एंड्रियानी (ज्यार्जिया अंड्रियनी) सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो चुकी है। सबसे ज्यादा तो वह अपने लुक्स की वजह से चर्चा में आ गई है। लेकिन जब से अरबाज खान के साथ उनका नाम जुड़ा है तब से तो वह लाइमलाइट में छा चुकी है। जॉर्जिया एंड्रियानी (ज्यार्जिया अंड्रियनी) का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में तो अरबाज खान से नाम जोड़ने के बाद आई चुका है लेकिन दोनों एक साथ अपडेट करते हुए भी नजर आते हैं। अरबाज खान ने हाल ही में अपने रिश्ते को लेकर कुछ बातें बताई है। उन्होंने बताया है कि भले ही उनके बीच में उम्र का काफी ज्यादा फासला है लेकिन उनके रिश्ते में काफी अच्छी बॉन्डिंग बन चुकी है।
शरद पवार ने कहा कि कुछ अतिरिक्त मत शिवसेना की झोली में नहीं गए। ये मत हमारे विरोधियों के कोटे के थे और हमारी जानकारी में हमारे उम्मीदवार (प्रफुल पटेल) के पक्ष में गए। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने कभी न कभी मेरे साथ काम किया है। मुंबई: राज्यसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार की करारी हार के कुछ ही घंटों बाद अपने पुणे निवास से बाहर निकले शरद पवार ने यह कहकर शिवसेना को और धक्का ही पहुंचाया होगा, कि मैं इन परिणामों को देखकर कतई आश्चर्यचकित नहीं हूं। शरद पवार महाविकास आघाड़ी के शिल्पकार माने जाते हैं। २०१९ में उनकी अगुवाई में शिवसेना ने अप्रत्याशित रूप से अपनी पुरानी साथी भाजपा से नाता तोड़कर कांग्रेस और राकांपा के साथ सरकार बना ली थी। १० जून को हुए राज्यसभा चुनाव से पहले भी शरद पवार पूरी तरह सक्रिय थे। नरीमन प्वाइंट में विधानभवन से चंद कदमों की दूरी पर होटल ट्राइडेंट में महाविकास आघाड़ी और उसके समर्थक छोटे दलों व निर्दलीय विधायकों को समझाने-बुझाने में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ वह भी वहां उपस्थित थे। इसके बावजूद उनका यह कहना कि इस जीत से हमें अचरज नहीं हुआ, बहुत से लोगों को अचरज में डाल रहा है। शरद पवार की एक और बात शिवसेना को परेशान करनेवाली है। उन्होंने कहा कि कुछ अतिरिक्त मत शिवसेना की झोली में नहीं गए। ये मत हमारे विरोधियों के कोटे के थे, और हमारी जानकारी में हमारे उम्मीदवार (प्रफुल पटेल) के पक्ष में गए। ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने कभी न कभी मेरे साथ काम किया है। मैं उन्हें कभी कुछ कहूं तो वे न नहीं करेंगे। लेकिन मैं इसमें पड़ा नहीं। भाजपा के कोई मत नहीं फूटे। लेकिन भाजपा समर्थक कुछ निर्दलियों के मत राकांपा के पक्ष में जरूर पड़े। पवार का यह वक्तव्य शिवसेना को सोचने पर विवश जरूर करेगा कि पवार ने अपने कुछ करीबी निर्दलीय विधायकों का मत उसे दिलवाने की कोशिश क्यों नहीं की ? लेकिन शिवसेना इस संबंध में पवार से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं जुटा सकती। क्योंकि उसका मुख्यमंत्री पद पवार की ही बदौलत चल रहा है। पवार ने यह दावा भी किया है कि आज की शिकस्त का महाविकास आघाड़ी सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह बात भी सही है। क्योंकि राज्यसभा चुनाव के मतदान में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के मत मजबूती से अपने एक-एक उम्मीदवार के पक्ष में खड़े रहे हैं। यहां तक कि राकांपा के अतिरिक्त मत पहली प्राथमिकता में शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार को ही मिले हैं। दूसरी बात यह कि त्रिदलीय महाविकास आघाड़ी सरकार तीनों दलों की मजबूरी है। इसलिए कोई इसे गिराने की पहल नहीं कर सकता।
कोविड-१९महामारी से निपटने के लिए योगी सरकार द्वारा बनाई गई गाइड लाइन की उड़ाई जा रही है,धज्जियाँ...!!! विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं ने सारी हदें पार कर प्रतापगढ़ में कोरोना संक्रमण को आमंत्रण देने का कार्य किया, अभी कोरोना का तीसरा वेव तेजी से अपना पाँव पसार रहा है और देश के नेता जो स्वयं को समाज का कर्णधार मानते हैं, उन्होंने सारी मान-मर्यादा का कर दिया,सत्यानाश...!!! प्रतापगढ़। सपा मुखिया अखिलेश यादव के आवाहन पर समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिले की सभी तहसीलों में धरना और प्रदर्शन किया। एसडीएम सदर मोहनलाल गुप्ता को सौंपा राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा। पंचायत चुनावों में हुई धाधली, महंगाई, सपाइयों पर दर्ज मुकदमों और भ्रष्टाचार के विरोध में सपाइयों द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया। सपा नेता संजय पाण्डेय की अगुवाई में मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया गया। इस दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। सपाई नेताओं द्वारा जब सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया जा रहा था तो वह भूल गए कि उनके द्वारा कोविड-१९ कोरोना संक्रमण काल के लिए बनाई गई योगी सरकार की गाइड लाइन का उल्लंघन उनके द्वारा किया जा रहा है। अभी एक मुकदमा कोरोना संक्रमण काल के लिए बनाये गए कानून को तोड़ने के खिलाफ लिख दिया जाएगा तो फिर से विधवा विलाप शुरू हो जायेगा। सरकार को नसीहत देना विपक्ष का काम है, परन्तु नसीहत वह दे, जो स्वयं नियम कानून का पालन करें। जब स्वयं नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाओगे तो सरकार को नसीहत क्या खाक दोगे ? इसलिए पहले स्वयं को दुरुस्त करो, फिर जनहित की आवाज उठाओ। जनहित की बात करने से जनहित की समस्या खत्म नहीं हो जाती। एक खोज़ी पत्रकार की सत्य खबरें जिन्हे पूरा पढ़े बिना आप रह ही नहीं सकते हैं। इस वेबसाइट से जुड़ने के लिए आपका सहृदय धन्यवाद। "खोज़ी पत्रकारिता" पर आधारित "खुलासा इंडिया" न्यूज पोर्टल से आप अवश्य जुड़े। वहां सम्पूर्ण ख़बरों की सबसे बेहतरीन प्रस्तुति आप सभी को देखने को मिलेगी। क्षेत्र की वे खबरें जो प्रभावशाली लोगों द्वारा दबा दी जाती हैं अथवा मीडिया को मैनेज कर सत्य का गला घोटने का प्रयास किया जाता है, उन ख़बरों को खुलसा इंडिया अधिक तवज्जों देकर उसे प्रकाशित कर पत्रकारिता को जीवित रखने के प्रति संकल्पित है।
यह बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) गोवा के कानाकोना (कैनैकोना) क्षेत्र में पालोलेम बीच के दक्षिण गोवा ( साउथ गोआ ) में स्थित एक खूबसूरत और आकर्षक समुद्र तट हैं। और इस समुद्र तट को सेक्रेट बीच के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप किसी शांत वातावरण और एकांत जगह पर जाकर कुछ समय व्यतीत करना चाहते हैं। तो यह समुद्र तट आपके लिए एकदम सटीक और मन को मोह लेने वाला है। और इससे अच्छा और शानदार जगह आपको शायद ही कही मिले। क्यों की इस समुद्र तट की प्रकृतिक संपदा और तीनो और फैले हुए पहाड़ इस समुद्र तट की सुंदरता को और भी खूबसूरत बनाता है। और इस समुद्र तट को बर्फ्ली बीच इस लिए भी कहा जाता है। क्यों की इस समुद्र तट का भौगोलिक और प्राकृतिक पहाड़ बर्फ्ली के आकर का दिखाई पड़ता हैं। और यहीं कारण हैं। की इस समुद्र तट को बर्फ्ली बीच कहा जाता हैं। और साथ ही इसे सेक्रेट बीच भी कहा जाता हैं। क्यों की यह समुद्र तट घने जंगलों और पहाड़ों में से जाता हैं। और यहां पर जाने का रास्ता भी बडा दुर्गम भरा है। और इसी लिए इस समुद्र तट को सेक्रेट बीच भी कहा जाता हैं। बर्फ्ली बीच का अर्थ हिंदी में निकाले तो आप इसे "तितली बीच" भी कह सकते हैं। इस बीच को बर्फ्ली बीच कहने के पिछे का कारण यह भी हैं। की इस समुद्र तट के आस पास के पहाडो की प्राकृतिक बनावट एक तितली की आकार के समान दिखाई देती हैं। और साथ ही इस पहाड़ के आस पास विभिन्न प्रकार की तितलियों की प्रजातियां भी देखने को मिलती हैं। और इस समुद्र तट के सूर्योदय और सूर्यास्त की बात करे तो अद्भुत आकर्षक और अकल्पनीय दृश्य देखने को मिलता हैं। और जब भी आप इस बटरफ्लाई समुद्र तट पर आए तो हनीमून बीच ( हनीमून बीच ) पर जाना ना भूले जोकि बटट्र्फ्ली बीच से कुछ ही दूरी पर स्थित है। हनीमूम बीच, आपकी अधिक जानकारी के लिए बताए तो बटरफ्लाई समुद्र तट ( बर्फ्ली बीच ) तक कोई भी गाड़ी वाहन नहीं पहुंच सकती, आपको पैदल यात्रा से ही समुद्र तट तक पहुंचना होता है। यहां पर एक दिशा में समुद्र तट हैं। तो वहीं दुसरी दिशा में घने जंगल भरे पहाड़ के कारण ऊपरी दिशा से यहां का दृश्य अद्भुत और अकल्पनीय लगता है। बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) तक आप निजी वहन से नहीं पहुंच सकते आपको यहां तक पहुंचने के लिए बगल वाली बीच पलोलेम समुद्र तट ( पलोलम बीच ) और आगोंडा समुद्र तट ( अगोंडा बीच ) से नाव के माध्यम से भी बडी असानिसे पहुंच सकते हैं। जाब आप पालोलेम बीच ( पलोलम बीच ) और अगोंडा बीच ( अगोंडा बीच ) पर से किसी नाव के माध्यम से बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर जाते हैं। तो उस समय अचानक ही आपको डॉल्फिन ( डॉल्फिन ) के भी दर्शन हो जाते हैं। और यह डॉल्फिन ( डॉल्फिन ) ज्यादातर सूर्योदय के समय देखे जाते हैं। और साथ ही छोटी बडी मछलियां भी देखी जाति हैं। और यहां तक कि आप नाव में बैठे हुए इसी समुद्र तट के चारों दिशाओं के पैड पौधो को और बड़े बड़े पहाड़ों के बिच कुछ बड़े पत्तरो को भी देख कर आप अपने मन को प्रसन्नचित्त कर सकते हैं। बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर आने वाले पर्यटकों की संख्या गोवा के अन्य समुद्र तटों के प्रतिपक्ष में कम है। बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर आप क्या गतिविधियां कर सकते हैं। बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर आपको करने ज्यैसी ऐसी बोहोत सारी जगह हे। जहां पर आप जा कर बोहोत कुछ कर सकतें हैं। ज्येसे की यदि आप फोटो खिंचानेके शौकीन हैं। तो यह समुद्र तट आपके लिए वरदान के स्वरुप होगा। और आज के समय देखा जाय तो हर एक व्यक्ती के पास अंड्रॉयड मोबाइल फोन अवश्य होता है। और हर एक व्यक्ती फोटो और विडियो बनाने के लिए शौकीन होता है। तो यह समुद्र तट उन व्यक्तियों के लिए वरदान के स्वरुप ही है। इस द्वीप के किनारे चलने वाली छोटी बड़ी नाव की सवारी कर आप अपने मन को मनोरंजित कर सकते हैं। इस समुद्र तट के किनारे जंगल के बीच में भी आप घूम फिर सकते हैं जहां पर आप बड़े-बड़े पत्थर और विभिन्न प्रकार की पंछियों की आवाजों के साथ परियावरण का आनन्द उठा सकते हैं। यदि आप बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) के आस पास कोई भी होटल या रेस्टोरेंट ढूंढ रहे हैं। तो हम आपको बता दें कि यह बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) के आस पास आपको कोई भी रिस्टोरेंट या होटल आपको नहीं मिलेगी। आपके लिए यही शुभ होगा की पलोलम या फिर अगोंडा समुद्र तट पर आप होटल या फिर रेस्टोटेंट पकड़ ले यहीं आपके लिए शुभ होगा। यदि आप बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर घूमने की एंट्री फि ( एंटर् फी ) जानना चाहते हैं। तो यहां पर आपको बतादे की बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर घूमने की कोई भी एंटर् फी नही लगाती हैं। यह बिल्कुल फ़्री हैं। यहां पर आप घूमो फिरो जो कुछ भी करना है करो बिल्कुल फ़्री हैं। परंतु पर्यावरण को शुद्ध रखना अत्यंत आवश्यक है। जिसका हम सबको पालन करना है। बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर घूमने जाने का सबसे उत्तम समय अक्टूबर और मार्च महिने के बिच का मना जाता हैं। और ऐसे समय में हल्की हल्की गर्मी और हल्की हल्की सर्दी का मोसम भी होता है। यदि आप बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर जाने की योजना बना रहे हैं। तो आपको बता दें कि आप बस, ट्रेन, या फिर निजी वाहन के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं। यदि आप बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर हवाई मार्ग से पहुंचना चाहते हैं। तो आपको बता दें कि गोवा का एक शहर डाबोलिम, जिसे डाबोलिम एयरपोर्ट भी कहा जाता हैं। और यह एयरपोर्ट बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) से सबसे नजदीक है। और इसी एअरपोर्ट से बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) की दूरी लघभग ६१ किलोमिटर की है। और सबसे बड़ी बात है कि एयरपोर्ट से बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) तक जाने के लिए आपको यहां पर हर प्रकार के वाहन की सुविधाएं भी मिल सकती हैं। जैसे कि आपको घूमने के लिए भी रेंट की बाइक बर्फ्ली बीच पर आसानी से हर जगह पर अवेलेबल रहती है। परंतु आपके पास कोई आईडी रहनी परम आवश्यकता है। बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर जाने के लिए ट्रेन भी एक बहुत ही अच्छा माध्यम हो सकता है। आपको बता दें कि (वास्को डा गामा रेल्वे स्टेशन) है। और यहां से ( कैनैकोना रेल्वे स्टेशन ) की दूरी लगभग (६४ किलोमीटर) की है। और यहीं से आप एक टैक्सी या यहां कोई निजी वाहन बुक कराके बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) तक बडी आसानी से पहुंच सकते हैं। यदि आप सड़क मार्ग से बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) पर जाते हैं। तो आप यह मान कर चलो कि आपने पूरा साउथ गोवा ही घूम लिया, और सड़क मार्ग से जाने का आपको यह भी फायदा है कि साउथ गोवा के पूरे प्राकृतिक पर्यावरण को भी देख सकते हैं। परंतु बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) के नजदीक कोई भी बस स्टैंड नहीं है। परंतु बटरफ्लाई बीच से लगभग ६७ किलोमीटर की दूरी पर पणजी का बस स्टैंड हैं। जिसके माध्यम से आप बड़ी आसानी से बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) तक पहुंच सकते हैं। बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) की एक महत्त्वपूर्ण जानकारी आपको बता दे की यहां पर आप बस, ट्रेन, या फिर बाईक के माध्यम से यहां नही पहुंच सकते। क्यों की यह समुद्र तट घने जंगलों से घिरा हुआ है। और यहीं कारण है की आप पलोलम या अगोंडा समुद्र तट के माध्यम से ही बटरफ्लाई बीच ( बर्फ्ली बीच ) तक पहुंच सकते हैं। और यहां तक पहुंचें ने के लिए एक नाव की सवारी करनी होगी और इसके लिए आपको केवल मात्र आपको १००० रूपये से लेकर १२०० रूपये तक की लागत देनी होगी। आप बटरफ्लाई बीच की यात्रा मानसून के मौसम में न करे क्योंकि इस दौरान यहां नौका बिहार संभव नही हो पाता हैं।
यह मानसून की उन शामों में से एक थी जब बारिश ने लुका-छिपी का खेल खेला था। हम कोयंबटूर से पोल्लाची जा रहे थे। चिकनी सड़कों और लयबद्ध यातायात से लथपथ, हमने ध्यान नहीं दिया कि बारिश शुरू हो गई है। हालांकि, हमारे गंतव्य पर बारिश के कोई संकेत नहीं थे। कुछ भी असामान्य नहीं है, कोई सोच सकता है: बादल शायद बह गए थे। लेकिन जब हम वापस चले गए, तो जब हम पहले की तरह ठीक उसी स्थान को पार कर गए तो बारिश शुरू हो गई। यह ऐसा था जैसे किसी ने पोलाची-कोयंबटूर फ्लाईओवर पर उस विशेष खंड पर एक विशाल हाथ से स्नान किया हो। वहां जो शहर खड़ा है, वह किनाथुकदावु है। स्थानीय लोगों से पूछें और वे आपको बताएंगे कि यह हमेशा से ऐसा ही रहा है। किनाथुदावु चुना गया है: वहां बारिश होती है, भले ही उसके पड़ोसी धूल के समान सूखे हों। पोलाची के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले कोयंबटूर की रहने वाली पैट्रिक जॉनसन याद करती हैं, मुझे याद है कि बस यात्रा के दौरान इस घटना से मैं काफी प्रभावित हुआ था। उन्हें बिना बाहर देखे भी पता चल जाएगा कि वे कहां हैं। ३० वर्षीय पैट्रिक कहते हैं, जब बस ओथक्कलमंडपम को पार करती थी और किनाथुकाडवु के करीब पहुंचती थी, तो हम अक्सर अपने कॉलेज की बस की छत पर बारिश के परिचित पिटर से मिलते थे। यह गैर-मानसून दिनों में अधिक स्पष्ट था जब कहीं और बारिश नहीं हुई। मजे की बात यह है कि एक बार जब वे शहर को पार करते हैं, तो सड़कें सूखी हो जाती हैं। शाम, विशेष रूप से, सर्द होगी जब बस ने खिंचाव पार किया, वे कहते हैं, उन्होंने अपने कॉलेज के वरिष्ठों से इस बारे में पूछा। यह कुछ ऐसा था जिसे हर कोई जानता था और वर्षों से इसे शहर जहां हमेशा बारिश होती है के रूप में माना जाता था। उत्तर, मौसम ब्लॉगर जी संतोष कृष्णन के अनुसार, शहर के स्थान में निहित है। कोयंबटूर वेदरमैन फेसबुक पेज चलाने वाले संतोष कहते हैं, किनाथुकादावु पश्चिमी घाट के पालघाट दर्रे के ठीक सामने स्थित है। संतोष बताते हैं कि यह दर्रा गुजरात से कन्याकुमारी तक पश्चिमी घाट के साथ सबसे लंबा है। यह लगभग २८ किलोमीटर लंबा है, वे कहते हैं, यह दर्रा दक्षिण पश्चिम मानसून की नमी से भरी हवाओं को फंसाता है, जो अरब सागर में उत्पन्न होती है, जब वे पश्चिमी घाट से टकराते हैं। हम इसे फ़नलिंग प्रभाव कहते हैं। जबकि बादल पहाड़ों से टकराने पर बिखर जाते हैं, दर्रा उन्हें कीप में जाने देता है। यह बारिश का उपहार पास के किनाथुकदावु को भेजता है। यह घटना इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय है और मुझे वर्षों से मोहित किया है, वे कहते हैं। यह ऐसा कुछ है जिसे भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा अध्ययन किया जाना है। १५ वर्षों से मौसम ब्लॉगिंग कर रहे संतोष कहते हैं, इस शौक में अपने शुरुआती वर्षों में, मैंने सोचा है कि कभी-कभी, बारिश के बादल कोयंबटूर की यात्रा क्यों नहीं करते हैं। जवाब की तलाश में, उन्होंने अनामलाई और पास के पधिमलाई की यात्रा की। कोयंबटूर वेदरमैन अक्सर बैठने और बादलों को देखने के लिए पालघाट दर्रे की यात्रा करते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सोमू वीरराजू ने पूर्व और पश्चिम गोदावरी जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए दो समितियों का गठन किया। पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक अय्याजी वेमा, पूर्व मंत्री सी. आदिनारायण रेड्डी और कर्री चिट्टी बाबू वाली समितियों में से एक कोनसीमा और पूर्वी गोदावरी जिले में बाढ़ प्रभावित हिस्सों का दौरा करेगी। अन्य समिति जिसमें एमएलसी पीवीएन माधव और वाकाती नारायण रेड्डी शामिल हैं, बस्तियों का दौरा करेंगे। पोलावरम परियोजना एलुरु जिले में जलमग्न क्षेत्र। श्री वीरराजू ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पार्टी के नेता पहले से ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं।
साथ ही, कक्षा १ से १0 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। मुगलों के शासन के पश्चात् भारत अंग्रेजीशासन के चंगुल में फंस गया था। सन् १८५७ की क्रान्ति के विफल होने के पश्चात् पराधीनता की जकड़ और ज्यादा प्रबल हो गई थी। इस काल में भारत गम्भीर निर्धनता के साथ अन्धविश्वासों की बेड़ियों में जकड़ा था। अशिक्षा और पिछड़ेपन ने भी उसको घेर लिया था। नब्बे साल तक स्वतंत्रता के लिए भारतीयों को संघर्ष करना पड़ा। स्वाधीनता के लिए होने वाले संघर्ष की दिशा मोड़ने के लिए ए. ओ. हयूम ने काँग्रेस की स्थापना की। जब महात्मा गांधी भारत आए और काँग्रेस में उनका प्रभाव बढ़ा तो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा और दशा दोनों बदल गईं। पूरा देश उनके पीछे एकजुट हो गया और सन् १९४७ के पन्द्रह अगस्त को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। स्वाधीन भारत के सामने अनेक समस्याएँ थीं। देश बिखरा हुआ था। अनेक रियासतों के होने के कारण भारत की एकता संकट में थी। तब सरदार पटेल के प्रयासों से इनका भारतीय राष्ट्र में विलय हआ। यह एक बहत बड़ी उपलब्धि थी। अंग्रेज गवर्नर जनरल लार्ड माउण्ट बेटन की कूटनीति के कारण कश्मीर भारत के लिए आज भी समस्या बना हुआ है। राज्यों का पुनर्गठन भारत की महान उपलब्धि रही। भारतीय संविधान का निर्माण हुआ और २६ जनवरी, सन् १९५० को भारत जनतंत्र बना। आज भारत को स्वाधीन हुए कई दशक वर्ष बीत चुके हैं। इस बीच देश ने अनेक आन्तरिक तथा बाह्य संकटों का सफलतापूर्वक सामना किया है। इस काल में देश ने बहुत कुछ पाया है तो कुछ खोया भी है। हम यहाँ विभिन्न क्षेत्रों में देश के खोनेपाने का लेखाजोखा संक्षेप में प्रस्तुत करेंगे। (क) आर्थिक सन् १९४७ में देश में भयंकर निर्धनता थी। आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी। खाद्यान्न का भीषण अभाव था। उद्योगव्यापार चौपट था। उसको सुधारने के लिए योजनाबद्ध प्रयासों की आवश्यकता थी। योजना आयोग (अब नीति आयोग) के प्रयास से देश की आर्थिक दशा में बहुत सुधार हुआ है। देश में कृषि उत्पादन बढ़ा है तथा उल्लेखनीय औद्योगिक प्रगति हुई है। (ख) सामाजिक विगत वर्षों में देश की विभिन्न जातियों में ऊँचनीच, छुआछूत आदि को दूर करने में सफलता मिली है। सभी धर्मों के अनुयायियों को अपनेअपने धर्म के अनुसार उपासना की स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। भारतीय समाज में अनेक जातियों और धर्मों के मानने वालों में समानता और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाने में सफलता मिली है। (ग) राजनैतिक देश में जनतंत्र स्थापित हुआ है। अनेक राजनैतिक दल बने हैं। इन दलों ने संविधान के अन्तर्गत राष्ट्रनिर्माण का कार्य किया है। जनता में लोकतंत्र के प्रति आस्था पैदा हुई है तथा लोकतन्त्र भारत में मजबूत हुआ है। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। (घ) शैक्षिकभारत में शिक्षा की दयनीय स्थिति में सुधार के प्रयास हुए हैं। नएनए विद्यालय स्थापित हुए हैं। विद्यालयों में पढ़ने जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। लड़कियों को भी विद्यालयों में भेजा जा रहा है। शिक्षा के स्तर में व्यापक सुधार हुआ है। व्यावसायिक तथा प्राविधिक शिक्षा का भी विस्तार हुआ है। (ङ) वैज्ञानिकआज विज्ञान का युग है। भारत में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शिक्षा को पर्याप्त महत्त्व प्रदान किया गया है। किया गया है। विज्ञान के शिक्षणप्रशिक्षण एवं शोध कार्य की व्यवस्था हुई है। हमारे वैज्ञानिक अपनी प्रतिभा से भिन्नभिन्न क्षेत्रों में महान कार्य कर रहे हैं। अन्तर्महाद्वीपीय अस्त्रों तथा अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने अद्वितीय प्रगति की है। (च) सुरक्षातंत्रसुरक्षा के क्षेत्र में भी भारत मजबूत हुआ है। अनेक नए वैज्ञानिक उपकरण देश में बनाए जा रहे हैं जिनका उपयोग देश की सुरक्षा के लिए हो रहा है। यद्यपि भारत ने अपने पड़ोसी देशों के अनेक आक्रमण सहन किये हैं किन्तु उनका सफलतापूर्वक सामना करते हुए देश की सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया है। विगत वर्षों में भारत ने अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं किन्तु उसने कुछ खोया भी है। स्वाधीनता से पूर्व देश में हिन्दूमुस्लिम साम्प्रदायिकता नहीं थी। नियंत्रण के प्रयास के बाद भी इसमें वृद्धि हुई है। हमारे स्वतंत्रता सेनानी एक जातिमुक्त समाज बनाना चाहते थे किन्तु पिछले अनेक वर्षों में वोट के लालची नेताओं ने जातिवाद को बढ़ावा दिया है। जातिमुक्त समाज की रचना में आरक्षण भी बाधक है। इससे सामाजिक एकता भी छिन्नभिन्न हुई है। राजनीति में सिद्धान्तहीनता घर कर चुकी है। इसमें बाहबली नेताओं को बढ़ावा मिला है। सम्प्रदाय और जाति राजनीति के दूषण हैं। आर्थिक क्षेत्र में प्रगति तो हुई है किन्तु अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब हुए हैं। पूँजी का केन्द्रीयकरण हुआ है, फलत: देश का धन कुछ लोगों की मुट्ठी में बन्द है। जो बाह्य चमकदमक है, उसके पीछे ऋण पर आधारित व्यवस्था है। जीवन में सादगी और सरलता घटी और आपाधापी बढ़ी है। बीती ताहि बिसारिए, आगे की सुधि लेहु! विगत कुछ वर्षों से घटित हो रही राजनीतिक एवं सामाजिक परिवर्तन की घटनाएँ हमें यही सीख दे रही हैं। शासकों का आत्मविश्वास दृढ़ हो रहा है। वे पारदर्शी तथा जनहितैषी शासन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।।
हर माता दिता का सपना होता है की उनके बच्चे पढ़ लिख कर एक अच्छी नौकरी पा जाएँ और सेटल हो जाएँ। अधिकतर स्टूडेंट्स भी यही चाहते हैं की पढाई के बाद उन्हें अपनी ड्रीम जॉब मिले और वे अपने पेरेंट्स और क्षेत्र का नाम रोशन करें। बहुत से लोग गूगल (गूगल) जैसी टेक कंपनी (टेक कम्पनी) में जॉब करना चाहते हैं। गूगल ऐसी कंपनी में हर कोई जॉब करना चाहता है, लेकिन बहुत ही कम लोगों को यहां काम करने का मौका मिल हासिल हो पाता है। कड़ी मेहनत करने वाले स्टूडेंट्स के लिए कोई भी सफलता प्राप्त करना कोई बहुत कठिन काम नहीं है। आज एक ऐसा की किस्सा बिहार (बिहार) से आया है, जहाँ एक बेटी ने कामयाबी पाई है। पटना नित की पायल खत्री (पायल खत्री) आज कई स्टूडेंट्स के सामने उदाहरण बन गई हैं। यहाँ हम उनकी सक्सेस स्टोरी (सक्सेस स्टोरी) जानेंगे। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (नित) की छात्रा पायल खत्री को गूगल से ३२ लाख का पैकेज मिला है। कंप्यूटर साइंस (कंप्यूटर साइंस) ब्रांच की अंतिम साल की छात्रा कानपुर (कानपुर) की रहने वाली हैं। सक्सेस प्रिसेंटन इमेजइससे पहले भी पायल को कई और टेक कंपनियों ने ऑफर दिए थे, लेकिन उनका सपना गूगल में काम करने का था। फिर जब गूगल से ऑफर आया, तो उन्होंने हाँ कर दी। वह जल्द ही बेंगलुरु के कार्यालय में ज्वाइन करेंगी। पायल की इस सफलता से घरवाले भी बहुत खुश है और बधाई देने के लिए पड़ोसियों, परिचितों और रिश्तेदारों की लाइन लग गई है। पायल ने बताया कि उन्हें अमेरिकन एक्सप्रेस और अन्य बड़ी कंपनियों से भी ऑफर आए हैं, लेकिन वह गूगल को ज्वाइन करेंगी। पायल जून-जुलाई में फाइनल ईयर परीक्षा देने के बाद कंपनी ज्वाइन करेंगी। कानपुर शहर के शारदानगर की मूल निवासी पायल खत्री अब दुनिया की टॉप कंपनी गूगल में नौकरी बनने जा रही हैं। कंपनी ने उन्हें ३२ लाख रुपये सालाना के पैकेज पर जॉब ऑफर किया है। बेटी के चयन पर परिवार में खुशी का माहौल है। पायल के पिता दीपक खत्री प्रिंटिंग और डिजाइनिंग का काम करते हैं और उनकी मां हिमांशी खत्री गृहिणी हैं। उनकी बहन अनीशा खत्री सीए अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। हाल ही में आफ कैंपस प्लेसमेंट में उन्होंने यह सफलता पाई। मई में उनकी फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा होनी है। जुलाई में कंपनी के बेंगलुरु स्थित कार्यालय में उन्हें ज्वाइन करना होगा। मोने प्रिसेंटन फोटोएनआइटी पटना (नित पटना) के अधिकारी ने मीडिया में बताया कि अभी तक टोटल ११८ कंपनियां आ चुकी हैं और प्लेसमेंट (कम्पस प्लेसेमनेट २०२२) ११६ प्रतिशत रहा है। ये पहला मौका नहीं है, जब किसी कंपनी ने नित पटना के स्टूडेंट्स को भारी-भरकम पैकेज दिया है। आपको बता दें की इससे पहले नित की छात्रा आदिती को फेसबुक ने १.६ करोड़ का पैकेज आफर किया था। आदिति इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन की लास्ट इयर की स्टूडेंट हैं। अभी तक का अधिकतम पैकेज केवल ५० से ६0 लाख का था। अदिति के पिता टाटा स्टील में काम करते हैं, जबकि उनकी मां सरकारी स्कूल में टीचर हैं।
इस मैच में ओपनिंग करने उतरे सूर्यकुमार यादव (७६) और श्रेयस अय्यर (२४) के बीच दूसरे विकेट लिए हुई ८६ रनों की साझेदारी की बदौलत भारत ने मंगलवार को सेंट किट्स में खेले गए तीसरे टी२० इंटरनेशनल मुकाबले में वेस्टइंडीज को ७ विकेट से हरा दिया। भारत ने अब पांच मैचों की टी२० सीरीज में २-१ की बढ़त बना ली है। वेस्टइंडीज ने टॉस हारकर पहले बैटिंग करते हुए ५ विकेट पर १64 रन का स्कोर बनाया। भारत ने इस स्कोर को एक ओवर बाकी रहते तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया। वेस्टइंडीज ने पहले बैटिंग करते हुए ५ विकेट पर १६४ रन का स्कोर बनाया। मेजबान टीम के लिए काइल मेयर्स ने ५0 गेंदों में ७३ रन बनाए। भारत की ओर से भुवनेश्वर कुमार को दो और हार्दिक पांडया तथा अर्शदीप सिंह को एक-एक विकेट मिले। वेस्टइंडीज से मिले १६५ रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के लिए कप्तान राेहित टीम के १९ के स्कोर पर रिटायर्ट हो गए। बल्लेबाजी करते समय रोहित की कमर की मांसपेशी में खिंचाव आ गया और उन्हें बाहर जाना पड़ा। सूर्यकुमार यादव को उनकी बेहतरीन पारी के लिए प्लेयर ऑफ़ द मैच का खिताब मिला।
ग्रह पर हर एक व्यक्ति की एक कहानी है। लोगों को सही मायने में जानने से पहले उन्हें जज न करें। सच्चाई आपको चौंका सकती है।" इसलिए, आदमी ने तितली की मदद करने का फैसला किया। उसने कैंची की एक जोड़ी ली और कोकून के शेष हिस्से को काट दिया। तितली तब आसानी से निकली, हालाँकि उसका शरीर सूजा हुआ था और छोटे, सिकुड़े हुए पंख थे। उस आदमी ने इसके बारे में कुछ नहीं सोचा, और वह वहीं बैठकर तितली को सहारा देने के लिए पंखों के बढ़ने की प्रतीक्षा कर रहा था। हालांकि, ऐसा कभी नहीं हुआ। तितली ने अपना शेष जीवन उड़ने में असमर्थ, छोटे पंखों और सूजे हुए शरीर के साथ रेंगते हुए बिताया।
नियामताबाद/बबुरी। भारतीय जनसंघ के पुरोधा और पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नजदीकी रहे वयोवृद्ध झामर सिंह नहीं रहे। कैंसर से जूझ रहे झामर दादा ने रविवार की रात लगभग १० बजकर २२ मिनट पर अपने जीवन की अंतिम सांस पांडेयपुर क्षेत्र के खुटहना गांव स्थित अपनी छावनी पर ली। मूल रूप से नियामताबाद गांव के रहने वाले झामर सिंह के निधन की खबर मिलते ही भाजपा सहित विभिन्न दलों के कई वरिष्ठ नेताआें ने उनके आवास पर पहुंच कर शोक संवेदना प्रकट की। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया गया। मुखाग्नि उनकी एकमात्र पुत्री शशिबाला सिंह के पुत्र रजनीश सिंह उर्फ राजू ने दी। गौरतलब है कि देश की आजादी के बाद १९५२ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निकले स्वयंसेवकों द्वारा जब जनसंघ नाम से नई पार्टी का प्रादुर्भाव हुआ, तो सन १९५७ में झामर सिंह को मिर्जापुर जनपद का प्रभारी बनाकर भेजा गया। उन्होंने १९५८-६२ तक पार्टी के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी निभाई। 19६२ में पांच विधान सभा सीटों में से चार पर जनसंघ के उम्मीदवारों को जीत दिलाई। कभी प्रचार प्रसार की गंभीर चुनौतियों का निर्वहन करने वाले झामर सिंह इन दिनों गले के कैंसर से जूझ रहे थे। नियामताबाद के मूल निवासी होते हुए उन्होंने पचोखर ग्राम सभा के खुटहन में अपना निवास स्थान बनाया और मृत्युपर्यंत तक वहीं पर रहे। राजनीति में राजनाथ सिंह व ओमप्रकाश सिंह को राजनीति का ककहरा व भाषण देने की कला सिखाने वाले झामर दा पार्टी में हो रही गुटबाजी से दुखी थे। उनके निधन की खबर मिलते ही सांसद रामकिशुन यादव, राणा प्रताप सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने छावनी पर पहुंच कर शोक संवेदना प्रकट की । आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें। खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है?
शेफ शिप्रा (#चेफ्शीप्रा) एक बहुत ही अग्रणी और श्रेष्ठ ब्लॉग है जो की आप को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों की रेसिपीज हिंदी में उपलब्ध करता है। इस ब्लॉग को शेफ शिप्रा द्वारा चलाया जा रहा है, जो की एक बहुत ही उम्दा और कुशल शेफ हैं। इनका नाम किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है। जैसा की हम सभी ये जानते हैं की खाना सबसे पहले आँखों से खाया जाता है इसलिए हम यहाँ आपको बताते हैं की किस तरह आप अपने साधारण से बनने वाले खाने को भी स्वादिष्ट और लज़ीज़ बना सकते हैं। इस ब्लॉग पर हम आपको न सिर्फ भारतीय व्यंजनों के बारे में बताते हैं अपितु देश विदेश के मशहूर व्यंजनों की जानकारी भी उपलब्ध करते है। इससे हमे दूसरे देश की संस्कृति और विविधता की झलक भी मिलती है। इस ब्लॉग पर हम आपको नाश्ता, स्नैक्स, बेवरेजेज, आचार, चटनी, सलाद, रायता, तंदूरी रेसिपी, परांठे, करी, पुलाव, मिठाई तथा व्रत उपवास की ढेरों रेसिपी साझा करते हैं। साथ ही हम आपको किचन की कुछ टिप्स भी देते हैं जिसके द्वारा आप अपनी रेसिपी को और जायकेदार बना सकते हैं।
कोरोना महामारी के संकट से मुक्ति के लिये समूची दुनिया की नजरे भारत पर टिकी है, भारत की संस्कृति एवं जीवनशैली पर दुनिया का भरोसा बढ़ रहा है। क्योंकि योग, अहिंसा, सह-अस्तित्व, शाकाहार, नैतिकता, संयम आदि जीवन के आधारभूत जीवनमूल्य इसी देश की माटी में रचे-बसे हैं। विशेषतः भारत में जैनधर्म एवं उसका जीवन-दर्शन कोरोना के वर्तमान संकट के दौर में समाधान के रूप में सामने आया है, जैनमुनि मुंह पर पट्टी ( मुंहपत्ती ) बांधते हैं, जो आज मास्क के रूप में समूची दुनिया अंगीकार कर रही है। सामाजिक दूरी ( सोशल डिस्टेंसिंग ), आइसोलेशन, व क्वारंटीन ( एकांत ) जैन मुनि एवं साधक के जीवन के अभिन्न अंग आज दुनिया के लिये कोरोना मुक्ति के सशक्त आधार बन रहे हैं। शाकाहार एवं मद्यपान का निषेध भी जैन जीवनशैली के आधार है, जिनका बढ़ता प्रचलन कोरोना महासंकट से मुक्ति का बुनियादी सच है। कोरोना के कहर के बीच इंसान के खुशहाल जीवन एवं निरोगता के लिये खानपान में बदलाव की स्वर दुनियाभर में सुनाई दे रहे हैं। मांसाहार को लेकर भी नजरिया बदल रहा है, मांसाहार के बुरे नतीजों को लेकर दुनिया चिन्ताग्रस्त एवं सावधान हुई है। ऐसा प्रतीत होता है शाकाहार का प्रचलन तेजी से बढ़ेगा क्योंकि कोविड-१९ वायरस भी, जो अभी पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है, पिछली शताब्दी में फैली कई महामारियों की तरह इसी मांसाहार की आदत की ही देन है। आप किसी के साथ गलत करेंगे तो कोई आपके साथ भी बुरा करेगा। मांसाहार एक बुरी आदत है जिसका बुरा नतीजा ही निकलता है। हाल के वर्षों में मांसाहार छोड़ने वालों की संख्या भारत ही नहीं दुनिया में बढ़ी हैं, कोरोना महामारी के कारण इसमें अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिलेगी। जबकि लोगों का शाकाहार अपनाने के लिये कोरोना महामारी से पहले ही रूझान बढ़ने लगा था। ग्लोबल रिसर्च कंपनी इप्सोस के कराये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार कोरोना महामारी से पहले ही ६३ प्रतिशत भारतीय अपने भोजन में मांसाहार के स्थान पर शाकाहार को अपनाने लगे थे, अमरीका में डेढ़ करोड़ व्यक्ति शाकाहारी बन चुके थे। दस वर्ष पूर्व नीदरलैंड की डेढ़ प्रतिशत आबादी शाकाहारी थी जबकि वर्तमान में वहाँ पांच प्रतिशत व्यक्ति शाकाहारी हैं। सुप्रसिद्ध गैलप मतगणना के अनुसार इंग्लैंड में प्रति सप्ताह तीन हजार व्यक्ति शाकाहारी बन रहे थे। वहाँ कोरोना से पहले पच्चीस लाख से अधिक व्यक्ति शाकाहारी बन चुके थे। बढ़ती बीमारियां के कारण जीवन की कम होती सांसों ने इंसान को शाकाहार अपनाने के लिये विवश किया और अब कोरोना महामारी का बड़ा सत्य यही है कि शाकाहार एक उन्नत जीवनशैली है, निरापद खानपान है, स्वस्थ जीवन का आधार है। न केवल बुद्धिजीवी बल्कि आम व्यक्ति भी अब शाकाहारी जीवन प्रणाली को अधिक आधुनिक, प्रगतिशील और वैज्ञानिक मानने लगे हैं एवं अपने आपको शाकाहारी कहने में प्रगतिशील व्यक्ति होने का गर्व महसूस करते हैं। कोरोना ने तो उनकी सोच को और अधिक पुष्ट कर दिया है। विश्वभर के डॉक्टरों ने कोरोना के दौर में शाकाहारी भोजन को ही उत्तम स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ माना है। फल-फूल, सब्जी, विभिन्न प्रकार की दालें, बीज एवं दूध से बने पदार्थों आदि से मिलकर बना हुआ संतुलित आहार भोजन में कोई भी जहरीले तत्व नहीं पैदा करता एवं कोरोना के वायरस से लड़ने में सक्षम बनाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि जब कोई जानवर मारा जाता है तो वह मृत-पदार्थ बनता है। यह बात सब्जी के साथ लागू नहीं होती। यदि किसी सब्जी को आधा काट दिया जाए और आधा काटकर जमीन में गाड़ दिया जाए तो वह पुनः सब्जी के पेड़ के रूप में उत्पन्न हो जाएगी। क्योंकि वह एक जीवित पदार्थ है। लेकिन यह बात एक भेड़, मेमने या मुरगे के लिए नहीं कही जा सकती। अन्य विशिष्ट खोजों के द्वारा यह भी पता चला है कि जब किसी जानवर को मारा जाता है तब वह इतना भयभीत हो जाता है कि भय से उत्पन्न जहरीले तत्व उसके सारे शरीर में फैल जाते हैं और वे जहरीले तत्व मांस के रूप में उन व्यक्तियों के शरीर में पहुँचते हैं, जो उन्हें खाते हैं और ऐसे लोग कोरोना के भय से अधिक ग्रस्त होते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। हमारा शरीर उन जहरीले तत्वों को पूर्णतया निकालने में सामथ्र्यवान नहीं हैं। नतीजा यह होता है कि उच्च रक्तचाप, दिल व गुरदे आदि की बीमारी मांसाहारियों को जल्दी आक्रांत करती है। इसलिए कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने के लिये यह नितांत आवश्यक है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से हम पूर्णतया शाकाहारी रहें। प्रकृति ने मनुष्य को स्वभाव से ही शाकाहारी बनाया है। कोई भी श्रमजीवी मांसाहार नहीं करता, चाहे वह घोड़ा हो या ऊँट, बैल हो या हाथी। फिर मनुष्य ही अपने स्वभाव के विपरीत मांसाहार कर संसार भर की बीमारियां, विकृतियां एवं कोरोना महामारी को पनपने का खतरा क्यों मोल ले रहा है? मयामी यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर एवं फिलॉस्फर एंड द वुल्फ और एनिमल्स लाइक अस जैसी पुस्तकों के लेखक मार्क रौलैंड्स चेतना और पशु अधिकारों संबंधी अपने शोध के माध्यम से दुनिया को चेताया है कि मांसाहार कोरोना महामारी से भी अधिक बुरे नतीजे ला सकता है। वे कहते है कि मुझे लगता है, लोगों को समझाने की जरूरत है कि मांसाहार से उन्होंने अपना कितना नुकसान कर लिया है। यह न केवल हृदय संबंधी बीमारियां, कैंसर, डायबिटीज और मोटापा बढ़ा रहा है बल्कि पर्यावरण संबंधी कई समस्याएं भी पैदा कर रहा है, जिन्हें हम महसूस कर रहे हैं। मांसाहार के कारण बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं और पृथ्वी के लिए एक बड़ा संकट खड़ा हो रहा है। मांसाहार से तामसी वृतियां पैदा होती हैं जो इंसान को क्रूर और हिंसक बनाता है, उसके शरीर की रोग-निरोधक क्षमता को कम कर उसे कोरोना महारोग, रक्तचाप तथा हृदय रोग जैसी दुसाध्य बीमारी से ग्रस्त करता है, उसके श्वास और पसीने को दुगुर्ण युक्त बनाता है। उसके मन में काम, क्रोध और प्रमाद जैसे दुगुर्ण उत्पन्न करता है। कहा भी है जैसा खाए अन्न, वैसा होए मन। मांसाहार के लिए कटने वाले प्राणी की आंखों मंे जो भय और त्रास होता है, वह उसके रक्त में मिलकर सामिषभोजी की धमनियों तक पहुंचता है और उसे भीरू बनाता है, क्रूर एवं आतंकी बनता है। उसके आत्मबल का हृास करता है। आज विश्व में कोरोना महामारी सबसे बड़ी समस्या है, चारों ओर इस महारोग के संक्रमण के बादल उमड़ रहे हैं। उन्हें यदि रोका जा सकता हैं तो केवल मनुष्य के स्वभाव को संयम और शाकाहार की ओर प्रवृत्त करने से ही। पिछले कुछ सालों में जब से नए शोधों ने यह साबित कर दिया कि शाकाहार इंसान के लिए मंासाहार से अधिक सुरक्षित और निरापद है तब से पश्चिमी देशांे में शाकाहारियों की एक बड़ी तादाद देखने में आ रही है। इतना ही नहीं लोगों को यह भी समझ में बखूबी आने लगा है कि मांसाहार महज बीमारियों की वजह नहीं है बल्कि स्वस्थ जीवन, शांति, पर्यावरण, कृषि, नैतिकता और मानव-मूल्यों के विपरीत है। यह अर्थव्यवस्था के लिए भी नकारात्मक है। पश्चिम में शाकाहारी होना आधुनिकता पर्याय बन गया है। कोरोना महामारी के खिलाफ जिन चीजों को आधारभूत माना जा रहा है, उनमें शाकाहार सबसे प्रमुख है। आए दिन लोग खुद को शाकाहारी घोषित कर इस नए चलन के अगुवा बताने में गर्व अनुभव करते देखे जा सकते हैं। पश्चिमी दर्शनों की विचारधारा, जो कभी मांसाहार को सबसे मुफीद मानती थी वही दर्शनों की धारा अब शाकाहार की ओर रुख करने लगी है। यह कई नजरिए से शाकाहार के हक में एवं कोरोना मुक्ति की दिशा में एक अच्छा संकेत कहा जाना चाहिए।
व्हेट इस नमाज़ इन हिन्दी नमाज़ (उर्दू: ) या सलात (अरबी: ), नमाज फारसी शब्द है, जो उर्दू में अरबी शब्द सलात का पर्याय है। कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है और प्रत्येक मुसलमान स्त्री और पुरुष को नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है। इस्लाम के आरंभकाल से ही नमाज की प्रथा और उसे पढ़ने का आदेश है। यह मुसलमानों का बहुत बड़ा कर्तव्य है और इसे नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा त्याग देना पाप है। पाँच नमाजें प्रत्येक मुसलमान के लिए प्रति दिन पाँच समय की नमाज पढ़ने का विधान है। नमाज -ए-फजर -यह पहली नमाज है जो प्रात: काल सूर्य के उदय होने के पहले पढ़ी जाती है। नमाज-ए-जुहर -यह दूसरी नमाज है जो मध्याह्न सूर्य के ढलना शुरु करने के बाद पढ़ी जाती है। नमाज -ए-अस्र यह तीसरी नमाज है जो सूर्य के अस्त होने के कुछ पहले होती है। नमाज-ए-मगरिब चौथी नमाज जो सूर्यास्त के तुरंत बाद होती है। नमाज-ए-इशा अंतिम पाँचवीं नमाज जो सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद पढ़ी जाती है। नमाज पढ़ने के पहले प्रत्येक मुसलमान वुजू करता है अर्थात् कुहनियों तक हाथ का धोता है, मुँह व नाक साफ करता है, पूरा मुख धोता है। यदि नमाज किसी मस्जिद में हो रही है तो अजाँ भी दी जाती है। नमाज तथा अजाँ के बीच में लगभग १५ मिनटों का अंतर होता है। उर्दू में अजाँ का अर्थ पुकार है। नमाज के पहले अजाँ इसलिए दी जाती है कि आस-पास के मुसलमानों को नमाज की सूचना मिल जाए और वे सांसारिक कार्यों को छोड़कर कुछ मिनटों के लिए मस्जिद में खुदा का ध्यान करने के लिए आ जाएँ। नमाज अकेले भी पढ़ी जाती है और समूह के साथ भी। यदि नमाज साथ मिलकर पढ़ी जा रही है तो उसमें एक मनुष्य सबसे आगे खड़ा हो जाता है, जिसे इमाम कहते हैं और बचे लोग पंक्ति बाँधकर पीछे खड़े हो जाते हैं। इमाम नमाज पढ़ता है और अन्य लोग उसका अनुगमन करते हैं। नमाज पढ़ने के लिए मुसलमान मक्का की ओर मुख करके खड़ा हो जाता है, नमाज की इच्छा करता है और फिर अल्लाह अकबर कहकर तकबीर कहता है। इसके अनंतर दोनों हाथों को कानों तक उठाकर छाती पर नाभि के पास बाँध लेता है। वह बड़े सम्मान से खड़ा होता है। वह समझता है कि वह खुदा के सामने खड़ा है और खुदा उसे देख रहा है। कुछ दुआ पढ़ता है और कुरान शरीफ से कुछ लेख पढ़ता है, जिसमें फातिह: (कुरान शरीफ का पहला बाब) का पढ़ना आवश्यक है। ये लेख कभी उच्च तथा कभी मद्धिम स्वर से पढ़े जाते हैं। इसके अनंतर वह झुकता है, फिर खड़ा होता है, फिर खड़ा होता है, फिर सजदा में गिर जाता है। कुछ क्षणों के अनंतर वह घुटनों के बल बैठता है और फिर सजदा में गिर जाता है। फिर कुछ देर के बाद खड़ा हो जाता है। इन सब कार्यों के बीच-बीच वह छोटी-छोटी दुआएँ भी पढ़ता जाता है, जिनमें अल्लाह की प्रशंसा होती है। इस प्रकार नमाज की एक रकअत समाप्त होती है। फिर दूसरी रकअत इसी प्रकार पढ़ता है और सजदा के उपरांत घुटनों के बल बैठ जाता है। फिर पहले दाईं ओर मुँह फेरता है और तब बाईं ओर। इसके अनंतर वह अल्लाह से हाथ उठाकर दुआ माँगता है और इस प्रकार नमाज़ की दो रकअत पूरी करता है अधिकतर नमाजें दो रकअत करके पढ़ी जाती हैं और कभी-कभी चार रकअतों की भी नमाज़ पढ़ी जाती है। पढ़ने की चाल कम अधिक यही है। साफ जाहिर है नमाज़ खालिस बन्दे की आसानी के लिए अल्लाह की नेमत है। ५ नमाजों की मिसाल ऐसी है, मानो आपके द्वार पर ५ पवित्र नहरे॥ दिन मे ५ बार आप उनमे स्नान कर के क्या अपवित्र रह सकते हैं? वैसे ही आप अपने मन को इन नहरों मे स्नान करवा दुनिया द्वारा दी गई कलिख और मैल को धो डालते हैं। अल्लाह का डर और उसकी मदद आप को कामयाब इन्सान बनाने में मदद देतें हैं। इस आयत की रोशनी में नमाज़ का सब से अहम फ़लसफ़ा याद ख़ुदा है और याद ख़ुदा ही है जो मुश्किलात और सख़्त हालात में इंसान के दिल को आराम और इतमीनान अता करती है। अनुवाद: आगाह हो जाओ कि याद ख़ुदा से दिल को आराम और इतमीनान हासिल होता है। इस्लामी हक़ के इलावा कि जो मुस्लमान इस्लाम की वजह से एक दूसरे की गर्दन पर रखते हैं एक दूसरा हक़ भी है जिस को इंसानी हक़ खा जाता है जो इंसानियत की बिना पर एक दूसरे की गर्दन पर है। उन्हें इंसानी हुक़ूक़ में से एक हक़, दूसरों की मुहब्बत और नेकियों और एहसान का शुक्रिया अदा करना है अगरचे मुस्लमान ना हूँ। दूसरों के एहसानात और नेकियां हमारे ऊपर शुक्र यए की ज़िम्मेदारी को आइद करती हैं और ये हक़ तमाम ज़बानों, ज़ातों, मिल्लतों और मुल्कों में यकसाँ और मुसावी है। लुतफ़ और नेकी जितनी ज़्यादा और नेकी करने वाला जितना अज़ीम-ओ-बुज़ुर्ग हो शुक्र भी इतना ही ज़्यादा और बेहतर होना चाहिए। क्या ख़ुदा से ज़्यादा कोई और हमारे ऊपर हक़ रखता है? नहीं। इस लिए कि इस की नेअमतें हमारे ओपरबे शुमार हैं और ख़ुद इस का वजूद भी अज़ीम और फ़य्याज़ है। ख़ुदावंद आलम ने हम को एक ज़र्रे से तख़लीक़ किया और जो चीज़ भी हमारी ज़रूरीयात-ए-ज़िंदगी में से थी जैसे, नूर-ओ-रोशनी, हरारत, मकान, हुआ, पानी, आज़ा-ओ-जवारेह, गुरावज़-ओ-कवाय नफ़सानी, वसीअ-ओ-अरीज़ कायनात, पौदे-ओ-नबातात, हैवानात, अक़ल-ओ-होश और आतफ़ा-ओ-मुहब्बत वग़ैरा को हमारे लिए फ़राहम किया। हमारी माअनवी तर्बीयत के लिए अनबया-ए-अलैहिम अस्सलाम को भेजा, नेक बुख़ती और सआदत के लिए आईन वज़ा किए, हलाल-ओ-हराम में फ़र्क़ वाज़िह किया। हमारी माद्दी ज़िंदगी और रुहानी हयात को हर तरह से दुनियावी और उखरवी सआदत हासिल करने और कमाल की मंज़िल तक पहुंचने के वसाइल फ़राहम किए। ख़ुदा से ज़्यादा किस ने हमारे साथ नेकी और एहसान किया है कि इस से ज़्यादा इस हक़ शुक्र की अदायगी का लायक़ और सज़ावार हो। इंसानी वज़ीफ़ा और हमारी अक़ल-ओ-वजदान हमारे ऊपर लाज़िम क़रार देती हैं कि हम उस की इन नेअमतों का शुक्र अदा करें और उन नेकियों के शुक्राना में उसकी इबादत करें और नमाज़ अदा करें। चूँकि वो हमारा ख़ालिक़ है, लिहाज़ा हम भी सिर्फ उसी की इबादत करें और सिर्फ इसी के बंदे रहें और मशरिक़-ओ-मग़रिब के ग़ुलाम ना बनें। नमाज़ ख़ुदा की शुक्रगुज़ारी है और साहिब वजदान इंसान नमाज़ के वाजिब होने को दृक् करता है। जब एक कुत्ते को एक हड्डी के बदले में जो उसको दी जाती है हक़शनासी करता है और दुम हिलाता है और अगर चोर या अजनबी आदमी घर में दाख़िल होता है तो इस पर हमला करता है तो अगर इंसान परवरदिगार की इन तमाम नेअमतों से लापरवाह और बे तवज्जा हो और शुक्र गुज़ारी के जज़बा से जो कि नमाज़ की सूरत में जलवागर होता है बेबहरा हो तो क्या ऐसा इंसान क़दरदानी और हक़शनासी में कुत्ते से पस्त और कमतर नहीं है। हली नमाज़ जुम्मअ (शुक्रवार) की है, जो सूर्य के ढलने के अनंतर नमाज़ जुह्र के स्थान पर पढ़ी जाती है। इसमें इमाम नमाज़ पढ़ाने के पहले एक भाषण देता है, जिसे खुतबा कहते हैं। इसमें अल्लाह की प्रशंसा के सिवा मुसलमानों को नेकी का उपदेश दिया जाता है। दूसरी नमाज ईदुलफित्र के दिन पढ़ी जाती है। यह मुसलमानों का वह त्योहार है, जिसे उर्दू में ईद कहते हैं और रमजान के पूरे महीने रोजे (दिन भर का उपवास) रखने के अनंतर जिस दिन नया चंद्रमा (शुक्ल द्वितीया का) निकलता है उसके दूसरे दिन मानते हैं। तीसरी नमाज़ ईद अल् अजा के अवसर पर पढ़ी जाती है। इस ईद को कुर्बानी की ईद कहते हैं। इन दिनों के अवसरों पर निश्चित नमाज़ों का समय सूर्योदय के अनंतर लगभग बारह बजे दिन तक रहता है। ये नमाज़ें सामान्य नमाज़ों की तरह पढ़ी जाती हैं। विभिन्नता केवल इतनी रहती है कि इनमें पहली रकअत में तीन बार और दूसरी रकअत में पुन: तीन बार अधिक कानों तक हाथ उठाना पड़ता है। नमाज़ के अनंतर इमाम खुतबा देता है, जिसमें नेकी व भलाई करने के उपदेश रहते हैं। कुछ नमाजें ऐसी भी होती हैं जिनके न पढ़ने से कोई मुसलमान दोषी नहीं होता। इन नमाजों में सबसे अधिक महत्व तहज्जुद नमाज़ को प्राप्त है। यह नमाज़ रात्रि के पिछले पहर में पढ़ी जाती है। आज भी बहुत से मुसलमान इस नमाज़ को दृढ़ता से पढ़ते हैं। इस्लाम धर्म में नमाज़ जिनाज़ा का भी बहुत महत्व है। इसकी हैसिअत प्रार्थना सी है। जब किसी मुसलमान की मृत्यु हो जाती है तब उसे नहला धुलाकर श्वेत वस्त्र से ढक देते हैं, जिसे कफन कहते हैं और फिर जिनाज़ा को मस्जिद में ले जाते हैं। वहाँ इमाम जिनाज़ा के पीछे खड़ा होता है और दूसरे लोग उसके पीछे पंक्ति बाँधकर खड़े हो जाते हैं। नमाज़ में न कोई झुकता है और न सिजदा करता है, केवल हाथ बाँधकर खड़ा रह जाता है तथा दुआ पढ़ता है।
जनसंख्या नियंत्रण हेतु हतोत्साहक नीति के तहत तीसरे बच्चे के जन्मदाता माता-पिता के मताधिकार समाप्त करने पर भी विचार किया जा सकता है। जन्मदर कम रखने के लिए दूसरे बच्चे के लिए आवश्यक सरकारी अनुमति का प्रावधान भी उपयोगी हो सकता है। यह समझना आवश्यक है कि जन्मदर घटने से युवाओं-बुजुर्गों का अनुपात अवश्य घटेगा, पर इससे विचलित हुए बिना लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर आगे बढ़ना होगा। दीर्घकालिक उज्ज्वल भविष्य के लिए वर्तमान में त्याग करना ही पड़ेगा। जनसंख्या वृद्धि का रोग कई अवस्थाएं पार कर चुका है, प्रभावकारी इलाज से ही राहत मिल सकती है। मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, संसाधनों के लिए बढ़ता संघर्ष व अन्य प्राणियों के लिए बढ़ती संवेदनहीनता, आदि पर्यावरण के लिए खतरा बन चुके हैं। जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक होने से भारत की स्थिति दिन-प्रति-दिन दयनीय होती जा रही है। हम सभी भारत मां की जय के नारे लगाते हैं, परंतु भारत मां जनसंख्या नियंत्रण हेतु संवैधानिक संस्थाओं की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश की जनसंख्या लगभग ३४-करोड़ थी, वर्ष-२०११ में लगभग १२१-करोड़ हो गई और इस समय लगभग १३९ करोड़ दर्शायी जा रही है। जनसंख्या नियंत्रण हेतु राजनीतिक दलों ने कभी गम्भीरतापूर्वक विचार नहीं किया। उल्टे बढ़ती जनसंख्या पर भी अपनी पीठ थपथपाते रहे और चीन के प्रयासों का मजाक उड़ाते रहे कि हमारी ६५% आबादी युवा है और ड्रैगन बूढ़ा हो गया है। यद्यपि जनसंख्या नियंत्रण हेतु विभिन्न दलों के जागरूक सांसदों द्वारा अब तक संसद में ३७-विधेयक लाए गए, पर सफल नहीं हुए। श्रीमद्भगवतगीता के अनुसार 'कर्मणि एव अधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन'। समाज इन सभी सांसदों के प्रयासों का सम्मान करता है। बार-बार विधेयकों का असफल होना लोकतांत्रिक व्यवस्था व राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। असम सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण की पहल की है और उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में काम कर रही है। इन प्रयासों को प्रभावी बनाने में सहयोग देने के बजाय कई राजनेता तर्कहीन सवाल उठाकर विरोध कर रहे हैं। कुछ साम्प्रदायिक दृष्टकोण से देखते हुए इसे मुस्लिम समाज के विरुद्ध ठहरा रहे हैं, कुछ चुनावी लाभ हेतु सियासी मंशा बता रहे हैं। कुछ इसे अनावश्यक बता रहे हैं, कुछ बच्चों के जन्म को अल्लाह की मर्जी बता रहे हैं। जब भी जनसंख्या नियंत्रण की पहल होती हैं, नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। देखा गया हैं कि वैरिएबल्स की संख्या बढ़ने पर मैथमेटिकल मॉडल को हल करने में कठिनाई बहुत तेजी से बढ़ने लगती है। यही स्थिति जनसंख्या के विषय में है। जनसंख्या बढ़ने से मानव जीवन (पोषण, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पारिवारिक व सामाजिक संबंध, आदि) की गुणवत्ता प्रभावित हो चुकी है। निरंतर घटते प्रति-व्यक्ति संसाधनों के कारण मानवीय संवेदनाएं कमजाेर पड़ रही हैं, व मानव एक-दूसरे का शोषण करने लगा है। प्रकृति व पर्यावरण के साथ मानव के व्यवहार की कल्पना करना भी कठिन है। कुछ राजनीतिक दल मानते हैं कि परिवार में बच्चों की संख्या पति-पत्नी पर निर्भर करती है,परन्तु विचारणीय है कि वाहन-चालकों को हेल्मेट पहनना व सीट-बेल्ट लगाना अनिवार्य बनाया गया है, विवाह करने व मदिरापान करने के लिए न्यूनतम उम्र निर्धारित की गई है, कोरोनाकाल में मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है। महत्वपूर्ण निर्णय जनता की मर्जी पर नहीं छोड़े जा सकते। जनसंख्या वृद्धि देश की सबसे बड़ी समस्या है, इससे प्रति-व्यक्ति प्राकृतिक संसाधन निरंतर कम हो रहे हैं। इस पर तटस्थ रहना लापरवाही माना जाएगा। विगत दशकों में जनसंख्या नियंत्रण हेतु सरकारी प्रयास भी हुए, परन्तु वर्ष-१९७६ में आपातकाल के समय केंद्र सरकार के निर्देश पर परिवार नियोजन कार्यक्रम में सरकारी तंत्र के दुर्व्यवहार से समाज त्रस्त हो गया। परिणाम स्वरूप वर्ष १९७७ के लोकसभा चुनाव में कुछ राज्यों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से सरकार बदल गई। तब से किसी भी राजनीतिक दल ने इस पर कोई ठोस पहल नहीं की। यहां समझना आवश्यक है, कि वर्ष १९७६ का परिवार नियोजन कार्यक्रम आपातकालीन जबर्दस्ती नसबन्दी अभियान था। विरोध करने वालों पर अत्याचार हुए। अभियान में व्यापक लापरवाही हुई। नसबन्दी कराने वालों के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा गया, जिससे संक्रमण होने पर मौतें भी हुईं, इसलिए जनता का आक्रोश उचित था। फरवरी २०२० में मध्य प्रदेश सरकार ने भी जनसंख्या नियंत्रण की पहल की, परंतु परिवार नियोजन हेतु समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य कर्मियों पर डाल दी। विचारणीय है कि अनुयायी तो राजनेताओं व राजनीतिक दलों के होते हैं, और उन्हीं के इशारे पर हाईवे जाम, रेलवे ट्रैक जाम, चक्का जाम, भारत बंद, सरकारी सम्पत्तियों की बर्बादी व राजनीतिक हिंसा जैसी अलोकतांत्रिक घटनाओं को अंजाम देते है, परंतु परिवार नियोजन हेतु समाज को समझाने का काम स्वास्थ्य कर्मियों को सौंप दिया जाता है। जनसंख्या नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है। परिवार नियोजन के साधन अपनाने हेतु जागरूकता फैलाने में जनप्रतिनिधियों को स्वयं भी भूमिका निभानी चाहिए। जनसंख्या वृद्धि राष्ट्रीय समस्या है। आवश्यकता है दलगत सियासत से ऊपर उठकर संसद द्वारा जनसंख्या नियंत्रण हेतु सार्थक चर्चा कर एक-समान प्रभावी कानून बनाया जाय।प्रायः दो प्रकार की नीतियां अपनाई जाती हैं-प्रोत्साहक, अर्थात परिवार नियोजन अपनाने वालों को विशेष लाभ देकर, व हतोत्साहक, अर्थात परिवार नियोजन न अपनाने वालों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर। यह नीतियां गरीब-अमीर की खाई बढ़ा सकती हैं, और देर-सवेर मीडिया के दबाव, राजनीतिक या संवैधाननिक कारणों से परिवार नियोजन न अपनाने वालों की सहायता सरकार को विवश होना पड़ सकता है, इसलिए इन नीतियों से अपेक्षित सफलता मिलने में सन्देह है। प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीतियां दो से अधिक बच्चों के माता-पिताओं को सरकारी पदों व चुनाव के लिए अयोग्य बनाती हैं। अच्छा होगा यदि संसद द्वारा सांसदों, विधानमंडल सदस्योंसहित सभी संवैधानिक पदों की योग्यता भी इसी आधार पर निर्धारित की जाए। संख्याबल का राजनीति में विशेष महत्व है, इसलिए जनसंख्या-वृद्धि का राजनीतिक कारण भी हो सकता है। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण हेतु हतोत्साहक नीति के तहत तीसरे बच्चे के जन्मदाता माता-पिता के मताधिकार समाप्त करने पर भी विचार किया जा सकता है। जन्मदर कम रखने के लिए दूसरे बच्चे के लिए आवश्यक सरकारी अनुमति का प्रावधान भी उपयोगी हो सकता है। यह समझना आवश्यक है कि जन्मदर घटने से युवाओं-बुजुर्गों का अनुपात अवश्य घटेगा, पर इससे विचलित हुए बिना लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर आगे बढ़ना होगा। वैज्ञानिक तथ्य है कि गाड़ी स्टार्ट करने पर हेड-लाइट हल्की पड़ जाती है, और बीमारी का इलाज करने पर दवाइयों के दुष्प्भाव अवश्य होते हैं। दीर्घकालिक उज्ज्वल भविष्य के लिए वर्तमान में त्याग करना ही पड़ेगा। जनसंख्या वृद्धि का रोग कई अवस्थाएं पार कर चुका है, प्रभावकारी इलाज से ही राहत मिल सकती है।
प्रोटीन पाउडर के प्रकर प्रोटीन पाउडर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय प्रोटीन आहार हैं। विभिन्न प्रकार के स्रोतों में पाए जाने वाले प्रोटीन युक्त सामग्री को औधोगिक स्तर पर पृथक कर भिन्न-भिन्न प्रोटीन पाउडर को बनाया जाता है। वर्तमान में विभिन्न प्रकार के स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन पाउडर उपलब्ध हैं, इस स्थिति में व्यक्तियों को यह निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है कि कौन सा प्रोटीन पाउडर उत्तम परिणाम प्रदान करेगा। इस लेख में व्यक्ति के लिए सबसे अच्छे प्रोटीन स्त्रोत के रूप में ७ प्रकार के प्रोटीन पाउडर के बारे में बताया गया है। उच्च प्रोटीन आहार का सेवन जिम या बॉडी विल्डनिंग में उत्कृष्टता प्राप्त करने, शरीर में सुधार करने, मांसपेशियों का निर्माण करने, ताकत को विकसित करने और विभिन्न प्रकार के रोगों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। आज के इस लेख में आप जानेंगे कि प्रोटीन पाउडर क्या है तथा इसके इसके प्रकार क्या हैं। प्रोटीन पशु या पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाला एक आवश्यक पोषक तत्व है। चूँकि प्रोटीन का निर्माण मानव शरीर द्वारा नहीं किया जाता है। अतः शरीर के लिए इसकी पूर्ति आहर पर निर्भर करती है। अतः शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए और शारीरिक विकास में मदद करने के लिए प्रोटीन पाउडर का निर्माण किया जाता है। प्रोटीन पाउडर का मिर्माण २ चरण में किया जाता हैं। पहले चरण में गर्मी और एसिड या एंजाइमों का उपयोग करके खाद्य पदार्थों में से प्रोटीन को निकला जाता है। इस प्रक्रिया से प्राप्त पदार्थ में आमतौर पर ६०-८०% प्रोटीन और शेष २0-४०% वसा और कार्ब्स उपस्थित होता है। दूसरे चरण में प्रोटीन पाउडर प्राप्त करने के लिए प्रथम चरण से प्राप्त कंसंट्रेट प्रोटीन में से फ़िल्टरिंग प्रक्रिया (फिल्टरिंग प्रोसेस) द्वारा अधिक वसा और कार्ब्स को हटा दिया जाता है, तथा प्रोटीन पाउडर को इकट्ठा कर लिया जाता है। इस प्रकार प्राप्त प्रोटीन पाउडर में लगभग ९०-९५% प्रोटीन उपस्थित होता है। प्रोटीन पाउडर पशु या पौधों के खाद्य पदार्थों जैसे कि डेयरी, अंडे, चावल या मटर से प्रोटीन के केंद्रित स्रोत होता हैं। प्रोटीन कंसन्ट्रेट (प्रोटीन कन्सेंट्रट): गर्मी और एसिड या एंजाइमों का उपयोग करके पूरे भोजन से प्रोटीन निकालने के द्वारा उत्पादित। ये आमतौर पर ६०-८०% प्रोटीन की आपूर्ति करते हैं, शेष २०४०% वसा और कार्ब्स से बने होते हैं। प्रोटीन आइसोलेट (प्रोटीन आइसोलहस): एक अतिरिक्त फ़िल्टरिंग प्रक्रिया अधिक वसा और कार्ब्स को हटाती है, आगे प्रोटीन को केंद्रित करती है। आइसोलेट प्रोटीन पाउडर में लगभग ९०-९५% प्रोटीन होता है। प्रोटीन हाइड्रॉलीलेट्स(प्रोटीन हाइड्रोलिसेट्स): एसिड या एंजाइमों के साथ आगे हीटिंग द्वारा उत्पादित जो अमीनो एसिड के बीच के बंधन को तोड़ता है हाइड्रोलिसेट्स आपके शरीर और मांसपेशियों द्वारा अधिक तेज़ी से अवशोषित होते हैं। प्रोटीन पाउडर का उपयोग आहार में शामिल कर या पेय के रूप किया जा सकता है। प्रोटीन पाउडर मुख्य रूप से उन व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो मांसाहारी नहीं होते हैं और केवल शाकाहारी भोजन के माध्यम से प्रोटीन की आपूर्ति करने का प्रयाश करते हैं। कुछ प्रोटीन पाउडर विटामिन और खनिजों, विशेष रूप से कैल्शियम के साथ भी मिले होते हैं। हालांकि, इन प्रोटीन पाउडर से सभी को लाभ नहीं होता है। यदि आपका आहार पहले से ही उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन से समृद्ध है, तो आप प्रोटीन पाउडर को जोड़कर अपने जीवन की गुणवत्ता में बहुत अंतर नहीं देखेंगे। हालांकि, एथलीटों और जो लोग नियमित रूप से वजन उठाते या एक्सरसाइज करते हैं, वे प्रोटीन पाउडर को ले सकते हैं क्योंकि प्रोटीन पाउडर लेने से मांसपेशियों को लाभ और वसा हानि को कम करने में मदद मिलती है। प्रोटीन पाउडर उन लोगों की भी सहायता कर सकते हैं जो अकेले भोजन के साथ प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं, जैसे कि बीमार लोग, बड़े वयस्क और कुछ शाकाहारी लोग। व्हे प्रोटीन पाउडर वर्तमान में सबसे लोकप्रिय प्रोटीन सप्लीमेंट (प्रोटीन सप्लीमेंट) है। व्हे प्रोटीन वह तरल है, दूध से पनीर बनाने की प्रक्रिया के दौरान, दही (कर्ड्स) से अलग किया जाता है। तथा इसके प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) के दौरान ३० प्रतिशत से ९० प्रतिशत तक उच्च सांद्रित प्रोटीन पाउडर को प्राप्त किया जा सकता है। व्हे प्रोटीन शरीर में आसानी से पच जाता है, और शरीर में सभी आवश्यक एमिनो एसिड की मात्रा में तेजी से पूर्ति करता है। एमिनो एसिड, प्रोटीन के मुख्य घटक होते हैं, जो मांसपेशियों की मरम्मत करने, ताकत को बढ़ाने, हृदय स्वास्थ्य और एक स्वस्थ चयापचय में मदद करने के साथ-साथ भूख में कमी कर वसा हानि को बढ़ावा दे सकते हैं। लेकिन व्हे प्रोटीन में कुछ लैक्टोज शर्करा भी उपस्थित होती है, जो इसके पाचन में कठनाई उत्पन्न कर सकती है। जबकी आइसोलेटेड या पृथक किये गये व्हे प्रोटीन पाउडर में बहुत कम लैक्टोज पाई जाती है, क्योंकि दूध में उपस्थित अधिकांश चीनी प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) के दौरान लुप्त हो जाती है। व्हे प्रोटीन, एसिड में घुलनशील होता है अतः यह आसानी से शरीर द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और नई मांसपेशियों के निर्माण को प्रोत्साहित करता है। अध्ययन से पता चलता है कि भारी व्यायाम के बाद व्हे प्रोटीन का सेवन मांसपेशियों के निर्माण तथा ताकत प्रदर्शन में एथलीटों की सहायता कर सकता है। अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में भी व्हे प्रोटीन के उत्कृष्ट परिणाम देखने को मिलते हैं। यह वसा और कैलोरी की मात्रा को कम करने और शरीर की संरचना में सुधार करने सहायता कर सकता है। व्हे प्रोटीन की तरह ही कैसिइन प्रोटीन (केसें प्रोटीन) दूध से प्राप्त किया जाने वाला एक प्रोटीन है। अतः कैसिइन धीमी गति से पचने वाला और बहुत धीरे-धीरे अवशोषित होने वाला डेयरी प्रोटीन है। यह प्रोटीन मांसपेशियों के प्रोटीन के टूटने की दर को कम कर सकता है और कैलोरी में कमी कर, मांसपेशियों के विकास और वसा हानि को बढ़ावा दे सकता है। कैसिइन प्रोटीन पाउडर पेट में एसिड के साथ मिलकर जेल का निर्माण करता है और पेट खाली होने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। अतः यह प्रोटीन, वजन कम करने और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है। बहुत धीरे धीरे अवशोषित होता है। शोधों से पता चला है कि कैसिइन (केसें), सोया (सोय) और गेहूं प्रोटीन (व्हीट प्रोटीन) की तुलना में अधिक ताकत प्रदान करता है, जबकी व्हे प्रोटीन की तुलना में कम फायदेमंद है। अंडे के सफ़ेद भाग उच्च गुणवत्ता वाले और आसानी से पचने वाले प्रोटीन का उत्कृष्ट स्त्रोत है। संपूर्ण खाद्य पदार्थों में से, अंडों में सबसे अधिक पाचन-सुधार अमीनो एसिड होते हैं। अंडे, भूख को कम करने और लंबे समय तक पूर्णता की भावना महसूस कराने में मदद करते हैं। अंडा प्रोटीन पाउडर आमतौर पर अंडे के सफ़ेद भाग से प्रोटीन निकालकर बनाया जाता है। प्रोटीन की उच्च गुणवत्ता युक्त अंडा प्रोटीन पाउडर का सेवन अंडे की तुलना में कम परिपूर्णता (लेस फुलनेस) या पेट के भरे होने की भावना का कम अनुभव कराता है, क्योंकि इसमें से उच्च वसा वाले योल्क (योल्क्स) को हटा दिया गया है। अंडा प्रोटीन पाउडर सभी प्रकार के ९ अतिआवश्यक अमीनो एसिड को प्रदान करता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि, भोजन से पहले अंडा प्रोटीन पाउडर का सेवन, कैसिइन या मटर प्रोटीन पाउडर की तुलना में भूख को अधिक कम कर सकता है। डेयरी एलर्जी (डेरी एलर्जी) से सम्बंधित व्यक्तियों के लिए अंडा प्रोटीन पाउडर, प्रोटीन सेवन का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मटर प्रोटीन पाउडर विशेष रूप से शाकाहारियों और डेयरी या अंडा प्रोटीन से एलर्जी या संवेदनशीलता (सेन्सिटीविटीज) रखने वाले व्यक्तियों के लिए एक लोकप्रिय हाइपोएलर्जेनिक (हाइपोलर्जेनीक) प्रोटीन का स्त्रोत है। मटर प्रोटीन पाउडर पीले मटर की दाल से प्रोटीन को पृथक करके बनाया जाता है। मटर एक उच्च फाइबर युक्त फलिया हैं जिसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड उपस्थित होते हैं। मटर प्रोटीन पाउडर ब्रांच्ड-चेन एमिनो एसिड (ब्कास) में विशेष रूप से समृद्ध है। ब्रांच्ड-चेन एमिनो एसिड के अंतर्गत ल्यूसीन (ल्यूसिन), आइसोलेकिन (आइसोल्युसिन) और वेलिन (वालीन) आदि को शामिल किया जाता है। यह एमिनो एसिड, मांसपेशियों में वृद्धि और निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मटर प्रोटीन पाउडर, व्हे प्रोटीन (व्हे प्रोटीन) की तुलना में धीमी गति से, जबकी कैसिइन प्रोटीन पाउडर की तुलना में अधिक तेज गति से अवशोषित होता है। इस प्रोटीन पाउडर द्वारा परिपूर्णता हार्मोन (फुलनेस हार्मोनस) की रिहाई को ट्रिगर करने की क्षमता, डेयरी प्रोटीन की तुलना में अधिक हो सकती है। उच्च रक्तचाप के स्तर में कमी करने तथा संतुलन को बनाये रखने के लिए मटर प्रोटीन पाउडर की खुराक फायदेमंद होती है। हेम्प प्रोटीन पाउडर (हेंप प्रोटीन पाउडर) एक पौधों पर आधारित सप्लीमेंट है, जो वर्तमान में काफी लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। हेम्प प्रोटीन पाउडर को कैनबिस पौधे (कैनेबिस प्लांट) के बीजों से प्राप्त किया जाता है। हालांकि हेम्प (गांजा), मारिजुआना (मारिजुआना) से संबंधित है, इसमें केवल साइकोएक्टिव घटक थ्क (टेत्राह्यड्रोकैनाबिनोल) की ट्रेस मात्रा पाई जाती है। हेम्प प्रोटीन पाउडर मुख्य रूप से लाभकारी ओमेगा-३ फैटी एसिड और कई आवश्यक अमीनो एसिड से समृद्ध होता है। हेम्प प्रोटीन पाउडर को एग (अंडा) प्रोटीन पाउडर की तरह पूर्ण प्रोटीन नहीं माना जाता है क्योंकि इसमें लाइसिन और ल्यूसीन नामक अमीनो एसिड बहुत कम मात्रा में उपस्थित होते हैं। यह एक अच्छी तरह से पचने वाला पौधे आधारित प्रोटीन का उत्तम स्रोत है। ब्राउन राइस प्रोटीन पाउडर, शाकाहारी और डेयरी एलर्जी वाले व्यक्तियों के लिए एक बढ़िया प्रोटीन आहार हो सकता है। ब्राउन राइस (ब्राउन राइस) से बने प्रोटीन पाउडर आमतौर पर मांसपेशियों के निर्माण में सहायक होते हैं। ब्राउन राइस प्रोटीन पाउडर को जटिल कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी और फाइबर का एक उत्तम स्रोत माना जाता है। यह शरीर द्वारा पूर्ण रूप से अवशोषित कर लिया जाता है, जिसके कारण इसका लगभग पूरी तरह से शरीर द्वारा उपयोग किया जाता है। हालांकि ब्राउन राइस प्रोटीन पाउडर में सभी आवश्यक अमीनो एसिड उपस्थित होते हैं, लेकिन इसमें लाइसिन अमीनो एसिड बहुत कम मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण इसे पूर्ण प्रोटीन की संज्ञा नही दी जा सकती है। ब्राउन राइस प्रोटीन पाउडर के प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि इसका सेवन शरीर की संरचना पर लाभकारी प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, ब्राउन राइस प्रोटीन पर अभी ओर अधिक शोध करने की आवश्यकता है। सोया प्रोटीन पाउडर एक पौधे आधारित प्रोटीन है जिसे उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन माना जाता है। सोया प्रोटीन पाउडर, को मुख्य रूप से सोयाबीन दाल को सुखाकर सोया आटा बनाने के बाद प्रोटीन को पृथक कर प्राप्त किया जाता है। सोया प्रोटीन को अक्सर बॉडी बिल्डिंग या कसरत के दौरान प्राप्त करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इसमें फाइटोएस्ट्रोजेन (फाइटोस्ट्रोजन्स) होता है, जो टेस्टोस्टेरोन की बड़ी मात्रा को कम कर सकता है और एस्ट्रोजेन के स्तर को बढ़ा सकता है। अतः रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं द्वारा विशेष रोप से सोया प्रोटीन पाउडर का सेवन कुछ संभावित लाभ प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, सोया प्रोटीन पाउडर में व्हे प्रोटीन की तुलना में ल्यूसीन कम मात्रा में पाया जाता है, जो हमारे शरीर में नई मांसपेशी ऊतकों का निर्माण करने के लिए एक आवश्यक अमीनो एसिड होता है। सोया प्रोटीन पाउडर, शरीर के प्रतिरक्षा कार्यों में सुधार करने और हड्डीयों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे सकता है। इसके साथ यह हृदय रोग की रोकथाम और कुछ कैंसर के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है। उच्च फाइबर सामग्री उपस्थित होने के कारण, यह प्रोटीन स्त्रोत, पशु प्रोटीन की तुलना में धीमी गति से पचाते हैं। मांसपेशी निर्माण (मस्कले गेन) के लिए, व्हे प्रोटीन (व्हे प्रोटीन) को सभी प्रोटीन पाउडर में से, उत्तम प्रोटीन स्त्रोत के रूप में जाना जाता है। कैसिइन प्रोटीन (केसें प्रोटीन), मट्ठा प्रोटीन या दोनों का संयोग व्यक्तियों में भूख और वसा में कमी को बढ़ावा देने के लिए, सबसे अच्छे प्रोटीन सप्लीमेंट के रूप उपयोग किया जा सकता है। प्रोटीन पाउडर विभिन्न स्रोतों से आते हैं और कई रूपों में उपलब्ध हैं। लोग उनका उपयोग मांसपेशियों को बढ़ाने, शरीर की समग्र संरचना में सुधार करने और उनकी प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने में करते हैं। इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
दोस्तों आज हम इस लेख में रिलायंस जिओ इंडस्ट्री के चेयरमेन और कंपनी के सबसे बड़े शेयर होल्डर मुकेश अंबानी की। जो आज के समय में भारत के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। कहा जाता है कि मुकेश अंबानी की हर मिनट की कमाई २३५००० रुपए हैं। दोस्तों मुकेश अंबानी जैसे धनकुबेर के पास पैसे की कोई कमी नहींं है। वह दुनियाा की सबसे महंगी से महंगी वस्तु को भी खरीद सकते हैं। मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी ने हाल ही में अपने लिए एक रोबोट खरीदा है। इस रोबोट का नाम 'सेक्स मेल डॉल' है। इस रोबोट की कीमत अरबों रुपए में है। क्योंकि यह वह सब काम करता है जो एक पुरुष कर सकता है। आपको इसके नाम से ही अनुमान हो गया होगा कि यह रोबोट सेक्स भी कर सकता है। यह रोबोट एक औरत की सभी जरूरतों को पूरा कर सकता है। हम आपको बता दें कि नीता अंबानी ने इस रोबोट को सेक्स के लिए नहीं बल्कि अपने घर के काम-काज के लिए खरीदा है। नीता अंबानी एक महारानी जैसा जीवन जीती है। नीता अंबानी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान देती है उसका कहना है कि अगर वह स्वस्थ रही तो उसके बच्चे भी स्वस्थ रहेंगे । इस पर वह लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर देती हैं। मुकेश अंबानी के परिवार की बात करें तो उसके तीन बच्चे हैं। उनकी पुत्री का नाम ईशा अंबानी और पुत्र आकाश अंबानी,अनंत अंबानी है। उनके परिवार में सबसे ज्यादा खर्चीली मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी है। दोस्तों इस पर आपकी क्या राय है कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं साथ ही पोस्ट को लाइक और अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें और ऐसी ही इंटरेस्टिंग न्यूज़ पाने के लिए हिंदी सागर को फॉलो करें।
नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया राजधानी ट्रेन के ऐसे यात्रियों को यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराएगी जिनका टिकट कन्फर्म नहीं हो पाया है। सीमित अवधि की विशेष योजना के तहत एयर इंडिया ऐसे लोगों को एसी फर्स्ट के बराबर किराये में यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराएगी। एयर इंडिया ने आज कहा कि राजधानी एक्सप्रेस के यात्री उड़ान रवाना होने से चार घंटे पहले टिकट बुक करा सकेंगे। ऐसे वेटलिस्ट यात्रियों से फर्स्ट एसी के बराबर किराया लिया जाएगा। अपनी सुपर सेवर योजना के तहत एयर इंडिया घरेलू मार्गों पर इकनॉमी क्लास में यह सुविधा उपलब्ध कराएगी। यह योजना २६ जून से ३० सितंबर तक के लिए है। वर्तमान में भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर प्रतिदिन २१ राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं। प्रतिदिन इन ट्रेनों से २०,००० लोग यात्रा करते हैं। एयरलाइन ने कहा कि हजारों यात्री ऐसे रहते हैं जिनका टिकट कन्फर्म नहीं हो पाता। हम इसी अंतर को पाटने का प्रयास कर रहे हैं।
: मसूरी विधायक गणेश जोशी की सराहनीय पहल मोदी किचन में अपनी भागीदारी निभाने के लिए कई सामाजिक संस्थाओं एवं लोगों बढ-चढ़कर सहयोग किया जा रहा है। इस अभियान के लिए जहां कई कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत कर रहे हैं वहीं मंगलवार को गोरखा कल्याण परिषद के अध्यक्ष राज्यमंत्री ले० टीडी भूटिया ने विधायक गणेश जोशी को रुपये 31००० की धनराशि का चैक सौंपा ताकि मोदी किचन के लिए भोजन की सुलभ व्यवस्था हो सके। विधायक गणेश जोशी ने कहा कि वैश्विक महामारी के इस घड़ी में समाज के सभी समृद्ध व्यक्तियों को आगे आकर मदद के लिए हाथ बढ़ाने चाहिए। उन्होनें कहा कि मोदी-केयर्स अथवा मुख्यमंत्री राहत कोष में भी आप धनराशि को विभिन्न डिजीटल माध्यमों से जमा करवा सकते हैं। विधायक जोशी ने कहा कि हम सब पूरी तरह से इस सकंट के दौरान प्रत्येक देशवासी के साथ खड़े हैं और किसी को भी परेशान नहीं होने दिया जाऐगा। उन्होनें गोरखा कल्याण परिषद के अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री टीडी भूटिया के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि गोरखा समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्यमंत्री भूटिया ने समाज कल्याण के हित में सराहनीय कार्य किया है। विधायक जोशी ने बताया कि मोदी किचन के माध्यम से सोमवार को ४५०० से अधिक भोजन के पैकेट वितरित किये गये थे और मंगलवार को भी इस अभियान के माध्यम से कई जरुरतमंदों की सहायता की गयी है। उन्होनें कहा कि जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुण्डीर एवं ग्राम प्रधानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सैनिटाइजर एवं मास्क वितरण का कार्य करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग की ख्याल रखते हुए उन्हें जागरुक किया जा रहा है।
जैसी करनी वैसी भरनी १९८९ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इस फिल्म में गोविन्दा, कादर ख़ान, शक्ति कपूर और किमी काटकर मुख्य भूमिकाओं में है। गंगाराम वर्मा ने स्थानीय नगर पालिका के लिए कई सालों तक काम किया है और वह ईमानदार होने के लिए समुदाय में जाना जाता है। ठेकेदारों ने उसे रिश्वत देने के कई प्रयास किये लेकिन सब व्यर्थ रहे हैं। ठेकेदार प्रेम कुमार गंगाराम को एक सबक सिखाने का फैसला करता है। वह गंगाराम के एकमात्र बेटे विजय को अपने कार्यालय में रखता है और बाद में उसकी अपनी एकमात्र बेटी सपना से शादी करा देता है। तीनों ने गंगाराम का भरोसा जीतने की योजना बनाई है और ऐसा करने पर उन्होंने गंगाराम और उसकी पत्नी लक्ष्मी को बेघर छोड़कर उनकी संपत्ति हथिया ली। विजय और सपना अपने बेटे रवि को लाते हैं और उसे बताते हैं कि उसके दादा दादी मर चुके हैं। साल बीतते हैं, फिर एक दिन रवि एक आदमी के पास आता है जो उसके दादा जैसा दिखता है। वह घर तक उनका पीछा करता है और उनके होंठों से सच्चाई सुनता है। रवि अपने माता-पिता को सबक सिखाने का फैसला करता है और उनसे वैसा ही व्यवहार करने का फैसला करता है जैसा उन्होंने उसके दादा दादी के साथ किया था। उसकी प्रेमिका राधा भी उसमें साथ देती है।
पूर्व उपप्रधानमंत्री जन नायक चौधरी देवीलाल की जयंती पर फतेहाबाद में रविवार को सम्मान दिवस रैली के जरिये इंडियन नेशनल लोकदल शक्ति प्रदर्शन करेगा। रैली में दूसरों प्रदेशों के दिग्गज नेता शिरकत करेंगे। हरियाणा के फतेहाबाद में सिरसा रोड स्थित नई अनाज मंडी में रविवार को होने वाली इनेलो की सम्मान दिवस रैली में विपक्षी दलों के नेताओं का जमावड़ा होगा। अगर, शनिवार की तरह की रविवार को बारिश हुई तो दूसरे राज्यों से आने वाले वीआईपी नेताओं की मूवमेंट प्रभावित होगी। हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सिक्योरिटी टीम ने आईजी के नेतृत्व में रैली स्थल का दौरा किया। आठ गाड़ियों में आई बिहार सीएम सिक्योरिटी ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जरूरी दिशा निर्देश दिए। इसके बाद सीएम सिक्योरिटी टीम सिरसा रवाना हो गई। वहीं, फतेहाबाद पुलिस द्वारा भी सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। नौ डीएसपी सुरक्षा की कमान संभालेंगे। फतेहाबाद के अलावा सिरसा, हिसार, जींद व हांसी से भी पुलिस फोर्स बुलाई गई है। विपक्षी दलों को एकजुट करने के साथ ही रैली से लोकसभा चुनाव-२०२४ के लिए शंखनाद किए जाने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि विभिन्न राज्यों से इस रैली में नेता आएंगे। इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश यादव, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ-साथ, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, संजय झा, शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला, ममता बनर्जी के कोई प्रतिनिधि, वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह के आने की भी उम्मीद है। पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आने की भी संभावना थी। मगर, वह नहीं आएंगे। खुद अभय चौटाला इसकी पुष्टि कर चुके हैं। ममता बनर्जी और गुलाम नबी आजाद को भी निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन वह खुद नहीं आएंगे, बल्कि उनके प्रतिनिधि पहुंचेंगे। वहीं दिल्ली में आज का दिन विपक्षी एकता की जमीन तैयार करने के लिए अहम होने जा रहा है। क्योंकि सबकी निगाहें अब नीतीश कुमार और लालू यादव पर भी टिकी है, क्योंकि ये दोनों ही नेता रविवार को सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली आ रहे हैं। इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल की बैठक में लालू यादव ये भी कह चुके हैं कि वो राहुल गांधी से भी मिलेंगे और भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए विपक्ष के बड़े गठबंधन के लिए उन्हें तैयार करेंगे। ट्रैफिक पुलिस ने रैली के चलते रूट डायवर्ट कर दिए हैं। फतेहाबाद व हिसार के १७० ट्रैफिक पुलिस व होमगार्ड के कर्मचारियों को ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए लगाया है। हिसार से आने वालों को मिनी बाईपास से नई अनाज मंडी भेजेंगे। सिरसा व रतिया की तरफ से आने वालों को दौलतपुर रोड से भेजा जाएगा। शहर का रोड वीआईपी लोगों के लिए खुला रखा जाएगा। वहीं, रैली से एक दिन पहले ही इनेलो की युवा इकाई और छात्र विंग के वालंटियर्स फतेहाबाद पहुंच गए। इन ६०० से अधिक वालंटियर्स को जाट धर्मशाला में ठहराया गया। इन वालंटियर्स की कर्ण चौटाला ने बैठक लेकर ड्यूटियां लगाई। कार्यकर्ताओं के वाहनों की पार्किंग से लेकर उन्हें रैली स्थल पर बैठाने तक की व्यवस्था वालंटियर्स संभालेंगे। वालंटियर्स को हिदायत दी गई है कि किसी भी कार्यकर्ता को रैली स्थल तक पहुंचने में किसी प्रकार की समस्या न हो। हवाई मार्ग और सड़क मार्ग से आने वाले सियासी दिग्गजों को सीधा एमएम कॉलेज में ले जाया जाएगा। यहां पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला उनकी मेजबानी करेंगे। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव प्लेन से सिरसा पहुंचेंगे, वहां उनको अभय चौटाला रिसीव करेंगे। इसके बाद एमएम कॉलेज में सभी नेताओं को लंच करवाने के बाद मंच पर ले जाएंगे। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें। खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है?
फालना में बुधवार को वार्ड नंबर १० के पार्षद भावेश गुर्जर के नेतृत्व में वार्ड की सभी गलियों, स्वर्ण मंदिर चौराहा, सांडेराव रोड, मस्जिद गली,गुर्जर मोहल्ला, चारभुजा होटल की गली एवं सार्वजनिक स्थानों समेत आवासीय व व्यावसायिक संस्थानों के अलावा सरकारी कार्यालयों पर हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया गया व साथ ही मास्क भी वितरीत किए गये । उनके साथ में वरिष्ठ भाजपा नेता भोपाल सिंह गुर्जर, कैलाश कुमावत,अमित मेहता, संभव जैन, दशरथ शर्मा,प्रवीण मेवाड़ा,रीतेश अग्रवाल, जय गुर्जर, हितेश वैष्णव, नवल कुमावत नगरपालिका के टेम्पो से सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया गया और साथ में नगरपालिका जमादार संजय बीरावत के साथ उसकी टीम का सहयोग सराहनीय रहा । पूर्व पार्षद भोपाल सिंह गुर्जर ने महामारी से बचाव के लिए शहर वासियों को सतर्क एवं जागरूक रहने का आह्वान भी किया ।
हाल में प्रख्यात पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा जी का निधन गहराते कोरोना संकट के कई क्रूर परिणामों में से एक था। उनकी छवि एवं उनके द्वारा किये गये कार्य ना केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में पर्यावरण विमर्श को दिशा देने में बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं। संस्थागत एवं वैचारिक पहलों के साथ ही उन्होंने सत्तर के दशक से ही युवा पीढ़ी को चिपको आन्दोलन एवं हिमालय के पारिस्थितिक संकट के कारणों से जोड़ने का अद्वितीय काम किया। इस परिप्रेक्ष्य में मशहूर इतिहासविद शेखर पाठक की कुछ महीने पहले प्रकाशित किताब हरी भरी उम्मीद पर चर्चा पर्यावरण की समझ बनाने में काफी मदद कर सकता है। सत्तर के दशक से ही बहुगुणा एवं चंडी प्रसाद भट्ट के साथ काम कर रहे पाठक लम्बे समय तक कुमाऊँ विश्वविद्यालय में इतिहास विषय के प्राध्यापक रहे। पहाड़ नामक सामाजिक संस्था से शेखर पाठक के जुड़ाव ने चिपको आन्दोलन के स्थानीय और वैश्विक पहुँच के बीच संतुलन बनाने में मदद की है। यह किताब एक लम्बे समय से प्रतीक्षित थी और आने के बाद से इसने पाठकों एवं समीक्षकों का खासा ध्यान आकर्षित किया है। शेखर पाठक की यह किताब उनके द्वारा भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान, शिमला में किये गये शोध का परिणाम है। यह किताब चिपको के चालीस वर्ष पूरे होने पर इस महत्वपूर्ण पर्यावरण आन्दोलन की एक पड़ताल तो है ही साथ ही इतिहास, राजनीति एवं संस्कृति अध्ययन जैसे विषयों की समझ बनाने में भी आने वाले दिनों में इसकी भूमिका कारगर होगी। छः सौ पृष्ठों वाली इस किताब में तकरीबन पचास पृष्ठों का परिशिष्ट एवं तीस पृष्ठों की सन्दर्भ सूची इतिहास, कला एवं संस्कृति तथा सामाजिक आन्दोलनों के विभिन्न आयामों में रुचि रखने वालों के लिए एक खजाने से कम नहीं है। साथ ही सत्तर के दशक से लेकर हाल तक के उत्तराखंड एवं हिमालय संकट को लेकर हुए प्रमुख सामाजिक प्रयासों के चित्रों को शामिल कर लेखक अपने साथ पाठकों को चिपको के इतिहास में झाँकने का एक सुनहरा मौका देते हैं। चौदह अध्यायों वाली इस किताब में जगह जगह पर नक्शों एवं तालिकाओं के प्रयोग से इस शोध का स्पष्ट दृष्टिकोण रेखांकित होता है। भारत के सन्दर्भ में पानी और पर्यावरण पर जानने को इच्छुक व्यक्ति के लिए इस पुस्तक का विमर्श प्रस्थान बिन्दु से कम नहीं है। अतः पर्यावरण संकट के अध्ययनरत विद्वानों के लिए इस किताब को अनदेखी करना किसी बौद्धिक जोख़िम से कम नहीं होगा। इस किताब को पढ़ने के दरम्यान कई बार ऐसा अहसास होता है कि चिपको आन्दोलनों का आन्दोलन है। पहले से पांचवें अध्याय में इस क्षेत्र का औपनिवेशिक इतिहास तथा उत्तर-औपनिवेशिक जंगलात परिदृश्य का वर्णन है। किताब के छठे अध्याय जिसका शीर्षक चिपको की पहली लहर है, में चिपको की तीन टहनियों का जिक्र किया गया है। शेखर पाठक बताते हैं कि ये तीन टहनियां बदरीनाथ आन्दोलन, सोंगघाटी आन्दोलन तथा अस्कोट-आराकोट अभियान हैं। इन आन्दोलोनों के अन्य सहायक शाखाओं मैती आन्दोलन (चमोली), चेतना आन्दोलन (सिल्यारा), लक्ष्मी आश्रम का खनन विरोधी तथा जंगल बचाओ अभियान, डूंगरी-पैन्तोली का आन्दोलन, पाणी रखो आन्दोलन (गोपेश्वर) बीज बचाओ आन्दोलन (हेन्वलघाटी), नदी बचाओ अभियान, आदि का सन्दर्भ किताब को एक वृहद् कैनवास उपलब्ध कराता है। अलग अलग समय पर विभिन्न मुद्दों पर हुए इन सामाजिक आन्दोलनों ने मानवीय चेतना को जगाने और सामाजिक परिवर्तन के लिए लोगों को आगे आने के लिए बाध्य होने की कहानी भी इनमें ही निहित हैं। इस किताब के माध्यम से लेखक बखूबी से यह स्पष्ट करते हैं कि व्यक्ति और राज्य के बीच एक तरह की सतत निरन्तरता बरक़रार रखने में समाज की भूमिका प्रमुख है। पारिस्थितिकी और आर्थिकी का विभाजन पूर्व में चिपको पर हुए कई अध्ययनों में रेखांकित किया गया है। इस मुद्दे पर यह किताब लेखक की वैकल्पिक दृष्टि को परिलक्षित करती है। किताब के दसवें अध्याय वन अधिनियम १९८० के बाद में सुन्दरलाल बहुगुणा एवं चंडी प्रसाद भट्ट के बीच अंतर और आन्दोलन के भीतर प्रतिद्वंदिता के विकास का विस्तार से विवरण है। पाठक लिखते हैं, बहुगुणा ने १९८० में चिपको को अपरम्परागत, अल्पजीवी, विनाशकारी अर्थव्यवस्था के खिलाफ स्थायी अर्थव्यवस्था (इकोलॉजी) का सशक्त आन्दोलन कहना शुरु कर दिया था। वे पांच एफ की शब्दावली शुरु कर चुके थे यानि फल, खाद, इंधन, चारा और रेशा प्रजातियाँ लगायी जाएँ और एकल प्रजाति रोपण बंद हो। इस किताब के माध्यम से चिपको आन्दोलन में तीन प्रमुख राजनीतिक/वैचारिक धाराओं का समावेश देखने को मिलता है। यह स्पष्ट है बड़ी संख्या में युवाओं एवं महिलाओं के हिस्सा लेने से ही यह एक व्यापक जन आन्दोलन का स्वरूप ले सका। अधिकांश अध्ययन इस आन्दोलन को गाँधीवाद-सर्वोदय, समाजवाद-वामपंथ और नारीवाद के दृष्टिकोण से परिभाषित करते रहे हैं। यह गौरतलब है कि शेखर पाठक ने इन तीनों ही विचारधाराओं के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्षों को खुल करके हमारे समक्ष रखते हैं और इनके बीच एक सामंजस्य की स्थिति को बेहतर बताते हैं ना कि किसी एक पक्ष को ही चिपको का आधार मान लेते हैं। किताब में लेखक कई जगहों पर अनुपम मिश्र (गाँधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली), अनिल अग्रवाल (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट, दिल्ली), सरला बहन (लक्ष्मी आश्रम, कौसानी) सहित कई अन्य शुभचिंतकों द्वारा चिपको को एक सही रूप में प्रस्तुत करने के लिए आभार जताते हैं। शेखर का यह कहना कि चिपको आन्दोलन वह बना दिया गया है जो वह नहीं था, और वह आर्थिकी और पारिस्थितिकी का संतुलित समन्वय था, इस किताब का सार जान पड़ता है। पारिस्थितिकी संकट के इस भयावाह दौर में जहाँ एक तरफ नये आन्दोलनों की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है वहीं हरी भरी उम्मीद आने वाले कल के आन्दोलनों को इतिहास से सबक लेने का इशारा भी करती है। भारत की एकता और अखण्डता का हो उद्घोष! कोरोना महामारी क्या प्रकृति की चेतावनी है?
अमीर बनना है तो अपनाएं अरबपति वारेन बफे की इन १० मन्त्रों को ! एंटरप्रण्यूर बनने के लिए क्या ज़रूरी है क्या नहीं ? दिल की सुनने में आने वाले ७ छलेंगेस ! जेल से निकलना है तो सुरंग बनाइये ! इंटरव्यू में सफल होने के लिए क्या करें क्या ना करें? बुसिनेस शुरू करने में देरी की ३ वजहें !
सहारनपुर । देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। आज सहारनपुर में १२ और बस्ती में तीन नए पॉजिटिव केस मिले हैं। जिसके बाद संक्रमितों की संख्या १५५३ पहुंच गई है। गुरुवार को ८१ मरीज सामने आए थे। जिसके बाद संक्रमितों का आंकड़ा १५३८ के पार पहुंच गया था। वहीं मृतकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई थी, गुरुवार को कोरोना संक्रमित दो लोगों की मौत होने के बाद यूपी में मृतकों की संख्या २४ हो गई। वहीं, स्टेट सर्विलांस ऑफिसर डॉ. विकासेंदु अग्रवाल के अनुसार प्रदेश में अब १२80 कोविड-१९ एक्टिव मरीज रह गए हैं। अब तक २०६ मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना का संक्रमण बढ़कर ५७ जिलों तक पहुंच गया है। ज्यादातर सब्जी मंडियों में लॉकडाउन का पालन नहीं किया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आज भी १२ नए मामले सामने आए हैं। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर १३९ हो गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में तीन नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इन तीन को मिलाकर बस्ती जिले में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या २३ हो गई है, जिसमें एक शख्स की मौत हो चुकी है। इसकी पुष्टि सीएमओ डॉ जे पी त्रिपाठी ने की है।
नई दिल्ली:रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की २०१८ के आत्महत्या के एक मामले में हुई गिरफ्तारी पर बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। अर्नब गोस्वामी की ओर से जमानत की याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई है। इस याचिका पर दो जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार की कार्रवाई पर सवाल भी उठाए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी। भारतीय लोकतंत्र में असाधारण सहनशक्ति है। महाराष्ट्र सरकार को इन सबको (टीवी पर अर्नब के ताने) नजरअंदाज करना चाहिए। ये कोई मुददे नहीं होते जिस पर चुनाव लड़ा जाता है। आपको (महाराष्ट्र) लगता है कि वे जो कहते हैं उससे चुनाव में कोई फर्क पड़ता है। क्या आप इन आरोपों के कारण व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत आजादी से वंचित कर देंगे। अगर राज्य सरकार किसी शख्स को ऐसे निशाना बनाएगी तो उन्हें जान लेना चाहिए कि नागरिकों की आजादी सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट है। हम लगातार ऐसे मामले देख रहे हैं जहां हाई कोर्ट लोगों को जमानत नहीं दे रहा और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने में नाकाम रहा है।
गोपेश्वरः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को गोपेश्वर में नवनिर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष पुष्पा पासवान के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान रैणी आपदा में बेघर हुई वृद्धा बौणी देवी को नए घर की चाबी सौंपी। सीएम ने खुशी व्यक्त कर कहा कि गोपेश्वर पांलिका में पच्चीस साल बाद भाजपा की वापसी हुई है। यहां पहले डबल इंजन की सरकार थी, और अब तीन इंजन की सरकार गोपेश्वर पालिका को आदर्श पालिका के रुप में विकसित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन, बागवानी, शिक्षा के साथ ही हर क्षेत्र में विभागों को आगामी दस साल का रोडमेप तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड में सबके लिए हम समान नागरिक संहिता का कानून लेकर आ रहे हैं। इसका भी ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। विभिन्न पेंशन अब बढ़ाकर १५०० कर दी जाएगी। कहा कि कई लोग युवाओं के कैरियर से खेलने का काम कर रहे हैं। जिनका अग्निवीर योद्धा से कोई लेना-देना नहीं है, वे विरोध कर रहे हैं। युवाओं को ढाल बनाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। राज्य में एक लाख ८५ हजार परिवारों को अब तीन सिलेंडर मुफ्त में दिए जाएंगे। नगर पालिका के पर्यावरण मित्रों को अब प्रतिदिन ५०० के हिसाब से मेहनताना दिया जाएगा। सीएम ने कहा कि अब १०६४ नंबर डायल कर कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार और हीला हवाली करने वाले विभागों व अधिकारियों की शिकायत शासन में दर्ज करा सकता है। शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जाएगा।
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की बैठक बुधवार को पहली बार ऑनलाइन हुई। चार घंटे चली बैठक में वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर, रजिस्ट्रार ए.पी. सिद्दकी के साथ सदस्यों ने हिस्सा लिया। कोरोना महामरी के बीच पढ़ाई की बाधाओं के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को स्वीकार करने का निर्णय लिया गया। ऑनलाइन क्लास अब ३१ मई तक जारी रखने का फैसला किया गया है जो पहले ३० अप्रैल को खत्म करने का निर्णय था। अब असाइंनमेंट ५ जून तक जमा कर सकेंगे। एकेडमिक काउंसिल ने यह भी फैसला किया है कि सिर्फ फाइनल सेमेस्टर या फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा ही ऑफलाइन १-3१ जुलाई के बीच होगी। जल्द से जल्द छात्र फार्म जमा करें। एकेडमिक काउंसिल ने शिक्षकों से कहा है कि वे विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक की वेबसाइट पर १5 जून, २०२० तक असाइनमेंट मार्क्स/ इंटरनल एसेसमेंट मार्क्स अपलोड करें। कोरोना महामारी से प्रभावित मौजूदा सेमेस्टर के लिए परीक्षा, प्रवेश और मूल्यांकन नियमों में बदलाव करने में मॉस्को बेस्ड आरयूआर वल्र्ड रैंकिंग में विश्वविद्यालय की रैंकिंग में हालिया सुधार को भी ध्यान में रखा गया। से प्रभावित मौजूदा सेमेस्टर के लिए परीक्षा, प्रवेश और मूल्यांकन नियमों में बदलाव करने में मॉस्को बेस्ड आरयूआर वल्र्ड रैंकिंग में विश्वविद्यालय की रैंकिंग में हालिया सुधार को भी ध्यान में रखा गया। १ अगस्त, २०२० से नियमित छात्रों के लिए विवि.फिर से खुलेगा और कक्षाएं शुरू होंगी। नए सत्र २०२०-२१ के लिए ऑनलाइन आवेदन करने अब ३१ मई २०२० तक बढ़ा दी गई है। प्रवेश परीक्षाएं १ अगस्त से शुरू होगी।१ सितंबर, नया सत्र शुरू होगा।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के स्वच्छता के मंत्र को आत्मसात कर हमारा प्रदेश जन-सहभागिता से स्वच्छता के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान रच रहा है। भोपाल:- स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण २०२२ में वेस्ट जोन में मध्यप्रदेश को टॉप स्टेट बनने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। ओवर ऑल टॉप डिस्ट्रिक्ट में भोपाल को प्रथम और इंदौर को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है। मध्यप्रदेश को सुजलाम १.० कैम्पेन में पहला और सुजलाम २.० कैम्पेन में चौथा स्थान प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब मिलकर स्वच्छ और सुंदर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान के महायज्ञ में ग्रामीण भारत के निवासी अपना योगदान बढ़-चढ़ कर दे रहे हैं। स्वच्छता ही सुंदरता है। हम सभी के सम्मिलित प्रयासों से स्वच्छ, सुंदर और प्रदूषण रहित राष्ट्र बनेगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण में हमारे प्रदेश को प्राप्त यह गौरव प्रमाण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वच्छता को लेकर जागरूकता ही नहीं समर्पण भाव भी दृढ़ हुआ है। गाँवों की नई तस्वीर उभरी है। ग्रामीण स्वच्छता के क्षेत्र में पहला स्थान प्राप्त करने पर प्रदेश के नागरिकों के साथ ही जन-प्रतिनिधि एवं शासकीय अमला भी बधाई का पात्र है।
अवलोकन आधुनिक तकनीक के आगमन ने आईटी को दुनिया भर में एक तेजी से बढ़ता क्षेत्र बना दिया है। तकनीक के बिना कुछ भी कल्पना करना मुश्किल है। और, कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी की बात करें तो सबसे पहला करियर विकल्प जो हर किसी के दिमाग में आता है वो है म्का मास्टर ऑफ कंप्यूटर आप्लिकेशन। सूचना प्रौद्योगिकी की निरंतर प्रगति के साथ, एमसीए स्नातकों की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह स्पष्ट है कि विश्लेषणात्मक और भाषा कौशल के मामले में पर्याप्त कौशल के साथ कोई भी एमसीए स्नातक आसानी से आईटी क्षेत्र में नौकरी पा सकता है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय देशों में एमसीए स्नातकों की मांग भी आजकल बढ़ रही है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पूरी दुनिया अब मोबाइल ऐप के क्षेत्र में एकजुट है। हर छोटे उत्पाद या सेवा के लिए आपको एक मोबाइल ऐप मिलेगा। इसने ऐप डेवलपर्स की भारी मांग पैदा कर दी है। यह भूमिका मुख्य रूप से आईओएस, एंड्रॉइड, ब्लैकबेरी और विंडोज प्लेटफॉर्म के लिए मोबाइल एप्लिकेशन डिजाइन, डिजाइन और निर्माण पर आधारित है। आजकल, हर कंपनी मोबाइल ऐप के माध्यम से अपने उत्पादों और सेवाओं का विज्ञापन और विपणन करना चाहती है। इसलिए, आप आसानी से किसी भी संगठन में एक ऐप डेवलपर के रूप में नौकरी पा सकते हैं, बशर्ते आपके पास सीखने के लिए सही कौशल और जुनून हो और बाजार के नए रुझानों से अपडेट रहें। यदि आप महत्वपूर्ण मुद्दों का विश्लेषण करने में अच्छे हैं और आपके पास निर्णय लेने के साथ-साथ समस्या सुलझाने के कौशल भी हैं, तो यह व्यवसाय विश्लेषक प्रोफ़ाइल आपके अनुरूप होगी। एक व्यापार विश्लेषक की भूमिका संबंधित व्यवसाय के तकनीकी और गैर-तकनीकी पहलुओं को ट्रैक करना और तदनुसार महत्वपूर्ण परिवर्तनों का सुझाव देना है। एक एमसीए स्नातक के रूप में यह ज्ञात है कि आपके पास महान डेटा क्रंचिंग कौशल है, हालांकि, यदि आप इसे अपने व्यवसाय और उत्पाद प्रबंधन कौशल के साथ जोड़ते हैं, तो आप इस क्षेत्र में कामयाब होने के लिए बाध्य हैं। अधिकतर, हर तीसरा एमसीए स्नातक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में काम करना पसंद करता है। सॉफ्टवेयर डेवलपर्स मुख्य रूप से जटिल सॉफ्टवेयर सिस्टम के विकास, डिजाइन और रखरखाव में शामिल होते हैं। उनका काम ग्राहकों की आवश्यकता का अवलोकन और विश्लेषण करके और उनकी आवश्यकता के अनुसार सॉफ्टवेयर सिस्टम को डिजाइन करके आईटी सेवाएं प्रदान करना है। यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण लेकिन रचनात्मक क्षेत्र है, जहां आपसे अपने कौशल दिखाने की अपेक्षा की जाती है जो सामान्य कोडिंग कौशल से परे होते हैं। व्यवहार में, कोई भी कंपनी समस्या निवारक के बिना जीवित नहीं रह सकती है। एक समस्या निवारक कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर समस्याओं का निदान करता है और प्रौद्योगिकी को उन सभी के लिए सुलभ बनाता है जिन्हें इसकी आवश्यकता है। किसी कंपनी में, यदि कोई आईटी समस्या आती है, तो उसे समय पर ठीक करना एक समस्या निवारक का काम है ताकि परियोजनाओं को समय पर वितरित किया जा सके। वे सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और अन्य लोगों के लिए आवश्यक संसाधनों को बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार हैं। यदि आप चुनौतियों का सामना करना पसंद करते हैं और जब भी आपको कोई कार्य सौंपा जाता है तो परिणाम-उन्मुख समाधान खोजने का कौशल होता है, तो यह नौकरी की भूमिका आपके लिए एकदम सही है। एक सिस्टम एनालिस्ट का काम संबंधित व्यवसाय को आगे बढ़ाने और दक्षता बढ़ाने के लिए नवीन आईटी समाधान मॉड्यूल की अवधारणा और डिजाइन करना है। एक सिस्टम विश्लेषक के रूप में, आपको सॉफ्टवेयर विकास के संदर्भ में ग्राहकों के लिए बेहतर आईटी समाधान प्रणाली डिजाइन करने के लिए मौजूदा व्यवसायों, व्यावसायिक प्रक्रियाओं और मॉडलों का व्यापक अध्ययन करने की आवश्यकता है। वे ग्राहकों और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के बीच एक बिंदु व्यक्ति के रूप में कार्य करते हैं। यदि आप विज़ुअलाइज़ेशन और कल्पना कौशल में अच्छे हैं, तो सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट की भूमिका आपके अनुकूल होगी। सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट आईटी उत्पादों और सेवाओं के डिजाइन और वास्तुकला में उच्च स्तरीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल हैं। एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन आर्किटेक्ट की मुख्य नौकरी की जिम्मेदारी तकनीकी मैनुअल और प्रोटोकॉल जैसे टूल, प्लेटफॉर्म और सॉफ्टवेयर कोडिंग मानकों को विकसित करना है। वे कई सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चरल मॉडल को सुव्यवस्थित करने के लिए जिम्मेदार हैं। कंसल्टेंसी आज एक लोकप्रिय करियर विकल्प के रूप में उभरा है। एक सॉफ्टवेयर सलाहकार का काम व्यावसायिक प्रक्रियाओं की समीक्षा और विश्लेषण करना और व्यावसायिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम सॉफ्टवेयर समाधान और अन्य प्रासंगिक प्रतिक्रिया प्रदान करना है। मूल रूप से, एक सॉफ्टवेयर सलाहकार का उद्देश्य संबंधित कंपनी की बिक्री प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए लागत प्रभावी व्यावसायिक समाधान प्रदान करना है। महत्वपूर्ण रूप से, यह नौकरी पूर्ण वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करती है क्योंकि आप इस प्रोफाइल में अपना काम शुरू कर सकते हैं। एक हार्डवेयर इंजीनियर का काम कंप्यूटर हार्डवेयर सिस्टम जैसे सर्किट बोर्ड, केबल, हार्ड डिस्क, प्रिंटर, कंप्यूटर चिप्स, राउटर और कीबोर्ड के साथ काम करना होता है। एक हार्डवेयर इंजीनियर के पास कंप्यूटर सिस्टम को स्थापित करने और परीक्षण करने के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने का जुनून होना चाहिए, यह सुनिश्चित करना कि सिस्टम परेशानी मुक्त तरीके से कार्य करता है। हार्डवेयर इंजीनियर हार्डवेयर उपकरणों के विकास और परीक्षण में भी शामिल होते हैं। यदि आपके पास सटीक तकनीकी कौशल के साथ असाधारण लेखन कौशल है, तो आप तकनीकी लेखन को अपने करियर विकल्प के रूप में चुन सकते हैं। इसके लिए आपको नवीनतम तकनीकों के साथ-साथ गैजेट्स और लेखन में रुचि होनी चाहिए। आमतौर पर, एक तकनीकी लेखक तकनीकी दस्तावेज जैसे उपयोगकर्ता गाइड / मैनुअल, उत्पाद विनिर्देश, श्वेत पत्र, परियोजना योजना और डिजाइन विनिर्देशों को लिखने के लिए जिम्मेदार होता है। इंटरनेट और ऑनलाइन मार्केटिंग के उदय के साथ, वेब डिजाइनिंग की मांग कई गुना बढ़ गई है। एक वेब डिज़ाइनर क्लाइंट द्वारा साझा किए गए संक्षिप्त विवरण के आधार पर वेबसाइटों के संपादन, डिज़ाइन और विकास के लिए ज़िम्मेदार होता है। एक वेब डिज़ाइनर के रूप में, आपको बहुत कल्पनाशील होना चाहिए और आपके पास उत्कृष्ट विज़ुअलाइज़ेशन कौशल होना चाहिए। एक आकर्षक वेबसाइट डिजाइन करने के लिए आपके पास रंग, फ़ॉन्ट शैली और लेआउट के संबंध में सही रचनात्मक समझ होनी चाहिए। इसके अलावा, आपको ड्रीमविवर, सीसीएस, फोटोशॉप और इलस्ट्रेटर जैसे सॉफ्टवेयर की मजबूत समझ होनी चाहिए, साथ ही साथ एचटीएमएल और फ्लैश का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। ये कंपनियां अपने वास्तविक समय के कार्य अनुभव और कौशल सेट के आधार पर एमसीए स्नातकों को नियुक्त करती हैं। इसलिए, यदि आपके पास आईटी क्षेत्र में सही कौशल है और कठिन बाजार परियोजनाओं को लेने और निर्धारित समय सीमा के भीतर उन्हें वितरित करने का जुनून है, तो आप इस क्षेत्र में कई गुना बढ़ने के लिए बाध्य हैं। एक अच्छा प्रोग्रामर बनने के लिए आपके पास जावा, च++, च, .नेट और अस्प.नेट जैसी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाओं में अच्छी कमांड होनी चाहिए। वेब डिजाइनिंग के क्षेत्र में रुचि रखने वालों को सीएसएस, पीएचपी, जावास्क्रिप्ट और एचटीएमएल जैसी भाषाओं की मजबूत समझ होनी चाहिए। यदि आप नेटवर्किंग के क्षेत्र में काम करने में रुचि रखते हैं, तो आपको लीनूक्स, स्क्ल आदि में एक मजबूत हाथ होना चाहिए। इसके अलावा, संभावित भर्तीकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए आपको सीसीएनपी, सीसीएनए और सीसीआईई में शीघ्रता से प्रमाणन प्राप्त करना चाहिए। एमसीए करने के बाद आप एमई (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) कर सकते हैं।
फिटकरी को लोग सालों से काम में लेते आए हैं। फिटकरी आमतौर पर सब घरों में प्रयोग होती है, फिटकरी का इस्तमाल खासतौर से बारिश के मौसम में पानी को साफ करने के लिए किया जाता है। फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। अधिकतर सफेद फिटकरी का प्रयोग ही किया जाता है। जिन लोगो को शरीर से ज्यादा पसीना आने की समस्या हो तो वो लोग नहाते समय पानी में फिटकरी को घोलकर नहाने से पसीना आना कम हो जाता है। फिटकरी के पानी से योनि को सुबह-शाम नियमित धोएं। पंसारी से संगे जराहत और फिटकरी लेकर दोनों पीस लें और इस आधा ग्राम चूर्ण की फंकी ताजे पानी के साथ या गाय के दूध के साथ सुबह, दोपहर और शाम दिन में तीन बार लें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से अवश्य लाभ होगा। यदि चोट या खरोंच लगकर घाव हो गया हो और उससे खून बह रहा हो घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी का चूर्ण बनाकर बुरकने से खून बहना बंद हो जाता है। फिटकरी और काली मिर्च पीसकर दांतों की जड़ों में मलने से दांतों की पीड़ा में लाभ होते है। सेविंग करने के बाद चेहरे पर फिटकरी लगाने से चेहरा मुलायम हो जाता है। आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी को शहद में मिलाकर चाटने से दमा और खांसी में बहुत लाभ मिलता है। भुनी हुई फिटकरी १-१ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खून की उल्टी बंद हो जाती है। दांत दर्द से बचने के लिए फिटकरी और काली मिर्च को पीसकर दांतों की जड़ों में मलने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है। फुलाई हुई फिटकरी एक तोला और मिश्री दो तोला दोनों को महीन पीसकर रख लें। एक-एक माशा नित्य सवेरे खाने से दमा के रोग में लाभ होता है। प्रतिदिन दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें ,इससे दांतों के कीड़े तथा मुंह की बदबू दूर हो जाती है । डेढ़ ग्राम फिटकरी पाउडर को फांककर ऊपर से दूध पीने से चोट लगने से होने वाला दर्द दूर हो होता हैं। टांसिल की समस्या होने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और नमक डालकर गरारे करें। इससे टांसिल की समस्या में जल्दी ही आराम मिल जाता है। दस्त और पेचिश की परेशानी से बचने के लिए थोड़ी फिटकरी को बारीक पीसकर भून लें और अब इस भुनी हुई फिटकरी को गुलाब जल के साथ मिलाकर पीने से खूनी दस्त आना बंद हो जाता है। एक लीटर पानी में १० ग्राम फिटकरी का चूर्ण घोल लें। इस घोल से प्रतिदिन सिर धोने से जुएं मर जाती हैं। दस ग्राम फिटकरी के चूर्ण में पांच ग्राम सेंधा नमक मिलाकर मंजन बना लें। इस मंजन के प्रतिदिन प्रयोग से दांतो के दर्द में आराम मिलता है । भुनी हुई फिटकरी एक तोला, भुना हुआ तूतिया छह माशा, कत्छा एक तोला, इन सबको कूट पीसकर मंजन बनाकर लगाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है और दांत मजबूत तथा सुदृढ़ होते हैं। कान में फुंसी हो अथवा मवाद आता हो तो एक प्याले में थोड़ी-सी फिटकरी पीसकर पानी डालकर घोलें और पिचकारी द्वारा कान धोएं। शहद में फिटकरी मिलाकर आंखों में डालने से आंखों की लाली समाप्त हो जाती है। खुजली वाली जगह को फिटकरी वाले पानी से धोएं और बाद में उस जगह पर थोड़ा-सा कड़वा तेल लगा लें। उस पर थोड़ा-सा कपूर भी डाल लें। पिसी हुई फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता है। गर्भपात के समय दर्द, रक्तस्राव हो रहा हो तो हर दो-दो घंटे से एक-एक खुराक दें। मासिक-धर्म ठीक होने पर भी यदि सन्तान न होती हो तो रूई के फाये में फिटकरी लपेटकर पानी में भिगोकर रात को सोते समय योनि में रखें। सुबह निकालने पर रूई में दूध की खुर्चन सी जमा होगी। फोया तब तक रखें, जब तक खुर्चन आती रहे। जब खुर्चन आना बंद हो जाए तो समझना चाहिए कि बांझपन रोग समाप्त हो गया है। बांझपन की तरह योनि में रूई का फाया रखें तथा फिटकरी पानी में घोलकर योनि को दिन में तीन बार धोएं। इससे योनि सिकुड़कर सख्त हो जाएगी और योनि का ढीलापन समाप्त हो जाएगा। फिटकरी ३० ग्राम और १० ग्राम माजूफल को लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को मलमल के कपड़े में डालकर पोटली बनाकर सोने से पहले रात को योनि में रखने से योनि का ढीलापन दूर होकर सिकुड़ जाती है। २ ग्राम फिटकरी को ८० मिलीलीटर पानी में घोलकर योनि को धोने से योनि की आकृति कम यानी योनि सिकुड़ने लगती है। कान में चींटी चली जाने पर कान में सुरसरी हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर पीने से लाभ मिलता है। तनाव व नींद की कमी के उपाय! जानिए कोरोना वायरस की संरचना!! हॉं ले सकते है पर फिर भी आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें क्योकि हर एक का शरीर अलग अलग होता है और शरीर की छमता भी अलग होती है।
रेनॉल्ट क्विड को लगभग सभी ग्राहकों ने खूब सराहा है। इसके विदेशी रुप ,प्रभावशाली जगह और सुविधाओं की एक सेट की हर कोई बात करता है। कार में एक ७९६ सीसी पेट्रोल इंजन है जो ५४ पीएस पावर और ७२ न्युटन मीटर टॉर्क उत्पन्न करता है और इसका भार भी काफी कम, मात्र ६६० किलोग्राम है। भारत में सबसे अधिक ईंधन कुशल पेट्रोल कारों की हमारी सूची में रेनॉल्ट के साथ पहले स्थान पर डॅटसन रेडी-गो है। क्विड और रेडी-गो सीएमएफ-ए मंच का उपयोग करते हैं और इनके इंजन भी समान है। यह ७९९ सीसी की तीन सिलेंडर इंजन के साथ है, जो अधिकतम ५४ पीएस पावर प्रदान करता है। क्विड की तरह इसका ७९९ सीसी का इंजन ५४ पीएस पावर और ७२ न्युटन मीटर टॉर्क उत्पन्न करता हैं और २५.१७ किमी प्रति लीटर तक की माइलेज देता है। डॅटसन ने जून २०१६ में सिर्फ २.३९ लाख में रेडी-गो का लॉन्च किया था। भारत में सबसे बेहतर बिकने वाली कार, ऑल्टो ८०० भारत में सबसे अधिक ईंधन कुशल पेट्रोल कारों में से एक है। हाल ही में इसमें किये गए अपडेट के वजह से यह सूची में ऊपर चाली गई है और अब यह क्विड और रेडी-गो के बाद दूसरे स्थान पर हैं और ऑल्टो के१० और सेलेरियओ के ऊपर है। अपडेट के रूप में, क्विड और रेडी-गो से मुकाबला करने के लिए, ऑल्टो ८०० ने अपनी कीमत कम कर दी हैं। ऑल्टो ८००, ७९६ सीसी पेट्रोल मोटर के साथ है जो ४७.३ बीएचपी पावर और ६९ न्युटन मीटर टॉर्क प्रदान करता है। मारुति ने इसके बाहरी लुक को बेहतर दिखने के लिए कुछ नया जोड़ने की पूरी कोशिश की हैं, क्योंकि इसकी कीमत कम होने के बावजुद लोगो ने इसके लुक की वजह से इसे नहीं खरीदा हैं। डॅटसन रेडी-गो के लॉन्च और अपडेटेड ऑल्टो ८०० ने भारत में सबसे अधिक ईंधन कुशल पेट्रोल कारों की हमारी सूची में ऑल्टो के१० को नीचे कर दिया है। ऑल्टो ८०० के आधार पर, के१० के पास १.० लीटर के-सीरीज मोटर हैं जो ६७ बीएचपी और 9० न्युटन मीटर टॉर्क उत्पन्न करता है। मारुति ऑल्टो के१० के पास या तो ५-गति हस्तचालित या ५-गति स्वचालित ट्रांसमिशन हो सकता हैं, दोनों की माईलेज रेटिंग समान है। बाहरी लुक के तौर पर यह पिछले संस्करण की तरह आकर्षक नहीं है, लेकिन अंदरूनी रुप से ये पहले से बेहतर है। टाटा की नई हैचबैक, टीयागो, भारत में पहले ५ सबसे अधिक ईंधन कुशल पेट्रोल कारों की सूची में पांचवें स्थान पर है। एआरएआई प्रमाणित २३.८४ किमी प्रति लीटर तक का माइलेज प्रदान करने वाली टीयागो में एक बड़े, अधिक शक्तिशाली इंजन होने के बावजूद, वह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मारुति सेलेरियो की तुलना में अधिक माईलेज प्रदान करती हैं। टीयागो के पेट्रोल संस्करण की कीमत ३.२ लाख और ३.९४ लाख रुपए के बीच रखी गई है और यह काफी सुविधाओं के साथ पेश की गई है। यह अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में सस्ती हैं। एक बहुत छोटा सा अंतर के वजह से, नैनो जेनएक्स के रूप में टाटा नैनो छठे स्थान पर हैं। भारत की यात्री कार में कार्यरत, सबसे कम दहन द्वारा संचालित, नैनो एआरएआई परीक्षण परिस्थितियों के अंतर्गत प्रभावशाली २३.६ किलोमीटर प्रति लीटर तक का माइलेज देती है। टाटा ने नैनो को अपनी नई जेनएक्स में तब्दील कर दिया है और अब यह ए-खंड की हैच में एक वैकल्पिक स्वचालित एएमटी, खुलने वाला हैच और नया बाहरी लुक के साथ उपल्ब्ध है। छोटे क्षमता वाली ६२४ सीसी पेट्रोल मोटर के साथ विकल्प के तौर पर ४- गति की हस्तचालित या ५- गति की एएमटी भी हैं और यह ३७.५ बीएचपी तक पावर और ५1 न्युटन मीटर टॉर्क उत्पन्न करता है। मारुति सेलेरियो कार भारत में सबसे अधिक ईंधन कुशल कारों में से एक है और २३.१ किलोमीटर प्रति लीटर की माइलेज प्रदान करती है। मारुति सुजुकी द्वारा विकसित, ए-स्टार और एस्टिलो को हटाने के लिए, सेलेरियो एएमटी सुसज्जित मॉडल ने भारत में अपनी लॉन्च के बाद से ही बाजार में अच्छा प्रर्दशन किया है। इसके पास भी वही ईंधन हैं जो ऑल्टो के१0 मे हैं अर्थात ६७ बीएचपी और ९० न्युटन मीटर उत्पादन वाला ९९८ सीसी पेट्रोल और माईलेज मे भी कोई कमी नहीं हैं। भारत में बिकने वाली अन्य ८०० सीसी की कार, ह्युंडई इऑन, २१.१ किलोमीटर प्रति लीटर की ईंधन क्षमता के हिसाब से भारत में सबसे अधिक ईंधन कुशल कारों की हमारी सूची में नंबर ८ पर आती है। इऑन का डिजाइन बहुत अच्छा हैं। इऑन के ८१४सीसी और ९९८सीसी पेट्रोल मोटर क्रमश: ५५ बीएचपी और ६८ बीएचपी तक का पावर प्रदान कर सकते हैं। ९९८सीसी पेट्रोल मोटर २०.३ किमी प्रति लीटर तक का माइलेज देता है।
बलौदाबाजार। २५ अगस्त शाम ५ बजे सुहेला चैक में छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री जनता कांग्रेस की सुप्रीमों ने अपने विजय रथ पर सवार होकर उपस्थित जनसभा को संबोधित किया। उन्होने छत्तीसगढ़ महतारी की जय के साथ कहा कि रमन सरकार स्वयं शराब बेच रही है मेरी सरकार बनी तो प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी होगी महिलाओं की अस्मिता की रक्षा होगी तथा मेरे शपथ ग्रहण के साथ ही जन्म लेने वाली प्रत्येक बच्ची के नाम से सरकार के द्वारा १ लाख रूपये फिक्स डिपाजिट किया जाएगा जो १8 वर्षो में १0 लाख रूपये हो जायेगी सरकार किसानों के प्रति समर्पित रहेगी तथा उनके द्वारा पैदा की जाने वाली धान सरकार स्वयं २५00 रूपये प्रति क्विंटल में खरीदेगी। साथ ही सिमगा में चुनाव कार्यालय का फीता काटकर मरवाही विधायक अमित जोगी द्वारा किया गया। तत्पश्चात सिमगा पुराना बस स्टैण्ड में सभा को संबोधित किया। तय समय में देरी से पहुंचने पर भी हजारो की भीड जोगी के विजय यात्रा के इंतजार कर रही थी। उनके साथ विजय रथ में बलौदाबाजार विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी प्रमोद शर्मा, गंभीर ठाकुर विजय रथ में सवार थे। सभा के पश्चात्् जोगी का विजय रथ सिमगा की ओर रवाना हो गया। सुहेला बाजार दिवस होने के कारण रक्षा बंधन की खरीददारी में आये ग्रामीण विजय रथ उत्सुकता पूर्वक देख रहे थे कि बस से लिफ्ट के द्वारा जोगी जी बस के ऊपर कैसे आये। उक्त अवसर पर उपस्थित प्रमुख रूप से पूर्व विधायक चैतराम साहू, हर्षवर्धन तिवारी, बसंत आडिल, गंभीर सिंह ठाकुर, जिला प्रवक्ता संजय सोनी, महेन्द्र साहू, कुंजराम यदु, राकेश यदु, महानंद धु्रव, नीलकंठ जायसवाल, राजकुमार यदु, अजित पाल, नारद साहू, सुशील बंजारे, विवेक बंछोर, पूरन गोस्वामी, प्रसन्न दीवान, संजय शर्मा, रामदयाल साहू, शिव तिवारी, गोपी साहू, जगमोहन दास, रूपचंद पाटिल, डाॅ.एल.के. चेलक, डाॅ. रामजी आदि उपस्थित थें।
जानकारी के मुताबिक हरियाणा के बहादुरगढ़ में एक तेज रफ्तार ट्रक ने आंदोलनकारी महिला किसानों को कुचल दिया। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि महिलाएं सड़क के बीच डिवाइडर पर बैठकर घर जाने के लिए ऑटो का इंतजार रही थीं, तभी एक तेज रफ्तार ट्रक डिवाइडर पर चढ़ गया और ये भीषण हादसा हुआ। एसपी झज्जर, वसीम अकरम ने इस बात की जानकारी दी कि बहादुरगढ़ में डंपर ट्रक की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गई है। वहीं, इस घटना की आगे की जांच जारी है। जानकारी के मुताबिक, इस हादसे में मरने वाली तीनों महिलाएं बुजुर्ग थीं। तीनों में से दो महिलाओं ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जबकि एक महिला ने अस्पताल में इलाज के दौरान आखिरी सांसें लीं। वहीं हादसे में तीन अन्य महिलाओं की हालत बेहद गंभीर है, जिनका अस्तताल में इलाज चल रहा है। ये घटना झज्जर रोड पर फ्लाईओवर के नीचे हुई है।
न्यूज़ अरोमा रांची: अनगड़ा थाना पुलिस ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) के पूर्व उग्रवादी मधु मांझी (३०) को गिरफ्तार किया है। वह बुंडू थाना क्षेत्र बारेडीह गाव का रहने वाला है। इसके पास से एक देशी पिस्टल, एक गोली, दो मोबाइल और एक बाइक बरामद किया है। ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने शुक्रवार को बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि एक अपराधी हथियार के साथ मोटरसाइकिल से किसी आपराधिक घटना को अंजाम देंने के लिए कहीं जा रहा है। सूचना के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए छापेमारी दल का गठन किया। टीम ने वाहन चेकिंग अभियान चलाया। वाहन चेकिंग के दौरान अपराधी मधु मांझी जरगा की ओर से बोरडीह (बुंडू थाना क्षेत्र) की ओर जाते हुए पकड़ा गया। उसके पास से हथियार भी बरामद किया गया। एसपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि वह पूर्व में पीएलएफआइ उग्रवादी रह चुका है। ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने बताया कि मधु कई कांडों में जेल जा चुका है।
२०० करोड़ के ठगी मामले में जैकलीन फर्नाडीज का नाम बुरी तरह फंसा हुआ है। इस मामले में जैकलीन से लगातार पूछताछ हो रही है। इतना ही नहीं, इस मामले की तह तक जाने के लिए जांच की आंच अभिनेत्री की स्टाइलिस्ट लीपाक्षी तक पहुंच गई थी। इन सभी पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी दावा कर दिया कि जैकलीन का सुकेश चंद्रशेकर के साथ कनेक्शन है, जिसके बाद अभिनेत्री को पटियाला हाउस कोर्ट ने तलब किया। जैकलीन सुबह करीबन १० बजे पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचीं और अब वह कोर्ट से निकल चुकी हैं। पटियाला हाउस कोर्ट में जैकलीन के वकील ने उनके लिए जमानत याचिका दायर की है। वहीं, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने भी जैकलीन की जमानत याचिका पर ईडी से जवाब मांगा है। तब तक उसकी नियमित जमानत कोर्ट में लंबित है। जैकलीन के वकील के अनुरोध पर कोर्ट ने जैकलीन को ५० हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी। बता दें कि बीते दिनों दिल्ली में आर्थिक अपराध शाखा ने जैकलीन से एक लंबी पूछताछ की थी। यह पूछताछ लगभग १५ घंटे तक चली थी, जिसमें जैकलीन को कई गंभीर सवालों का सामना करना पड़ा था। इन सबके बीच ईडी ने अपनी चार्जशीट दाखिल किया था, जिसमें जैकलीन को भी २०० करोड़ के वसूली केस में आरोपी पाया है। कई गवाहों और सबूत को आधार बनाया गया है। जैकलीन फर्नांडीज ने इस बात को स्वीकार किया था कि उन्होंने ठग सुकेश से कई महंगे तोहफे लिए थे। जैकलीन के अलावा, इस मामले में और भी अभिनेत्रियों के नाम शामिल हैं, जिसमें नोहा फतेही औ निक्की तंबोली शामिल हैं। दोनों ही अभिनेत्रियों से भी पूछताछ हुई है। बता दें कि २०० करोड़ रुपए की रंगदारी का आरोपी सुकेश चंद्रशेखर वर्तमान में दिल्ली की जेल में बंद हैं और उसके खिलाफ १० से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें। खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? सबसे विश्वसनीय हिन्दी न्यूज वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें मनोरंजन समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। मनोरंजन जगत की अन्य खबरें जैसे बॉलीवुड न्यूज़, लाइव टीवी न्यूज़, लेटेस्ट हॉलीवुड न्यूज़ और मूवी रिव्यु आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
यूपीएससी का सफर हर किसी के लिए अलग अनुभव होता है। आज हम जानेंगे राजस्थान के विजय सिंह गुर्जर की यूपीएससी टॉपर बनने की प्रेरणादायक कहानी जो काफी युवाओं को प्रेरित कर सकता है। दरअसल विजय गुर्जर ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के दौरान काफी चुनौतियों का सामना किया। लेकिन सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने कभी भी परेशानियों से हार नहीं मानी और चुनौतियों का डटकर सामना दिया। विजय हमेशा से कड़ी मेहनत में यकीन करते थे। उन्होंने कड़ी मेहनत के विकल्प को चुना और आगे लगातार बढ़ते रहें। पहले वह कांस्टेबल के रूप में नौकरी ज्वाइन करते हैं और फिर आईपीएस बनते हैं और अपने घरवालों का नाम रोशन करते हैं विजय गुर्जर के संबंध में सबसे खास बात यह है कि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए कभी भी कोई भी कोचिंग ज्वाइन नहीं की थी। उन्होंने इस परीक्षा को अपने सेल्फ स्टडी के दम पर निकाला है और आईपीएस के पद तक पहुंचे हैं। एक किसान परिवार में विजय सिंह गुर्जर का जन्म राजस्थान के एक बेहद छोटे से गांव में हुआ था। विजय के पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। लेकिन इसके बावजूद वह अपने बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देते थे। क्योंकि वह चाहते थे कि उनके बच्चे बड़े होकर अपने जीवन में कुछ अच्छा करें। विजय गुर्जर की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव के ही एक स्कूल में शुरू हुई थी। साथ ही वह अपने पिता का हाथभी खेती में बताया करते थे। विजय सिंह गुर्जर का कहना है कि उनके गांव में सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों को बहुत ही सम्मान दिया जाता है और सम्मान की नजर से देखा जाता था। शायद यही वजह थी कि उनका झुकाव सरकारी नौकरी की तरफ शुरू से रहा। सबसे पहले वह दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में भर्ती होने के लिए तैयारी करते हैं और उन्हें सफलता भी मिलती है। लेकिन वह यहीं पर ठहर नहीं जाते हैं बल्कि वहां कांस्टेबल से आगे बढ़कर सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित होते हैं। लेकिन इसके बाद भी वह यहां पर नहीं रुकते हैं। सब इंस्पेक्टर बनने के बाद वह एसएससी की तैयारी करना शुरू कर देते हैं और उनका चयन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में एक अच्छे पद पर हो जाता है। लेकिन वहां कुछ और ही बनना चाहते थे इसलिए वह अपनी मेहनत को जारी रखते हैं और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर देते हैं। सरकारी नौकरी पाने के बाद भी विजय सिंह गुर्जर अपने लक्ष्य से नहीं हटे। बल्कि यूपीएससी की तैयारी में जुटे रहते हैं और साथ में नौकरी भी करते रहते हैं। नौकरी के दौरान जब भी उन्हें समय मिलता है वह पढ़ाई करते थे। यूपीएससी की परीक्षा में साल २०१६ में वह इंटरव्यू के स्टेज तक पहुंचे थे। लेकिन उनका फाइनल सिलेक्शन नहीं हो पाया। तब उन्हें थोड़ा दुख हुआ था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं आ रही और फिर से प्रयास करने के बारे में सोचकर तैयारी में जुट गए। साल २०१७ के यूपीएससी परीक्षा में उनकी मेहनत रंग लाती है और उनका सिलेक्शन हो जाता है। वह आईपीएस के रूप में चयनित होते हैं। विजय सिंह गुर्जर लगातार मेहनत करते रहे और यही वजह थी कि उन्हें लगातार सफलता मिलती रही। सबसे पहले वह दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त होते हैं। उसके बाद वह एसआई का पद प्राप्त करते हैं और फिर एसएससी की परीक्षा पास करके इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पर में उन्हें एक अच्छे पद पर नियुक्त मिलती है। लेकिन विजय यहां पर भी ठहरते नहीं है और अपनी तैयारी जारी रखते हैं और यूपीएससी की परीक्षा देते हैं। साल २०१७ की यूपीएससी परीक्षा में उन्हें सफलता प्राप्त होती है। उनका चयन २०१८ बैच आईपीएस में हो जाता है। विजय सिंह गुर्जर का अभ्यर्थियों को यही सलाह है कि आप किस बैकग्राउंड से हैं इससे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता है। आपको पूरी मेहनत और लगन के साथ तैयारी करनी चाहिए। यदि पूरे मन से तैयारी की जाती है तो सफलता जरूर मिलती है। अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।
इक ऑप्शन प्राइस चार्ट के नीचे एक अलग विंडो में खुलता है। तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करने वालों के बीच ट्रेडिंग हेड और शोल्डर बहुत लोकप्रिय है। आज हम इसे अलग करते हैं और आपको दिखाते हैं कि इसे ठीक से कैसे किया जाए। रिपीटेबल पैटर्न के साथ ट्रेड करना लाभ कमाने का अच्छा तरीका हो सकता है। हालांकि, कुछ पैटर्न दूसरों की तुलना में अधिक विश्वसनीय होते हैं। आज, मैं आपके सामने रिवर्सल पैटर्न पेश करूँगा जो पहले समूह का है। इसे हेड और शोल्डर पैटर्न कहा जाता है। १ सिर और कंधों का पैटर्न क्या है? २ क्या हेड और शोल्डर पैटर्न हमेशा शीर्ष या टॉप पर होता है? ३ चार्ट पर सिर और कंधों के पैटर्न की पहचान कैसे करें? सिर और कंधों का पैटर्न क्या है? सिर और कंधों का पैटर्न एक बहुत मजबूत गठन है और इसे अन्य पैटर्न की तुलना में पूरा होने में अधिक समय लगता है। बनाने का लंबा समय इस तथ्य के कारण होता है कि यह ऊपर की ओर आंदोलन के चरम पर दिखाई देता है। इसलिए जब सांडों का बाजार पर नियंत्रण होता है तो आप सिर और कंधे के पैटर्न की तलाश शुरू कर सकते हैं। इतने लंबे निर्माण समय का लाभ यह है कि गठन बहुत विश्वसनीय है। इसकी सटीकता अन्य प्रतिवर्ती पैटर्न की तुलना में अधिक है डबल शीर्ष गठन. यह इस प्रकार है कि ट्रेडिंग हेड और शोल्डर पैटर्न आकर्षक साबित हो सकते हैं। कभी-कभी आप एक पैटर्न के पूरा होने की प्रतीक्षा करते-करते थक सकते हैं। याद रखें, समाप्त होने तक व्यापार न करें। अन्यथा, आप पैसे खो सकते हैं क्योंकि बाजार की स्थिति किसी भी क्षण बदल सकती है और पैटर्न अंततः प्रकट नहीं हो सकता है। लेकिन एक बार यह हो जाने के बाद, एक बार यह समाप्त हो जाने के बाद, आपको अगले मूल्य आंदोलनों की लगभग १००% निश्चितता मिलती है। क्या हेड और शोल्डर पैटर्न हमेशा शीर्ष या टॉप पर होता है? होता भी है और नहीं भी। हेड और शोल्डर पैटर्न हमेशा ट्रेंड के शीर्ष पर बनता है। यदि ऐसी कोई समान संरचना ट्रेंड के बीच में या रेंज में दिखती है, तो वह हेड और शोल्डर पैटर्न नहीं है । यह शुरुआत में सिर और कंधों की तरह लग सकता है, लेकिन बाद में आप देखेंगे कि यह वैसा नहीं है। इसलिए आप इसे केवल शीर्ष पर खोजें। लेकिन यह अपट्रेंड और डाउनट्रेंड का शिखर भी हो सकता है। इस तरह यह ऊपर या नीचे हो सकता है। यदि यह डाउनट्रेंड के दौरान दिखाई देता है, तो इसे रिवर्स हेड एंड शोल्डर पैटर्न कहा जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रवृत्ति के उच्चतम/निम्नतम बिंदु पर विकसित होता है। चार्ट पर सिर और कंधों के पैटर्न की पहचान कैसे करें? आकार सिर और कंधों की याद दिलाता है, इस प्रकार एक नाम। आइए अपट्रेंड पर विचार करें। शीर्ष बिंदु पर कीमत में वृद्धि होती है और फिर गिरावट होती है। उसके बाद, कीमत फिर से बढ़ जाती है, पिछली चोटी की तुलना में फिर से गिरने के लिए। यह सिर है। फिर, कीमत तीसरी बार बढ़ती है, लेकिन दूसरी बार जितनी ऊंची नहीं होती है, और बाद में गिर जाती है। पहला और आखिरी उदय कंधे हैं, मध्य सिर है। एक चोटी और दो निचली ऊँची, यह सिर और कंधों के गठन का एक आकार है। डाउनट्रेंड में स्थिति समान ही होती है, लेकिन उल्टी दिशा में। सबसे पहले, कीमत नए लो पर गिरेगी और फिर थोड़ा बढ़ेगी जिससे एक शोल्डर या कंधा बनेगा। इसके बाद, यह और अधिक गिर जाएगी और फिर से बढ़ेगी, जिससे हेड या सिर का निर्माण होगा। उसके बाद, कीमत में पुनः गिरावट आएगी, लेकिन दूसरी बार जितनी कम नहीं, यह बढ़ना शुरू हो जाएगी। और दूसरा शोल्डर बन जाएगा। कीमत को अधिक (या कम) ले जाने और नई चोटियों को बनाने के लिए बैल (या प्रवृत्ति की दिशा के आधार पर) द्वारा किए गए तीन प्रयास हैं। यही कारण है कि इस पैटर्न को विकसित होने में इतना लंबा समय लगता है, लेकिन यही कारण है कि यह इतना विश्वसनीय है। यदि आपके पास केवल तब तक प्रतीक्षा करने का धैर्य है जब तक कि भालू (या बैल) बाजार पर कब्जा नहीं कर लेते, आप महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आइए नीचे दिए गए उदाहरण पर एक नज़र डालें। अपट्रेंड ढूंढें और नोटिस करें कि कीमत कैसे बढ़ रही है। यह एक नए पीक तक बढ़ती है और फिर गिर जाती है। फिर, यह उससे ऊँचे पीक तक बढ़ती है और बाद में गिर जाती है। अंत में, यह कम ऊंचाई तक बढ़ती है और फिर से गिरती है। लगातार तीन चढ़ाव और उतार। शोल्डर, हेड और दूसरा शोल्डर। हमारा पैटर्न बन गया है। अब मुख्य प्रश्न यह है कि सिर और कंधों के पैटर्न के साथ व्यापार कैसे करें। आपको बस इतना करना है कि प्रतीक्षा करें। हां, न केवल निजी जीवन में बल्कि व्यापार में भी धैर्य महत्वपूर्ण है। आप एक समय के लिए पैटर्न के बनने की प्रतीक्षा कर रहे थे और अभी आप जिस चीज का इंतजार कर रहे हैं, वह वह क्षण है जब कीमत नेकलाइन को तोड़ देती है। और नेकलाइन क्या है? यह है ट्रेंडलाइन जो गठन के सभी तीन चढ़ावों को जोड़ता है। सावधान रहें, क्योंकि कीमत नेकलाइन की परीक्षा ले सकती है। यह करीब आ सकती है, इसे छू सकती है, लेकिन इसके परे नहीं जाती है। धैर्य रखें। आपको उस बिंदु की प्रतीक्षा करनी है जहाँ कीमत नेकलाइन को काट कर निकाल जाए या टूट जाए। जहाँ पहली कैंडल नेकलाइन के नीचे क्लोज़ होती है, वही आपका प्रवेश बिन्दु है। ऐसा होने के बाद, बिक्री की पोजीशन खोलें। अगला उदाहरण उल्टे सिर और कंधों के पैटर्न को दिखाता है जो डाउनट्रेंड के निचले भाग में विकसित होता है। देखें कि कैसे कीमत गिरती है और बढ़ती है, फिर अधिक गिरती है और फिर से बढ़ जाती है और अंत में, नेकलाइन से ऊपर उठने के लिए थोड़ा ही गिरती है। इस मामले में, नेकलाइन संरचना के सभी उच्च बिन्दुओं में मिलती है। जब पहली कैंडल नेकलाइन के ऊपर क्लोज़ हो, तो आपको खरीद का ट्रांजेक्शन करना चाहिए। उल्लेखनीय बात यह है कि पैटर्न में हेड की जितनी अधिक ऊँचाई होती है कीमत उतनी ही गिरती (या बढ़ती) है। दूसरी बात यह है कि पैटर्न का आकार जितना अधिक सममित होता है, पैटर्न उतना ही अधिक मूल्यवान होता है। आखिरी बात, हेड और शोल्डर एक रिवर्सल पैटर्न है इसलिए आप आश्वस्त हो सकते हैं कि ट्रेंड उलट जाएगा। यह आपको पैसे बनाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। हम आपके सुखद ट्रेडिंग की कामना करते हैं! यह पोस्ट कितनी उपयोगी थी? 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१. इनमें से किस राज्य में बाढ़ अधिक आती है? (ड) उत्तर प्रदेश। २. उत्तराखंड के किस जिले में मालपा भू-स्खलन आपदा घटित हुई थी? ३. इनमें से कौन-से राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है? ४. इनमें से किस नदी में मजौली तटीय द्वीप स्थित है? ५. बर्फानी तूफ़ान किस तरह की प्राकृतिक आपदा है? (ड) जीव मण्डलीय। संकट किस दशा में आपदा बन जाता है? प्रायः संकट और आपदा दोनों शब्दों का प्रयोग एक-दूसरे की जगह कर लेते हैं। संकट में प्रायः धन-जन या दोनों के नुकसान की सम्भावना होती है। जब यह घटना तीव्रता से होती है तथा बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि होती है तो इसे आपदा कहते हैं। हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकम्प क्यों आते हैं? भारत के उत्तर-पूर्वी सात राज्यों में तथा हिमालय पर्वत के साथ भूकम्प अधिक आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इण्डियन प्लेट प्रति वर्ष एक सें० मी० की गति से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है। इसलिए इण्डियन प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट के टकराव के कारण हिमालय पर्वत की चाप के साथ-साथ भूकम्प अधिक आते हैं। उष्ण कटिबन्धीय तूफ़ान की उत्पत्ति के लिए कौन-सी परिस्थितियां अनुकूल हैं? उष्ण-आर्द्र वायु का उपलब्ध होना। कोरियोलिस बल का तीव्र होना। क्षोभ मण्डल में अस्थिरता। मज़बूत ऊर्ध्वाधर वायु की अनुपस्थिति। पूर्वी भारत की बाढ़ पश्चिमी भारत की बाढ़ से अलग क्यों होती है? पूर्वी भारत में वर्षा की मात्रा अधिक होती है। यहां जल नदियों की क्षमता से अधिक मात्रा में बहता है तथा बाढ़ के रूप में फैल जाता है। पश्चिमी भारत में वर्षा की अचानक तथा अधिक तीव्रता के कारण कई क्षेत्र जल मग्न हो जाते हैं। पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा क्यों पड़ते हैं? इन क्षेत्रों में वर्षा की अनिश्चितता अधिक है। वर्षा की परिवर्तिता ४०% से अधिक है। इसलिए बार-बार लम्बे समय तक वर्षा न होने के कारण सूखा पड़ता है। भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करें और इस आपदा के निवारण के कुछ उपाय बताए। भारत के विभिन्न भू-स्खलन क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। भू-स्खलन-भू-स्खलन द्वारा चट्टान समूह खिसककर ढाल से नीचे गिरता है। भू-स्खलन मुख्य रूप से स्थानीय कारणों से उत्पन्न होते हैं। इसलिए भू-स्खलन के बारे में आंकड़े एकत्र करना और इसकी सम्भावना का अनुमान लगाना न सिर्फ मुश्किल अपितु काफ़ी महंगा पड़ता है। प्रमुख क्षेत्र-इसके घटने को प्रभावित करने वाले कारकों, जैसे- भूविज्ञान, भूआकृतिक कारक, ढाल, भूमि उपयोग, वनस्पति आवरण और मानव क्रियाकलापों के आधार पर भारत को विभिन्न भू-स्खलन क्षेत्रों में बांटा गया है। १. अत्यधिक सुभेद्यता क्षेत्र: ज्यादा अस्थिर हिमालय की युवा पर्वत श्रृंखलाएं, अंडमान और निकोबार, पश्चिमी घाट और नीलगिरी में अधिक वर्षा वाले क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, भूकम्प प्रभावी क्षेत्र और अत्यधिक मानव क्रियाकलापों वाले क्षेत्र, जिसमें सड़क और बांध निर्माण इत्यादि आते हैं, अत्यधिक भू-स्खलन सुभेद्यता क्षेत्रों में रखे जाते हैं। २. अधिक सुभेद्यता क्षेत्र: हिमालय क्षेत्र के सारे राज्य और उत्तर-पूर्वी भाग (असम को छोड़कर) इस क्षेत्र में शामिल हैं। ३. मध्यम और कम सुभेद्यता क्षेत्र: पार हिमालय के कम वृष्टि वाले क्षेत्र लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में स्पिती, अरावली पहाड़ियों में कम वर्षा वाला क्षेत्र, पश्चिमी व पूर्वी घाट के व दक्कन पठार के वृष्टि छाया क्षेत्र ऐसे इलाके हैं, जहां कभी-कभी भू-स्खलन होता है। इसके अलावा झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा और केरल में खाद्यानों और भूमि धंसने से भू-स्खलन होता रहता है। ४. अन्य क्षेत्र: भारत के अन्य क्षेत्र विशेषकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग जिले को छोड़कर), असम (कार्बी अनलोंग को छोड़कर) और दक्षिण प्रांतों के तटीय क्षेत्र भू-स्खलन युक्त हैं। निवारण-भू-स्खलन से निपटने के उपाय अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होने चाहिएं। अधिक भू-स्खलन सम्भावी क्षेत्रों में सड़क और बड़े बांध बनाने जैसे निर्माण कार्य तथा विकास कार्य पर प्रतिबन्ध होना चाहिए। इन क्षेत्रों में कृषि नदी घाटी तथा कम ढाल वाले क्षेत्रों तक सीमित होनी चाहिए तथा बड़ी विकास परियोजनाओं पर नियन्त्रण होना चाहिए। सकारात्मक कार्य जैसे-बृहत स्तर पर वनीकरण को बढ़ावा और जल बहाव को कम करने के लिए बांध का निर्माण भू-स्खलन के उपायों के पूरक हैं। स्थानान्तरी कृषि वाले उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए। सुभेद्यता क्या है? सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों में विभाजित करें और इनके निवारण उपाय बताएं। सूखा ऐसी स्थिति है जब लम्बे समय तक कम वर्षा, अधिक वाष्पीकरण के कारण भूतल पर जल की कमी हो जाए। भारत में सूखां ग्रस्त क्षेत्र-भारतीय कृषि काफ़ी हद तक मानसून वर्षा पर निर्भर करती रही है। भारतीय जलवायु तन्त्र में सूखा और बाढ़ महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का १९ प्रतिशत भाग और जनसंख्या का १२ प्रतिशत हिस्सा हर वर्ष सूखे से प्रभावित होता है। राजस्थान में ज्यादातर भाग, विशेषकर अरावली के पश्चिम में स्थित मरुस्थली और गुजरात का कच्छ क्षेत्र अत्यधिक सूखा प्रभावित है। इसमें राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिले भी शामिल हैं, जहां ९० मिलीमीटर से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है। इसमें राजस्थान के पूर्वी भाग, मध्य प्रदेश के ज्यादातर भाग, महाराष्ट्र के पूर्वी भाग, आन्ध्र प्रदेश के अंदरूनी भाग, कर्नाटक का पठार, तमिलनाडु के उत्तरी भाग, झारखण्ड का दक्षिणी भाग और उड़ीसा का आन्तरिक भाग शामिल है। इस वर्ग में राजस्थान के उत्तरी भाग, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले, गुजरात के बचे हुए जिले, कोंकण को छोड़कर महाराष्ट्र, झारखण्ड, तमिलनाडु में कोयम्बटूर पठार तथा कर्नाटक पठार शामिल हैं। किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है? आपदाओं की उत्पत्ति का सम्बन्ध मानव क्रियाकलापों से भी है। कुछ मानवीय गतिविधियां तो सीधे रूप से इन आपदाओं के लिए उत्तरदायी हैं। भोपाल गैस त्रासदी, चेरनोबिल नाभिकीय आपदा, युद्ध, सी०एफ०सी० (क्लोरोफ्लोरो कार्बन) गैसें वायुमण्डल में छोड़ना तथा ग्रीन हाऊस गैसें, ध्वनि, वायु, जल तथा मिट्टी सम्बन्धी पर्यावरण प्रदूषण आदि आपदाएं इसके उदाहरण हैं। कुछ मानवीय गतिविधियां परोक्ष रूप से भी आपदाओं को बढ़ावा देती हैं। वनों को काटने की वजह से भू-स्खलन और बाढ़, भंगुर ज़मीन पर निर्माण कार्य और अवैज्ञानिक भूमि उपयोग कुछ उदाहरण हैं। यह सर्वमान्य है कि पिछले कुछ सालों से मानवकृत आपदाओं की संख्या और परिणाम, दोनों में ही वृद्धि हुई है और कई स्तर पर ऐसी घटनाओं से बचने के भरसक प्रयत्न किए जा रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान की स्थापना, १९९३ में रियो डि जनेरो, ब्राजील में भू- शिखर सम्मेलन (अर्थ सुमित) और मई, १९९४ में यॉकोहामा, जापान में आपदा प्रबन्ध पर विश्व संगोष्ठी आदि, विभिन्न स्तरों पर इस दिशा में उठाए जाने वाले ठोस कदम हैं। प्रत्येक आपदा, अपने नियन्त्रणकारी सामाजिक-पर्यावरणीय घटकों, सामाजिक अनुक्रिया, जो यह उत्पन्न करते हैं तथा जिस ढंग से प्रत्येक सामाजिक वर्ग इससे निपटता है, अद्वितीय होती है। मानव पारिस्थितिक तन्त्र के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करता था। इसलिए इन आपदाओं से नुकसान कम होता था। तकनीकी विकास ने मानव को, पर्यावरण को प्रभावित करने की बहुत क्षमता प्रदान कर दी है। परिणामतः मनुष्य ने आपदा के खतरे वाले क्षेत्रों में गहन क्रियाकलाप शुरू कर दिया है और इस प्रकार आपदाओं की सुभेद्यता को बढ़ा दिया है। अधिकांश नदियों के बाढ़-मैदानों में भू-उपयोग तथा भूमि की कीमतों के कारण तथा तटों पर बड़े नगरों एवं बन्दरगाहों, जैसे मुम्बई तथा चेन्नई आदि के विकास ने इन क्षेत्रों को चक्रवातों, प्रभंजनों तथा सुनामी आदि के लिए सुभेद्य बना दिया है। पिछले ६० वर्षों में १२ गम्भीर प्राकृतिक आपदाओं से विभिन्न देशों में मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हैं। अस्थिर पृथ्वी (उनस्टेबल अर्थ): भू-तल स्थिर नहीं है। आंतरिक तथा बाहरी शक्तियां भू-तल पर परिवर्तन लाती रहती हैं। भारत में प्रतिवर्ष एक बड़ी संख्या में लोग प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो जाते हैं। प्राकृतिक आपदाएं (नेचुरल हज़ार्ड्स): भारतीय प्रमुख आपदाएं भूकम्प, बाढ़े, सूखा तथा भू-स्खलन हैं। भारत की स्थिति (इंडियास पॉसिशन ): भारत विश्व में प्रमुख दस देशों में से एक है जो प्राकृतिक | आपदाओं से प्रभावित होते हैं। यहां प्रति वर्ष छ: करोड़ लोग इन आपदाओं से प्रभावित होते हैं। भूकम्प (अर्थएक्स ): भारत का लगभग ५४% भाग भूकम्प से प्रभावित होता है। कच्छ प्रदेश, हिमालय पर्वत, उत्तरर-पूर्वी भाग तथा अण्डमान द्वीप भूकम्प क्षेत्र में शामिल हैं। गत दो शताब्दियों में भारत में २७ बड़े-बड़े भूकम्प आये हैं। भूकम्प से बचाव के लिए विशेष प्रकार के ढांचों का निर्माण करना चाहिए। कच्छ प्रदेश में, भुज में २६ जनवरी, २००१ को विनाशकारी भूकम्प से ३० हज़ार (३०,०००) व्यक्तियों की जानें गईं। दो करोड़ लोग प्रभावित हुए। ५०% मकानों को हानि पहुंची तथा ५० हज़ार करोड़ की सम्पत्ति नष्ट हुई। बाढ़ तथा सूखा (फ्लोड्स एंड द्रॉट्स ): भारत में मानसून तथा अनिष्टता के कारण सूखा तथा बाढ़े आती हैं जो कृषि को हानि पहुंचाती हैं। दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल (कुल का १६%) सूखाग्रस्त तथा चार करोड़ हेक्टेयर (कुल का १२%) क्षेत्रफल बाढ़ग्रस्त है। भू-स्खलन (लैंदस्लाइडस ): भूमि के किसी जलभृत भाग के अचानक फिसल कर नीचे गिरने की क्रिया को भू-स्खलन कहते हैं। भू-स्खलन भारी वर्षा, भूकम्प के कारण होते हैं। ये प्राय: सड़क मार्गों में अवरोध पैदा करते हैं ।
चुनाव कांग्रेस पार्टी का हैं लेकिन इसकी सबसे ज्यादा हलचल राजस्थान में देखने को मिल रही है। गहलोत हाईकमान के आदेश पर कांग्रेस की सियासी गद्दी पर विराजमान होकर भी राजस्थान को छोड़ना नहीं चाहते हैं। चुनाव कांग्रेस पार्टी का हैं लेकिन इसकी सबसे ज्यादा हलचल राजस्थान में देखने को मिल रही है। गहलोत हाईकमान के आदेश पर कांग्रेस की सियासी गद्दी पर विराजमान होकर भी राजस्थान को छोड़ना नहीं चाहते हैं। गहलोत दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के समय सीएम की कुर्सी को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त कर चुके है। अशोक गहलोत किसी भी कीमत पर सचिन पायलट को राजस्थान सौंपकर नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि पायलट पार्टी व सरकार के खिलाफ पहले ही बगावती तेवर दिखा चुके है। गहलोत अपने करीबी को राजस्थान की सत्ता सौंपना चाहते हैं जो उनके मातहत कार्य करे। यही वजह है कि अशोक गहलोत ने बुधवार सुबह कहा था कि मैं पार्टी के लिए एक, दो या तीन पद भी संभाल सकता हूं और कुछ भी छोड़ सकता हूं। एक, दो या तीन पद संभालने वाली उनकी टिप्पणी को सीएम पद पर बने रहने की इच्छा से भी जोड़ा जा रहा है। अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से बातचीत में स्पीकर सीपी जोशी का नाम सुझाया हैं, ताकि सचिन के सियासी पर काटे जा सके। अन्यथा गहलोत कार्यकारी अध्यक्ष बनकर पार्टी की बागडोर को संभाल सकते हैं, जिसके लिए गांधी परिवार तैयार नहीं, गांधी परिवार विपक्षी दलों से मिलने वाली परिवारवाद वाली चुनौती से छुटकारा पाने के लिए पार्टी की समस्त बागडोर किसी गैर गांधी परिवार को सौंपना चाहता हैं, ताकि गांधी परिवार भाजपा से मिलने वाली चुनौती से पार पा सके। सीपी राजस्थान के कद्दावर नेताओं में से एक सक्रिय चेहरा हैं, वह केंद्र के साथ राज्य में भी अपनी भूमिका को स्पीकर के तौर पर निभा रहे हैं। अगर पार्टी सीपी जोशी का नाम आगे करके पायलट का पत्ता साफ करती हैं तो सीपी जोशी पार्टी की अंतर्कलह को थामने में कामयाब हो सकती है। गहलोत खेमा सीपी जोशी के समर्थन में रहेगा वही पायलट पक्ष भी सीपी जोशी के नाम पर ऐतराज नहीं करेगा। ऐसा करने पर कांग्रेस पार्टी अपनी साख व पायलट को भी मना सकती हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव पर अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया, बोले- "मुझे उम्मीद है कि बीजेपी गुजरात में बुरी तरह हारेगी"
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हैरी पोटर के हैग्रिड के निधन से उनके फैन्स और दोस्तों के बीच उदासी का माहौल है। लोग सोशल मीडिया के जरिए अपने चहेते स्टार को याद कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक उनकी मौत की असली वजह सामने नहीं आई है। एंटरटेनमेंट डेस्क. हॉलीवुड की सबसे पॉपुलर मूवी फ्रेंचाइजी हैरी पोटर'( हरी पॉटर) में हैग्रिड (हैग्रिड) का रोल करने वाले अभिनेता रॉबी कोलट्रेन (रोबी कोल्ट्राने) का निधन हो गया है। वे ७२ साल के थे। कोलट्रेन की एजेंट बेलिंडा राइट ने अपने बयान में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने शुक्रवार को स्कॉटलैंड के एक हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। हालांकि, उन्होंने उनके निधन की वजह नहीं बताई है। रॉबी कोलट्रेन को १९९० की पॉपुलर सीरीज क्रैकर में डिटेक्टिव (क्राइम सोल्विंग साइकोलॉजिस्ट) की भूमिका निभाने के बाद पहचान मिली थी। यह शो तीन साल चला था और इसके लिए कोलट्रेन को ब्रिटिश एकेडमी टेलीविज़न अवॉर्ड मिला था। २००१ से २०११ के बीच उन्होंने हैरी पोटर फ्रेंचाइजी की सभी ८ फिल्मों में हैग्रिड का रोल निभाया था। उनकी अन्य लोकप्रिय भूमिकाओं में जेम्स बॉन्ड फ्रेंचाइजी की थ्रिलर फिल्म गोल्ड आई और द वर्ल्ड इस नोट इनफ में उनके द्वारा निभाया गया रशियन क्राइम बॉस का किरदार शामिल है। बेलिंडा राइट ने अपने बयान में रॉबी कोलट्रेन को अद्भुत एक्टर बताया है। उन्होंने कहा, अद्भुत एक्टर होने के साथ-साथ वे फॉरेंसिकली इंटेलिजेंट और गजब के मजाकिया इंसान थे। मुझे गर्व है कि मैंने ४० साल तक उनके लिए एजेंट के तौर पर काम किया। वे बहुत याद आएंगे। बेलिंडा राइट ने अपने बयान में यह भी बताया कि कोलट्रेन अपने पीछे बहन एनी रे, पूर्व पत्नी रोहना गेमेल और अपने बच्चों स्पेंसर और ऐलिस को छोड़ गए हैं। आग से जलकर सारा सामान हुआ था राख,पीड़ित परिवार को, कांग्रेस प्रदेश सचिव सुशील पासी ने कराया राशन किट मुहैया। नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि प्रभात साहू द्वारा किया गया, नाली का उद्घाटन कस्बा वासियों को मिलेगी राहत। बच्चों को बांटे गए उपहार, बच्चे हमारे देश के हैं भविष्य,समाज सेवी राम वीर प्रजापति। जोएने ऑन महावीर कॉलेज की छात्राओं ने अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर किया चित्रांकन। ऑन महावीर कॉलेज की छात्राओं ने अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर किया चित्रांकन।
देखो देखो आया है नूतन मंगल नव वर्ष नया सब के मन में छाया है देखो इक नव हर्ष नया नई उमंगे नई तरंगे जागृत हुई है जन जन में दिल में छाई नई बहारे हर मन में उत्कर्ष है मधुपों ने गुंजार किया है पुहुपों कि इस बगिया में मन उपवन ने स्वीकार किया रिश्ता कई सहर्ष नया मधुरिम बेला, शीत बहारें, कूजें कोकिल बागों में रजनी बीती एक वर्ष की मन करता चित्रित कर्ष नया मन में कोई रोष द्वेष हो त्यज दो किंचित पल भर में आओ कुल्हड़ वाली चाय पिये बैठे करे विमर्श नया प्लवित हो कुसुमित हो जाएं हैं बुझते रिश्ते जो जग में आगे बढ़ने खातिर उनको मिल जाये इक दर्श नया स्पर्श करें उत्तुंग शिखर _ रहे सफलता हर पल चरणों में सपने अपूर्ण गत वर्ष के जितने मिल जाये उनको अर्श नया।।
नई दिल्ली, एजेन्सी। पासपोर्ट अब आपके घर के पास ही बनेगा। केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हर नागरिक को उसके आवास के ५० किलोमीटर के दायरे में पासपोर्ट सुविधा केंद्र (पासपोर्ट सेवा केंद्र पीएसके) स्थापित करने की घोषणा की है। उन्होंने देश में १४९ नए पासपोर्ट सेवा केंद्र स्थापित करने की घोषणा करने के समय अपनी मंशा बताई। ये केंद्र देश के विभिन्न डाक घरों में खोले जाएंगे। सरकार पहले ही ८६ डाक घरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) स्थापित करने का ऐलान कर चुकी है। स्वराज ने बताया कि मई, २०१४ में एनडीए सरकार के आने बाद अभी तक २५१ पीएसके और पीओपीएसके खोले जा चुके हैं। जबकि ७७ पीएसके पहले से हैं। स्वराज ने बताया कि देश के डाक घरों का और अध्ययन किया जा रहा है। तीसरे चरण में और डाक घरों में पासपोर्ट बनाने की सुविधा दी जाएगी। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पासपोर्ट बनाने की राह में सबसे बड़ी दिक्कत सुविधा केंद्रों का बहुत दूर होना है। इसलिए सरकार की कोशिश है कि हर व्यक्ति को उसके घर के ५० किलोमीटर के दायरे में पासपोर्ट सेवा केंद्र मिल सके। किया गया था जो विदेशों में बसे भारतीय मूल के युवाओं को भारत आने और उन्हें यहां की संस्कृति, माहौल व लोगों से रूबरू करवाता है। पिछले वर्ष से हर वर्ष इस प्रोग्राम के तहत छह टीमों को भारत लाया जा रहा है।
शिक्षा मानव जगत की धरोहर है जिससे समाज के विकास की सही दिशा व दशा निर्धारित की जाती है। शिक्षा मनुष्य में आत्मविश्वास उत्पन्न करने वाला एक प्रमुख कारक है। आत्मविश्वास व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण पहलू है। आत्मविश्वास व्यक्ति के उस व्यवहार से सम्बन्धित है जिससे वह किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति या बाहरी वातावरण के बिना स्वयं को सकारात्मक रूप से निर्देशित कर सके। वर्तमान समय में विद्यार्थियों में आत्मविश्वास की कमी देखने का मिल रही है। आज का विद्यार्थी सफलता तो प्राप्त करना चाहता है पर इस सफलता की प्राप्ति के लिए वह आशंकित रहता है, जिसका कारण उसमें आत्मविश्वास की कमी है। अभिप्रेरणा तथा उचित शैक्षिक, सामाजिक वातावरण द्वारा विद्यार्थियों के आत्म विश्वास में वृद्धि की जा सकती है। विद्यार्थियों का आत्म विश्वास उनके विद्यालय में उच्च शैक्षिक उपलब्धि प्राप्त करने में सहायक होता है, साथ ही आत्मविश्वास द्वारा विद्यार्थियों की असफलता और निम्न शैक्षिक उपलब्धि की समस्या को सुलझाया जा सकता है।
देश के गरीब नागरिको के लिए सरकारी और निजी हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत योजना को शुरू किया है। आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत १५ सितंबर २०२३ को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा की गयी थी। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड जारी किया जाता है। आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड की मदद से लाभार्थी आवश्यकता पड़ने पर ५००००० तक का इलाज मुफ्त में किसी भी सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटल में करवा सकते है। आयुष्मान भारत गोल्ड कार्ड लाभार्थी किडनी लिवर कैंसर जैसी बीमारी टाइप की जैसी १३०० बीमारियों का इलाज चयनित हॉस्पिटलों से करा सकते हैं। आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे के वर्ग में निवास करने वाले नागरिको को जारी किया जाता है। आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड कैसे बनवाएं? आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड को आप सीएससी यानी जन सेवा केंद्र अथवा नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल से मुक्त में बनवा सकते हैं।
गार्मिन अपनी साइकिलिंग उत्पाद श्रृंखला में दो नए उत्पादों के लॉन्च के साथ भारत में अपनी उत्पाद श्रृंखला का विस्तार किया है। कंपनी ने एक जीपीएस साइकिलिंग कंप्यूटर, एज १०४० सोलर और वरिया आरसीटी७१५ रियरव्यू रडार एक्टिवेटेड टेल लाइट बिल्ट-इन कैमरा के साथ लॉन्च किया है। गप्स साइकलिंग कंप्यूटर कंपनी के अपने साथ आता है पावरग्लास तकनीक और बैटरी सेवर मोड में १०० घंटे की बैटरी लाइफ देने का दावा करती है। दूसरी ओर, गर्मिनस वेरिया र्क्ट७१५ राइड के दौरान लगातार शार्प, क्लियर वीडियो कैप्चर करता है। गर्मिन एज १०४० सोलर ७२,९९० रुपये की कीमत के साथ आता है, जबकि वेरिया र्क्ट७१५ रडार कैमरा ४०,४९० रुपये में। दोनों उत्पाद ऑनलाइन उपलब्ध हैं अमेज़न इंडिया वेबसाइट आज (१४ जुलाई) से शुरू हो रही है। गर्मिन एज १०४० सोलर में एक मल्टी-बैंड ग्नस तकनीक है जो कठिन राइडिंग परिस्थितियों में सटीक गप्स प्लेसमेंट की पेशकश करने का वादा करती है। यह वास्तविक समय की निगरानी और ट्रैकिंग भी प्रदान करता है। कंपनी का दावा है कि डिवाइस को सेटअप करना आसान है और यह गार्मिन कनेक्ट ऐप का उपयोग करता है। गार्मिन एज १०४० सोलर फर्स्टबीट एनालिटिक्स से भी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जैसे कि वो२ मैक्स, रिकवरी टाइम, ट्रेनिंग लोड, ट्रेनिंग फोकस और बहुत कुछ यह देखने के लिए कि उनका शरीर उनके प्रशिक्षण प्रयासों पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है। २ डिवाइस पर आधारित दैनिक कसरत सुझाव भी प्रदान करना जारी रखेगा। सवार का वर्तमान प्रशिक्षण भार और वो२ अधिकतम। यह डिवाइस क्लाइंबप्रो नाम की एक सुविधा भी प्रदान करता है जो सवारों को देखने में सक्षम बनाता है स्मार्ट नोटिफिकेशन प्राप्त करने और स्वचालित रूप से गार्मिन कनेक्ट पर सवारी अपलोड करने के अलावा, एज १०४० सोलर भी आसानी से टैक्सिंदूर ट्रेनर के साथ जुड़ जाता है, इसलिए साइकिल चालक जब चाहें सवारी कर सकते हैं। सेंसर से कनेक्ट होने पर, साइकिल चालक अपने सेंसर की बैटरी स्थिति का ट्रैक पोस्ट-राइड रिपोर्टिंग के साथ सीधे एज १०४० सौर पर और सवारी के बीच बैटरी अलर्ट संदेशों के माध्यम से गार्मिन कनेक्ट स्मार्ट डिवाइस ऐप के माध्यम से ट्रैक कर सकते हैं। सवारों की सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया वेरिया र्क्ट७१५ अधिकतम जागरूकता प्रदान करता है और १४० गज दूर तक आने वाले वाहनों की सवारियों को चेतावनी देने के लिए दृश्य और श्रव्य दोनों सूचनाएं जारी करता है। डिवाइस पर टेल लाइट को एक मील दूर तक देखा जा सकता है, जिससे सड़क पर चालक राडार द्वारा वाहन को देखने से पहले साइकिल चालक को देख सकते हैं। डिवाइस गार्मिन एज बाइक कंप्यूटर, गार्मिन स्मार्टवॉच या वेरिया स्मार्ट डिवाइस ऐप के साथ संगत है। जब एक संगत स्मार्टफोन के साथ जोड़ा जाता है, तो डिवाइस चुनिंदा थर्ड-पार्टी ऐप्स के साथ एकीकृत होता है, जैसे कि राइड विद जीपीएस, साइकिल चालकों को रियर व्यू रडार सूचनाएं प्राप्त करने देता है। वेरिया र्क्ट७१५ में रडार और टेल लाइट के साथ ४ घंटे तक की बैटरी लाइफ और सॉलिड हाई या नाइट फ्लैश पर और ६ घंटे तक रडार और टेल लाइट ऑन डे फ्लैश की सुविधा है सभी कैमरा १०८०प पर लगातार रिकॉर्डिंग के साथ।
लखनऊः उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आज उ०म०रेलवे के प्रयागराज-कानपुर रेल सेक्शन के किमी ८७९/१-३ पर सिराथू रेलवे स्टेशन के पहले समसा चौराहे के पास(जनपद-कौशाम्बी) नवनिर्मित रेल उपरिगामी सेतु के नामकरण शिलापट्टिका का अनावरण किया। इस सेतु का नामकरण महाराजा बिजली पासी रेल उपरिगामी सेतु रखा गया है। इसकी लम्बाई 8०१.४२५ मीटर एवं लागत रूपये 4०24.३३ लाख है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास की दृष्टि से चाहे सड़क हो या बिजली या आवास सहित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं से आमजन को लाभान्वित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनपद में स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाने का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस रेल उपरिगामी सेतु के बनने से पूर्व फाटक बन्द होने पर आमजन को घण्टों इंतजार करना पड़ता था एवं जाम की विकट स्थिति हो जाती थी, अब सेतु बन जाने से आमजन को आवागमन में सुगमता हो रही है। उन्होंने कहा कि आमजन से विचार-विमर्श करके इस सेतु का नाम महाराजा बिजली पासी रेल उपरिगामी सेतु रखा गया है, जिससे आने वाली पीढ़ी महापुरूषों से प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि महाराजा बिजली पासी की जयंती आगामी २५ दिसम्बर को है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार रोही, भरवारी में रेल उपरिगामी सेतु बनने से आमजन को आवागमन में सुगमता हो रही है तथा अथसराय, सैयद सरावा एवं शुजातपुर में रेल उपरिगामी सेतु का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है। बिदनपुर में रेल उपरिगामी सेतु बनाये जाने की घोषणा कर दी गयी है, शीघ्र ही निर्माण कार्य प्रारम्भ हो जायेगा। उन्होंने कहा कि सिराथू में सन्त मलूकदास के नाम से रेल उपरिगामी सेतु का लोकार्पण गत दिनों किया गया है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के गठन के पश्चात जनपद कौशाम्बी में कुल ०५ सेतुओं का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है (०१ नदी सेतु व ०४ आर०ओ०बी०), जिसकी लागत १६५.९७ करोड़ रूपये तथा कुल ०५ सेतुओं का निर्माण कार्य चल रहा है (०2 नदी सेतु एवं ०3 आर०ओ०बी०), जिसकी लागत रूपये २७७.६५ करोड़ है। उन्होंने कहा कि तहसील मंझनपुर के ग्राम बढ़हरी में भरत नदी पर सेतु का निर्माण कार्य प्रस्तावित है। इसी प्रकार उ०म०रे० के प्रयागराज-कानपुर रेल सेक्शन के सम्पार संख्या-१९बी सिराथू रेलवे यार्ड पर अण्डर पास का निर्माण कार्य, उ०म०रे० के अन्तर्गत जनपद प्रयागराज-कानपुर रेल खण्ड के कल्यानपुर बाजार वाया निधियावा से मदवा तक मार्ग पर रेलवे लाइन पार करने हेतु अण्डर पास का निर्माण कार्य, उ०म०रे० के अन्तर्गत प्रयागराज-कानपुर रेल खण्ड के कल्याणपुर से बिदनपुर तक मार्ग पर रेलवे लाइन पार करने हेतु अण्डर पास का निर्माण कार्य एवं उ०म०रे० के अनतर्गत प्रयागराज-कानपुर रेल खण्ड के मूरतगंज करावा-मरधरा मार्ग पर रेलवे लाइन पार करने हेतु अण्डर पास का निर्माण कार्य प्रस्तावित है। इन प्रस्तावित निर्माण कार्याे का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारम्भ हो जायेगा। उन्होंने कहा कि इन सभी परियोजनाओं के पूर्ण हो जाने से मॉ शीतला देवी के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी सुगमता होगी तथा श्रद्धालुओं की संख्या और अधिक बढे़गी।
थोडी देर में सबेरा हो गया। वह बूढ़ा और धीरसेन दोनों नीचे उतर कर एक जगह बैठ गए और आराम करने लगे। धीरसेन ने कुछ खाया पिया न था। उसे बड़े जोर की भूख लग रही थी। उसने चारों ओर नजर दौड़ाई। लेकिन कहीं कुछ खाने लायक चीज़ न दिखाई दी। तब उसने बूढ़े से पूछा कि भूख मिटाने का कोई उपाय बताओ। यह सुनते ही बूढा टठा कर हंसने लगा। तब धीरसेन को बहुत गुम्सा आया। 'भूख से मेरा दम निकला जा रहा है और तुम्हें हँसी सूझती है ! शायद तुम्हें भूख नहीं लगती होगी! पंख वाले जूतों की ही तरह तुमने भूख मिटाने का भी कोई उपाय ढूंढ लिया होगा!' उसने कहा। 'अरे भई! मैं इसलिए नहीं हँसता हूँ। हमने इतनी मेहनत करके जो तीन चीजें कमाई हैं क्या उनका कोई उपयोग नहीं है! तुम्हें बिना समझे बूझे भूख से चिल्लाते देख कर मुझे हँसी आ गई। देखो, यह थैली जब तक हमारे पास रहेगी तब तक हमें दुनियाँ में किसी चीज़ की कमी न होगी! लो!' यह कह कर बूढ़े ने वह थैली नीचे उलटी। तुरंत उसमें से तरह तरह की खाने की चीजें निकल पड़ीं। धीरसेन ने खूब खाया। तब बूढ़े ने देव-कन्या की दी हुई तलवार उसके हाथ में दे दी और पुरानी तलवार फेंकवा दी। 'लो, इसे पहन लो! देखो, क्या तमाशा होता है ?' यह कह कर उसने मुकुट उसे पहना दिया। तुरन्त धीरसेन आँखों से ओझल हो गया। बूढ़े को सिर्फ़ हवा में लटका हुआ मुकुट दिखाई देने लगा। 'यहीं तुम्हारी बगल में तो हूँ। धीरसेन ने जवाब दिया। 'क्या मैं तुम्हें दिखाई देता हूँ!' बूढ़े ने धीरसेन से पूछा। 'क्यों न दिखाई दोगे? क्या मैं तुम्हें दिखाई नहीं देता?' धीरसेन ने अचरज के साथ पूछा। इस तरह मन बहलाने की बातें करते हुए दोनों फिर वहाँ से आगे बढ़ चले।
कई जगहों पर आजकल भी लैस लेने की प्रथा शुरू हुई है। ऐसे में जयपुर से एक किस्सा सामने आया है। जयपुर के डुंडू इलाके के एक कुएं में एक ही परिवार के सदस्यों के शव मिले हैं. पुलिस पूरी घटना को आत्महत्या मान रही है। पुलिस के मुताबिक मरने वालों में तीन बहनें भी शामिल हैं। एक ही परिवार में उनकी बहुत कम उम्र में शादी हो गई थी और उनके दो बच्चे थे, जिनमें से दो गर्भवती थीं। तीनों बहनें २५ मई को बच्चों को लेकर बाजार जाने का बहाना लेकर निकलीं। लेकिन जब वह लौटी तो उसके परिवार ने अलग-अलग जगहों पर खो गए हैं ऐसे पोस्टर भी लगवाए और गुमशुदा की शिकायत भी पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई। जो लोग गुम हो गए हैं उसमें तीनों बहनों के चचेरे भाई ने आरोप लगाया कि मेरी एक बहन को उसके ससुराल वालों ने बुरी तरह पीटा. हमारी बहनों की हत्या कर दी गई है। पुलिस को शव ढूढ़ने में काफी समय लगा। इधर, पुलिस ने ससुर के कार्ड से कुछ लोगों को हिरासत में लिया है. मृतकों की पहचान काली देवी (२७), ममता (२३) और कमलेश (२०) के रूप में हुई है। मरने वालों में हर्षित (४) और २० दिन का एक बच्चा भी शामिल है। ममता और कमलेश गर्भवती थीं। वह रिपोर्ट पोस्टमार्टम के दौरान बाहर आया था। जयपुर ग्रामीण एसपी मनीष अग्रवाल ने कहा कि तीनों में से एक महिला ने वाट्सएप पर एक स्टेटस भी पोस्ट किया था जिसमें कहा गया था कि ताई अपने ससुराल वालों से बहुत परेशान है, इसलिए उसे मरना ज्यादा उचित लगा. मृतक महिला के पिता ने ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना का आरोप भी लगाया है। और शिकायत के पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई है। तीनों बहनें पढ़-लिखकर अपना सांसारिक जीवन अच्छा करना चाहती थीं, जबकि तीनों के अनपढ़ पति शराब के नशे में उनकी पिटाई कर रहे थे। वह शराबी और संशयवादी था। कमलेश को जयपुर के महारानी कॉलेज में पढ़ने के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, जबकि उसका आरोपी पति कक्षा पांच-छह तक ही पढ़ रहा था, जबकि ममता पुलिस कांस्टेबल थी। उसने थोड़ी पढ़ाई की थी इसलिए वह पुलिस कॉन्स्टेबल बनी थी। पीपल्स यूनियन फॉर सिविल के कर्मचारी ने कहा कि वह लोग जिसकी मौत हो गई है उनमें से दो लड़कियां गर्भवती भी थी। अपने बच्चे को साथ में लेकर कुएं में कूदी थी। ऐसी दर्दनाक घटना है हमने आज तक का फोटो नहीं देखी। और इस बयान पर पुलिस ने कहा कि और इस आरोपी को जल्द से जल्द ढूंढ कर सजा दिलवाएंगे।
लखनऊ। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में अब शत प्रतिशत पेपरलेस वर्किंग शुरू हो गई है। यह डिजिटल इंडिया की दिशा में एक अहम कदम है। पूर्वोत्तर रेलवे की लखनऊ मंडल की डीआरएम डॉ. मोनिका अग्निहोत्री ने मंगलवार को बताया कि लखनऊ मंडल में पूरी तरह से पेपरलेस वर्किंग शुरू हो गई है। यह डिजिटल इंडिया की दिशा में पूर्वोत्तर रेलवे का एक अहम कदम है। इससे अब मंडल के सभी रेलकर्मियों के साथ उपयोगकर्ता भी लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि सभी फाइलों का डिजिटलीकरण कराकर पेपरयुक्त फाइलों का काम बन्द कर दिया गया है। छोटे स्टेशनों पर कार्यरत कर्मचारियों की सुविधा के लिए वहां पर ई-कियोस्क लगा दिए गए हैं। स्टेशन मास्टर और सुपरवाइजर वहां से फीडिंग करके पेपर अपलोड करने लगे हैं। इससे रेलकर्मचारियों का काम कम समय में हो रहा है। इससे पहले इंजीनियरिंग विभाग के अफसरों को बड़ी-बड़ी ड्राइंग बनवाने और सुरक्षित रखने में दिक्कतें होती थीं। लेकिन, अब ई ड्राइविंग अप्रूवल सिस्टम शुरू होने से उन्हें राहत मिली है। डीआरएम ने बताया कि लखनऊ मंडल में ई ऑफिस प्रणाली से पारदर्शिता, समयबद्धता, जवाबदेही, डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता बरकरार रहने के साथ ही कर्मचारियों के काम में लगने वाले समय की भी बचत होने लगी है। उन्होंने बताया कि सभी कर्मचारियों के बिल, मास्टरशीट, निरीक्षण नोट, छुट्टी के आवेदन, पदोन्नति और सेवानिवृत सम्बन्धी कार्य भी पेपरलैस हो चुके हैं। इसके अलावा अस्पताल सिस्टम और रेलवे वर्क मैनेजमेंट सिस्टम में पहले से ही पेपरलेस कार्य किया जा रहा है।
कर्नाटक न्यूज डेस्क् !!! कर्नाटक के मेंगलुरु में ऑटो में हुए विस्फोट मामले की जांच एनआईए को सौंपी जा सकती है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जल्द इसपर फैसला लिया जा सकता है। बता दें कि शनिवार को मेंगलुरु में एक ऑटो में विस्फोट हुआ था, जिसमें संदिग्ध आतंकी और एक ऑटो रिक्शा चालक घायल हो गए थे। जानकारी के मुताबिक ब्लास्ट में घायल हुआ और गिरफ्तार संदिग्ध आतंकी मोहम्मद शारिक कट्टरवाद की विचारधारा से बहुत ज्यादा प्रभावित है। वह किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर धमाके को अंजाम देने वाला था, इसके पहले ही ऑटो में प्रेशर कुकर बम फट गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि शारिक इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के हेंडलर्स के संपर्क में था और इससे पहले भी शिवमोग्गा में बम ब्लास्ट का ट्रायल कर चुका है। वहीं इस सबके बीच एनआईए और आईबी की टीमें इस वक्त कर्नाटक पुलिस के साथ मामले की जांच में मदद कर रही हैं। सूत्रों ने बताया कि एनआईए को जल्द ही मामले की जांच सौंपी जाएगी और नया मामला दर्ज कर एनआईए जांच को आगे बढ़ाएगी। इसी तरह का धमाका पिछले माह तमिलनाडु के कोयंबटूर में कार में हुआ था। उसमें संदिग्ध आतंकी की मौत हो गई थी। गौरतलब है कि १९ नवंबर को मेंगलुरु शहर के बाहर एक ऑटो में धमाका हुआ था। इस धमाके में आतंकी मोहम्मद शारिक और ऑटो रिक्शा चालक घायल हो गए थे। कर्नाटक पुलिस के मुताबिक आरोपी शारिक के खिलाफ ३ मामले भी दर्ज हैं। देश और दुनिया की हर खबर समचरनामा डॉट कॉम पर राजनीती , खेल , मनोरंजन , बिज़नेस , देश , राज्य , विश्व , हेल्थ , टेक्नोलॉजी , विज्ञान ,अधात्यम , ज्योतिष , ट्रेवल आपकी दुनिया के हर पहलू की खबर सबसे पहले आप तक।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना केंद्र सरकार द्वारा किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में लायी जाने वाली विभिन्न योजनाओं में से एक है। इस योजना की घोषणा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा नवम्बर २०१४ को की गयी थी। योजना के माध्यम से देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। जिस से सभी गाँव में बिजली पहुंचेगी। दीन दयाल उपध्याय ग्राम ज्योति योजन के माध्यम से सभी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गयी है। आज इस लेख के माध्यम से हम आप को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के बारे में विस्तार से बताएंगे। योजना से होने वाले अनेक लाभ व इसकी विशेषताओं के बारे में भी पूरी जानकारी आप इस लेख के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। कृपया सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें। डीडीयूजीजेवाई योजना के तहत सरकार द्वारा सभी ग्रामीण क्षेत्रों को विद्युतीकरण के माध्यम से विकास की तरफ बढ़ाया जाएगा। गाँव गाँव में बिजली कनेक्शन पहुचायें जाएंगे। सरकार ने दीन दयाल उपध्याय ग्राम ज्योति योजना की घोषणा के समय १००० दिनों के भीतर , यानी की १ मई 20१8 तक १8452 गाँव में विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा था। इस योजना को केंद्र सरकार के विद्युत् मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। विद्युत मंत्रालय के मार्गदर्शन में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) नोडल एजेंसी है। जो योजना के कार्यान्वयन और संचालन की जिम्मेदारी सभालने का कार्य करेगी। केंद्र सरकार द्वारा इस दीन दयाल उपध्याय ग्राम ज्योति योजन के क्रियान्वयन हेतु विभिन्न राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशों को ९० % प्रतिशत तक का फण्ड उपलब्ध कराया जाएगा। आप को बताते चलें की ८५ -९० % फण्ड उन राज्यों / केंद्र शाषित प्रदेशों को दिया जाएगा जिन्हे स्पेशल केटेगरी का दर्जा प्राप्त है। और बाकी राज्यों को ६० ७५ प्रतिशत तक का फण्ड उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के लिए कुल ४३०३३ करोड़ रूपए का बजट रखा गया है। इस में सभी ग्रामीण इलाकों में बिजली के पोल , बिजली मीटर , ट्रांसफार्मर , फीडर इत्यादि आवश्यक उपकरणों को लगाया जाएगा। सभी डिस्कॉम दीन दयाल उपध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पात्र माने जाएंगे। इसमें दोनों ही प्राइवेट और राज्य के इलेक्ट्रॉनिक डिपार्टमेंट डिस्कॉम वित्तीय सहायता के पात्र होंगे। इस योजना के अंतरगत ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी / रिक ) क्रियान्वयन हेतु नोडल एजेंसी है। ग्राम विद्युत अभियंता (ग्वा) द्वारा इस योजना में तेजी लाने के लिए निगरानी रखने हेतु इस समिति को बनाया गया है। योजना में प्रमुख पहल के रूप में फीडर लाइन को अलग किया गया है और विवेकपूर्ण ढंग से दोनों में वियुत आपूर्ति सुनिश्चित की है। विद्युत् की कुल आपूर्ति पहले सम्मिलित रूप से कृषि एवं गैर कृषि क्षेत्रों में दी जाती थी जिसके चलते दोनों ही क्षेत्रों में आपूर्ति कम पड़ जाती थी। लेकिन अब फीडर अलग होने से ये समस्या भी नहीं आएगी। दीन दयाल उपध्याय ग्राम ज्योति योजना का उद्देश्य देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर विद्युत् आपूर्ति को सुनिश्चित करना है। देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचने से सभी क्षेत्रों का विकास होगा। योजना के माध्यम से ग्रामीण इलाकों के विभिन्न क्षेत्र जैसे की स्कूल, अस्पताल, डिस्पेंसरी, कम्युनिटी सेंटर्स, पंचायत भवन, खेत इत्यादि आवश्यक और महत्वपूर्ण जगहों में बहुत सहूलियत हो जाएगी। इस से गाँव / ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा। गाँव में खेती करने वाले किसानों को बिजली से चलने वाले उपकरणों की सहायता से अपनी फसल की उपज बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही उनकी आय में भी वृद्धि होगी। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के माध्यम से सरकार ने समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक को विकास की धारा से जोड़ने का संकल्प किया है। और इसलिए विकास के लिए आवश्यक है कि गांव गाँव में बिजली पहुंचे। द्दुग्जी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में बिजली आएगी जिस से सभी का विकास होगा। स्वास्थय , शिक्षा और बैंकिंग (एटीएम )के सेवाओं में सुधार होगा। जिस से सभी नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्राप्त होंगी। बिजली आने से ग्रामीण क्षेत्रों में खेती करने वाले किसानों को भी लाभ होगा। किसान बिजली से चलने वाले उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे। जिस से कम समय में वो ज्यादा कार्य कर सकेंगे। कृषि के क्षेत्र में उपज ज्यादा होगी और इस से किसानों की आय भी बढ़ेगी। जिस से उन्हें अपनी आय के लिए किसी और रोजगार को नहीं ढूंढ़ना होगा। और अपनी कृषि जारी रख सकेंगे। अब ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आने से विभिन्न रोजगार के अवसर भी खुलेंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाने की आवश्यकता कम पडेगी। द्दुग्जी योजना से होने वाले विद्युतीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में भी टेलीविज़न , रेडियो , टेलीफोन , इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन की सुविधा भी प्राप्त हो जाएगी। जिनसे वो देश विदेश में हो रही सब घटनाओं की जानकारी भी रख सकेंगे। यही नहीं बल्कि स्कूलों , पंचायतों , पुलिस स्टेशन और अस्पतालों में बिजली आने से सेवाओं का स्तर सुधरेगा और पहले से बेहतर होगा। इस योजना के तहत सरकार द्वारा एक पोर्टल की शुरुआत की गयी है। इस पोर्टल के माध्यम से सभी नागरिक इस योजना से सम्बन्धित प्रगति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। दीन दयाल उपध्याय ग्राम ज्योति योजना (द्दुग्जी) के अंतरगत गर्व पोर्टल को लांच किया गया है। इस पोर्टल की मदद से सभी नागरिक योजना के तहत हो रहे कार्यों व विकास से संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पोर्टल पर योजना के तहत चल रहे कार्यों की नियमित अपडेट उपलब्ध कराये जाने से नीति निर्माण , सार्वजनिक जवाबदेहिता और पारदर्शिता का एक महत्त्वपूर्ण आयाम सुनिश्चित किया गया है। सभी नागरिक आसानी से इस योजना में हो रहे कार्यों को पोर्टल की मदद से देख सकते हैं। इसके लिए उन्हें स्मार्ट मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट की ही जरूरत पड़ेगी। वो आसानी से उन गाँव की भी विस्तृत जानकारी देख सकते हैं जहां योजना के तहत बिजली पहुंच चुकी है। इसमें विद्युतीकरण की तारिख , लगाए गए पोलों की फोटो , स्थानीय लाइन मैन इत्यादि अन्य आवश्यक जानकारी आप को इस पोर्टल के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी। आप को बता दें की आप भी इस योजना के तहत लाभ लेना चाहते हैं तो आप को कहीं भी योजना के तहत आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। जैसा की आप जानते हैं की केंद्र सरकार द्वारा सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने की कवायद जारी है। जिसके लिए सरकार ने ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया है। इसी नोडल एजेंसी द्वारा सभी ग्रामों की सूची तैयार की जाएगी और जल्द से जल्द उन ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण का कार्य शुरू किया जाएगा। इस प्रकार से आप इस योजना के तहत घर बैठे ही लाभ प्राप्त कर सकेंगे। द्दुग्जी / दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना क्या है ? ये योजना केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण करने हेतु चलाई गयी है। योजना के तहत उन सभी गाँव और कस्बों में विद्युत् आपूर्ति की जाएगी जहाँ बिजली नहीं पहुंची है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना कब शुरू हुई? इस योजना की शुरुआत वर्ष २०१४ , नवंबर में हुई थी। इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा की गयी है। द्दुग्जी से संबंधित आधिकारिक वेबसाइट कौन सी है ? दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से जुडी आधिकारिक वेबसाइट है। इस योजना में आप को आवेदन करने के लिए कही जाने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए द्वारा बनायी गयी नोडल एजेंसी द्वारा सभी पात्र गाँव की सूची बनाया जाएगी। उसके बाद उन सभी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण किया जाएगा। इस लेख के माध्यम से हमने आप को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के बारे में सभी आवश्यक जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करते हैं की आप को इस लेख में दी गयी जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि आप को इस संबंध में कुछ और जानकारी चाहिए हो या फिर आप कुछ पूछना चाहें तो हमसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।
कुछ तत्सम शब्दों की वर्तनी के बारे में बहुधा भ्रम होता है कि इन के अन्त में ट है या ठ? इसकी सबसे सरल पहचान यह है कि यदि विशेषण उत्तमावस्था (सुपरलेटिव डिग्री) में है तो -ष्ठ होगा जैसे कि स्वादिष्ठ, श्रेष्ठ, बलिष्ठ, गरिष्ठ, कनिष्ठ इत्यादि अन्यथा -ष्ट होगा जैसे कि इष्ट, शिष्ट, अनिष्ट, अदिष्ट, अदृष्ट, क्लिष्ट, परिशिष्ट, निकृष्ट, स्वादिष्ट इत्यादि। स्वादिष्ठ सही वर्तनी है, किन्तु अधिक प्रचलन को देखते हुए स्वादिष्ट को तद्भव स्वीकारा जा सकता है। संस्कृत में तुलना और उत्तमावस्था के लिए -तर, -तम, -ईयान् तथा -इष्ठ हैं जो कुछ तत्सम शब्दों के साथ ही बचे हैं। हिन्दी में कहना ही हो तो तुलना के लिए स्वादुतर, श्रेयस्कर, बलवत्तर इनका प्रयोग करना होगा क्योंकि -ईयस् -ईष्ठ प्रत्यय हिन्दी में प्रयुक्त नहीं होते हैं। बस -तर और -तम ही बचे हैं। विशेषणों की तुलनावस्था (कंपरतीव डिग्री) या उत्तमावस्था के लिए हिन्दी की अपनी व्यवस्था है: विशेषण के पहले की अपेक्षा, से, तुलना में या सबसे जोड़कर। इसका एक उदाहरण सुन्दर शब्द के लिए नीचे दिया गया है।
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दूरदर्शिता और प्रयास रंग लाया। भारतीय फुटबॉल संघ ने अंतिम रूप से चयनित भारतीय टीम की घोषणा कर दी। टीम में झारखंड की अस्टम उरांव, नीतू लिंडा, अंजली मुंडा, अनिता कुमारी, पूर्णिमा कुमारी एवं सुधा अंकिता तिर्की को शामिल किया गया है। अस्टम उरांव और सुधा अंकिता तिर्की गुमला से हैं। नीतू लिंडा, अनिता कुमारी एवं अंजली मुंडा रांची से हैं। पूर्णिमा कुमारी सिमडेगा से हैं। पहली बार फीफा १७ विश्व कप फुटबॉल टीम का बतौर कैप्टन नेतृत्व झारखंड की खिलाड़ी अस्टम उरांव करेंगी। वर्ष २०२० में लॉकडॉन के दौरान जब पूरा देश बंद था। उस दौरान २०२१ में होने वाले फीफा अंडर-१७ के लिए भारतीय टीम में चयनित झारखंड की खिलाड़ियों को गोवा से वापस झारखंड लौटना पड़ा था। अधिकतर खिलाडियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण तैयारी और खानपान में असर पड़ रहा था। मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने सबसे पहले फीफा प्रतियोगिता के लिए चयनित राज्य की खिलाडियों की ट्रेनिंग की व्यवस्था का निर्देश खेल विभाग को दिया। इसके बाद सभी खिलाड़ियों को रांची लाकर मेडिकल सुविधा दिला कर राजकीय अतिथि शाला में रखा गया। राष्ट्रीय टीम के मेन्यू के अनुरूप उनके लिए खाने की व्यवस्था और कैंप हेतु मोराबादी फुटबॉल स्टेडियम में ग्राउंड एवं दो कोच की व्यवस्था की गई। इसके बाद फीफा वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के विश्वस्तरीय प्रशिक्षण की सुविधा जमशेदपुर में मुख्यमंत्री के निर्देश पर सुनिश्चित की गई। जहां १० माह तक भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया था। टीम के लिए रहने की व्यवस्था, ग्राउन्ड, स्विमिंग पूल, जिम सहित यात्रा के लिए बस की सुविधा पूरे १० माह के लिए सुनिश्चित की गई थी। भारतीय टीम में शामिल झारखंड की उन्हीं बेटियों ने आज राज्य का मान बढ़ाया। ये बेटियां झारखंड का गौरव हैं। इन बेटियों ने संक्रमण के दौर में जबरदस्त साहस और धैर्य दिखाया। अब ये देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। चयनित इन बेटियों को सहयोग प्रदान करने के लिए खेल विभाग की ओर से फुटबॉल किट एवं यूनिसेफ की ओर टी-शर्ट्स प्रदान किया गया था। यूनिसेफ ने चैंपियन आफ चेंज फॉर चाइल्ड राइट्स के रूप में चयनित खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ा था। यूनिसेफ इन्हें बाल अधिकारों, किशोर-किशोरियों के मुद्दों, समुचित पोषण की आवश्यकता, माहवारी, स्वच्छता, मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक परामर्श आदि मुद्दों पर सरकार को दिए जाने वाले तकनीकी सहयोग के रूप में प्रशिक्षित किया था। इसकी बागडोर ठेठ पत्रकारों का समूह संभाल रहा है। इनके पास वर्षों का अनुभव है। खबरों को परखने का मादा। सच और झूठ में फर्क करने की समझ भी है। दैनिक भारत २४ आप तक सिर्फ समाचार ही नहीं पहुंचाएगा, बल्कि आपके हितों का ख्याल भी रखेगा। आपको फर्जी खबरों से सचेत करेगा। आपकी प्रतिभा को भी परखने का काम भी करेगा। हमारा उद्देश्य पत्रकारिता की मर्यादा का ख्याल रखते हुए खबरें आप तक पहुंचाना है।
पेशे से शिक्षक और पर्यावरण प्रेमी बाबूराज ने २००७ में प्रकृति के करीब रहने के लिए एक इको-फ्रेंडली घर बनाने की योजना बनाई। उन्होंने तालाब के ऊपर एक तीन मंजिला बैम्बू विला बनाया, यह एक होमस्टे भी है, जिसे बनाने के लिए उन्होंने ९० प्रतिशत बैम्बू खुद ही उगाए हैं। आज से तक़रीबन १३ साल पहले केरल के वायनाड जिले के बाबूराज ने अपने लिए बैम्बू का घर (बैंबू हाउस) बनाने का सपना देखा था। दरअसल पर्यावरण अनुकूल जीवन जीने के लिए वह एक इको-फ्रेंडली घर में रहना चाहते थे। लेकिन उस दौरान उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक समय ऐसा आएगा जब उनके घर की हर जगह चर्चा होगी क्योंकि बैम्बू से बना उनका घर तालाब के ऊपर होगा। पेशे से शिक्षक और पर्यावरण प्रेमी बाबूराज को प्रकृति के प्रति अपने लगाव के कारण ही एहसास हुआ कि कंक्रीट के घर बिल्कुल सस्टेनेबल नहीं होते। उन्होंने एक सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को अपनाने के फैसला किया। वह बेंगलुरु उरावुं नामक संस्था से भी जुड़े हुए थे। यह संस्था पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली बढ़ावा देने के साथ-साथ, बांस से बने घरों और प्रोडक्ट्स पर भी काम करती है। साल २००७ में, अपने एक डिजाइनर दोस्त अनीश की मदद से, बाबूराज ने बैम्बू से घर (बैंबू हाउस) बनाना शुरू किया। तक़रीबन तीन साल बाद उन्होंने वायनाड के थ्रिकाइपट्टा (थ्रिकैपत्ता) गांव में ३००० वर्ग फुट का एक घर बना कर तैयार किया। केरल के इस गांव को राज्य सरकार ने बैम्बू हेरिटेज विलेज का नाम भी दिया है। बाबूराज ने बैम्बू रिइंफोर्स्मेंट तकनीक का उपयोग करके इस घर को बनाया है। खास बात यह है कि घर बनाने के लिए तक़रीबन ९० प्रतिशत बैम्बू उन्होंने खुद ही उगाएं हैं। बाबूराज ने जब घर बनाने के लिए जमीन खरीदा था, तब उन्हें पता चला कि यह खेती के लिए उपजाऊ जमीन है। इसलिए उन्होंने वहां पहले तालाब बनाने का सोचा, जिसके बाद घर का निर्माण तालाब के ऊपर किया गया। हालांकि, शुरुआत में कई लोगों को लगा कि तालाब के ऊपर पिरामिड शेप का यह घर ज्यादा टिकेगा नहीं लेकिन आज इस घर की खूबसूरती को देखने के लिए लोग आते हैं। बाबूराज को मछली पालन का भी शौक है, इसलिए उन्होंने तालाब में किस्म-किस्म की मछलियां भी रखी हैं। सिर्फ २९ लाख में बना बाबूराज का यह बैम्बू विला (बैंबू हाउस) गांव का सबसे सुन्दर होम स्टे है। बैम्बू विला के बारे में ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें।
एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठतम माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यदि एकादशी का व्रत निर्जला किया जाए तो उत्तम माना गया है। भगवान श्री हरि विष्णु के भक्तों के लिए एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि विजया एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है, पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिलता है। पद्म पुराण के अनुसार, ये अत्यंत पुण्यदायी एकादशी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस योग में व्रत करने से पूजा का फल तीन गुना मिलता है। लंका विजय के लिए भगवान श्रीराम ने इसी दिन समुद्र किनारे पूजा की थी। पौराणिक कथा व रामायण के अनुसार, जब रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया तो भगवान श्रीराम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हो गए। फिर उनकी हनुमान जी की सहायता से सुग्रीव से मुलाकात हुई। और श्रीराम-लक्ष्मण वानर सेना की मदद से रावण की लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र के तट पर आए। परन्तु लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए? क्योंकि उनके सामने विशाल समुद्र था, जिसको पार करना बहुत कठिन प्रतीत हो रहा था। उनको कोई उपाय नही सूझ नहीं रहा था। अंत में उन्होंने समुद्र से ही लंका पर चढ़ाई करने के लिए मार्ग मांगा, लेकिन समुद्र ने उनके निवेदन को अनसुना कर दिया। वहां से कुछ दूरी पर कुमारी द्वीप में वकदाल्भ्य मुनि का आश्रम था, श्रीराम ने वकदाल्भ्य मुनि से इसका उपाय पूछा। तब मुनि वकदाल्भ्य ने श्रीराम को अपनी वानर सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया। वकदाल्भ्य ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए विजया एकादशी व्रत करने का विधान है। मुनि की बातें सुनकर भगवान राम ने फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वानर सेना के साथ विजया एकादशी व्रत किया और विधि विधान से पूजा की। कहा जाता है कि विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से ही उनको समुद्र से लंका जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। विजया एकादशी व्रत के पुण्य से ही श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तब से विजया एकादशी व्रत का महत्व और बढ़ गया। जनमानस में विजया एकादशी व्रत प्रसिद्ध हो गया और लोग अपने किसी भी कार्य की सफलता के लिए विजया एकादशी का व्रत करने लगे। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (एकादशी व्रत) का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक महीने में दो एकादशी का व्रत आता है जो एक शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा कृष्ण पक्ष को पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (एकादशी २०२२) को विजया एकादशी (विजया एकादशी २०२२) मनाई जाएगी। यह तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु (लॉर्ड विष्णु) का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है। इस साल विजया एकादशी व्रत २७ फरवरी दिन रविवार को पड़ रहा है। विजया एकादशी व्रत के बारे में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में अति सुन्दर वर्णन मिलता है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ २६ फरवरी दिन शनिवार को सुबह १० बजकर ३९ मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन २७ फरवरी दिन रविवार को प्रातः ०८ बजकर १२ मिनट तक है, उदयातिथि के आधार पर २७ फरवरी को विजय एकादशी का व्रत रखना चाहिए। जो लोग विजया एकादशी का व्रत करेंगे, उनको व्रत का पारण २८ फरवरी को प्रातः ०६ बजकर ४८ मिनट से सुबह ०९ बजकर ०६ मिनट के मध्य कर लेना चाहिए। हालांकि द्वादशी तिथि का समापन सूर्योदय से पूर्व हो जा रहा है। पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं! आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है! रामायण की चौपाइयों से जीवन की समस्यायों का निवारण! वास्तु के अनुसार हैंडपम्प-सबमर्सिबल? प्रातः स्मरणीय व कल्याणकारी छः मन्त्र! नव ग्रहों के नौ सरल-साधारण मन्त्र! नित्य जपनीय मन्त्र! वास्तु के अनुसार घर की चारदीवारी कैसी हो! वास्तु के अनुसार टाॅयलेट? घाघ व भड्डरी की मिश्रित-कहावतें!!
हिमाचल में सभी प्रकार के आयोजनों के लिए भीड़ की अधिकतम संख्या १०० निर्धारित कर दी गई है। इसके तहत शादी समारोह या अन्य सभी आयोजनों में इंडोर गैदरिंग कुल क्षमता की ५० फीसदी तक होगी। एक जगह पर १०० से ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि खुले स्थान में सामाजिक दूरी और फेस केवर के नियमों के तहत पहले की तरह असंख्य लोग जुट सकते हैं। इसके लिए दो गज की दूरी बेहद जरूरी रहेगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को प्रदेश के सभी उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की थी। जिलों से मिले फीडबैक के बाद मुख्यमंत्री ने सोमवार को अपने उच्चाधिकारियों से मंत्रणा करने के बाद कई बड़े फैसले लिए हैं। इसी कड़ी में प्रदेशभर के अध्यापकों के कोविड टेस्ट मेंडेटरी करने पर भी विचार किया जा रहा है। उपायुक्तों को इस ओर विशेष ध्यान देने को कहा है। स्कूल खुलने पर ही यह व्यवस्था अनिवार्य की जाएगी। सरकार ने संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों की पहचान पर फिर जोर देने का फैसला लिया है। पहले की तरह दोबारा कांटेक्ट ट्रेसिंग के उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विवाह व अन्य सामाजिक आयोजनों के दौरान लोगों की अधिकतम संख्या १०० निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि विवाह और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में कार्यरत कैटरिंग स्टाफ के लिए कोविड परीक्षण अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि यह सब कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के उद्देश्य से किया गया है। हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की अगली बैठक २३ नवंबर को होगी। इसमें राज्य के स्कूलों को खोलने या बंद रखने पर बड़ा फैसला संभव है। स्कूलों में फिलहाल २५ नवंबर तक विशेष छुट्टियां घोषित की गई हैं। इस कारण अगली रणनीति तय करने के लिए कैबिनेट की बैठक का आयोजन होगा।
कानपुर। कानपुर में ५० वर्षीय एक मुस्लिम व्यक्ति को फर्जी पहचान बताकर सोशल मीडिया के जरिए एक हिंदू युवती को बहला-फुसलाकर संबंध बनाने के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आरोपी शहंशाह आलम कथारा इलाके का रहने वाला है। इस मामले में पुलिस ने कहा कि आरोपी कुछ महीने पहले फेसबुक के माध्यम से बिहार के मोतिहारी जिले की लड़की के संपर्क में आया था और उसने लड़की से शादी करने और उसको कानपुर में नौकरी दिलाने का वादा किया था। अपनी शिकायत में लड़की ने दावा किया कि आरोपी ने अपनी धार्मिक पहचान छुपाकर उसे बहकाया। शनिवार को आलम द्वारा बुलाए जाने के बाद युवती कानपुर के कॉपरगंज मोहल्ले के एक होटल में पहुंच गई। नकाब पहने आलम ने होटल के कमरे की लाइट बंद कर दी और उसके साथ छेड़खानी की। युवती ने जब कमरे की लाइट ऑन की तो वह अपने सामने खड़े ५० वर्षीय व्यक्ति को देखकर चौंक गई। युवती ने बताया कि आरोपी ने अपना नाम सचिन शर्मा बताया था। शोर मचाने पर होटल के कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना दी। बाद में बजरंग दल के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंचे और हंगामा किया। एसीपी टी.बी. सिंह ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि गिरफ्तार अधेड़ का नाम शहंशाह आलम है, जो पेशे से बाइक मैकेनिक है।
एस्साय ऑन मके इन इंडिया इन हिन्दी: दोस्तो आज हमने मेक इन इंडिया पर निबंध कक्षा १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९ ,१0, ११, १२ के विद्यार्थियों के लिए लिखा है। १.२ अलग अभियान क्यों? २५ सितंबर २०१४ को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया गया था। यह भारत में निवेश के लिए दुनिया भर के शीर्ष व्यापार निवेशकों को कॉल करने की एक पहल है। यह सभी निवेशकों के लिए देश में कहीं भी किसी भी क्षेत्र में अपना व्यवसाय स्थापित करने का एक बड़ा अवसर है। इस आकर्षक योजना में विदेशी कंपनियों के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए संसाधन प्रस्ताव हैं। भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया मेक इन इंडिया अभियान प्रभावी भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर केंद्रित है। यह देश में डिजिटल नेटवर्क के बाजार में सुधार के लिए भी था, ताकि व्यापार के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाया जा सके। इस पहल का प्रतीक एक विशालकाय शेर है जिसमें कई पहिए हैं। यह शांतिपूर्ण प्रगति और देश के जीवंत भविष्य के लिए संकेत देता है। कई पहियों के साथ एक विशाल चलने वाला शेर साहस, शक्ति, तप और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। अलग अभियान क्यों? यह राष्ट्रीय कार्यक्रम देश को वैश्विक व्यापार केंद्र में बदलने के लिए बनाया गया था। क्योंकि इसमें स्थानीय और विदेशी कंपनियों के आकर्षक प्रस्ताव हैं। यह अभियान कई मूल्यवान और सम्मानित नौकरियां बनाने पर केंद्रित है। यह देश के युवाओं की स्थिति में सुधार के लिए लगभग हर क्षेत्र में कौशल वृद्धि प्रदान कर रहा है। श में ठोस विकास और मूल्यवान रोजगार सृजन सुनिश्चित करना। शीर्ष निवेशकों की मदद से देश विनिर्माण क्षेत्र में पूरी तरह से आत्म निर्भर बन जाएगा। यह दोनों पक्षों अर्थात निवेशकों और हमारे देश को लाभ प्रदान करेगा। ग्लोबल मार्केट में अपने ब्रांड वैल्यू बनाने के लिए मेक इन इंडिया भी कंपनियों की मदद करेगा। हमारे अपने निवेशक देश में ही बने रहेंगे, जो संसाधनों की कमी और नीतिगत मुद्दों पर स्पष्टता के कारण भारत से बाहर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे थे। निवेशकों पर किसी भी प्रकार के बोझ को कम करने के लिए भारत सरकार एक बड़ा प्रयास कर रही है। इसके कारण, व्यावसायिक संस्थाओं से सभी प्रश्नों को हल करने के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल की व्यवस्था है। यह पोर्टल अब एक उत्कृष्ट प्रतिक्रिया प्राप्त कर रहा है। सरकार ने एक समर्पित बैक-एंड सपोर्ट टीम बनाई है, ताकि ७२ घंटे की अवधि के भीतर प्रतिक्रिया दी जा सके। लगभग २५ प्रमुख क्षेत्रों जैसे विमानन, रसायन, आईटी, ऑटोमोबाइल, वस्त्र, बंदरगाह, फार्मास्यूटिकल्स, आतिथ्य, पर्यटन, कल्याण और रेलवे को निवेशकों द्वारा काम करने और विश्व नेता बनने के लिए सरकार द्वारा चिह्नित किया गया है। अब आइए नज़र डालते हैं मेक इन इंडिया के कुछ संभावित नुकसान। इन पहलुओं पर, सरकार को कुछ सुधारात्मक उपाय लागू करने चाहिए। विकास और विकास लाकर भारत को बेरोजगारी से मुक्त बनाना इस नीति की तत्काल आवश्यकता है। हम युवाओं के लिए बेरोजगारी के मुद्दे को हल करके भारत में गरीबी को काफी हद तक कम कर सकते हैं। इस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था इस अभियान की सफलता के बाद एक नई ऊंचाई हासिल करेगी। यह बदले में, देश में विभिन्न सामाजिक मुद्दों को हल कर सकता है।
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की लहर से लोग दहशत में है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक बड़ी खबर फिल्म जगत से आ रही है। फिल्म मेकर महेश भ़ट्ट की बेटी व फिल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं. इससे पहले फिल्म शूटींग के दौरन रणबीर कपूर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। आलिया की अपकमिंग फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के निर्देशक संजय लीला भंसाली भी कुछ हफ्ते पहले कोरोना पॉजिटिव पाये गए थे। इससे पहले गुरुवार को ही बॉलीवुड सिंगर और संगीतकार बप्पी लहरी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उनकी उम् ज्यादा होने के कारण उन्हें मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बप्पी की बेटी रीमा लहरी ने यह जानकारी दी. मुंबई के कई फिल्मी सितारों को कोरोना हो चुका है. इस कारण से शूटिंग पर भी असर देखने को मिल रहा है. कार्तिक आर्यन की फिल्म भूल भुलैया २ की शूटिंग रुकी हुई है. वहीं रियलिटी शो डांस दीवाने के १८ क्रू मेंबर भी एक साथ पॉजिटिव पाए गए. फिल्म चेहरे की रिलीज को भी रोक दिया गया है।
पूनम डूबे हॉट लुक: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के अंदर पूनम दुबे का नाम काफी ज्यादा चल चुका है। इसी के साथ-साथ उनकी अदाएं और उनके जबरदस्त मुफ्त को देखकर हर कोई उनकी तारीफ करते थकता नहीं है। एक्ट्रेस के एक्सप्रेशन को देखकर हर कोई उनका दीवाना बन जाता है। वही आपको बता दें कि पूनम दुबे (पूनम डूबे) के वीडियोस भी सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल होते रहते हैं। इतना ही नहीं एक्ट्रेस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस समय इतनी तेजी से वायरल होता हुआ नजर आ रहा है जिसे देखकर लोग भी उसे बार-बार देखने के लिए मजबूर होते हुए नजर आ रहे हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि पूनम दुबे (पूनम डूबे) ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो शेयर कर दिया है। इस वीडियो के अंदर भोजपुरी एक्ट्रेस पूनम दुबे काफी ग्लैमरस अंदाज में देखी जा सकती है। इसी के साथ-साथ उन्होंने अपने बालों को भी खुला रखा हुआ है। जिसे देखकर हर फैंस के दिलों में खलबली सी मच चुकी है। पूनम दुबे (पूनम डूबे) के इस लुक को देखकर हर कोई उनका दीवाना होता जा रहा है। पूनम दुबे का यह रुख काफी ज्यादा जबरदस्त है और गजब धाता हुआ नजर आ रहा है। पूनम दूबे अपने बालों को जीता कर ही नजर आ रही हैं और उन्हें देखकर फैन्स का भी दिल बेहाल होता नजर आ रहा है। अपने इस लेटेस्ट वीडियो को शेयर करते हुए पूनम दुबे (पूनम डूबे) ने कैप्शन में लिखा है कि ई डोंट नीद तो वर्क ऑन मी बाइकीनी बॉडी, यू नीद तो वर्क ऑन यूर बाइकीनी माइंड। इसी के साथ-साथ आपको बता दें कि पूनम दूबे इस वीडियो के अंदर रेडी फॉर इट (रेडी फॉर इट?) गाने पर जबरदस्त ठुमके लगाती हुई देखी जा सकती है। इसी के साथ साथ वीडियो इंटरनेट पर अपलोड हुआ वैसे ही इस वीडियो पर हजारों में लाइक भी आ चुके हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस वीडियो पर अभी तक ११००० से भी ज्यादा लाइक्स आ चुके हैं। इसी के साथ-साथ इस का सिलसिला तेजी से आगे बढ़ता हुआ देखा जा सकता है। एक्ट्रेस के इस वीडियो पर काफी दमदार रिएक्शन फैंस देते हुए नजर आ रहे हैं। एक यूजर तो कमेंट करके लिखता है बेहतरीन वही तो दूसरा यूजर उन्हें ब्यूटीफुल बता देता है।
गंदे-फटे गद्दे पर लिटाए गए वाइस चांसलर डॉ. राज बहादुर और उन्हें फटकार लगाते सेहत मंत्री जौड़ामाजरा। पंजाब के नए सेहत मंत्री चेतन सिंह जौड़़ामाजरा को लेकर बवाल बच गया है। मंत्री ने कल बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. राज बहादुर को गंदे-फटे गद्दे पर लिटा दिया था। जिसके बाद विरोधी भड़क उठे। पूर्व कांग्रेसी मंत्री परगट सिंह ने तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि प्रचार के लिए आम आदमी पार्टी के १२वीं पास मंत्री ने वाइंस चांसलर (व्क) को सार्वजनिक तौर पर जलील किया। पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर राजा वड़िंग के अलावा अकाली दल ने भी आपत्ति जताते हुए मंत्री को माफी मांगने को कहा। पूर्व अकाली मंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि वाइस चांसलर डॉ. राज बहादुर इंटरनेशनल शख्सियत हैं। उनके साथ बदसलूकी निंदनीय है। जब वह शिक्षा मंत्री रहते बाबा फरीद यूनिवर्सिटी गए थे तो उन्होंने डॉ. राज बहादुर को अपनी कुर्सी पर बिठाया था। वह बहुत सम्मानित शख्सियत हैं। पूर्व सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी ने कहा कि डॉ. राज बहादुर को जलील करना निंदनीय है। डॉक्टरों और अफसरों को काम कहने का तरीका होता है। यह सब कर सेहत मंत्री जौड़ामाजरा ने अपनी छोटी सोच और अनपढ़ता का सबूत दिया है। मंत्री को अपनी इस हरकत के लिए तुरंत सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। भाजपा नेता सुनील जाखड़ ने कहा कि डॉ. राज बहादुर के साथ किया गया व्यवहार शर्मनाक और अस्वीकार्य है। हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुधार फंड से होगा, इस तरह के व्यवहार से नहीं। उन्होंने कम भगवंत मान को कहा कि वह अपने मंत्री को पूरी मेडिकल बिरादरी से माफी मांगने के लिए कहें। बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कम भगवंत मान सेहत मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा को बर्खास्त करें। सेहत मंत्री तुरंत माफी मांगे। सरकार वाइस चांसलर से बात कर उनका इस्तीफा वापस करवाए अन्यथा पंजाब में सेहत सुविधा खतरे में पड़ जाएगी।
नारायण सेवा संस्थान ने भी मिलाए राष्ट्र के साथ कदम, उदयपुर उदयपुर , १० अप्रैल : दिव्यांग लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और उनके समावेशी कल्याण की दिशा में काम में जुटा धर्मार्थ संगठन नारायण सेवा संस्थान नारायण सेवा संस्थान (एनएसएस) कोविड- १९ महामारी से उपजे हालात के बीच भी जरूरतमंद लोगों की सहायता का लगातार प्रयास कर रहा है। संस्थान ने देशव्यापी लॉकडाउन के बीच वंचितों को भोजन प्रदान करके उनके जीवन को बचाने का काम किया है। एनजीओ की कोरोना रिलीफ सेवा विंग पूरे शहर में प्रति दिन भोजन के २००० पैकेट वितरित कर रही है। शहर में ऑटो रिक्शा चालक, प्रवासी, स्थानीय निवासी, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों और श्रमिकों को एनएसएस की कोरोना रिलीफ सेवा से जुड़े करीब ५० स्वयंसेवक नियमित रूप से भोजन के पैकेट बांट रहे हैं। २१ दिन के लाॅकडाउन की घोषणा के बाद अब तक ३१५०० से अधिक भोजन पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही दिव्यांग लोगांे ने ९५०० मास्क भी तैयार किए, जिन्हें लोगों को बांटा गया है। कोरोनावायरस के किसी भी संभावित संक्रमण से बचने के लिए संस्थान की टीम सेनिटाइजेशन के साथ-साथ स्वच्छता संबंधी प्रक्रियाओं का पालन कर रही है और भोजन पकाने की प्रक्रियाओं में भी इस बात का ध्यान रखा जा रहा है। नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा, निस्संदेह लॉकडाउन को लागू करना कोविड -१९ के प्रसार को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण और बहुत आवश्यक कदम है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ सरकार द्वारा सुझाए गए अन्य उपायों की पालना भी करें, ताकि हम इस संकट से जल्द से जल्द बाहर निकल सकें। नारायण सेवा संस्थान जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज करने के साथ-साथ इस लॉकडाउन के दौरान उनकी आर्थिक मदद भी कर रहा है। कुछ दिनों पहले, कल्पना और उनकी बालिका को चिकित्सा खर्च के लिए १.८० लाख रुपए की तत्काल वित्तीय सहायता की आवश्यकता पड़ी और संस्थान ने तत्काल इस राशि का भुगतान अस्पताल को किया। मौजूदा मुश्किल हालात में नारायण सेवा संस्थान लगातार उन लोगों की मदद कर रहा है, जो लॉकडाउन के कारण अपना जीवन यापन नहीं कर पा रहे और जो सरकारी आश्रय घरों में रह रहे हैं। एनजीओ ने २४ मार्च को कोरोना रिलीफ सेवा अभियान की शुरुआत की, ताकि उन लोगों की मदद की जा सके जिन्हें इन कठिन समय में हमारी सहायता की जरूरत है। संस्थान द्वारा की जाने वाली प्रमुख पहलों में शामिल हैं- भोजन और खाने-पीने के सामान की निशुल्क सप्लाई, दिव्यांग लोगों द्वारा निर्मित मास्क का वितरण और घनी आबादी वाले इलाकों को सेनिटाइज करना। इसके अलावा, ४५० परिवारों को प्रतिदिन राशन सामग्री का वितरण किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संकट के इस दौर में कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति भूखा न सोने पाए।
गुजरात में भाजपानीत सरकार को लेकर उठापटक के बीच सीएम विजय रुपाणी ने अपना इस्तीफा दे दिया है और विधायक दल की बैठक में काफी विचार के बाद भूपेन्द्र रजनीकांत पटेल के नाम पर सहमति बनी। यानि अब भूपेन्द्र पटेल गुजरात के नए मुख्यमंत्री हैं। १२वीं तक पढ़ाई करने वाले भूपेन्द्र भाई पटेल गुजरात के घाटलोदिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वे २०१७ के चुनाव में गुजरात के घाटलोदिया विधानसभा क्षेत्र से वे विधायक चुने गए। आइए उनकी सूर्य कुंडली के मुताबिक जानते हैं कि गुजरात के नए मुख्यमंत्री के तौर पर उनका भविष्य कैसा रहेगा। १५ जुलाई १९६२ को जन्मे भूपेन्द्र की कुंडली में मिथुन लग्न आता है। और लग्न में ही बुध विराजमान है। इस अनुसार उनका रवैया विश्लेषणात्मक रहेगा। अभी तीन महीने उनके लिए थोड़े चुनौतीपूर्ण रहेंगे, क्योंकि गुरू वक्री होकर अष्टम स्थान में जाने वाला है। अगर हम आज उनको पद मिलने की तिथि की कुंडली का अध्ययन करें तो लगता है कि भाजपा भूपेन्द्र पटेल से उम्मीद रख रही है , उतनी पूरी होनी मुश्किल होगी। आज उनको पद मिलने के समय शनि प्रथम स्थान में वक्री थे। इसलिए सरकार का बहुत ध्यान ओबीसी, ट्राइबल पर ज्यादा रहेगा और आगे उनको वोटर के रुप में लुभाने की कोशिश रहेगी। पद मिलने के दिन की कुंडली के मुताबिक भूपेन्द्र केन्द्र के भरोसा ज्यादा रहेंगे, उन्हें काम समझने में थोड़ा समय लगेगा। शनिवार को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद से यहां की राजनीति में उथल-पुथल मच गई और कयासों का दौर शुरू हो गया। हालांकि अगले सीएम को लेकर कई नामों पर चर्चा चली, लेकिन हर बार की तरह बीजेपी ने इस बार भी चौंकाया। सारे नामों को दरकिनार करते हुए भूपेन्द्र भाई पटेल के नाम पर सहमति बनी। पिछली चुनाव में उन्होंने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी, जो गुजरात के सभी विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा था, जो एक रिकार्ड है। दिन की खास योजना बनाने की संपूर्ण गाइड ! आपके जीवन को बेहतर बनाने के लिए सूक्ष्म अध्ययन ! २०२२ में आने वाली किसी भी मुसीबत का आसान समाधान ! आपकी राशि - तथ्य, विशेषता, लकी चार्म्स आदि ! विशेषज्ञ और प्रमाणित ज्योतिषियों के एक पैनल के साथ एक टेक्नोक्रेट द्वारा स्थापित, प्रिडिक्टिव टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड (मिपंडित) की लॉन्चिंग वर्ष २०१९ में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर की गई थी। मिपंडित इयोस और अंड्रॉयड ऐप के माध्यम से किफायती मूल्यों पर प्रामाणिक व्यक्तिगत ज्योतिषीय सेवाएं प्रदान करता है।
टेनसरलो विशेष रुचि समूह (त्फ सिग्स) टेनसरलो पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख भागों में सामुदायिक योगदान का आयोजन करते हैं। सिग लीड और सदस्य महत्वपूर्ण टेनसरलो उपयोग मामलों के निर्माण और समर्थन के लिए मिलकर काम करते हैं। सिग का नेतृत्व ओपन सोर्स समुदाय के सदस्य करते हैं, जिसमें उद्योग सहयोगी और मशीन लर्निंग गूगल डेवलपर विशेषज्ञ (म्ल गड़े) शामिल हैं। टेनसरलो की सफलता काफी हद तक उनकी कड़ी मेहनत और योगदान के कारण है। हम आपको टेनसरलो के उस पारिस्थितिकी तंत्र के क्षेत्र में काम करने वाले सिग में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिसकी आप सबसे अधिक परवाह करते हैं। सभी सिग में समान स्तर की ऊर्जा, कार्यक्षेत्र की चौड़ाई या शासन मॉडल नहीं होंगे - अधिक जानने के लिए हमारे सिग चार्टर ब्राउज़ करें। टेनसरलो फोरम पर सिग लीड और सदस्यों के साथ जुड़े रहें, जहाँ आप पसंदीदा टैग की सदस्यता ले सकते हैं और नियमित सिग मीटिंग के बारे में अधिक जान सकते हैं। सिग एड्डंस सामुदायिक योगदान का एक भंडार बनाता है और रखता है जो अच्छी तरह से स्थापित एपीआई पैटर्न के अनुरूप है, लेकिन कोर टेनसरलो में उपलब्ध नई कार्यक्षमता को लागू नहीं करता है। टेनसरलो मूल रूप से बड़ी संख्या में ऑपरेटरों, परतों, मीट्रिक, हानियों, अनुकूलक, और बहुत कुछ का समर्थन करता है। हालांकि, एमएल जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र में, कई नए विकास हैं जिन्हें कोर टेंसरफ्लो में एकीकृत नहीं किया जा सकता है (क्योंकि उनकी व्यापक प्रयोज्यता अभी तक स्पष्ट नहीं है, या यह ज्यादातर समुदाय के एक छोटे उपसमुच्चय द्वारा उपयोग किया जाता है)। सिग एड्डंस उपयोगकर्ताओं को स्थायी तरीके से टेनसरलो पारिस्थितिकी तंत्र में नए एक्सटेंशन पेश करने में सक्षम बनाता है। सिग बिल्ड टेनसरलो बिल्ड प्रक्रिया में सुधार और विस्तार करता है। सिग बिल्ड समुदाय के लिए समुदाय द्वारा योगदान किए गए संसाधनों, गाइडों, उपकरणों और निर्माणों को प्रदर्शित करने वाला एक भंडार रखता है। सिग इयो, टेनसरलो ई/ओ का रखरखाव करता है, फ़ाइल सिस्टम और फ़ाइल स्वरूपों का एक संग्रह जो टेनसरलो के अंतर्निर्मित समर्थन में उपलब्ध नहीं है। सिग ज्व्म त्फ जावा बाइंडिंग को बनाए रखता है ताकि उपयोगकर्ता मशीन लर्निंग मॉडल के निर्माण, प्रशिक्षण और चलाने के लिए ज्व्म का उपयोग कर सकें। जावा और अन्य जेवीएम भाषाएं, जैसे कि स्काला या कोटलिन, दुनिया भर के छोटे-से-बड़े उद्यमों में अक्सर उपयोग की जाती हैं, जो बड़े पैमाने पर मशीन लर्निंग को अपनाने के लिए टेनसरलो को एक रणनीतिक विकल्प बनाती है। सिग मॉडल टेनसरलो २ में अत्याधुनिक मॉडल कार्यान्वयन में योगदान को सक्षम करने और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए टेनसरलो २ का उपयोग करने की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर केंद्रित है। उपसमूह विभिन्न मशीन लर्निंग अनुप्रयोगों (विजन, एनएलपी, आदि) के आसपास उन्मुख होते हैं। सिग मॉडल टेनसरलो मॉडल गार्डन और टेनसरलो हब के आसपास चर्चा और सहयोग की मेजबानी करते हैं। नीचे गितुब पर योगदान करने का तरीका जानें, या फ़ोरम पर अनुसंधान और मॉडल पर चर्चा करें। सिग माइक्रो, माइक्रोकंट्रोलर्स के लिए टेनसरलो लीट पर चर्चा करता है और अपडेट साझा करता है, टेनसरलो लीट का एक पोर्ट जिसे डस्प, माइक्रोकंट्रोलर और सीमित मेमोरी वाले अन्य उपकरणों पर मशीन लर्निंग मॉडल चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सिग म्लीर टेनसरलो, क्स्ला और त्फ लीट के लिए म्लीर बोलियों और उपयोगिताओं को बनाए रखता है, उच्च प्रदर्शन संकलक और अनुकूलन तकनीक प्रदान करता है जिसे टेनसरलो ग्राफ़ और कोड पीढ़ी पर लागू किया जा सकता है। उनका व्यापक लक्ष्य सामान्य मध्यवर्ती प्रतिनिधित्व (ईर) बनाना है जो नए हार्डवेयर को लाने की लागत को कम करता है, और मौजूदा टेनसरलो उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोगिता में सुधार करता है। सिग नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म-विशिष्ट नेटवर्किंग एक्सटेंशन के लिए कोर टेनसरलो और संबंधित उपयोगिताओं के लिए टेनसरलो नेटवर्किंग रिपॉजिटरी का रखरखाव करती है। सिग अनुशंसाकर्ता समुदाय द्वारा योगदान और रखरखाव किए गए टेनसरलो पर निर्मित बड़े पैमाने पर अनुशंसा प्रणाली से संबंधित परियोजनाओं का एक संग्रह रखता है। वे योगदान टेनसरलो कोर और टेनसरलो अनुशंसाकर्ताओं के पूरक हैं। सिग रस्त टेनसरलो के लिए मुहावरेदार रस्ट भाषा बाइंडिंग बनाए रखता है। सिग टेनसर्बर्ड टेनसर्बर्ड के आसपास चर्चा की सुविधा प्रदान करता है - टेनसरलो कार्यक्रमों के निरीक्षण, डिबगिंग और अनुकूलन के लिए उपकरणों का एक सूट। सिग त्फ.ज्स टेनसरलो.ज्स को समुदाय द्वारा योगदान किए गए घटकों की सुविधा प्रदान करता है और सिग के माध्यम से परियोजना सहायता प्रदान करता है। सिग टैक्स-एड्डंस उत्पादन म्ल की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूलन और परिवर्धन के साझाकरण को तेज करता है, दृष्टि का विस्तार करता है, और टेनसरलो एक्स्टेंडेड (टैक्स) और म्ल समुदाय के लिए नई दिशाओं को चलाने में मदद करता है। आप जो खोज रहे थे वह नहीं मिला? यदि आपको लगता है कि एक नए टेनसरलो सिग की सख्त आवश्यकता है, तो कृपया सिग प्लेबुक पढ़ें और हमारे योगदानकर्ता समुदाय को इसे कैसे प्रस्तावित करें, इस पर निर्देशों का पालन करें।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर पर्यटन विभाग द्वारा वेबनार के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन तेजी से बढ़ा है। राज्य में धार्मिक एवं अन्य पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोविड के कारण पर्यटन गतिविधियों में जरूर कमी आई है, लेकिन स्थिति सामान्य होने पर पर्यटन की स्थिति में तेजी से सुधार होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्येक जनपद में थीम आधारित पर्यटन स्थल विकसित किये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड में पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड विभिन्न जैव विविधताओं वाला राज्य है। बर्फ से ढ़की पर्वत श्रृंखलाएं, बुग्याल, विभिन्न प्रकार के जीव -जन्तु एवं अच्छा मानव संसाधन देवभूमि उत्तराखण्ड की ओर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। उत्तरकाशी जनपद में स्नो लेपर्ड पार्क बनाया जा रहा है। उत्तराखण्ड में पर्यटन पर आधारित गतिविधियां पूरे साल हो, इसके लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। क्याकिंग, राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियों के लिए उत्तराखण्ड में अनुकूल वातावरण है। सीमान्त क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में होमस्टे को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी २२०० से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, पौड़ी में काफी अच्छे होम स्टे बनाये गये हैं। होम स्टे के प्रति लोगों का रूझान भी बढ़ा है। होम स्टे पर्यटकों को आकर्षित तो करता ही है साथ ही यहां के लोगों के लिए रोजगार के भी अच्छे अवसर उपलब्ध करा रहा है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड आगमन के लिए अब पर्यटकों के लिए अच्छी सुविधा है। सर्दियों के समय उत्तराखण्ड का प्राकृतिक एवं नैसर्गिक सौन्दर्य पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रेरित करता है। अब उत्तराखण्ड में आवागमन के लिए अनेक साधन हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का उत्तराखण्ड की जीडीपी में अहम योगदान रहा है। हम पर्यावरण हित पर्यटन की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। पर्यटन एवं तीर्थाटन के माध्यम से स्थानीय लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। हमारा प्रयास आपदा को अवसर में बदलने का है। विश्व पर्यटन की इस वर्ष की थीम पर्यटन और ग्रामीण विकास है। ग्रामीण विकास के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। आने वाले दिनों में हमारे समग्र प्रयास से फिर उत्तराखण्ड की तस्वीर बदलेगी, पर्यटन गतिविधियों से लोगों की आजीविका में सुधार होगा। इस अवसर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, वेबनार के माध्यम से जुड़े प्रसिद्ध फिल्मकार प्रसून जोशी, श्रीमती मनीषा पाण्डे, डॉ. शिवम मणि, मनदीप सिंह, धनुष सिंह एवं पर्यटन गतिविधियों से जुड़े जानकारों ने अपने सुझाव दिये।
डेमोक्रेटिक पार्टी के ३० वामपंथी अमेरिकी सांसदों ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक याचिका दी है जिसमें कहा गया है रूस के साथ बातचीत से समझौता किया जाए, जो अपने आप में एक असाधारण घटना है। मुद्रास्फ़ीति, वह "समस्या" है जो इन दिनों पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं को प्रताड़ित कर रही है, जिससे हमें ऐसी नीतियों का पहला उदाहरण मिलता है। रूसी राष्ट्रपति का यह दौरा उस समय हो रहा है, जब तुर्की और ईरान दोनों को लेकर अमेरिकी नज़रिये में ज़बरदस्त बदलाव देखने को मिल रहा है। तुर्की के साथ अमेरिका के तिकड़म को समझने के लिए एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता है। लैटिन अमेरिका को बाहर रखने और उसके ख़िलाफ़ आक्रामकता की अमेरिकी नीति को जारी रखने के बाइडेन की ज़िद ने उनके शिखर सम्मेलन को शुरू होने से पहले ही नाकाम कर दिया है। मौसम परिवर्तन एक जानलेवा ग़लत गणना का परिणाम है: वैश्विक कॉरपोरेट कंपनियों के मुनाफ़े के लिए ज़िन्दगियों को जोख़िम में डाला जा सकता है, यहां तक कि उन्हें गंवाया भी जा सकता है।
वीवो ने व२३ सीरीज के नए स्मार्टफोन विवो व२३ए को लॉन्च कर दिया है। यह इस सीरीज का पहला स्मार्टफोन है। इस सीरीज में कंपनी व२३ए ५ग, व२३ और व२३ प्रो+ को भी लॉन्च करने वाली है। वीवो व२३ए को अभी विएतनाम में पेश किया गया है। इसे इसी साल लॉन्च हुए व२१ए का अपग्रेडेड वेरियंट माना जा रहा है। फोन की कीमत वंड ८,४९०,००० (करीब २७,८00 रुपये) है। नई दिल्ली। वीवो ने व२३ सीरीज के नए स्मार्टफोन विवो व२३ए को लॉन्च कर दिया है। यह इस सीरीज का पहला स्मार्टफोन है। इस सीरीज में कंपनी व२३ए ५ग, व२३ और व२३ प्रो+ को भी लॉन्च करने वाली है। वीवो व२३ए को अभी विएतनाम में पेश किया गया है। इसे इसी साल लॉन्च हुए व२१ए का अपग्रेडेड वेरियंट माना जा रहा है। फोन की कीमत वंड ८,४९०,००० (करीब २७,८00 रुपये) है। वीवो का यह फोन ६.४४ इंच के फुल एचडी+ अमोलेड डिस्प्ले के साथ आता है और इसका रिफ्रेश रेट ६0हज़ है। इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर से लैस इस फोन में ग्लास बॉडी दी गई है। फोन ८जीबी रैम और 12८जीबी के इंटरनल स्टोरेज से लैस है। प्रोसेसर के तौर पर इसमें कंपनी मीडियाटेक हीलियो ग9६ चिपसेट ऑफर कर रही है। फोटोग्राफी के लिए फोन के रियर में एलईडी फ्लैश के साथ तीन कैमरे लगे हैं। इनमें ६४ मेगापिक्सल के प्राइमरी कैमरा के साथ एक ८ मेगापिक्सल का अल्ट्रा-वाइड ऐंगल लेंस और एक २ मेगापिक्सल का डेप्थ लेंस दिया गया है। सेल्फी के लिए फोन में ५० मेगापिक्सल का ऑटोफोकस कैमरा दिया जा रहा है। डडिकेटेड माइक्रो एसडी कार्ड स्लॉट वाले इस फोन में ४०००माह की बैटरी लगी है। यह बैटरी ४४ वॉट की फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है। ओएस की बात करें तो फोन ऐंड्रॉयड ११ पर बेस्ड फंटूछ ओस 1२ पर काम करता है। इस ड्यूल सिम फोन में ५ग के अलावा कनेक्टिविटी के लिए वाई-फाई, ब्लूटूथ ५.२, जीपीएस और ३.५म्म हेडफोन जैक जैसे ऑप्शन दिए गए हैं। ऑटो न्यूज इलेक्ट्रिक वेहिकल: इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदना या किराए पर लेना चाहिए...जानिए क्या है बेहतर? मनीष असीजा जीवन परिचय : मनीष असीजा ने दूसरी बार साइकिल को किया पंचर, क्या लगा पाएंगे जीत की हैट्रिक?
सीबीएसई १०वीं, १२वीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों को लेकर छात्रों का इंतजार खत्म होता नहीं हो रहा है। अब तक बोर्ड की ओर से रिजल्ट जारी करने की तिथि की जानकारी नहीं दी गई है। बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि नतीजे जल्द जारी होने वाले हैं, इसमें कोई देरी नहीं हुई है। लेकिन छात्र अभी तक रिजल्ट ना आने से चिंतित हैं। १२वीं कक्षा के छात्रों को रिजल्ट को लेकर ज्यादा चिंता है। क्योंकि कई कॉलेज में एडमिशन शुरू हो चुके हैं और अब तक उनके १२वीं का रिजल्ट भी नहीं आया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा, सीयूईटी भी शुरू हो चुकी है।सीयूईटी के माध्यम से देशभर के ९० विश्वविद्यालयों में यूजी एवं पीजी पाठ्यक्रमों में एडमिशन दिए जाएंगे। सीयूईटी पहले चरण की परीक्षा १५ जुलाई से शुरू हो चुकी है और अगस्त माह में दूसरे फेज की परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसके बाद सीबीएसई १२वीं के नतीजे ना आने से छात्र असमंजस में हैं। सीबीएसई १०वीं, १२वीं के रिजल्ट जुलाई के अंत तक जारी कर दिए जाएंगे। कृपया इस आसान सवाल का जवाब दें।
आयुष्मान मित्र कैसे बने : देश में नागरिकों को एक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य उद्देश्य के साथ साथ राज्य के बेरोजगार लोगो को रोज़गार देना भी मुख्य है। क्या आपको पता है आयुष्मान मित्र के क्या कार्य है और आयुष्मान मित्र कैसे बने ? अगर नही तो आप इस लेख को अंत तक पढ सकते ताकि आपको इसके बारे मे पूरी जानकारी मिल सके। भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना का शुभारम्भ किया गया था, जिसके तहत देश के गरीब नागरिकों को बेहतर ढ़ग से स्वास्थ्य सुविधाएँ दी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत ही देश के हर सरकारी अस्पताल की सहयोगतार्थ आयुष्मान मित्र की भर्ती की जाएगी। इस पोस्ट के लिए आवेदन करने वाले प्रार्थीयों को सरकारी व निजी अस्पतालों मे लगाया जायेगा, जहा वे अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे। इस योजना के बारे मे अगर स्वास्थ्य मंत्रालय की जानकारी देखें तो आयुष्मान योजना मे उन सभी लोगो को शामिल किया जायेगा जो आर्थिक रूप से कमजोर है, और आयुष्मान मित्र इस कार्य मे ही लोगो की मदद करने के लिए लगाए जायेंगे जो की अस्पताल के अधीन रहेंगे। आयुष्मान मित्रों के कुछ मुख्य कार्य जिन्हे उनको करने होंगे। आयुष्मान मित्र जो भी अस्ताल कार्य करेंगे एवं आयुष्मान योजना के अन्तर्गत जारी साॅफ्टवेयर पर डाटा मैनेज करेंगे। आयुष्मान मित्रों को आयुष्मान योजना के साफ्टवेयर पर कार्य करना होगा और इस कार्य को करने के लिए आरोग्य मित्रों को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। आयुष्मान मित्रों को आयुष्मान साफ्टवेयर मे बायोमेट्रिक के जरिये पहचान की पहचान करनी होगी और उसका डाटा बीमा ऐजेंसी भेजनी होगी जिसके बाद उसका पैसा उस बीमा ऐजेंसी द्वारा अस्पताल को भेजा जायेगा ओर मरीज का इलाज मुफ्त मे किया जायेगा। आयुष्मान मित्रों को अस्पताल मे लगाने का उद्देश्य यह है की यह अस्पताल मे आने वाले मरीज़ों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने मे मदद कर सके। आयुष्मान मित्रों को अस्पतालों मे लगाने का दूसरा उद्देश्य यह भी है की इससे बेरोजगारों को रोज़गार मिल सके। इस योजना के अंतर्गत सरकार का लक्ष्य १० लाख रोजगार उपलब्ध करना है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत मरीज अगर अस्पताल मे भर्ती होता है, और वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो उन्हे ५,००,००0 तक की बीमा सहायता राशि दी जाएगी, जो की राज्य की स्टेट हेल्थ ऐजेंसी द्वारा दी जाएगी। आयुष्मान मित्रों द्वारा मरीज के अस्पताल मे भर्ती होने पर उनकी डाटा एंट्री साफ्टवेयर मे करनी होगी, जिससे की स्टेट हेल्थ ऐजेंसी मरीज के क्लैम की राशि अस्पताल को दी जाये। आयुष्मान मित्र की शिक्षा का मापदंड देखा जाये तो आवेदक कम से कम १२ कक्षा पास होना चाहिए। आयुष्मान मित्र हेतु आवेदन के लिए प्रार्थी उस राज्य का मूल निवासी होना चाहिए जिस राज्य मे वह आवेदन कर रहा है, हालांकि कुछ राज्यों मे आवश्यक नही है। आयुष्मान मित्रों का सम्पूर्ण कार्य कम्प्यूर पर साॅफ्टवेयर के माध्यम से ही किया जायेगा अतः प्रार्थी को कम्प्यूटर का प्रारम्भिक ज्ञान होना चाहिए। आयुष्मान मित्र हेतु आवेदन करने वाले प्रार्थी की आयु १८ वर्ष से अधिक होनी चाहिए। जिन राज्यों में आयुष्मान मित्र भारती ऑफलाइन है उन राज्यों में आरोग्य मित्रों की भारती अस्पताल द्वारा द्वारा की जाएगी। जिसमे आशा बहुओ और स्वाथ्य कर्मियों को प्राथमिक दी जाएगी। राजस्थान मे आरोग्य मित्रों को स्वास्थ्य मित्र के नाम से जाना जाता है एवं इनकी भर्ती राजस्थान मे आर.एम.आर.एस ( राजस्थान मेजिकोज रिलिफ सोसाइटी ) द्वारा कि जाती है। आयुष्मान मित्र की सैलेरी राज्य सरकार तय करेगी, सामान्यतः एक आरोग्य मित्र की सैलेरी १०,००० से १५,००० के मध्य हो सकती है। इस सैलेरी के अलावा कुछ राज्य सरकार स्वास्थ्य मित्रों को इन्सेंटिव भी मिलता है। भारत मे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को एक बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए भारत मे आयुष्मान योजना के अंतर्गत अस्पतालों मे आयुष्मान मित्रों को लगाया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना का शुभारम्भ किया गया है जिसके तहत देश के गरीब नागरिकों को बेहतर ढ़ग से स्वास्थ्य सुविधाएँ दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत ही देश के हर सरकारी अस्पताल की सहायोगतार्थ आरोग्य मित्रों की भर्ती की जाएगी। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत मरीज अगर अस्पताल मे भर्ती होता है और वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो उन्हे ५,००,००0 तक की बीमा सहायता राशि दी जाएगी जो की राज्य की स्टेट हेल्थ ऐजेंसी द्वारा दी जाएगी। प्रश्न १ आयुष्मान मित्र कौन होते है ? उत्तर आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत ही देश के हर सरकारी अस्पताल की सहायोगतार्थ आरोग्य मित्रों की भर्ती की जाएगी। इस पोस्ट के लिए आवेदन करने वाले प्रार्थीयों को सरकारी व निजी अस्पतालों मे लगाया जायेगा जहा वे अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे। प्रश्न २ आयुष्मान मित्रों का चयन कैसे होगा ? उत्तर आयुष्मान मित्रों की सीधी भर्ती केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा नही की जाएगी, इस योजना मे आरोग्य मित्रों का चयन अस्पताल द्वारा किया जायेगा। आयुष्मान मित्र का चयन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से होगा। प्रश्न ३ आयुष्मान मित्रों की सैलेरी क्या होगी ? उत्तर आयुष्मान मित्र की सैलेरी राज्य सरकार तय करेगी, सामान्यतः एक आरोग्य मित्र की सैलेरी १०,००० से १५,००० के मध्य हो सकती है। इस सैलेरी के अलावा कुछ राज्य सरकार स्वास्थ्य मित्रों को इन्सेंटिव भी मिलता है। प्रश्न ४ आयुष्मान भारत योजना मे मरीज़ों को कितनी आर्थिक सहायता दी जाएगी ? उत्तर आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत मरीज अगर अस्पताल मे भर्ती होता है और वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो उन्हे ५,००,००0 तक की बीमा सहायता राशि दी जाएगी जो की राज्य की स्टेट हेल्थ ऐजेंसी द्वारा दी जाएगी। प्रश्न ५ आयुष्मान मित्रों के मुख्य क्या है ? उत्तर आयुष्मान मित्र जो भी अस्पताल कार्य करेंगे एवं आयुष्मान योजना के अन्तर्गत जारी साफ्टवेयर पर डाटा मैनेज करेंगे साथ ही अस्पताल मे आने वाले मरीज़ों को उनके बीमा क्लैम करने मे मदद करेंगे।
चन्द्रप्रभा वटी आयुर्वेद शास्त्र का एक ऐसा अद्भुत एवं गुणकारी योग है जो आज के युग में स्त्री-पुरुष दोनों वर्ग के लिए किसी भी आयु में उपयोगी एवं लाभकारी सिद्ध होता है । आजकल जिस तरह का खानपान, रहन सहन और आचार-विचार अधिकांश लोगों का पाया जा रहा है उसके फलस्वरूप पैदा होने वाले कई विकारों को दूर करने में चन्द्रप्रभा वटी सफलतापूर्वक सक्षम सिद्ध होने वाला योग है । रस तन्त्रसार व सिद्ध प्रयोग संग्रह तथा आयुर्वेद-सारसंग्रह नामक सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस योग की बहुत प्रशंसा की गई है और वैद्य जगत भी इसे बहुत गुणकारी एवं विश्वसनीय योग मानता है । कपूर, बच, नागरमोथा, चिरायता, गिलोय, देवदारु, हल्दी, अतीस, दारू हल्दी, पीपलामूल; चित्रक, धनिया, हरड़, बहेड़ा, आवला, चब्य, बायविडंग, गजपीपल, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, सुवर्ण माक्षिक भस्म, सज्जीखार, जवाखार, सेंधा नमक, काला नमक, सांभर नमक-ये सब ३-३ ग्राम ,काली निशोथ, दन्तीमूल, तेजपत्र, दालचीनी, छोटी इलायची के दाने, वंश लोचन-१०-१० ग्राम ,लोह भस्म २० ग्राम , मिश्री ४० ग्राम ,शुद्ध शिलाजीत ८० ग्राम और शुद्ध गूगल ८० ग्राम । आयुर्वेद-सारसंग्रह ग्रंथ में इतने घटक- द्रव्यों के अलावा छोटी इलायची के बीज, कबाबचीनी, गोखरू और सफेद चन्दन ३-३ ग्राम तथा बड़ी इलायची १० ग्राम को भी शामिल किया गया है । इतने द्रव्य बढ़ाने से इस योग की उपयोगिता एवं गुणवत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है । दोनों ग्रन्धों में इसकी निर्माण विधि अलग-अलग ढंग से दी गई है । रसतन्त्रसार व सिद्धप्रयोग संग्रह के अनुसार सब दवाइयों को कूट पीस कर खूब बारीक करके मिला ले और थोड़ा-थोड़ा गोमृत डाल कर कूटते जाएं । सब को एकसार करके चने बराबर गोलियां बना लें । आयुर्वेद-सार संग्रह के अनुसार पहले गुग्गुल को साफ करके लोहे के इमामदस्ते में कूटें । जब गुग्गुल नरम पड़ जाए तब उसमें शुद्ध शिलाजीत, भस्में तथा अन्य सभी द्रव्यों का कुटापिसा महीन चूर्ण डाल दें और तीन दिन तक गिलोय का स्वरस डालते हुए खरल में घुटाई करें । फिर ३-३ रत्ती की गोलियां बना कर रख लें । गोलियां गीली हों तो छाया में सुखा कर रखें। २-२ गोली सुबह शाम शहद में मिला कर चाट लें या दूध के साथ निगल जाया करें। १. मूत्रेन्द्रिय के रोग इस अद्भुत योग का मुख्य कार्य और प्रभाव मूत्रेन्द्रिय तथा स्त्री-पुरुष के यौनांग प्रदेश से सम्बन्धित सभी विकारों को नष्ट करना है । पुरुषों के शुक्र और स्त्रियों के आर्तव का उत्पादन करने वाले यौनांगों के विकारों का शमन करके उनको बलवान बनाना एवं रसायन की तरह लाभ करना इस योग का मुख्य कार्य (एक्शन) है । २. पेशाब मे जलन इसके सेवन से मूत्रकृच्छ (पेशाब में रुकावट और जलन होना) प्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, धातुक्षीणता, पथरी, भगन्दर, अंडवृद्धि, पाप, बवासीर, कमर दर्द तथा स्त्रियों के गर्भाशय सम्बन्धी विकार, श्वेत प्रदर, सुजाक व आतशक आदि से उत्पन्न मूत्र विकार, मूत्र के साथ एल्बूमन (एल्बमें) जाना, मूत्र पीला और दुर्गन्ध युक्त होना, हस्त मैथुन एवं अति मैथुन के कारण यौनांग का शिथिल होना और शीघ्रपतन रोग होना, गर्भाशय के दुर्बल होने से गर्भ न रहना या गर्भपात हो जाना आदि अनेक व्याधियों को दूर करने में यह योग सफलतापूर्वक सहायक सिद्ध होता है । ३. शुक्राणुओं की वृद्धि शुक्र में शुक्राणुओं की नवीन उत्पत्ति कर शुक्राणुओं की वृद्धि करता है तथा रक्ताणुओं का शोधन तथा नवनिर्माण करता है। ४. गर्भाशय की कमजोर महिलाओं के मामले में गर्भस्राव, गर्भपात, सुजाक या उपदंश का परम्परागत प्रभाव, जल्दी-जल्दी गर्भ धारण, अति सहवास, अधिक प्रसव, शारीरिक दुर्बलता आदि कारणों से गर्भाशय कमजोर और गर्भभार सहने में असमर्थ हो जाता है, चेहरा निस्तेज मन में उत्साहहीनता, शरीर के अंग-प्रत्यंगों में कमजोरी और दर्द होना मासिक धर्म का अनियमित होना और कष्ट के साथ होना, श्वेत प्रदर होना आदि सभी व्याधियों को दूर करने में चन्द्रप्रभा वटी का सेवन करना बहुत लाभप्रद सिद्ध होता है । ५. बलवर्धक थके हुए कमजोर और शिथिल शरीर वाले युवक-युवतियों या प्रौढ़ स्त्री पुरुषों को चन्द्रप्रभावटी की २-२ गोली सुबह शाम लगातार ३-४ माह तक सेवन करना चाहिए । ६. पुराने रोग जीर्ण (पुराने) रोग में धैर्यपूर्वक, उचित परहेज करते हुए ३-४ माह तक सेवन करना चाहिए । सामान्य रूप से चन्द्रप्रभा वटी के कोई साइड इफैक्ट नहीं है लेकिन फिरभी लोहे की मात्रा होने के कारण जिन्हें पेट में अल्सर, थैलेसीमिया जैसे रोग हो उन्हें इसे नहीं लेना चाहिए। मित्रों चन्द्रप्रभा वटी के लाभ व चंद्रप्रभा वटी के फायदे (चंद्रप्रभा वती के लब) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेन्ट के जरिये जरुर बताये और अगर आपके पास भी चंद्रप्रभा वती के फ़्रायड और नुकसान की कोई नयी जानकारी है तो हमारे साथ भी शेयर करे। बहुत बहुत लाभदायक, सहायक व उपयोगी मार्गदर्शन के लिए आभार! !! अस्वीकरण !! इस साइट पर उपलब्द सभी लेख और जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। किसी भी सूचना या विज्ञापन से हुए नुकसान के लिए यह वेबसाइट जिम्मेदार नहीं होगी।
तरवां पुलिस ने मारपीट में वांछित ०२ अभियुक्त को महुवारी पानी टंकी के पास से किया गिरफ्तार । देवगाँव में सरकारी गोदामों पर डीएपी खाद बहुत कम मात्रा में आने पर किसानों की भारी भीड़, खाद न मिलने पर लोग हुए मायूस । आदर्श नागरिक सेवा समिति के सौजन्य से बेलहाडीह में संविधान दिवस का किया गया आयोजन पत्रकारों को किया गया सम्मानित । बनारपुर में बंद मकान से लाखों के आभूषण आदि चोरी करके चोर फरार मची सनसनी पीड़ित ने देवगांव कोतवाली में दी तहरीर लगायी न्याय की गुहार । देवगांव कोतवाली प्रांगण में संपूर्ण समाधान दिवस में १८ प्रार्थना पत्र हुए प्रस्तुत । लालगंज सांसद संगीता आज़ाद ने आराधना की हत्या के मामले में परिजनों से की मुलाक़ात कहा संसद में उठाएंगी मामला । लालगंज में दूषित जल से मिलेगी लोगों को मुक्ति चेयरमैन विजय सोनकर ने हर वार्ड में लगवाया वाटर कूलर । लालगंज आज़मगढ़। पुरानी पेंशन बहाली की मांग, ग्राहकों पर कम सर्विस चार्ज, पब्लिक सेक्टर बैंक के प्राइवेटाइजेशन, हायर डिपॉजिट रेट आदि की मांग को लेकर दो दिवसीय हड़ताल के क्रम में आज सोमवार को लालगंज देवगांव गोसाईगंज निहोरगंज आदि समेत क्षेत्र के सभी बैंक बंद रहे जिससे जरूरतमंदों को पैसा निकासी के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ी और व्यापारी भी लेनदेन न होने से काफी परेशान देखे गए। आपको बता दें सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने कहा था कि सरकार की जनविरोधी नीतियों और मजदूर विरोधी श्रम नीतियों के विरोध में यह हड़ताल बुलाई गई है। यूनियन की मांग लेबर कोर्ट खत्म करना, किसी भी रूप में प्राइवेटाइजेशन न करना, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन या एनएमपी को खत्म करना, मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाना और कांट्रेक्ट वर्कर्स को नियमित करने आदि की मांग शामिल है। जिसे लेकर आज और कल बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रहेंगी। हड़ताल से लोन सेक्शन, चेक क्लीयरिंग आदि काम अटक गए और लोगों को भारी समस्याएं उठानी पड़ीं। प्रेवियस गोसाईं की बाजार की अनुज्ञापी कुलदीप कुमार की बीयर की दुकान का लाइसेंस डीएम ने किया निरस्त । गोसाईं की बाज़ार में प्रधान पति मनीष राय हत्या कांड में पुलिस की बड़ी कारवाई हत्यारोपी का मकान प्रशासन ने जमीदोज़ किया । आज़मगढ़ में कुल १८५८ ग्राम प्रधानो पदों की आरक्षण लिस्ट पंचायती राज निदेशालय ने किया जारी ।
इस एडीटोरिअल में थे हिन्दू, थे इंडियन एक्सप्रेस, बुसिनेस लाइन आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में वनों पर आश्रित आदिवासी समुदायों की चुनौतियों और वन अधिकार अधिनियम, २००६ के शिथिल कार्यान्वयन व इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। भारत अपनी विशाल आबादी और विकास की चुनौतियों के बावजूद वन्यजीवों की एक वृहत विविधता का संरक्षण करने में सफल रहा है। प्रकृति के प्रति स्थानीय समुदायों की आस्था सरकार की निरंतर सफलता और अन्य एजेंसियों द्वारा किये गए संरक्षण के प्रयासों के कारण महत्त्वपूर्ण रही है। हालाँकि सरकार द्वारा चलाए जा रहे संरक्षण के प्रयासों ने आदिवासी लोगों के मन में उस भूमि को खोने का भय उत्पन्न कर दिया है जिस पर वे दशकों से रहते आए थे। इस संदर्भ में वन अधिकार अधिनियम,२००६ का उचित कार्यान्वयन आवश्यक है, क्योंकि यह अधिनियम आदिवासी लोगों के हितों की रक्षा करने के साथ ही उनके जीवन और आजीविका के अधिकार तथा पर्यावरण संरक्षण के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित करने की परिकल्पना करता है। प्राकृतिक वनस्पतियों का संरक्षण: आदिवासी समुदायों द्वारा पेड़ों को देवी-देवताओं के निवास स्थान के रूप में देखे जाने से जुड़ा धार्मिक विश्वास वनस्पतियों के प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, कई फसलों, जंगली फलों, बीज, कंद-मूल आदि विभिन्न प्रकार के पौधों का जनजातीय और आदिवासी लोगों द्वारा संरक्षण किया जाता है क्योंकि वे अपनी खाद्य ज़रूरतों के लिये इन स्रोतों पर निर्भर हैं। पारंपरिक ज्ञान का अनुप्रयोग: आदिवासी लोग और जैव विविधता एक-दूसरे के पूरक हैं। समय के साथ ग्रामीण समुदायों ने औषधीय पौधों की खेती और उनके प्रचार के लिये आदिवासी लोगों के स्वदेशी ज्ञान का उपयोग किया है। इन संरक्षित पौधों में कई साँप और बिच्छू के काटने या टूटी हड्डियों व आर्थोपेडिक उपचार के लिये प्रयोग में लाए जाने पौधे भी शामिल हैं। प्रकृति और स्थानीय लोगों के बीच व्यवधान: जैव विविधता की रक्षा हेतु आदिवासी लोगों को उनके प्राकृतिक आवास से अलग करने से जुड़ा दृष्टिकोण ही उनके और संरक्षणवादियों के बीच संघर्ष का मूल कारण है। किसी भी प्राकृतिक आवास को एक विश्व धरोहर स्थल (वर्ल्ड हेरिटेज सायट) के रूप में चिह्नित किये जाने के साथ ही यूनेस्को (यूनेस्को) उस क्षेत्र के संरक्षण का प्रभार ले लेता है। यह संबंधित क्षेत्रों में बाहरी लोगों और तकनीकी उपकरणों के प्रवेश (संरक्षण के उद्देश्य से) को बढ़ावा देता है, जो स्थानीय लोगों के जीवन को बाधित करता है। वन अधिकार अधिनियम का शिथिल कार्यान्वयन: वन अधिकार अधिनियम (फ्रा) को लागू करने में भारत के कई राज्यों का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है। इसके अलावा विभिन्न संरक्षण संगठनों द्वारा फ्रा की संवैधानिकता को कई बार उच्चतम न्यायालय में चुनौती भी दी गई है। एक याचिकाकर्त्ता द्वारा उच्चतम न्यायालय में यह तर्क दिया गया कि क्योंकि संविधान के अनुच्छेद-२४६ के तहत भूमि को राज्य सूची का विषय माना गया है, ऐसे में फ्रा को लागू करना संसद के अधिकार क्षेत्र के बाहर है। विकास बनाम संरक्षण: अधिकांशतः ऐसा देखा गया है कि सरकार द्वारा विकास के नाम पर बाँध, रेलवे लाइन, सड़क विद्युत संयंत्र आदि के निर्माण के लिये आदिवासी समुदाय के पारंपरिक प्रवास क्षेत्र की भूमि को ले लिये जाता है। इसके अलावा इस प्रकार के विकास कार्यों के लिये आदिवासी लोगों को उनकी भूमि से ज़बरन हटाने से पर्यावरण को क्षति होने के साथ-साथ मानव अधिकारों का उल्लंघन होता है। भूमि का अवैध अतिक्रमण: सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष १९८० में वन संरक्षण अधिनियम के लागू होने के पहले लगभग ४३ लाख हेक्टेयर भूमि पर कानूनी अथवा गैर-कानूनी तरीके से अतिक्रमण किया जा चुका था। वर्ष २००६ में भारतीय वन संरक्षण परिदृश्य में व्यापक बदलाव देखने को मिला जब वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से आदिवासियों को स्थानीय उपयोग से आगे बढ़ते हुए वन्य भूमि और वनोत्पाद पर अधिकार प्रदान किया गया। इस अधिनियम के कार्यान्वयन का उत्तरदायित्त्व केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय को सौंपा गया, जबकि संरक्षण का कार्य केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन ही रहा। वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) कानून का उद्देश्य व्यक्तिगत अधिकारों के माध्यम से खेती और आवास के लिये भूमि की सुरक्षा करते हुए वनवासी समुदायों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय (जिसका सामना उन्हें लगभग १५० वर्षों तक करना पड़ा ) को दूर करना है। यह १२ से अधिक प्रकार के सामुदायिक वन अधिकारों के माध्यम से वनवासी समुदायों को विभिन्न संसाधनों तक पहुँच प्रदान करता है। फ्रा वनवासी समुदायों को ऐसे किसी भी सामुदायिक वन संसाधन की रक्षा, पुनर्जीवन, संरक्षण और प्रबंधन का अधिकार देता है, जिसे वे स्थायी उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से सुरक्षित और संरक्षित करते रहे हैं। इसमें संरक्षित क्षेत्रों के भीतर महत्त्वपूर्ण वन्यजीव आवास को चिह्नित करने का प्रावधान है जो वर्तमान में देश के मौजूदा कानूनों में संरक्षण का सबसे मज़बूत प्रावधान है। फ्रा के तहत वनों के संदर्भ में किसी नए क्लियरेंस को मंज़ूरी नहीं दी जाती है, क्योंकि भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार केवल तभी दिया जाएगा जब व्यक्ति (वनवासी) के पास १३ दिसंबर, २००५ को संबंधित भू-भाग का स्वामित्व रहा हो। आदिवासी लोगों के अधिकारों को मान्यता: किसी भी क्षेत्र की बहुमूल्य जैव विविधता के संरक्षण के लिये वनों पर निर्भर रहने वाले वनवासियों के अधिकारों को मान्यता देना उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि विश्व धरोहर के रूप में किसी प्राकृतिक निवास स्थान को चिह्नित करना। वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन: सरकार को वनवासियों के साथ देश के बाकी सभी लोगों के समान ही व्यवहार करते हुए अपनी एजेंसियों और लोगों के प्रति उनका विश्वास मज़बूत करने का प्रयास करना चाहिये। वर्तमान में वन अधिकार अधिनियम में व्याप्त कई कमियों की पहचान की जा चुकी है, ऐसे में सरकार को शीघ्र ही इनको दूर करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने चाहिये। जैव विविधता अधिनियम-२००२ में जैव संसाधनों के प्रयोग और इससे जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी से होने वाले लाभ को आदिवासी समुदायों के साथ समान रूप से साझा करने की बात कही गई है। ऐसे में सभी हितधारकों को यह समझना होगा कि आदिवासी लोगों का पारंपरिक ज्ञान जैव विविधता संरक्षण को अधिक प्रभावी बनाने का एक उपयुक्त विकल्प है। आमतौर पर आदिवासी लोगों को सबसे अच्छा संरक्षणवादी माना जाता है, क्योंकि वे आध्यात्मिक रूप से प्रकृति से अधिक जुड़ाव रखते हैं। उच्च जैव विविधता के क्षेत्रों के संरक्षण का सबसे सस्ता और तेज़ तरीका आदिवासी लोगों के अधिकारों का सम्मान करना है। आदिवासी लोग संरक्षण प्रक्रिया के अभिन्न अंग हैं क्योंकि वे प्रकृति से अधिक एकीकृत और आध्यात्मिक तरीके से जुड़ पाते हैं, आदिवासी लोगों के लिये सम्मान की भावना विकसित करने की आवश्यकता है क्योंकि वन्य क्षेत्रों में आदिवासियों की उपस्थिति जैव विविधता के संरक्षण में सहायक होती है। अभ्यास प्रश्न: पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण में आदिवासी लोगों की भूमिका और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
हाथरस के बरवाना में ३०० वर्ष पुराने अति प्राचीन जैन मंदिर से ३ अष्टधातु की बहुमूल्य प्रतिमाओं की चोरी की घटना घटित हुई। समाज के अनुसार चोरी गई तीनों प्रतिमाएं लगभग ३०० वर्ष पूर्व इसी जगह खुदाई में निकली थी, जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई। चोरी गई तीनों मूर्तियों से समाज के जबर्दस्त आक्रोश और गुस्सा है। काफी समय से मंदिर की देखभाल जगदीश शरण जैन, रविंद्र कुमार आदि करते आये हैं। गांव में चार-पांच जैन परिवार हैं, जो मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। अति प्राचीन मंदिर होने की वजह से इसके साथ समाज की आस्था जुड़ी हुई है। समाज की बैठक में घटना को लेकर आक्रोश जाहिर किया गया तथा मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता ब्यक्त की गई। बैठक के बाद समाज के लोग पुलिस अधिकारियों से मिले और जल्द मूर्तियां बरामदगी की मांग की। जगदीश शरण जैन ने बताया कि तीनों मूर्तियां बेशकीमती हैं। उन्होंने बताया कि भगवान की मूर्ति के अलावा यहां सोने और चांदी के छत्र सहित लोहे की गुल्लक और चांदी पीतल के बर्तन रखे थे किंतु चोरों ने इन्हें हाथ नहीं लगाया। उन्होंने केवल मूर्तियों की ही चोरी की। समाज के लोगों में डा. मोहन लाल जैन, सुमत चंद्र जैन, संजीवन जैन, जगदीश शरण जैन के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। जैन नवयुवक सभा ने कहा है कि मूर्ति बरामदगी न होने की स्थिति में आंदोलन करने की चेतावनी दी है। अपने क्षेत्र में हो रही जैन धर्म की विभिन्न गतिविधियों सहित जैन धर्म के किसी भी कार्यक्रम, महोत्सव आदि का विस्तृत समाचार/सूचना हमें भेज सकते हैं ताकि आप द्वारा भेजी सूचना दुनिया भर में फैले जैन समुदाय के लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा जैन धर्म से संबंधित कोई लेख/कहानी/ कोई अदभुत जानकारी या जैन मंदिरों का विवरण एवं फोटो, किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की विडियो ( पूजा,सामूहिक आरती,पंचकल्याणक,मंदिर प्रतिष्ठा, गुरु वंदना,गुरु भक्ति,गुरु प्रवचन ) बना कर भी हमें भेज सकते हैं। आप द्वारा भेजी कोई भी अह्म जानकारी को हम आपके नाम सहित पर प्रकाशित करेंगे। पावागिरि में वार्षिक मेला के चौथे दिन स्वर्ण भद्रादि मुनिराजों का निर्वाण महोत्सव मनाया।
म्प ई-अपर्जन क्या है ? मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किसानो से गेहू समर्थन मूल्य पर ख़रीदा जाता है ! इसमें किसानो से अनाज की प्राप्ति के पश्चात, उन्हें अनाज बेचने की रसीद एवं उनके द्वारा बेचे गये अनाज कि राशि सात कार्यालयीन दिवसों में उनके बैंक खाता मे जमा कर दी जयेगी। ई-उपार्जन साफ्ट्वेय़र के माध्यम से संग्रहण केन्द्र को अनाज जारी एवं बारदाने जारी तथा बारदाने कि प्राप्ति की जाती है। उपार्जन केन्द्र मे होने वाली अनाज खरीदी की संपूर्ण प्रक्रिया ई -उपार्जन साफ्ट्वेय़र के माध्यम से ही की जायेगी। म्प ए उपर्जन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें? इसके बाद आपको खरीदी केंद्र की तिथि बताई जाएगी ! नमस्ते! मैं ऋषभ सिंह हूं। मैं आपको यहां रोजगार सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराता हु । यदि आप रेलवे, बैंक, एसएससी, व्यापम, आईबीपीएस या किसी नौकरी से संबंधित कोई खबर देना चाहते हैं, तो कृपया पर लिखें। कृपया अपने ईमेल में अपने पूर्ण नाम, शैक्षणिक योग्यता का उल्लेख करें।
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हरिद्वार। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को डामकोठी के निकट गंगा घाट पर कांवड़ यात्रा पर देवभूमि उत्तराखण्ड आये शिव भक्तों के चरण धोकर एवं गंगाजली देकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डामकोठी में पौधारोपण भी किया। कांवड़ियों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने कहा कि मां गंगा की कृपा सभी पर बनी रहे। देवभूमि उत्तराखण्ड आये शिव भक्तों में भगवान शिव का अंश दिखता है। उन्होंने कहा कि कांवड़ की सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलें। इसके लिए सरकार ने कांवड़ यात्रा के लिए पहली बार अलग से बजट की व्यवस्था की है। कांवड़ लेने आने वाले श्रद्धालुओं को राज्य में कोई परेशानी न हो। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा हर सम्भव सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किये गये हैं। कांवड़ मेले के सुचारू प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री ने सामाजिक संस्थाओं, स्वयं सेवी संस्थाओं, शासन एवं जिला प्रशासन के कार्यों की सराहना भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में इस वर्ष चारधाम एवं कांवड़ में रिकॉर्ड श्रद्धालु आ रहे हैं। अभी तक २७ लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम दर्शन के लिए आ चुके हैं। आज २८ लाख से अधिक कांवड़ यात्री देवभूमि में हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ यात्रा में श्रद्धालुओं की सुविधा लिए उच्च स्तर पर एक वाट्सअप ग्रुप भी बनाया गया है। इस ग्रुप के माध्यम से सभी व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग की जा रही है मुख्यमंत्री स्वयं इस ग्रुप से जुड़े हैं। इस अवसर पर विधायक आदेश चौहान,प्रदीप बत्रा,पूर्व विधायक संजय गुप्ता,गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार, डीआईजी गढ़वाल के.एस.नगन्याल,जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय,एस.एस.पीडा.योगेन्द्र सिंह रावत, मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन एवं शिवभक्त मौजूद रहे।
अवैद्य शराब के मामले में एडीजे रामपाल जाट ने विडियो कॉल के जरिये सुनवाई करते हुए आरोपी की अग्रिम जमानत खारिज कर दी। अपर लोक अभियोजक एवं राजकीय अभिभाषक एड. करणीदान चारण ने बताया कि २८ अपे्रल २०२० की मध्य रात्री को न्यामा की रोही में एस्सार पैट्रोल पम्प के पीछे बाटड़ानाऊ की ओर से बोलेरो पिक-अप आ रही थी। सालासर पुलिस को देख कर उसमें सवार व्यक्ति गाड़ी को भगाने लगा और पुलिस द्वारा घेराव करने पर गाड़ी छोड़ कर अंधेरे का फायदा उठाते हुए भाग गया। पुलिस ने पिक-अप की तलाशी ली तो उसमें रखे १८ कार्टूनों में देशी शराब ८६४ पव्वे के थे। प्रकरण में आरोपी अमरचंद पुत्र रामकुमार जाट निवासी सालासर के खिलाफ न्यायालय में लम्बित पूर्व के तीन प्रकरणों को ध्यान में रखते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामपाल जाट ने अग्रिम जमानत खारिज कर दी। प्रकरण में ई मेल के जरिये अग्रिम जमानत आवेदन आरोपी की ओर से प्रस्तुत किया गया, जिसमें मेल के जरिये ही केस डायरी प्रस्तुत की गई तथा विडियो कॉल के जरिये बहस सुनी गई।
आर माधवन और कंगना रनौत ने रोमांस-कॉमेडी फ्रेंचाइजी तनु वेड्स मनु के साथ दर्शकों को लुभाया। ऑनस्क्रीन जोड़ी के साथ रिलीज़ हुई दो फ़िल्में दोनों बार दर्शकों की अपार सराहना बटोरने में सफल रहीं। हालांकि, जिस तरह से लोगों ने इस जोड़ी के बीच की केमिस्ट्री को सराहा, उसके बावजूद हमने तीसरे भाग की वापसी नहीं देखी। जब नायक से पूछा गया, तो माधवन, जो रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट का प्रचार कर रहे हैं, ने खुलासा किया कि वह मनु के रूप में वापस नहीं आना चाहेंगे। तनु वेड्स मनु में अब मनु नहीं बनना चाहते आर माधवन; कहते हैं, मरे हुए घोड़े को पीटने का कोई मतलब नहीं हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में, माधवन को लोकप्रिय युतुबर जबी कोए के साथ एक साक्षात्कार में उद्धृत किया गया था, जिसमें उन्होंने तनु वेड्स मनु के तीसरे भाग के बारे में बात की थी। मुझे लगता है कि पुल के नीचे पानी है। मरे हुए घोड़े को पीटने का कोई मतलब नहीं है। तुम्हें पता है, मूल सामग्री के साथ आना बहुत मुश्किल है, और फिर एक फिल्म की उम्मीदें हैं। देखिए, अगर यह एवेंजर्स या सुपरहीरो सीरीज़ का सीक्वल है, तो यह आसान है क्योंकि आपके पास एक टेम्प्लेट है। लेकिन तनु वेड्स मनु के साथ यह असंभव है। और मुझे लगता है कि मैं इसके साथ कर रहा हूँ। मैं अब मनु के रूप में वापस नहीं जाना चाहता, उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया था। २०११ में रिलीज़ हुई तनु वेड्स मनु के लिए, दो टाइटैनिक पात्रों की कहानी दिखाती है कि वे कैसे मिलते हैं और उनकी प्रेम कहानी कितनी जटिल हो जाती है, जो अंततः शादी की ओर ले जाती है। २०१५ में तनु वेड्स मनु रिटर्न्स ने उनके विवाह के बाद के जीवन के बारे में बात की जो उनके आंतरिक मुद्दों से संबंधित है और दत्तो नाम के एक और चरित्र की प्रविष्टि है जो कथानक में मोड़ जोड़ता है। जहां २०११ की रिलीज़ को दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी, वहीं २०१५ की फिल्म रिकॉर्ड तोड़ने में सफल रही। माधवन की आगामी फिल्म रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट के बारे में बात करते हुए, यह आर माधवन के निर्देशन में पहली फिल्म है और यह इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित है। यह १ जुलाई को रिलीज होने वाली है। क्या करण जौहर के शो में एक साथ कॉफ़ी पीने आएंगे राम चरण और जूनियर एनटीआर!
यूरोपीय संघ के किसी भिन्न यूरोपीय संघ के देश में किसी व्यवसाय से खरीदारी करने वाले व्यवसायों पर वैट नहीं लगाया जाता है। यूरोपीय संघ के बाहर के उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर वैट नहीं लगाया जाता है। क्या आपकी वैट गणना गलत है? इस पृष्ठ पर प्रदान की गई वैट दर केवल एक अनुमान है। आपके बिलिंग विवरण दर्ज करने के बाद चेकआउट प्रक्रिया के दौरान इसे ठीक किया जाएगा। मुझे क्या भुगतान करना पड़ेगा? यह राशि नवीनतम मुद्रा रूपांतरण दर पर आधारित एक अनुमान है। मुझे क्या भुगतान करना होगा? जब आप दान.कॉम पर एक डोमेन नाम खरीदते हैं, तो आप स्वचालित रूप से हमारे क्रेता सुरक्षा कार्यक्रम से जुड़ जाते हैं। हमारी खास और सावधानी से डिजाइन की गई डोमेन स्वामित्व हस्तांतरण प्रक्रिया बाजार में सबसे अच्छी रेटिंग वाली सेवा है। जब आप दान.कॉम पर एक डोमेन नाम खरीदते हैं, तो आप स्वचालित रूप से हमारे खास क्रेता सुरक्षा कार्यक्रम से जुड़ जाते हैं। हम आपको कैसे सुरक्षित रखते हैं, इसके बारे में हमारी [विश्वास व सुरक्षा](%{ट्रस्ट_एंड_सिक्योरिटी_उर्ल}) पेज पर और पढ़ें। हमारी सुरक्षित डोमेन स्वामित्व हस्तांतरण प्रक्रिया के आगे, हम सभी लेनदेन की कड़ाई से निगरानी करते हैं। अगर कुछ अजीब लगता है तो हम तुरंत कार्रवाई करते हैं। और अगर विक्रेता सौदे के अपने हिस्से को वितरित नहीं करता है, तो हम आपको २४ घंटे के भीतर धनवापसी कर देते हैं। सभी डोमेन स्वामित्व हस्तांतरणों में से ९८% २४ घंटों के भीतर पूरे हो जाते हैं। विक्रेता पहले हमें डोमेन डिलीवर करता है, फिर हम आपको आपके अनुरूप ट्रांसफर निर्देश भेजते हैं। मदद की ज़रूरत है? हमारे डोमेन स्वामित्व हस्तांतरण विशेषज्ञ बिना किसी अतिरिक्त लागत के आपकी सहायता करेंगे। बैंक वायर से भुगतान करें और १% की छूट पाएं या हमारे भुगतान प्रोसेसर, अद्येन के माध्यम से उपलब्ध सबसे लोकप्रिय भुगतान विकल्पों में से एक का उपयोग करें। अद्येन उबर और ईबे जैसी कई प्रमुख तकनीकी कंपनियों के लिए पसंद का भुगतान मंच है। भुगतानों को सुरक्षित रूप से संभालने के लिए हम अद्येन के साथ साझेदारी करते हैं। यह हमारी सहित कई प्रमुख कंपनियों के लिए पसंद का भुगतान मंच है। अद्येन आपको अपना भुगतान करने देता है। जिसमें वीज़ा, मास्टरकार्ड, पायपाल, आइडल और बहुत कुछ शामिल हैं। एक एकीकृत जोखिम प्रबंधन प्रणाली, रेवेन्यूप्रोटेक्ट के साथ, अद्येन आपकी सुरक्षा की गारंटी देता है। चाहे आप खरीदार हों या विक्रेता। अद्येन ने दुनिया के शीर्ष ब्रांडों के साथ अपनी वृद्धि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए साझेदारी की है। डोमेन बिक्री के बारे में आपके ज्वलंत प्रश्न, ये रहे जवाब। आपकी डोमेन स्वामित्व हस्तांतरण प्रक्रिया कैसे काम करती है? आपको इस पृष्ठ के दाईं ओर विक्रेता द्वारा डोमेन नाम इग्क.सेज के लिए निर्धारित उपलब्ध खरीद विकल्प मिलेंगे। हमारे स्थानांतरण विशेषज्ञ आपको खास स्थानांतरण निर्देश भेजेंगे और डोमेन नाम प्राप्त करने की प्रक्रिया में आपकी सहायता करेंगे। औसतन, २४ घंटों के भीतर डोमेन नाम सब आपका हो जाता है। चरण ३: अब जबकि डोमेन आधिकारिक रूप से आपके हाथ में है, हम विक्रेता को भुगतान करते हैं। और हमारा काम पूरा हो गया! बशर्ते कि आपको हमारी और सहायता की जरूरत न हो। हमारी स्थानांतरण टीम स्थानांतरण के बाद मुफ्त सहायता के लिए उपलब्ध है। आप कौन से भुगतान विकल्प स्वीकार करते हैं? क्या मुझे आपकी सेवाओं के लिए भुगतान करना होगा? नहीं, हमारी डोमेन स्वामित्व स्थानांतरण सेवा डोमेन खरीदारों के लिए निःशुल्क है। डोमेन विक्रेता हमारे कमीशन का ख्याल रखता है।
कॉप-२७ सुमित : संयुक्त राष्ट्र की २७वीं जलवायु वार्ता या कॉप २७, मिस्र में समाप्त हुई। जहां एक ओर इस सम्मेलन में जलवायु संकट के सबसे कमजोर लोगों पर असर को कम करने पर अहम फैसले लिए गए, वहीं इस वार्ता में ग्लोबल वार्मिंग के कारणों को दूर करने के लिए कुछ खास देखने या सुनने को नहीं मिला। इस कॉप में चर्चाओं के तराज़ू के एक पलड़े में अगर थी विकसित दुनिया की और अधिक मिटिगेशन महत्वाकांक्षा और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार देशों की सूची का विस्तार तो दूसरे पलड़े में थी विकासशील देशों की बढ़ते जलवायु प्रभावों का सामना और उनसे निपटने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता की मांग। इस कॉप में तमाम समझौते हुए मगर ग्लासगो में तय हुए एमिशन कटौती की आधार रेखा को बमुश्किल छुआ जा सका। इस कॉप में एक अकल्पनीय पहल ज़रूर हुई। और वो थी जलवायु संकट के प्रभाव के कारण होने वाले "नुकसान और क्षति" से निपटने के लिए, २०२३ में अगले कॉप से पहले, दुनिया के सबसे कमजोर जनसमूहों के लिए वित्तीय सहायता संरचना स्थापित करने की प्रतिबद्धता। इसे अकल्पनीय इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि कुछ ही समय पहले इस पर मजबूती से चर्चाओं का दौर शुरू हुआ था और कॉप में इस पर फैसला भी ले लिया गया। ध्यान रहे कि जलवायु परिवर्तन के चलते हानि की कीमत बढ़कर $२०० बिलियन हो चुकी है। एक चिंता की बात भी रही इस सम्मेलन में। इसमें भविष्य के ऊर्जा स्रोतों के रूप में रिन्यूबल के साथ "लो एमिशन या कम उत्सर्जन" वाले ऊर्जा स्ट्रोटोन पर चर्चा हुई। इससे डर इस बात का बंता है कि इस लो एमिशन जैसे अपरिभाषित शब्द की आड़ में नयी जीवाश्म ईंधन तकनीकों का विकास शुरू हो सकता है। कॉप २७ पर टिप्पणी करते हुए, उल्का केलकर, निदेशक, जलवायु कार्यक्रम, डब्ल्यूआरआई इंडिया, ने कहा, "नया लॉस एंड डेमेज कोष गरीब और कमजोर देशों के नागरिक समाज समूहों के लिए एक तरह की सुरक्षा की गारंटी है। एक और बढ़िया बात रही बहुपक्षीय विकास बैंकों को साफ संदेश दिया गया कि वह विकासशील देशों को कर्ज में डूबने के लिए मजबूर किए बिना उन्हें अधिक जलवायु वित्त प्रदान करें। कॉप२७ एक नया न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन कार्यक्रम भी बना है जो भारत जैसे देशों के लिए प्रासंगिक है जिनके पास जीवाश्म ईंधन पर निर्भर क्षेत्रों में बड़े कार्यबल लगे हैं।" जिस तरह ग२० का अंत युद्ध के खिलाफ एक मजबूत बयान के साथ हुआ, वैसे ही कॉप२७ से अंत में सभी जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए वर्तमान ऊर्जा संकट में एक शक्तिशाली प्रतिबद्धता दिखाई जा सकती थी, मगर इसके बजाय, यह केवल एक विविध ऊर्जा मिश्रण का आह्वान करता है, जो कि एक लिहाज से गैस के निरंतर विस्तार को बढ़ावा देता है। आगे, ईस्ड की वरिष्ठ नीति सलाहकार, श्रुति शर्मा कहती हैं, "यह निराशाजनक है कि कॉप२७ ने कॉप२६ के फैसलों पर आगे खास कदम नहीं बढ़ाए। ऐसा न होने से जीवाश्म ईंधन के फेजआउट पर एक मजबूत संदेश नहीं दिया जा सका। कॉप २६ ने अन्य बातों के साथ-साथ, कोयले के बेरोकटोक फेजडाउन के माध्यम से कम ऊर्जा प्रणालियों कि ओर बढ्ने के लिए पार्टियों से कहा था। भारत के प्रस्ताव के माध्यम से कॉप२७ में उम्मीद थी कि कोयले के तेल और गैस सहित सभी जीवाश्म ईंधनों को धीरे-धीरे समाप्त किया जाए। मगर भारतीय प्रस्ताव के इरादे के बावजूद, हम जानते हैं कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ चलने और १.५ डिग्री सेल्सियस तापमान सीमा को पहुंच के भीतर रखने के लिए अब भारी उत्सर्जन में कटौती की आवश्यकता है। इसका मतलब है कि हमें तत्काल (१) कोई नया जीवाश्म ईंधन निवेश नहीं करने की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है; (२) कोयले, तेल और गैस के वैश्विक उत्पादन और खपत में कमी के लिए ठोस योजनाएँ, और (३) इन सभी जीवाश्म ईंधनों के लिए सरकारी समर्थन को खत्म करने के लिए फैसले लेने होंगे।" दुनिया पहले चरण में कोयले को कम करने और उसके बाद तेल और गैस की ओर मुड़ने का जोखिम नहीं उठा सकती है। इस इस वर्ष के कॉप में जीवाश्म ईंधन से दूरी पर खास ज़ोर नहीं दिखा और यह निराशाजनक बात है। अंत में क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक, आरती खोसला ने निष्कर्ष निकाला, "कॉप२७ निगलने के लिए एक कठिन गोली की तरह रही है, लेकिन अंत में अनुमान से अधिक प्रगति भी हुई है। यह दर्शाता है कि सभी देश अभी भी इस प्रक्रिया में शामिल होने के इच्छुक हैं और इसका महत्व समझ रही हैं। वार्ताकारों ने भाषा पर बहस की है लेकिन बड़ी तस्वीर में दुनिया ने १.५ डिग्री तापमान वृद्धि पर भाषा से समझौता न करके एक साल बर्बाद होने से बचा लिया है। इस कॉप को नुकसान और क्षति कोष बनाने के समझौते के लिए याद किया जाएगा। कॉप ने प्रदर्शित किया है कि कैसे भू-राजनीति बदल रही है और प्रत्येक देश ने अपने हितों में काम किया है। नवीनीकरण के पैमाने को शामिल करने में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। देश सभी जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर सहमत होने से चूक गए। यह न सिर्फ ऊर्जा संकट पर प्रकाश डालता है बल्कि इस कॉप में और तेल और गैस लॉबी की पकड़ के बारे में भी बताता है।" १नत्व से इस्तीफे के बाद रविश कुमार का अंतिम संदेश, मीडिया से लेकर बॉलिवुड तक लोगों के ये हैं रिएक्शन? भाई-भतीजावाद, जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, अपराध की गहरी और मजबूत जड़ों से भारत की लोकतांत्रिकता पर उठते सवाल ! जनपक्षधर समाचार साइट देश और दुनिया के पत्रकारों, विशेषज्ञों और पत्रकारिता के प्रति जनसरोकार रखने वाले नागरिकों का एक सामूहिक आयोजन है। जनज्वार का मकसद अपने पाठकों को सही सूचना और जानकारी देना है जिससे कि वे लोकतंत्र की मजबूती में एक सचेत और सक्षम नागरिक की भूमिका निभा सकें।
आने वाले कुछ दिनों में कभी न कभी उस भुड़ की बात छिड़ ही जाती थी। हमारा जीता ज्यादा चलता-पुर्जा लड़का नहीं था तो जब भी उस भुड़ के खतरे बताये जाते थे, वो थोड़ा गंभीर होकर सुनने लगता था। बात काफ़ी पुरानी है, घरों में एसी तो क्या कूलर भी नहीं होते थे। इन्वर्टर का सवाल ही नहीं तो सरकारी वाली बिजली आये या जाये, परवाह नहीं। ले देकर पूरी गली में सिर्फ़ एक कार थी, वो भी बेचारी कितनी जगह घेरती? मतलब मौका भी होता था और दस्तूर भी, खासकर छुट्टियों में बच्चा-पार्टी देर रात तक गली में कभी कबड़ी, खो-खो, घोड़ी(छोटी घोड़ी और वड्डी घोड़ी, लगभग एक ही खेल के दो अलग अलग फ़ार्मेट) खेला करते, खूब हो-हल्ला मचता, झगड़े होते, चोटें भी लगतीं लेकिन शो मस्ट गो-ऒन होता रहता। थक हारकर घरों के बाहर बिछाई चारपाईयों पर गिरते और सो जाते थे क्योंकि अगली सुबह फ़िर जल्दी से उठकर किसी खेल के मैदान या पार्क में जाना होता था। ऐसी ही एक रात थी, जीता सो गया था लेकिन शेष दोस्त सब जाग रहे थे। उसी भुड़ वाले दोस्त को जैसे कुछ याद आ गया हो, जाकर उसने सोते हुये जीते को झिंझोड़ कर उठाया और उसके कान में बोला, "जीते, तेरी बनियान में भुड़" हड़बड़ाया हुआ जीता कूदकर खाट से उठा और बनियान उतारकर बाजू उठाकर कभी इधर और कभी उधर उस भुड़ को ढूँढ़्ता रहा जो कहीं थी ही नहीं। हममें से दो-चार वालंटियर भी मौका देखकर हाथ साफ़ कर गये और चली गई, चली गई का नारा भी लग गया। फ़िर से दो ग्रुप बन गये, एक ग्रुप कह्ता था कि बेचारे जीते की नींद खराब कर दी जबकि कोई भुड़ थी ही नहीं और दूसरा ग्रुप बताता कि भुड़ बिल्कुल थी, वो तो समय पर लिये गये एक्शन के चलते भगा दी गई, इसलिये थोड़ी सी नींद खराबी कोई महंगा सौदा नहीं है। जो ग्रुप कह रहा होता कि जीते बेचारे को क्यों परेशान करते हो, वो बुरा बना और जो ग्रुप मजे ले रहा था, जीते की सहानुभूति और निष्ठा उसी ग्रुप के साथ ज्यादा रही। हम तब बच्चे थे, उसकी हालत देखकर हम हँस-हँसकर दोहरे होते जाते थे। फ़िर गाली-पुराण शुरू हुआ, हम सब उसका श्रवण करते रहे और इस तरह अपनी छुट्टियों का सदुपयोग करते रहे। मजे की बात ये थी कि हर चार-पांच दिन के बाद ये सब दोहराया जाता, भुड़ ने एकाध बार तो अपनी जगह भी बद्ली और जीते के पाजामें में घुसपैठ कर गई। मुझे तो लगता है कि उस दिन हमारे सीधे-सरल मित्र के पाजामे का नाड़ा खुलने में हुई देर के चलते ही दुनिया में पाजामे में इलास्टिक लगाने का चलन शुरू हुआ होगा। अब हम हो गये हैं बड़े, बाबे दी फ़ुल्ल किरपा है हमारे ऊपर इसलिये वो सब लुच्ची हरकतें नहीं करते। हमारे बच्चे अब गली में नहीं खेलते। खेलने की जगह भी नहीं और खेलने वाले भी नहीं और अगर हों भी तो हम नहीं खेलने देंगे। मैं तो डर ले मारे उन्हें ये किस्से भी नहीं सुनाता कि कहीं मुझे एकदम से टुच्चा या लुच्चा न समझ बैठें। भुड़ नाम ही कितना अजीब सा लगता है, अल्पज्ञानी तो इसे गाली ही समझ सकते हैं इसलिए न तो इसका नाम आज तक बच्चों के सामने बोला है और न ही आगे कभी बोलना है। मान लेने को दिल करता है कि जमाना बदल गया है, तरीके बदल गये हैं, तकनीकें बदल गई हैं। अब कहीं कोई शरारती बच्चा किसी सीधे-सादे दोस्त को सोते से यह कहकर नहीं जगाता होगा कि तेरी बनियान में भुड़। लेकिन अपने इस कुटिल दिल का कुछ नहीं कर सकता जो देखता है और भाँप लेता है कि अगला कदम क्या होगा जब बच्चे नहीं बल्कि बड़े नामी नेता/ठेकेदार किसी एक जीते को नहीं बल्कि जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को झिंझोड़कर किसी एक पार्टी या नेता का नाम लेकर डरा रहे होते हैं कि वो आ गया तो ऐसा हो जायेगा और वैसा हो जायेगा। वोट बैंक का वो हिस्सा जैसे नींद से जागकर अपेक्षित क्रियायें करता है और फ़िर दो गुट बन जाते हैं, एक कह रहा होता है कि बेकार में बेचारे को क्यों डराते हो और दूसरा गुट कह रहा होता है कि हमने समय पर चौकन्ना कर दिया, इसलिये बच गया नहीं तो...। ये देखकर मुझे अपने बचपन का ये किस्सा याद आ जाता है, जीते को हम चिल्लाकर उठा रहे हैं, "जीते, तेरी कमीज में भुड़"
मुजफ्फरपुर। नौवीं कक्षा के छात्र मैट्रिक परीक्षा २०२३ के लिए हो रहे रजिस्ट्रेशन का फॉर्म अब ३० सितंबर तक बिना विलंब शुल्क के साथ भर सकते हैं। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने रजिस्ट्रेशन को लेकर जारी अपने आदेश में बदलाव किया है। संशोधित आदेश के तहत ही सभी हाईस्कूल प्रभारी को बच्चों का फॉर्म भरने का निर्देश जारी किया गया है। मैट्रिक परीक्षा २०२३ में शामिल होने के लिए नियमित और स्वतंत्र कोटि के छात्र-छात्राओं के रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने की प्रक्रिया चल रही थी। बिहार बोर्ड की ओर से लेकर २२ सितंबर तक विलंब शुल्क के साथ फॉर्म भरने का आदेश जारी किया गया था, जबकि नवमी कक्षा में ३० सितंबर तक छात्र-छात्राओं का नामांकन लेने का आदेश जारी किया गया था। इसे लेकर बुधवार को हिन्दुस्तान में खबर प्रकाशित हुई थी कि ३० सितंबर तक नवमी में नामांकन कराने वाले छात्र २२ सितंबर तक विलंब शुल्क के साथ रजिस्ट्रेशन फॉर्म कैसे भरेंगे। डीईओ ने इस संबंध में बोर्ड से मार्गदर्शन मांगा था। बोर्ड ने अपने आदेश में बदलाव करते हुए नया आदेश जारी कर दिया है।
क्यूबा कैरिबियाई सागर में स्थित एक देश है। ये देश क्यूबा द्वीप और उसके आसपास के कुछ द्वीपों को मिलाकर के बना हुआ है। २८ अक्तूबर १४९२ को क्रिस्टोफर कोलंबस इस द्वीप पर पहुँचा था। १६वीं और १७वीं सदी में ये देश स्पेन का गुलाम रहा था जिसके कारण स्पेन की संस्कृति और भाषा का गहरा प्रभाव यहां पर देखा जा सकता है। १९४९ में इस देश में फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में क्रांति हुई और तानाशाही सरकार का अंत करके लोकतंत्र की नींव रखी गई। १. क्यूबा शुरू से ही अमेरिका की पूंजावादी व्यवस्था का प्रतिरोध करता रहा है जिसके कारण १962 से अमेरिका ने अपने नागरिकों के क्यूबा जाने पर बैन लगाया हुआ है। दोनो देशों में दूरी महज १45 किलोमीटर है। २. क्यूबा में ६ से १५ साल की उम्र के बच्चों को स्कूल में दाखिल करना जरूरी है। स्कूलों में हर क्लास के लिए अलग-अलग रंग की वर्दी होती है। ३. कैरेबियन देशों में क्यूबा की आबादी सबसे ज्यादा है १ करोड़ १5 लाख। ४. देश की ७५.५% आबादी शहरी है। लोगों की औस्त आयु ४1.५ साल है। ५. क्यूबा का क्षेत्रफल १,०६,४४० वर्गकिलोमीटर है यानि कि तेलांगाना (११2,०७७) से थोड़ा छोटा और बिहार (९४,१63) से थोड़ा बड़ा। ६. भारत के १२ राज्य क्षेत्रफल के लिहाज़ से क्यूबा से बड़े हैं। ७. क्यूबा में साक्षरता दर ९९.८% है जो इस देश के लगभग सभी लोगों के पढ़े-लिखे होने को दर्शाता है। ८. क्यूबा दूसरे देशों को मुख्य तौर पर मछली, चिकित्सा उत्पाद, कॉफी और खट्टे फल निर्यात करता है जबकि आयात की जाने वाली प्रमुख चीजें हैं तेल, भोजन, कैमीकल और मशीनरी। ९. दुनिया का सबसे छोटा पक्षी बी हमिंगबर्ड (बी हमिंग्बर्ड) क्यूबा में ही पाया जाता है जो लंबाई में महज २ इंच तक ही बढ़ पाता है। १०. वामपंथी विचारधारा का समर्थक होने के कारण साल १९९७ तक क्यूबा में क्रिसमिस की छुट्टी नही होती थी, लेकिन जब १९९८ में पोप जॉन पॉल दूसरे ने १९९८ में क्यूबा की यात्रा की तब से उनके सम्मान में क्रिसमिस को राष्ट्रिय अवकास यानि कि नेशनल होलिडे घोषित कर दिया गया। ११. वर्तमान समय में इस देश में महज २० अख़बार छपते है जबकि १९५० में ५८ अख़बार छपते थे। १२. इस देश में १९५९ से दूसरे देशों से कारें आयात करने पर बैन लगा हुआ था लेकिन २०११ में इसे हटा लिया गया। १३. क्यूबा में मरीज़ों की गिणती के हिसाब से जरूरत से ज्यादा डॉक्टर हैं। इस देश से हर साल कई हज़ार डॉक्टर उन देशों में भेजे जाते हैं जहां पर डॉक्टरों की कमी है। १४. क्यूबा में आप किसी सैनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी या फिर हवाई अड्डे के कर्मचारियों की तस्वीरें नही ले सकते, ये वहां पर गैरकानूनी है। १६. क्यूबा में इंटरनेट की भी पूरी आज़ादी नही है। यहां बेहद कम लोगों तक इंटरनेट की पहुँच है। १७. पश्चिमी गोलार्ध में क्यूबा पहला कम्युनिस्ट देश है। १८. यहां १७ से २८ साल के महिला और पुरूष सभी को दो साल के लिए क्यूबा की सेना में नौकरी करना जरूरी है। १९. क्यूबा में चुनाव के समय हर नागरिक का वोट करना जरूरी है। २१. गन्ने की फसल को क्यूबा की रानी फसल कहा जाता है। १८वीं सदी से क्यूबा की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक गन्ने की फसल पर निर्भर है। २२. नृत्य यहां के लोगों के जीवन का हिस्सा है। आप इन्हें उत्सवों और क्लबों के अलावा राह चलते भी थिरकते देख सकते हैं। बैले इनका पसंदीदा नृत्य है। यहां सामान्य बैले डांसर्स डॉक्टरों से ज्यादा कमाई कर लेते हैं। नोट : अगर आपको क्यूबा इन हिन्दी से जुड़ी जानकारी अच्छी लगी तो कृपा हमें कम्मंट के माध्यम से जरूर अवगत करवाएं। अगर आपको इस विषय के बारे में और जानकारी चाहिए तो भी आप हमें कमेंट कर सकते हैं। धन्यवाद। क्यूबा में किसी भी धर्म को ना मानने की मनाही नहीं है सत्यवान जी। यहां पर करीब ६५ फीसदी आबादी ईसाई धर्म को मानती है। २३% आबादी किसी भी धर्म से जुडी़ हुई नहीं है। १७% आबादी स्थानिक परंपराओं के अनुसार चलती है। साहिल जी ये वामपंथी लोग कौन होते हैं? जो लोग वामपंथ की विचारधारा में विश्वास रखते हैं, उन्हें वामपंथी कहते हैं। वामपंथी राजनीति (लेफ्ट-विंग पॉलिटिक्स या लेफ्टिस्ट पॉलिटिक्स) राजनीति में उस पक्ष या विचारधारा को कहते हैं जो समाज को बदलकर उसमें अधिक आर्थिक बराबरी लाना चाहते हैं। लेकिन इसकी इस परिभाषा से सावधान रहिए। क्योंकि भारत में इस विचारधारा की परिभाषा अलग है, और इसे फके वामपंथी अपनी सहुलियत के अनुसार किसी के ऊपर लागू करते हैं, और किसी के ऊपर नहीं। कु रीतियों की आड़ में संस्कृति को गाली दी जाती है। अगर किसी कु रीति को दूर करना ही है तो सबसे पहले गाली देने की कु रीति बंद होनी चाहिए। अपनी अपनी सोच नही, पैसे की सोच, जनता को लूटने की सोच, जिसके कारण किसी विचारधाना जा संस्कृति को लगातार नीचा दिखाते रहना। जो कुर्सी पर बैठे हैं वो भी, जो बैठे थे वो भी और जो बैठना चाहते हैं, वो भी। नमस्ते साहिल जी, आपने अमेरिका और वियतनाम के युद्ध के बारे में सुना होगा जिसमें वियतनाम ने विजय प्राप्त किया था। इसमें वियतनाम देश ने कहा कि उसकी जीत का कारण एक महान योद्धा के विचार है जो और कोई नहीं छत्रपति शिवाजी महाराज हैं । मैं छत्रपति शिवाजी महाराज का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं।मैं आपसे हार्दिक अनुरोध करता हुं कि आप शीघ्र ही छत्रपति शिवाजी महाराज के बारें में रोचक तथ्य पोस्ट करे। आशा है कि आप शीघ्र ही करेंगे। नमस्ते शिवम जी। मैने भी ब्लॉग पर पूरा मराठा इतिहास लिखने की तैयारी कर ली है जिसमें लगभग १०० पोस्ट होंगे। कुछ लिख भी चुका हुुँ। जल्द ही सब पूरे हो जाएंगे। नमस्ते साहिल जी, कम्युनिस्ट देश का मतलब क्या है। वामपंथी वामपंथी राजनीति राजनीति में उस पक्ष या विचारधारा को कहते हैं जो समाज को बदलकर उसमें अधिक आर्थिक बराबारी लाना चाहते हैं। लेकिन हमारे देश में इसका अलग ही मतलब है। एक परिवार की चाकरी करो और भारतीय संस्कृति को गाली दो।
एस्ट्रोसेज आपको लोम में अभी का समय बताता है जो आपको अपने कार्यों को सही समय के अनुसार करने में मदद करता है। जानें लोम में अभी का समय, भारत के वर्तमान समय, वर्तमान दिन और इसके साथ-साथ तिथि, चंद्रोदय और चंद्रमा के समय और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के बारे में सबकुछ। लोम में अभी का समय, दिन की लंबाई, जनसंख्या, देशांतर और अक्षांश और लोम और अन्य देशों या प्रमुख शहरों के बीच के अंतर को जानने के लिए पढ़ें यह विशेष अंक। लोम में अभी के समय के बारे में विस्तार से जानें। साथ ही आप यहाँ पर अपने शहर और लोम के समय के बीच के अंतर के बारे में भी सबकुछ बड़ी ही आसानी से जान सकते हैं। यहाँ पर दिया गया समय संबंधित शहर के लिए एकदम सटीक है और विश्वसनीय उपकरणों के अनुसार गणना करने के बाद तैयार किया गया है। साथ ही यहाँ इस बात की भी उचित जानकारी दी जा रही है कि लोम समय की गणना करते समय डीएसटी या डे लाइट सेविंग टाइम मान्य होता है या नहीं। यह पेज लोम द्वारा देखे गए समय क्षेत्र पर भी प्रकाश डालता है।
आज से सिद्धि योग में प्रारंभ हो रहे गुप्त नवरात्रि में माँ भगवती की पूजा-अर्चना का विधान है और तंत्र साधना की प्रधानता होती है। माता भगवती सबको निरोग एवं कल्याण करें, उनकी कृपा सब पर बनी रहे और सबका जीवन मंगलमय हो, उनसे यही प्रार्थना है। भारत सरकार के पूर्व रेल मंत्री, मिथिला के सबसे लोकप्रिय राजनेता स्व० ललित नारायण मिश्रा जी की जयंती पर सादर नमन। बिहार वि.स.के मा.सदस्यों तथा पूर्व मा. सदस्यों के चिकित्सा संबंधी विपत्रों के सरल व त्वरित भुगतान के लिए आज संसदीय कार्य एवं स्वास्थ्य विभागों के अपर मुख्य सचिव के साथ बैठक कर समीक्षा कर दिशा निर्देश दिया।सरलीकृत व्यवस्था संभवतः ०१मार्च, २०२२ से सैद्धांतिक रूप से लागू हो जायेगी। शोषितों, वंचितों, उपेक्षितों और उत्पीडितों के उत्थान के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भारत लेनिन अमर शहीद बाबू जगदेव प्रसाद जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। उनका संघर्ष, त्याग और समर्पण हमेशा याद किया जाएगा। सपनों से लेकर कामयाबी तक का रास्ता बिल्कुल मौजूद है। बस आपके पास उसको तलाशने का दृष्टिकोण मौजूद हो, उसपर पहुंचने का हौसला हो और उसपर चलने की दृढ़ता हो- कल्पना चावलाअंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि । देश सदैव आपको याद रखेगा । हाजीपुर के बिहार सुधारात्मक प्रशासनिक संस्थान में आयोजित बाल युवा संसद का उद्घाटन जनप्रतिनिधियों सहित वैशाली के जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक के साथ द्वीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया । इस दौरान स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा पौधा देकर स्वागत किया गया ।
बिलासपुर तारबाहर पुलिस ने मोटर सायकल चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने आज चोर गिरोह सरगना उसके साथी और ११ अन्य खरीददार को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास चोरी की १४ मोटर सायकलें बरामद हुई है। सभी आरोपी कोटा और बेलगहना के रहने वाले हैं। तारबाहर पुलिस ने आज सबसे बड़े मोटरसायकल चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस महानिदेशक और पुलिस कप्तान को लगातार शिकायत मिल रही थी। कि क्षेत्र से खड़ी मोटर सायकलों की चोरी हो रही है।खासतौर पर आलाधिकारियों ने तारबाहर पुलिस को विशेष रूप से मामले को गंभीरता के साथ लेने को कहा था। आदेश के बाद तारबाहर पुलिस ने राजीव प्लाजा क्षेत्र में संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर रखने के लिए सादे वर्दी में कुछ सिपाहियों को तैनात किया। आज राजीव प्लाजा के सामने पुलिस ने घेराबंदी कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। कोटा निवासी सरगना सद्दाम के अलावा पुलिस ने मल्लू सिंह और ओमप्रकाश को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाया । सख्ती से पूछताछ करने पर आरोपियों ने बड़ी संख्या में मोटर सायकल चोरी करना स्वीकार किया है। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने १४ मोटर सायकल बरामद किया है। जिन्हें आरोपियों ने विभिन्न स्थानों से चुराया था। आरोपियों के बयान के बाद पुलिस ने ११ खरीदारों को भी हिरासत में लिया है। एक अन्य आरोपी अजहर खान अभी भी पुलिस गिरफ्त से दूर है। बरामद गाड़िय़ों में हीरो होन्डा के पैशन प्रो के अलावा एक्टीवा, सीबीजे जैसी महंगी गाड़ियां शामिल हैं। बहरहाल पुलिस ने आरोपियों और खरीदारों के खिलाफ मामला दर्ज कर विवेचना कर रही है।
दुबई। कप्तान विराट कोहली की ही तरह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के बल्लेबाज एबी डिविलियर्स का भी मानना है कि दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ उनकी टीम अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर सकी जिसकी वजह से ५९ रन से हार झेलनी पड़ी। दिल्ली कैपिटल्स ने चार विकेट पर १९४ रन बनाये जिसमें आरसीबी के लचर क्षेत्ररक्षण का बड़ा योगदान रहा। बाद में लक्ष्य का पीछा करते हुए आरसीबी के बल्लेबाज नौ विकेट पर १३७ रन ही बना सके। डिविलियर्स ने कहा, दिल्ली कैपिल्टस को पूरा श्रेय जाता है। उन्होंने पहले छह ओवर में शानदार शुरूआत की लेकिन हमने वापसी की। हमें विकेट का फायदा उठाना चाहिये था लेकिन रक्षात्मक गेंदबाजी की। युजवेंद्र चहल ने मार्कस स्टोइनिस का कैच टपकाया जिन्होंने २६ गेंद में ५३ रन बना डाले। डिविलियर्स ने कहा, उन्होंने वाकई अच्छी बल्लेबाजी की। हमारे पास दबाव बनाने का मौका था लेकिन हम अपने कौशल का प्रदर्शन ही नहीं कर सके। हमने कैच छोड़े और क्षेत्ररक्षण भी खराब रहा। बल्लेबाजी भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही। यह एक खराब दिन था। उन्होंने पहले बल्लेबाजी के कप्तान विराट कोहली के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें लगा दूसरे हाफ में ओस की भूमिका होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पिछले १२ साल संघर्ष करने के बाद दिल्ली खिताब की प्रबल दावेदार लग रही है और अनुभवी आफ स्पिनर आर अश्विन ने इसका श्रेय टीम प्रयासों को दिया।
उत्तरकाशी । सीमांत जनपद उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा २ पर्वत चोटी के पास हिमस्खलन की सूचना है। जिसमें नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के २8 पर्वतारोही फंस गए हैं। जिसमें दो प्रशिक्षकों के मौत की खबर भी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पर्वतारोहियों को सकुशल निकालने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायु सेना की मदद मांगी है। जानकारी के मुताबिक, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के एडवांस प्रशिक्षण कोर्स के दौरान द्रौपदी का डांडा में एवलॉन्च आने से दो प्रशिक्षकों के मौत हो गई है। दोनों प्रशिक्षक उत्तरकाशी निवासी बताए जा रहे हैं। रेस्क्यू टीम अन्य प्रशिक्षुओं को रेस्क्यू करने में जुट गई है। बताया जा रहा है कि उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा क्षेत्र में एडवांस प्रशिक्षण के लिए २८ लोगों की टीम गई थी। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से रेस्क्यू अभियान में तेजी लाने के लिए वायु सेना की मदद मांगी है। जिस पर राजनाथ ने मदद का आश्वासन दिया है। आपको बता दें कि, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, एनआईएम उत्तरकाशी के भुक्की के पास चल रहे बेसिक और एडवांस कोर्स के बच्चे आज सुबह पर्वतारोहण की ट्रेंनिंग के लिए द्रोपदी के डण्डा पहुंचे थे। जिसकी ऊंचाई करीब ऊंचाई ५००६ मीटर है। जहां अचानक एवलांच आने से प्रशिक्षणार्थी फंस गए हैं। आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि ट्रेनिंग में प्रशिक्षक व प्रशिक्षणार्थी सहित कुल १७५ लोग थे। जिसमें २९ लोग एवलांच की चपेट में आये हैं। ८ लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है २१ लोगों का रेस्क्यू कार्य गतिमान है। रेस्क्यू के लिए हैली कि मदद ली जा रही है। साथ ही प्रशिक्षार्थियों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने के लिए एनआईएम की टीम के साथ जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और आईटीबीपी के जवानों द्वारा तेजी से राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है। वहीं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एवलॉन्च में दो प्रशिक्षकों की मौत पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने ट्टीट कर शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदनाएं जताई हैं। इसके अलावा उन्होंने सीएम धामी से भी बात की और घटना की जानकारी ली। उन्होंने वायु सेना को बचाव और राहत अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
आज के जमाने में किसी भी देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं है। खासकर रात के समय सुनसान सड़कों या पब जैसी जगहों पर लड़कियों को टारगेट किया जाता है। उनके साथ दुष्कर्म करने के इरादे से लोग उन्हें किडनेप करते हैं या धोखे से कुछ नशीली चीजें पीला देते हैं। लेकिन जरा सोचिए क्या होगा जब क्राइम करने वाला लड़की को टच किए बिना ही उसे बेहोश कर दे। लड़की को इस बात की कानोंकान खबर न हो। इतना ही नहीं होश में आने के बाद उसे अपने साथ हुई घटना याद भी न हो। यकीनन ये बहुत ही खतरनाक स्थिति होगी। हालांकि बदकिस्मती से इन दिनों ऐसे क्राइम बहुत हो रहे हैं। बीते कुछ दिनों में स्कॉटलैंड की लड़कियों के साथ एक अलग टाइप का क्राइम हो रहा है। इस क्राइम में आरोपी लड़की को टच किए बिना उन्हें बेहोश कर देता है। फिर मौका मिलते ही वह उसके साथ घिनौना काम करता है। सुबह जब लड़की को होश आता है तो उसे कुछ याद भी नहीं रहता है। ऐसी ही एक घटना २६ साल की रेबेका डर्बीशायर नाम की लड़की के साथ होने जा रही थी, हालांकि वे सही समय पर संभाल गई और दुष्कर्म का शिकार होने से बच गई। रेबेका ने जब अपने साथ हुए क्राइम की जांच पड़ताल कि तो पाया कि और भी कई लड़कियों के साथ इस तरह के अपराध हुए हैं। अपना अनुभव साझा करते हुए रेबेका ने बताया कि मैं बार में अपने ऑर्डर का इंतजार कर रही थी, तभी मुझे अपने कंधे पर कुछ चुभने का एहसास हुआ। मुझे चुभन के बाद तेज नींद आने लगी। किस्मत से तब मेरे साथ मेरा एक दोस्त भी वहां मौजूद था। शायद किसी ने मुझे जानबूझकर टारगेट किया था। रेबेका ने आगे बताया कि चुभन के बाद वह बेसुध होने लगी। फिर उनका दोस्त और होटल के लोग मदद को आए। वे उन्हें डॉक्टर के पास ले गए। यहां उनकी एचआईवी और हेपेटाइटिस समेत कई जांचें हुई। दरअसल पहले कुछ ऐसे भी केस देखे जाते थे जहां लोग सुई चुभाकर लोगों को एचआईवी पॉजिटिव कर देते थे। हालांकि रेबेका के केस में मामल कुछ और ही था। डॉक्टर ने उन्हे बताया कि आरोपी ने उन्हें एक ऐसा इंजेक्शन दिया जो इंसान को धीरे-धीरे बेहोश कर देता है। यह आपको अस्थायी रूप से अपंग भी बना सकता है। पहले तो रेबेका को लगा कि यह सिर्फ उनके साथ ही हुआ है, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि और भी कई लड़कियों पर सुई से ऐसे हमले हुए हैं। इसके बाद उन्होंने तुरंत इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। वहां उन्हें पता चला कि पुलिस के पास बीते दो महीनों में ऐसे बीस से अधिक मामले आए हैं। नेशनल पुलिस चीफ्स काउंसिल के अनुसार अधिकतर मामले केस स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड से आए हैं। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली १९ साल की जारा ओवेन के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था। ११ अक्टूबर को प्रेजम नाइट क्लब में उनके पैर में कुछ चोट लगी। फिर जो हुआ उन्हें कुछ याद नहीं है। नुकीली चीजें धंसाने वाले ऐसे १४ केस नॉटिंघमशायर पुलिस को अकेले अक्टूबर माह में मिले हैं। महिलाओं के ऊपर होने वाले स्पाइकिंग हमले की यह बात जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो पूरे ब्रिटेन में पुलिस ने जांच शुरू कर दी। वैसे इस तरह की घटना आपके साथ भी कहीं भी हो सकती है। ऐसे में रात को कहीं अकेले जाने की बजाय किसी दोस्त को जरूर ले जाए। वहीं किसी अनजान व्यक्ति के हाथ से कुछ न पिए।
बस्ती (उ.प्र.)। होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी के गांधी नगर स्थित क्लीनिक पर निःशुल्क स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन किया गया। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि लोगों में खानपान की अनियमितता, फास्ट फूड और अन्य बाजारु खाद्य पदार्थों का प्रयोग करने से पेट की समस्या जहां आम है वहीं मिलावटी तेल, घी, दूध, रिफाइंड आदि खाने से शरीर को उचित पोषण नहीं मिल पाता है, जिसके कारण हड्डी कमजोर हो जाती है। हड्डी में कैल्शियम, विटामिन डी, फास्फोरस, मैग्नीशियम और फ्लोराइड की कमी के कारण कमर दर्द, घुटनों में दर्द, सर्वाइकल स्पेन्डोलाइटिस, आस्टियो पोरोसिस जैसी बीमारी आम हो चली है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि प्रोटीन के अधिक सेवन के कारण युरिक एसिड बढ़ना सामान्य बीमारी में शामिल हो गया है। होम्योपैथ के युवा चिकित्सक तथा कैम्प संयोजक डा. स्वेतांग त्रिपाठी ने बताया कि आज के इस नि:शुल्क हड्डी जांच शिविर में ६७० मरीजों के हड्डी की जांच किया गया तथा उचित परामर्श दिया गया। डॉ. स्वेतांग ने बताया कि भोजन तथा जलपान में फाइबर युक्त भोजन प्रयोग करने का भी परामर्श दिया गया।इस कैंप का आयोजन आर एस भार्गव होम्योपैथिक फार्मास्युटिकल कम्पनी द्वारा आयोजित किया गया। कैम्प में प्रमुख रूप से महामंत्री भाजपा श्री विवेकानंद मिश्र,पुर्वांचल व्यापार मण्डल के अध्यक्ष सुभाष शुक्ल, ब्रजेश सिंह मुन्ना, डॉ. राघवेन्द्र सिंह, अनुराग शुक्ल, नरेन्द्र कुमार त्रिपाठी, सुनील मिश्रा,संजीव पांडेय, श्री केश त्रिपाठी, आनन्द त्रिपाठी, श्रीमती जानकी मिश्रा, श्रीमती ममता मिश्रा, श्रीमती शशिप्रभा त्रिपाठी, श्रीमती पूर्णिमा त्रिपाठी, सलोनी त्रिपाठी, अविरल त्रिपाठी, आरूषि त्रिपाठी, आकाश कशौधन, आकाश पाण्डेय एवं अभिलाष पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
७त पाय कमिश्न : केंद्र सरकार (सेंट्रल गवर्नमेंट) अपने कर्मचारियों (एम्पलोईस) के डीए (डा) में वृद्धि करने की तैयारी कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार अगस्त के महीने में कर्मचारियों के डीए में ४ फीसदी तक बढ़ोतरी की जा सकती है। यदि सरकार के द्वारा ऐसा किया जाता है तो लगभग सवा करोड़ लोगों को इसका बंपर लाभ मिलेगा। यानि कि अगले माह आने वाली सैलरी में काफी वृद्धि देखने को मिलेगी। वैसे तो महंगाई भत्ते में वृद्धि करने का समय काफी नजदीक आ गया है लेकिन अभी कोई तारीख नहीं निर्धारित की गई है। वहीं इस बार कर्मचारियों के डीए में ४ फीसदी तक बढ़ोतरी की जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो डीए 3४ फीसदी से बढ़कर ३८ फीसदी हो जाएगा। इसी प्रकार सरकार कर्मचारियों के अन्य भत्तों में भी इजाफा कर सकती है। बताते चलें कि सरकार ३ अगस्त को कैबिनेट बैठक का आयोजन करने वाली है जिसमें कर्मचारियों के भत्तों को लेकर बड़ा फैसला किया जा सकता है। केंद्र सरकार के इस फैसले से ५० लाख से ज्यादा कर्मचारी तथा ६५ लाख से ज्यादा पेंशनधारकों को इसका लाभ मिलेगा। यदि सरकार ने डीए में बढ़ोतरी की तो इसे १ जुलाई २०२२ से लागू माना जाएगा। मान लीजिए कि आपकी बेसिक सैलरी १८००० रूपए है तो ४ फीसदी डीए बढ़ाने पर अब ३८ फीसदी के हिसाब से आपको 86४0 रूपए डीए का लाभ मिलने लगेगा। फिलहाल में कर्मचारियों को 3४ फीसदी के हिसाब से डीए का लाभ दिया जा रहा है। दरअसल पिछले कुछ महीनों में ऐसा देखने को मिला है कि ऐक्पी इंडेक्स के आंकड़ों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। आंकड़ों में तेजी से हुई वृद्धि को देखकर ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब कर्मचारियों की सैलरी में बंपर बढ़ोतरी होने वाली है। जनवरी में ऐक्पी इंडेक्स के आंकड़े १२५.१ पर थे। वहीं फरवरी के महीने में इन आंकड़ों में कमी आई और ये १२५ पर पहुंच गए थे। वहीं मार्च में एक बार फिर इस आंकड़े में वृद्धि हुई और ये १26 पर पहुंच गया था। इसके बाद अप्रैल के आंकड़े १२७.७ पर पहुंच गए थे। जबकि मई में ऐक्पी इंडेक्स का ये आंकड़ा १२९ पर पहुंच गया है। अभी जून के आंकड़े आने बाकी हैं। इनको देखने के बाद ही सरकार कोई उचित निर्णय लेगी। लेकिन जो भी आंकड़े सामने आए हैं उनको देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार केंद्रीय कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। प्फ वाज लीमित हाइके २०२२-२३ : पेंशन के नियमों पर केंद्र सरकार कर सकती है बड़ा बदलाव, पढ़िए खबर! एप्फ़ो स्टेट्स चेक प्रोसेस २०२२ : रिटायर लोगों को सीधा लाभ, अब घर बैठे पेंशन की स्थिति ऐसे करें चेक ! रेतिर्ड पेंशनर्स लाटेस्ट उपड़ते: बड़ा अलर्ट! पेंशन और ग्रेच्युटी को लेकर सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को जारी की गई चेतावनी, तुरंत चेक करें डिटेल ! रेतिर्मेंट आगे उपड़ते २०२२-२३ : मिल गईं रिटायरमेंट आगे को हरी झंडी ! पश्चिम देश के मॉडल पर हो रहा विचार, पढ़िए खबर ! प्म किसन योजना: पीएम किसान योजना की पात्रता को लेकर बड़ी खबर, उत्तरप्रदेश के २१ लाख किसान अपात्र घोषित। नप्स लाटेस्ट उपड़ते: ५००० लगाएं और १ करोड़ ११ लाख ९८ हजार 47१ रुपए पाएं, हर महीने ४४,७९३ की पेंशन भी उठाएं। एप्फ एकाउन्ट क्लोस्ड उपड़ते : १५ हजार रुपए से बढ़ाकर २१००० रूपए हो सकती है सैलेरी लिमिट, ये रहा कैलकुलेशन ! ७त पाय कमिश्न न्यूज: नए साल से पहले केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, इतना बढ़ेगा महंगाई भत्ता! ७त कप्क इंक्रीमेंट उपड़ते : कर्मचारियों की बल्ले बल्ले ! सैलरी में आया जबर्दस्त उछाल, खुश करेगी ये खबर !! ७त पाय कमिश्न: १ फरवरी २०२३ को केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगा बड़ा तोहफा, ५० प्रतिशत तक बढ़ेगा वेतन! क्टेट २०२२-२०२३ : सीटीईटी आवेदन फॉर्म में बदलाव के लिए करेक्शन विंडो है अभी भी ओपन, इन आसान स्टेप्स से करिए सुधार ! ७त कप्क न्यूज तोडे २०२२-२३ : घर बनवाने के लिए महज ७.१% ब्याज पर फंड, पात्रता जानने के लिए पड़े खबर ! एप्फ़ो: पीएफ खाता बंद होने के बाद भी मिलेगा ब्याज, आया नए नियम। हबा इंटरेस्ट रेट : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! डीए बढ़ोतरी के बाद अब केंद्र सरकार ने यह बड़ा ऐलान किया है। दिसंबर २०२२ से नए नियम: दिसंबर से रेलवे, बैंक और रसोई गैस समेत तमाम नियमों में होगा बड़ा बदलाव, गाइडलाइंस जारी! डा अरेयर उपड़ते: केंद्रीय कर्मचारियों के खाते में इस दिन आएगी भारी रकम, २ लाख तक होगा भुगतान !
इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज एलेक्स हेल्स ने टीम को टी२० वर्ल्ड कप २०22 का खिताब जितवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस मेगा इवेंट में उनके द्वारा किये गए शानदार प्रदर्शन की तारीफ हर किसी ने की थी। वहीं वो टी२० वर्ल्ड कप में अपने अच्छे प्रदर्शन के अलावा किसी और चीज को लेकर चर्चा में बने हुए है। उनके चर्चा में बने रहने का कारण ये है कि उन्होंने आईपीएल २०22 की तरह ही आईपीएल २०23 से अपना नाम वापस ले लिया है। हेल्स के आईपीएल २०२३ में नहीं खेलने की खबर की पुष्टि उनकी फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स ने आईपीएल रिटेंशन की समय सीमा वाले दिन की। वहीं जानें मानें स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट सुभायन चक्रवर्ती का कहना है कि एलेक्स हेल्स ने आईपीएल २०२३ से नाम वापस ले लिया है तो कोलकाता नाइट राइडर्स ने उन्हें रिलीज कर दिया। कोलकाता ने इंग्लैंड के दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज को आईपीएल २०२२ की मेगा नीलामी में उनके १.५० करोड़ के बेस प्राइस में खरीदा था। उन्होंने आईपीएल २०२२ से बायो बबल से होने वाली थकान के कारण अपना नाम वापस ले लिया था। इसके बाद फ्रेंचाइजी ने उनके रिप्लेसमेंट के रूप में एरोन फिंच को अपने साथ जोड़ा था। वहीं आईपीएल २०२३ से उन्होंने अपना नाम निजी कारणों और और नेशनल टीम कमिंटमेंट के चलते लिया है। इससे पहले केकेआर के सैम बिलिंग्स और ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट और वनडे कप्तान पैट कमिंस ने भी अपना नाम वापस ले लिया है। अनुनय सिंह, कॉर्बिन बॉश, डेरिल मिचेल, जेम्स नीशम, करुण नायर, नाथन कूल्टर-नाइल, रासी वैन डेर डूसन, शुभम गढ़वाल, तेजस बरोका। संजू सैमसन, जोस बटलर, यशस्वी जायसवाल, देवदत्त, शिमरोन हेटमायर , ध्रुव, रियान पराग, रविचंद्रन अश्विन, ट्रेंट बोल्ट, युजी चहल, ओबेद मैकॉय, कुलदीप सेन, नवदीप सैनी, कुलदीप सेन, केसी करियप्पा, प्रसिद्ध कृष्णा। वहीं पंजाब किंग्स ने भी अपने रिटेन किये गए खिलाड़ियों की लिस्ट जारी कर दी है। वहीं आईपीएल २०२३ में टीम की कप्तानी शिखर धवन करते हुए दिखाई देंगे। वहीं रविंद्र जडेजा चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से खेलते हुए दिखाई देंगे। इस बात की पुष्टि उन्होंने खुद ट्वीट करते हुए दी है।
स्क म्ट्स टियर १ रेसल्ट २०२२ रिलीस: जो भी उम्मीदवार एसएससी बोर्ड के द्वारा आयोजित एसएससी एमटीएस परीक्षा के सभी फाज़ो के परीक्षा में शामिल हुए थें। उन सभी उम्मीदवारों को बोर्ड ने बहुत ही बड़ी खुशखबरी दी हैं। खुशखबरी यह हैं कि एसएससी बोर्ड एसएससी एमटीएस परीक्षा का रिजल्ट जल्द ही जारी कर सकती हैं। जिसकी सम्पूर्ण जानकारी आपको इस पोस्ट के अंत तक बताया गया है। इसलिए इस पोस्ट को पढ़ना जारी रखें। स्वागत करते हैं आज कि इस पोस्ट में उन सभी उम्मिवारों का जो उम्मीदवार स्टाफ सेलेक्सशन कमीशन बोर्ड के द्वारा आयोजित एसएससी एमटीएस टियर १ के सभी फेसों के परीक्षा में शामिल हुए थें । क्योंकि आज का हमारा आप उन्हीं अभ्यर्थियों के लिए ही है क्योंकि आज कि इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं कि स्टाफ सेलेक्सशन कमीशन बोर्ड कब तक एसएससी एमटीएस टियर १ परीक्षा २०२२ का परिणाम जारी करेगी। वहीं बताएंगे कि रिजल्ट जारी होने के बाद कैसे आप रिजल्ट को चेक कर सकते हैं। इसकी सम्पूर्ण जानकारी आपको इस पोस्ट के अंत तक मिलने वाला है। इसलिए पोस्ट को कंटिन्यू पढ़ना जारी रखें। एसएससी एमटीएस परीक्षा का रिजल्ट कैसे चेक करें? आपको जानकारी के लिए बता दें कि एसएससी एमटीएस परीक्षा का परिणाम ऑनलाइन माध्यम से जारी करेंगी। जिसे आप ऑनलाइन माध्यम से बहुत ही आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। जिसकी पूरी प्रोसेस नीचे के पैराग्राफ में बताया गया है। जैसे ही बोर्ड के द्वारा एसएससी एमटीएस टियर १ परीक्षा २०२२ का रिजल्ट जारी किया जाएगा उसके बाद सभी विद्यार्थी नीचे दिए गए स्टेप्स के माध्यम से अपना रिजल्ट डाउनलोड कर सकते हैं। स्टेप-१. स्क म्ट्स टियर १ परीक्षा २०२२ का रिजल्ट डाउनलोड करने के लिए सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट स्क.निक.इन के होम पेज पर जाएं। स्टेप-२. होमपेज पर जाने के बाद डावनलोड स्क म्ट्स रेसल्ट २0२२ का लिंक मिलेगा। स्टेप-३. जिस लिंक पर आपको क्लिक कर देना है। स्टेप-४. उसके बाद आपके सामने एक नया पेज खुलेगा जिस पेज पर मांगे जाने वाली डिटेल्स जैसे पंजीकरण संख्या व पासवर्ड दर्ज करें। स्टेप-५. उसके बाद सबमिट बटन पर क्लिक कर दें। स्टेप-६. अब आपके स्क्रीन पर स्कोर कार्ड प्रदर्शित हो जाएगा। स्टेप-७. जिसे आप प्रिंट भी करवा सकते हैं। इस प्रकार आप ऊपर बताए गए सभी स्टेप्स को फॉलो करके आसानी से रिजल्ट जारी होने के बाद आप अपना रिजल्ट चेक व डाउनलोड कर सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एसएससी एमटीएस टियर १ परीक्षा २०२२ का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। इसकी पूरी प्रोसेस ऊपर की पोस्ट में बताई गई है।
हार्दिक पांड्या को आईपीएल २०२२ में नंबर तीन और चार पर बल्लेबाज़ी करते हुए काफ़ी सफलता मिली थी। इसके बावजूद ऐसा लग रहा है कि हार्दिक को फिर से भारतीय टीम में फ़िनिशर का रोल ही दिया जाएगा। हालिया आईपीएल सीज़न में हार्दिक गुजरात टाइटंस के सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे। उन्होंन इस दौरान ४४.२७ के औसत और १३१.२६ के स्ट्राइक रेट से कुल ४८७ रन बनाए थे। हालांकि भारतीय कोच राहुल द्रविड़ का मानना है कि यह ज़रूरी नहीं है कि भारतीय टीम में भी वह उसी स्थान पर बल्लेबाज़ी करें। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि गुजरात टाइटंस के कप्तान हार्दिक पांड्या की फ्रैंचाइजी ने नालामी में एक से एक फिनिशर खरीद लिए थे। राहुल तेवितया फिर डेविड मिलर और कुछ मैचों को तो राशिद खान तक ने समाप्त किया। लेकिन टीम इंडिया में ऐसा नहीं है। निचले मध्यक्रम में दिनेश कार्तिक और हार्दिक पांड्या है वहीं इसके बाद ज्यादा से ज्यादा अक्षर पटेल की सुविधा टीम को मिल सकती है। द्रविड़ ने कहा, "हार्दिक गेंद और बल्ले के साथ एक शानदार खिलाड़ी हैं। हमलोगों ने पहले भी देखा है कि वह सफ़ेद गेंद की क्रिकेट में काफ़ी सफल खिलाड़ी हैं। इसके अलावा उन्होंने हालिया आईपीएल में भी काफ़ी बढ़िया प्रदर्शन किया है। उनका टीम में होना हमारे लिए काफ़ी अच्छा है।" कोच ने कहा, "यह ज़रूर कहा जा सकता है कि आईपीएल में अपनी टीम के लिए आप जिस क्रम पर बल्लेबाज़ी करते हैं, उसी क्रम पर आप राष्ट्रीय टीम में बल्लेबाज़ी नहीं कर सकते। यहां आपकी भूमिका बदल सकती है। यह बात सिर्फ़ हार्दिक के लिए नहीं है, यह सभी खिलाड़ियों पर लागू होता है। हम अपनी टीम के संतुलन के हिसाब से टीम के सभी खिलाड़ियों की भूमिका तय करेंगे।" हार्दिक ने गुजरात टाइटंस की कप्तानी करते हुए, पहले ही सीज़न में अपनी टीम को ख़िताब दिलाने में कामयाब रहे थे। इसके बाद गुजरात के सभी खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ़ ने उनकी काफ़ी तारीफ़ की थी। सबका मानना था कि हार्दिक अपने टीम के खिलाड़ियों को अपनी तरह से खुल कर खेलने का अवसर देते हैं। द्रविड़ से पूछा गया कि क्या इस आईपीएल सीज़न में उन्होंने हार्दिक में कुछ अलग देखा, तो इसके जवाब में हंसते हुए द्रविड़ ने कहा, " आईपीएल में जो भी खिलाड़ी शामिल हुए थे, उन्हें थोड़े ज़्यादा दिनों की छुट्टी दी गई थी। मुझे नहीं पता कि हार्दिक के बारे में अभी मैं क्या कहूं।" लेकिन क्या हार्दिक आने वाले सालों में भारतीय टीम के नेतृत्वकर्ताओं दल में शामिल किए जाएंगे? द्रविड़ इस बारे में अधिक नहीं सोच रहे हैं। हालांकि इस बात को लेकर वह काफ़ी ख़ुश हैं कि हार्दिक फिर से गेंदबाज़ी कर रहे हैं। द्रविड़ ने कहा, "जाहिर है कि उनका नेतृत्व आईपीएल में बहुत प्रभावशाली था, लेकिन आपको किसी नेतृत्व समूह का हिस्सा बनने के लिए एक नेता के रूप में नामित करने की आवश्यकता नहीं है। इस समय यह हमारे दृष्टिकोण से अच्छी बात है कि हार्दिक ने फिर से गेंदबाज़ी शुरू कर दी है। हम जानते हैं कि उनके गेंदबाज़ी करने से टीम में किस तरह की मज़बूती आएगी।"
उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री भारत सरकार ने आधार से संबंधित सेवाओं और योजनाओं को आधार से लिंक करने की बाध्यता शुरू कर दी है। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने यूआईडीएआई आधार आईडेंटिफिकेशन हिस्ट्री चेक करने के लिए एक प्रोविजन शुरू किया है। जिसके तहत कार्ड धारक यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन अपनी उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री को चेक कर सकता है। आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री के अंतर्गत आप आधार के संबंध में की गई तमाम रिक्वेस्ट को आसानी से चेक कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे इस ऑनलाइन माध्यम से आपके अलावा आपके उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री को कोई अन्य व्यक्ति चेक नहीं कर सकता है। अगर आपको ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री में कोई ऐसी रिक्वेस्ट/अनुरोध मिलता है, जिसको आपने शुरू नहीं किया तो आप उसकी सूचना जल्दी से जल्दी यूआईडीएआई को दे सकते हैं। यह भी पढे़:- आधार कार्ड में फोटो कैसे बदले? आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री एक प्रकार का आधार विवरण होता है जिसमें आधार के संबंध में आपके द्वारा की गई तमाम ट्रांजैक्शंस का विवरण होता है। अर्थात जब आप आधार से संबंधित किसी प्रकार का अनुरोध या सेवा प्राप्त करने के लिए कोई रिक्वेस्ट करते हैं तो यूआईडीएआई द्वारा उस ट्रांजैक्शन को अपने डेटाबेस में रजिस्टर कर लिया जाता है। ट्रांजैक्शन से संबंधित इसी डेटाबेस को उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री कहा जाता है। आधार ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शंस के अंतर्गत आपके डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक डाटा से संबंधित अनुरोध को इस डेटाबेस में शामिल नहीं किया जाता है। यूआईडीएआई द्वारा इस डेटाबेस में निम्नलिखित ट्रांजैक्शन को शामिल किया जाता है। लेन-देन का प्रकार (जनसांख्यिकीय, बायोमेट्रिक या ओटीपी-आधारित), लेन-देन की तिथि और समय, प्रमाणीकरण संगठन (यूआईडीएआई, ईपीएफओ, आईटीडी, एनआईसी, सीडीएसी, आदि), यूआईडीएआई प्रतिक्रिया कोड, अद्वितीय आधार लेनदेन। अगर आप ऑनलाइन माध्यम से उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री चेक करते हैं तो आपको पिछले ६ महीने की अधिकतम ५० ट्रांजैक्शंस ही दिखाई जाएंगी। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा उपभोक्ता को निम्नलिखित ६ प्रकार की आधार ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शंस चेक करने की सुविधा प्रदान की गई है। आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री चेक करने की इस ऑनलाइन सुविधा के अंतर्गत आप स्पेसिफिक दते रंज के आधार पर भी उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री देख सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे आपके द्वारा चुनी गई समय अवधि ६ महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए। एक समय में आप अधिकतम ५० ट्रांजैक्शन सही देख सकते हैं। अगर आप किसी विशेष प्रकार की ट्रांजैक्शन के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको स्पेसिफिक ट्रांसक्शन, के लिए स्पेसिफिक ऑथेंटिकेशन लिपी और रेलेवंत दते रंज का चुनाव करना होगा। आधार कार्ड धारक का मोबाइल नंबर आधार कार्ड से लिंक होने के उपरांत ही वह आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री चेक कर सकता है। प्रयोगकर्ता के द्वारा एक बार में अधिकतम ५० ट्रांजैक्शन रिजल्ट्स ही प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रयोग कर्ता के द्वारा आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री के अंतर्गत केवल पिछले ६ महीने की ट्रांजैक्शंस को ही देखा जा सकता है। आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री को किसी विशेष समय अवधि के अनुसार कस्टम दते रंज को सेलेक्ट कर चेक किया जा सकता है। आधार ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शंस के अंतर्गत असफल ट्रांजैक्शन स्कोर कारण सहित देख सकते हैं। यह भी पढे़:-शादी के बाद आधार कार्ड में नाम कैसे बदले? अगर आप अपनी उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री ऑनलाइन यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट से चेक करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए स्ट्रेस को फॉलो करें। स्टेप १: सर्वप्रथम लिंक का उपयोग कर यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। आधिकारिक वेबसाइट का होम पेज खुल जाएगा। स्टेप २: होम पेज पर नेविगेशन की मदद से मी आधार सेक्शन पर जाएं और सब सेक्शंस के अंतर्गत दिए गए विकल्पों में से आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री के लिंक पर क्लिक करें। स्टेप ४: नई पेज में अपना १२ अंकों का आधार कार्ड नंबर दिए गए निर्धारित कॉलम में दर्ज करें और दिए गए सिक्योरिटी कोड कैप्चा को भी दर्ज करें। स्टेप ५: इसके बाद जनरट ओटप के बटन पर क्लिक करें। जनरेटर ओटीपी के बटन पर क्लिक करते ही आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक वन टाइम पासवर्ड प्राप्त होगा और एक नया पेज खुल जाएगा। स्टेप ७: सुब्मित के बटन पर क्लिक करें। आपकी रिक्वेस्ट के मुताबिक आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री का रिजल्ट स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाएगा। स्टेप ८: यहां से आप अपने उईदाई आधार कार्ड ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री चेक /आधार ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शंस को चेक कर सकते हैं। अगर आपको कोई रिक्वेस्ट ऐसी लगती है, जिसे आपके द्वारा शुरू नहीं किया गया है तो उसकी सूचना जल्दी से जल्दी यूआईडीएआई को दें। यह भी पढे़:-ऑनलाइन आधार कार्ड स्टेटस कैसे चैक करे? यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा आधार कार्ड उपयोगकर्ताओं को आधार कार्ड से संबंधित पिछले ६ महीने में की गई ट्रांजैक्शन को यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन देखने की सुविधा प्रदान करता है। उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री को केवल आधार उपयोगकर्ता के द्वारा ही चेक किया जा सकता है। आपको समय-समय पर आधार ट्रांजैक्शन हिस्ट्री को अवश्य चेक करना चाहिए ताकि आप पता लगा सके कि कोई ऐसी ट्रांजैक्शन तो नहीं है, जिसे आपने नहीं किया हो। अगर आपको कोई ऐसी ट्रांजैक्शन मिलती है, तो उसकी सूचना तुरंत यूआईडीएआई को दे। यूआईडीएआई की उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री चेक करने की ऑनलाइन सुविधा बिल्कुल मुफ्त है। क.१: एक बार में ऑनलाइन माध्यम से आधार ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शंस को देखा जा सकता है? उत्तर: यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री चेक करने की सुविधा के अंतर्गत एक बार में अधिकतम ५० ट्रांजैक्शन तक ही देखा जा सकता है। ध्यान रहे यह ट्रांजैक्शन केवल अंतिम ६ महीने के ही दिखाई देंगे। क.२: क्या मैं अपने आधार बायोमैट्रिक डाटा को लॉक कर सकता हूं और क्या उसकी ट्रांजैक्शन हिस्ट्री दिखाई देगी? उत्तर- हां, कोई भी आधार कार्डधारक यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर अपने आधार बायोमैट्रिक डाटा कोर्नो कर सकता है। यूआइडीएआइ द्वारा आधार बायोमैट्रिक डाटा को लॉक करने की सुविधा एम आधार मोबाइल ऐप के माध्यम से भी प्रदान की गई है। अगर आप ऑनलाइन माध्यम से बायोमैट्रिक डाटा को लॉक कर रहे हैं, तो इनकी सूचना उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री में भी दिखाई देगी। क.३: कोई व्यक्ति कैसे वेरीफाई कर सकता है कि कोई वेबसाइट आधार कार्ड डिटेल्स दर्ज करने के लिए ऑथेंटिक है अथवा नहीं? उत्तर- यूआइडीएआइ द्वारा पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है कि आप अपने आधार कार्ड से संबंधित डिटेल केवल ऑथेंटिक वेबसाइट पर ही दर्ज करें। यूआईडीएआई ने इस प्रकार का अभी तक कोई मैकेनिज्म तैयार नहीं किया है। अतः अपने आधार कार्ड से संबंधित डिटेल को किसी भी डुबियस टाइप की वेबसाइट पर उपलब्ध ना करवाएं। क.४: यूआईडीएआई पोर्टल से ऑनलाइन अधिकतम कितने समय की ट्रांजैक्शन हिस्ट्री देखी जा सकती है? उत्तर: यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट से आप केवल ६ महीने पुरानी उईदाई आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री को भी चेक कर सकते हैं। सर्वप्रथम यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। नेविगेशन की मदद से मी आधार सेक्शन पर जाएं। अपना १२ अंकों का आधार कार्ड नंबर और कैप्चा कोड को दर्ज करें। सुब्मित के बटन पर क्लिक करें।
शंख और लिखित नामके दो मुनि थे । दोनों सगे भाई थे । दोनों अलग अलग आश्रम बनाकर रहते थे और भगवान्का भजन करते थे । ये दोनों मुनि धर्मशास्त्रके बड़े भारी विद्वान् थे । इन्होंने स्मृतियाँ बनायी हैं । शंख मुनि बड़े भाई थे और लिखित मुनि छोटे । एक बार लिखित मुनि अपने बड़े भाई शंख मुनिसे मिलने उनके आश्रममें गये । शंख मुनि उस समय वनमें गये थे । लिखित मुनि भूखे थे , उन्होंने अपने बड़े भाईके आश्रमके वृक्षोंमेंसे एक वृक्षका एक पका हुआ फल तोड़ा और उसे खाने लगे । इतनेमें शंख मुनि वहाँ आये । अपने छोटे भाई को आया देखकर उन्हें प्रसन्नता हुई , किन्तु लिखित मुनिके हाथमें फल देखकर उन्हें कुछ खेद भी हुआ । उन्होंने पूछा लिखित यह फल तुम्हें कहाँ मिला ? लिखित मुनिने कहा भैया ! यह तो आपके आश्रमके वृक्षसे मैंने तोड़ा है । शंख मुनि बोले यदि कोई किसी दूसरेकी वस्तु उससे बिना पूछे ले ले तो उसका यह काम क्या कहा जायगा ? लिखितने कहा उसका यह काम चोरी कहलायेगा । शंखने फिर पूछा कोई चोरी कर ले तो उसे क्या करना चाहिये ? लिखित बोले उसे राजाके पास जाकर अपना पाप बता देना चाहिये और पापका जो दण्ड मिले , उसे भोग लेना चाहिये । दण्ड भोगनेसे पापके दोषसे वह शुद्ध हो जाता है यदि वह इस लोक में पाप का दंड न भोगे तो मरने पर यमराज के दूत उसे पकड़कर नरक में ले जाते हैं और बहुत दुख देते हैं। शंख मुनि ने कहा तुमने मुझसे बिना पूछे मेरे आश्रम के वृक्ष से फल लेकर चोरी का पाप किया है अब तुम राजा के पास जाकर इस पाप का दंड ले लो और यहां आओ।लिखित मुनि वहाँसे चलकर राजाके पास पहुँचे । राजाने उन्हें प्रणाम किया और वह स्वागत सत्कार करने लगा ; किन्तु लिखित मुनिने राजाको अपना सत्कार नहीं करने दिया । उन्होंने अपना अपराध बताकर कहा आप मुझे दण्ड दीजिये । राजाने कहा राजा जैसे दण्ड देता है , वैसे ही क्षमा भी कर सकता है , मैं आपका अपराध क्षमा करता हूँ । लिखित मुनि बोले धर्मशास्त्रके नियम मुनिलोग बनाते हैं । राजाको तो प्रजासे उन नियमों का पालन कराना चाहिये । मैं तुमसे क्षमा लेने नहीं आया , दण्ड लेने आया हूँ । मेरे बड़े भाई ने स्नेहवश , मेरा कर्तव्य सुझाकर मुझे यहाँ भेजा है । मुझे अपराधका दण्ड दो । राजाको मुनिका हठ मानना पड़ा । उन दिनों चोरी के अपराध का दण्ड था चोर के दोनों हाथ काट लेना । राजा की आज्ञासे जल्लाद ने मुनिके दोनों हाथ काट लिये । हाथ कट जानेसे लिखित मुनिको कोई दुःख नहीं हुआ । वे बड़ी प्रसन्नता से शंख मुनिके आश्रमपर लौट आये और बोले भैया ! मैं अपराध का दण्ड ले आया । शंख मुनि ने छोटे भाईको हृदयसे लगाया और बोले तुमने बड़ा अच्छा किया । आओ , अब स्नान करके दोपहरकी संध्या करें । नदी के जल में स्नान करके जब तर्पण करने के लिये लिखित मुनिने कटे हाथ आगे किये तो झट उनके हाथ पूरे निकल आये । वे समझ गये कि यह उनके बड़े भाई की कृपा का फल है । उन्होंने बड़ी नम्रतासे पूछा भैया ! जब मेरे हाथ उगा ही देने थे तो आपने ही उन्हें यहाँ क्यों नहीं काट लिया ? शंख मुनि बोले दण्ड देना राजाका काम है । दूसरा कोई दण्ड दे तो उसे पाप होगा । लेकिन कृपा करना तो सदा ही श्रेष्ठ है । इसलिये तुम्हारे ऊपर कृपा करके मैंने तुम्हारे हाथ ठीक कर दिये । बिना पूछे किसी की कोई भी वस्तु लेना चोरी है , बात इस कथासे भली प्रकार समझमें आ जाती है ।
पिघलता हिमालय का जन्म १९७८ को हुआ। स्व.आनन्द बल्लभ उप्रेती व स्व.दुर्गा सिंह मर्तोलिया इसके संस्थापक हैं। स्व.आनन्द बल्लभ उप्रेती संस्थापक के साथ ही इसके प्रथम सम्पादक रहे जिन्होंने पत्रकारिता के मिशन के साथ इसे सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन का रूप दिया। कठिन दौर हमें बहुत कुछ सिखा जाता है। वर्तमान की आरामतलब पीढ़ी को यदि कठिन दौर के किस्से सुनाये जाएं तो वह आश्चर्य करती हैं लेकिन उन्हें यह जरूर बताये जाने चाहिये ताकि वह अपनी जड़ों से जुड़े रहेें। और जान सकें कि जितना भी वह आज बन पाये हैं इसके पीछे संघर्षों की लम्बी गाथा है। कठिन दौर सबका होता है, हर युग में होता है लेकिन किसी की परीक्षा ज्यादा ही होती है। कई दुश्वारियों के साथ कुछ लोग रास्ता बना लेते हैं और कुछ हार मानकर टूट जाते हैं। हमारे सीमान्त क्षेत्रा में तो यह स्थिति और भी विकट रही है। सड़क, बिजली, अस्पताल, स्कूल, संचार से दूर रहकर भी हौंसले के साथ रहना पहाड़ की आदत रही है परन्तु यदि इसमें भी आपदा-विपदा हमें घेर ले तो परीक्षा कई गुना हो जाती है। इसी प्रकार की तमाम परेशानियों में घिरकर आगे बढ़ी हैं- भवानी देवी पंचपाल। मुनस्यारी के तल्लाघोरपट्टा से अपने परिवार के साथ यह ध्रमघर की होकर रह गई। ८२ वर्षीय भवानी देवी अतीत के उस दौर को याद कर फफकते हुए रो पड़ती हैं। पति के निधन के बाद जिन परेशानियों से वह घिरी उससे उबरने का साहस उन्हें हिमालय ने दिया। वह हिमालय जो दृढ़ रहता है, अटल रहता है, पिघल कर भी जीवन देता है। भवानी देवी कहती हैं- बा बोक बोकबेर जांछि। कनोल ;नाचनी के पास निवासी पिता केशर सिंह धर्मशक्तू व माता कुशा धर्मशक्तू के घर में जन्मी भवानी देवी का सात वर्ष की आयु में तल्ला घोरपट्टा निवासी रामसिंह पंचपाल के साथ विवाह हो गया था। तब छुटपन में ही विवाह का रिवाज था। इनके ससुर रतन सिंह छुटपुट कारोबार करते थे। परिवार के सदस्य अपने जानवरों सहित जोहार यात्रा पर जाता था और परिवार की गुजर-बसर चल रही थी। घोड़ा, भेड़-बकरी, गाय-बैल सहित परिवार एक छोर से दूसरे छोर परम्परागत माइग्रेशन क्रम से अपने में जुटा था। रामसिंह पत्थर तक तोड़कर मजदूरी करने में पीछे नहीं थे। कठोर लेकिन प्रकृति के करीब की इस दिनचर्या में भी परिवार खुश था लेकिन एक दिन अचानक राम सिंह का निधन हो गया। इस समय परिवार में चार छोटे-छोटे बच्चे अपनी माँ भवानी के साथ थे। इसमें बसन्ती पांगती, प्रेमा बृजवाल, जगत सिंह पंचपाल ;बैक से सेवानिवृत्त, डी.एस. पंचपाल ;वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी भा.कृषि अनुसंधान केन्द्र अल्मोड़ा हैं। वर्षों के संघर्ष के बाद परिवार ने समाज में अपनी जगह अपने आप से बनाई। भवानी देवी बताती हैं कि पति रामसिंह जी के निधन के समय सबसे छोटो पुत्र देबू; देवसिंह चार साल का था। परिवार को नानी गोविन्दी पांगती ने पाला। मुनस्यारी तल्ला घोरपट्टा छोड़कर परिवार धरमघर आ गया। सबलोग मिलकर उन के कारोबार, दन-चुटके बनाने से लेकर कृषि कर्म में जुट गये। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी इधर-उधर कई जगह हुई लेकिन साहस के साथ उन्होंने पढ़ाई भी की। बाद के दिनों मंे बहन बसन्ती अपने भाई जगह-देवेन्द्र की संरक्षक के रूप में सक्रिय हो गई और पठन-पाठन में यह आगे बढ़ गये। भवानी देवी पंचपाल आज अपने भरेपूरे परिवार के साथ है लेकिन उन घटनाओं का स्मरण करती है जब कठिन दौर में उन्हें किसी ने संरक्षण दिया। साथ ही उन घटनाओं को भी नहीं भूली है जिन लोगों ने उन्हें चुनौती दी और दूरी बना ली। बचपन के श्रम और जीवन की सच्चाई से दो-चार हुए डी.एस. पंचपाल कहते हैं कि स्कूल जाने से पहले वह धान कूटते थे। सचमुच संघर्ष की कहानी आनन्ददायी होती है, जो हमें अपनों से जोड़े रखती है। जीवन-जगह का सत्य पहचाने में मदद करती है।
द्वारा घर-घर जाकर प्राप्त किये जायेगें। इस आशय की जानकारी उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने एक विज्ञप्ति के जरिए दी है। निर्वाचक नामावलियां जनपद के समस्त विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के मतदेय स्थलों,निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी कार्यालय एवं जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय पर निःशुल्क निरीक्षण हेतु उक्त अवधि में उपलब्ध रहेगी। उक्त अवधि के मध्य ही भारत निर्वाचन आयोग द्वारा २६ नवम्बर २२ को तृतीय विशेष अभियान निर्धारित की गई हैं विशेष अभियान को समस्त बीएलओ अपने-अपने मतदेय स्थलों पर प्रातः १०.०० बजे से सायं ४.०० बजे तक उपस्थित रहकर संबंधित अर्ह व्यक्तियों से दावा/आपत्ति प्राप्त करने की कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। नये मतदाताओं की सुविधा हेतु प्रत्येक कालेजों में वोटर हेल्प डेस्क/वोटर रजिस्ट्रेसन कक्ष की स्थापना हेतु समस्त प्राचार्यो को निर्देशित किया गया है। आयेग द्वारा दावा/आपत्तियां आनलाइन वोटर हेल्प लाइन एप, वोटर पोर्टल एवं एनवीएसपी के माध्यम से भी किया जा सकता है। विनिश्चय किया जायेगा। जनपद के समस्त राजकीय विभागों/अर्द्धसरकारी संस्थाओं/ बैंक/पोस्ट आफिसों, औद्योगिक एवं व्यवसायिक संस्थानों/एसोशिएसन, व्यापार मण्डल,उद्योग संगठनों,तथा गैर सरकारी संगठन भी अपने स्तर से उक्त का व्यापक प्रचार-प्रसार कराकर शुद्ध मतदाता सूची तैयार कराने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए मनीष और रजनीश के पिता शिवशंकर सिंह ने कहा "दोनों सक्रिय अपराधी थे, कभी घर नहीं आते थे। हमारा उनसे कोई लेना देना नहीं है। और न हम उनका शव लेने वाराणसी जायेंगे" । वाराणसी पुलिस की कार्यवाही में ढेर हुए समस्तीपुर बिहार के मनीष और रजनीश के पिता ने अपने सगे पुत्रों का शव लेने से इंकार किया। बिहार के स्थानीय थाने मोहिनुद्दीनगर को वाराणसी की बड़ागांव पुलिस ने भेजा था नोटिस। बिहार पुलिस ने जब मृतक भाइयों के गांव में परिवार को थमाया नोटिस तब पिता ने लिखित जवाब देते हुए, शव लेने से इंकार कर दिया। पिता ने कहा कि पुत्रों से कोई संबंध नहीं था, वे कभी घर भी नहीं आते रहे।